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बलिया स्पेशल

क्या बलिया पुलिस के नाक के निचे चल रहा था फ़र्ज़ी बैंक से पैसा लूटने का कारोबार?

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बलिया में  क्या पुलिस के नाक के निचे चल रहा था फ़र्ज़ी बैंक ?  जी हाँ  फर्जी बैंक का खुलासा होने के बाद बलिया पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस सवालों के घेरे में है  ? ऐसा कैसे हो सकता है 2 महीने से चल रहे फ़र्ज़ी बैक के बारे में पुलिस को कानो कानो तक खबर नहीं हुई? कई ऐसे सवाल हैं जो बलिया पुलिस से पूछे जाने जरुरी है।

हालंकि पुलिस ने इस केस में मुतैदी दिखाते हुए मुलायम नगर में कर्नाटका बैंक की फर्जी शाखा चला रहे वयक्ति को बुधवार की दोपहर गिरफ्तार कर लिया। उस पर लाखों रुपये की ठगी करने का आरोप है।

उसके पास से फर्जी दस्तावेजों के साथ तीन कंप्यूटर, एक लैपटाप,184 पासबुक समेत एक लाख 37 हजार रुपये कैश व अन्य सामान बरामद हुए।  दिल्ली से आए कर्नाटका बैंक के असिस्टेंट जनरल मैनेजर बीवीएच उपाध्याय की तहरीर पर कोतवाली में फर्जी शाखा प्रबंधक के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है। वहां काम कर रही तीन महिलाओं को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही थी।

उप्र के बदायू जिले के भंद्रा थाना के उसहरपुर निवासी अफाक अहमद पुत्र अंसार अहमद ने फर्जी नाम विनोद कुमार कांबले, निवासी बिखरौली ईस्ट, मुंबई की आईडी बनाकर करीब एक माह पूर्व जिले के फेफना थाने के गड़वार रोड स्थित मुलायम नगर में 32 हजार रुपये मासिक किराये पर मकान लिया और उसमें कर्नाटका बैंक की फर्जी शाखा खोली थी।

यहां ग्राहकों से पैसा जमा कराने के साथ वह ग्रामीण इलाकों में फ्रेंचाइजी खोलने के लिए आवेदन भी ले रहा था। फ्रेंचाइजी की सिक्योरिटी के रूप में 60 हजार रुपये की डिमांड करता था। मंगलवार को एक व्यक्ति ने फ्रेंचाइजी के लिए उससे मुलाकात की और उस बारे में जानकारी ली।

अब पुलिस का प्रयास पर्दें के पीछे से पूरे ‘खेल’ को अंजाम देने वालों तक पहुंचना है। जांच में जुटी पुलिस बैंक से मिले रिकार्ड तथा मोबाइलों को खंगाल रही है।

 

पुलिस की जांच में यह भी तथ्य सामने आया है कि इस गिरोह के सम्पर्क में कुछ स्थानीय लोग भी है जिनकी मदद से फर्जी बैंक खोला गया था। छापेमारी के दौरान पुलिस के हाथ लगे कम्प्यूटर, लैपटॉप व मोबाइल के जरिये पुलिस अंदरखाने तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल के सीडीआर (कॉल डिटेल्स रिकार्ड) निकलवाये जा रहे हैं। कथित बैंक मैनेजर के मोबाइल के जरिये ही पुलिस गिरोह के बाकी सदस्यों के बारे में सुराग लगा रही है।

फर्जी बैंक में फर्जी नाम व पता के सहारे लोगों को चूना लगा रहा अफाक अहमद शहर में होटल में रहता था। पुलिस सूत्रों की मानें तो वह पहले जिस होटल में रहता था उसे चार-पांच दिनों पहले छोड़ दिया था। वर्तमान समय में वह रेलवे स्टेशन के सामने के एक होटल में रहता था। फर्जी बैंक में हुई छापेमारी में गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने होटल में पहुंचकर उसके कमरे की भी तलाशी। छानबीन में आरोपित के कमरे से बड़ी संख्या में बैंक के दस्तावेज व फर्जी प्रमाण पत्र हाथ लगे हैं।

