बलिया स्पेशल
बलिया में सरकारी अस्पतालों का बुरा हाल, इलाज के अभाव में मासूम की मौत
बलिया में अस्पताल की लापरवाही कोई नया मामला नहीं है । आये दिन कोई न कोई मामला ऐसा सामने आता है जिससे सरकारी तंत्र पर सवाल उठाना लाज़मी है। ताज़ा मामला अस्पताल में बुखार की दवा पैरासिटामाल के खत्म हुए तकरीबन एक महीने से ज्यादा का समय बिट गया लेकिन दवा अब तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है जिससे मरीज़ दर दर भटक रहे हैं ।
जिले के सीएचसी रेवती में देखने को मिला जहाँ 4 साल की बच्ची को अपनी जान गवानी पड़ी। नगर पंचायत रेवती के वार्ड नंबर-13 निवासी रामलखन चौहान की चार वर्षीय पुत्री जाह्नवी ने अस्पताल में इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया।
इस ह्दय विदारक घटना के विरोध में नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि कनक पाण्डेय अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ सीएचसी पर धरने पर बैठ गए। बाद में मौके पर पहुंचे एडिशनल सीएमओ डा. अर¨वद सिंह ने स्टाफ का तबादला करने का लिखित आश्वासन दिया। इसके बाद धरना समाप्त हुआ।
बता दें की अभी कुछ दिन पहलेजिला अस्पातल में दवाओं की शार्टेज का मामला सामने आया था । जिसके चलते मरीजों की हालत खराब है। मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है। हालांकि इन दवाओं के लिए काफी समय पहले इंडेंट भी भेजा गया था, लेकिन दवाओं की खेप एक माह बाद भी नहीं पहुंच सकी।
जिला अस्पताल में कैल्शियम, बी- काम्प्लेक्श, नोजल ड्राप, सिप्रो 500 व अन्य जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं है। जबकि बुखार की दवा पैरासिटामाल को खत्म हुए तीन माह से अधिक का समय हो गया।
जिससे मरीजों की हालत खराब हो रही है। मरीजों को बाहर की दवाएं खरीदनी पड़ रही है। जिला अस्पताल प्रशासन ने दवा के लिए विभिन्न कंपनियों को इंडेंट भेजा है।
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20 दिन बाद भी फरार है बलिया का ये BJP का ब्लॉक प्रमुख ! गिरफ्तारी में देरी क्यों ? सड़को पर उतरे वकील
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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