फर्जी बैंक का भंडाफोड़ होने के बाद से लोग सकते में हैं। शहर के साथ ही चट्टी-चौराहों पर चल रही माइक्रो फाइनेंस कम्पनियां अब तक कई लोगों को चूना लगाकर फरार हो चुकी हैं। जानकारी के अभाव में लोग कम्पनियों के एजेंटों के जॉल में फंस जाते हैं, जबकि पुलिस-प्रशासन बगैर शिकायत उनकी जांच-पड़ताल नहीं करती।

वैसे फर्जी बैंक पकड़े जाने का पहला मामला नहीं है। कुछ माह पूर्व बिल्थरारोड व कुछ साल पहले सिकन्दरपुर कस्बे से फर्जी माइक्रो फाइनेंस कम्पनियां लोगों को लाखों रुपये का चुना लगाकर फरार हो गयी गयी थी। इंवेस्टमेंट में ज्यादा लाभ का झांसा देकर कंपनियों के संचालक लोगों की खून-पसीने की कमाई को जमा कराते हैं। इसके लोकल लोग एजेंट के रुप में काम करते हैं तथा वही गांव-घर व नाते-रिश्तेदारों का पैसा जमा कराते हैं। लाखों रुपये हो जाने के बाद जालसाज अचानक गायब हो जाते हैं। जालसाजों के फेर में रुपये गंवाने वाले इंसाफ के लिए थानों का चक्कर लगाते हैं, लेकिन उनका पैसा मिलना मुमकिन नहीं हो पाता।

फर्जी कर्नाटक बैंक का पर्दाफाश हो जाने के बाद से लोगों में चर्चाएं तेज हो गयी है। वर्तमान समय में भी दर्जनों जगहों पर माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों का संचालन हो रहा है। शुरुआती दौर में आसानी से अधिक लाभ का भुगतान देकर कंपनी संचालक अपने एजेंट्स व ग्राहकों की संख्या बढ़ाते है। विश्वास पक्का करने के बाद संचालक पैसा समेटकर भाग जाते हैं। खास बात यह है कि फर्जी बैंक संचालन महिलाओं को झांसा देकर एजेंट बनाते हैं। कम्पनियों की ओर से दिये गये लक्ष्य को पूरा करने के लिये एजेंट अपने परिचितों, रिश्तेदारों से रुपए जमा कराती हैं।

 

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बलिया के एकलौते बसपा विधायक पर क्यों बैठी विजलेंस जांच ?

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बसपा के रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। विजलेंस विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। उमाशंकर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि विभाग ने विधायक ही नहीं उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के नाम खरीदी गईं जमीन, मकान, फ्लैट, व्यवसायिक और कृषि जमीन की पूरी जानकारी मांगी है।

वैसे सबको पता है नेता जी लोगों की आय से अधिक संपत्ति तो होती ही है। पुरानी स्क्रिप्ट है। लेकिन जब तक कोई नेता सत्ता के करीब होता है, तब तक उसकी संपत्ति पर कोई सवाल नहीं उठता। मगर विपक्ष पर यह कभी भी हो सकता है। उमाशंकर सिंह का मामला भी कुछ ऐसा ही लगता है। बसपा के इस इकलौते विधायक के खिलाफ अचानक जांच शुरू हो गई है। महानिरीक्षक प्रयागराज ने सभी उप निबंधन कार्यालय को निर्देशित किया है कि उमाशंकर सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह, बेटी यामिनी व बेटे युकेश के नाम से प्रदेश में खरीदी गई जमीन, मकान, फ्लैट या अन्य प्रकार की संपत्तियों की जानकारी विजलेंस विभाग को उपलब्ध कराए।

उमाशंकर सिंह की बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। जब पूरे यूपी में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीते दिनों मायावती काफी मुखर है लेकिन क्या अब इसका खामियाजा उमाशंकर सिंह को भुगतना पड़ रहा है?

बसपा का हाल किसी से छिपा नहीं है। मायावती पार्टी को चुनावी मोड में कम, ‘मैनेजमेंट मोड’ में ज्यादा चला रही हैं। यूपी में अब बसपा केवल ‘बीजेपी की B-Team’ कहकर बदनाम हो रही है। लेकिन ऐसे में उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ व्यक्तिगत मामला मान लेना भी सही नहीं होगा।

सवाल यह भी है कि आखिर राजनीति में आने के बाद कुछ नेताओं की संपत्ति मॉल्टीप्लाई मोड में कैसे चली जाती है? 2009 में जब उमाशंकर सिंह ने कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ सालों में उनकी संपत्तियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाएगी कि सरकार को उसकी जांच करवानी पड़ेगी।

अगर कोई आम आदमी बिना पक्के दस्तावेजों के 5 लाख रुपये की जमीन भी खरीद ले, तो टैक्स विभाग और पुलिस उसके पीछे पड़ जाते हैं। मगर विधायक, सांसद, मंत्री खुलेआम करोड़ों की संपत्ति बना लेते हैं, और हमें लगता है कि यह सब “मेहनत” की कमाई है!

फ़िलहाल सूचना यह है कि उमाशंकर सिंह की तबियत खराब है। वह बीमार चल रहे हैं। लेकिन विजलेंस ने भी अपना काम शुरू कर दिया है

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बलिया में ATM कार्ड के जरिए फ्राड करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, Encounter के बाद 4 गिरफ्तार

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बलिया के हल्दी में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद बिहार के चार अपराधियों को गिरफ्तार कर एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई के दौरान पैर में गोली लग से एक आरोपी घायल हो गया।

अपर पुलिस अधीक्षक कृपा शंकर ने संवाददाताओं को बताया कि बुधवार रात को पुलिस को सूचना मिली कि हृदयाचक तिराहा से पीपा पुल की ओर जाने वाली सड़क पर एक कार में कुछ संदिग्ध लोग आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जब पुलिस ने वाहन को रोकने का प्रयास किया तो चारों संदिग्ध कार से उतरकर भागने लगे।

शंकर ने कहा, ‘‘पीछा किए जाने पर अपराधियों में से एक ने पुलिस दल पर गोली चला दी, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। एक आरोपी पैर में गोली लगने से घायल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने सभी चार संदिग्धों को काबू कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘गोली लगने से घायल हुए बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के निवासी बच्चा लाल महतो (27) को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य तीन की पहचान साहेब कुमार महतो (32), मदन महतो (37) और लाल बाबू महतो (38) के रूप में हुई है। ये सभी बिहार के हैं।’’

पुलिस ने आरोपियों के पास से दो देसी पिस्तौल (.315 बोर), दो कारतूस, दो खाली खोल, विभिन्न बैंकों के 63 एटीएम कार्ड, एक कार और 5,200 रुपये भी जब्त किए हैं।

अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने एटीएम कार्ड धोखाधड़ी में संलिप्त एक गिरोह का हिस्सा होने की बात कबूल की। वे सीधे-साधे लोगों को निशाना बनाकर उनका एटीएम कार्ड बदल लेते थे और फिर उनके रुपये निकाल लेते थे या अंतरित कर लेते थे। चोरी की रकम गिरोह के सदस्यों के बीच बांटी जाती थी।’’

अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने यह भी कबूल किया कि उन्होंने बलिया और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ दिल्ली में भी कई लोगों को ठगा है।

पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि बलिया, दिल्ली और अन्य स्थानों पर तीनों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्यों और देश के विभिन्न हिस्सों में उनके नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है।

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Ballia- बेलथरा रोड के सामाजिक कार्यकर्ता खालिद ज़हीर का निधन

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बेलथरा रोड डेस्क :  बलिया जिले के बेलथरा रोड से एक बुरी खबर सामने आई है।  नगर पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता रहे खालिद ज़हीर का वाराणसी में अचानक निधन हो गया। बताया जा रहा है कि गिरने की वजह से उनको सर में गहरी चोट लग गई जिसके बाद परिजन अस्पताल ले गए। इलाज के दौरान ही डाक्टरों ने उन्हे मृत्यु घोषित कर दिया।  सोमवार की रात करीब 12 बजे वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए. उनकी उम्र लगभग 58  साल थी.

सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ कई बार नगर पंचायत का चुनाव भी लड़ चुके थे । हर मुद्दे पर पर वो मुखर होकर अपनी बात रखते थे। सभी समुदाय में अच्छी पकड़ रखते थे। उनकी मौत की खबर से इलाके में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।

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