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बलिया के मोहम्मद आफताब ने UPSC परीक्षा में हासिल की 512वीं रैंक

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संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को सिविल सेवा परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया है। परीक्षा में कुल 1016 कैंडिडेट्स चयनित हुए हैं। इनमें से 180 उम्मीदवार इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) और 200 उम्मीदवार इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के लिए चुने गए हैं।

सिविल सेवा परीक्षा पास कर अधिकारी बनने वाले युवाओं की सूची में बलिया के मोहम्मद आफताब आलम का नाम भी शामिल है। मोहम्मद आफताब आलम ने बलिया के सेंट थॉमस स्कूल से क्लास 6 तक पढ़ाई करने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विद्यालय से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद IIT इंदौर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से BTech किया।

उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली से UPSC की कोचिंग ली और अपनी मेहनत से परीक्षा में 512 रैंक हासिल की। मोहम्मद आफताब आलम ने अपने दूसरे प्रयास में ये सफलता हासिल की है। उनकी इस कामयाबी पर पूरे परिवार में हर्ष का माहौल है। बता दें कि आफताब बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे हैं, उनका रुझान हमेशा से सिविल सेवा की तरफ रहा है। ऐसे में उन्होंने पूरी मेहनत के साथ तैयारी की और सबसे कठिन मानी जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की।

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बलिया के नगरा में पेड़ से लटकी मिली युवती की लाश, मौके पर पहुँचें एसपी ने क्या कहा ?

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बलिया के नगरा थाना क्षेत्र से सनसनीखेज घटना सामने आई है। यहाँ एक गांव में एक 17 वर्षीय युवती की लाश पेड़ से लटकी हुई पाई गई, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई।

पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने बताया कि आज सुबह डॉयल 112 पर सूचना प्राप्त हुई कि थाना नगरा क्षेत्र के सरयां गुलाबराय गांव में एक युवती का शव पेड़ से लटका हुआ पाया गया है। सूचना मिलते ही फील्ड यूनिट, स्थानीय पुलिस, क्षेत्राधिकारी रसड़ा, एडिशनल एसपी, क्राइम ब्रांच और सर्विलांस टीम मौके पर पहुंच गई।

मृतिका का शव पेड़ से लटका हुआ था, और उसके हाथ पीछे बंधे हुए थे, जबकि उसके पैरों की ऊंचाई लगभग 6 फीट थी। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, युवती के माता-पिता दो दिन पहले पीजीआई इलाज के लिए गए थे, और वह अकेले इस घर में रह रही थी। आसपास के ग्रामीणों से पूछताछ की गई, लेकिन स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी। हालांकि, यह जानकारी प्राप्त हुई कि युवती के माता-पिता को घटना की सूचना दे दी गई है, जबकि उसका एक भाई गुजरात में और एक बहन असम में रहती है।

शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और पंचायतनामा भरकर उसकी वीडियोग्राफी की भी मांग की गई है ताकि इस मृत्यु के कारणों का स्पष्ट रूप से पता चल सके। पुलिस ने इस मामले की तहकीकात के लिए स्थानीय पुलिस, सर्विलांस टीम, क्षेत्राधिकारी रसड़ा और एडिशनल एसपी की चार टीमों का गठन किया है। सभी जरूरी पूछताछ और तकनीकी सर्विलांस के आधार पर जल्द ही इस मामले का खुलासा किया जाएगा।

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बलिया में नाबालिग छात्रा का अपहरण, पिता को मिल रही जान से मारने की धमकी, पुलिस ने शुरू की सख्त कार्रवाई

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बलिया के बेल्थरा रोड में एक 14 वर्षीय नाबालिग छात्रा के अपहरण का सनसनीखेज मामला सामने आया है। 13 मार्च को यह छात्रा अपनी रोज़ की तरह स्कूल जाने के लिए घर से निकली थी, लेकिन रास्ते में कुछ अज्ञात लोगों ने उसे अपहृत कर लिया।

पीड़िता के पिता ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को हर जगह ढूंढ़ा, लेकिन कोई भी जानकारी हाथ नहीं लगी। परेशान होकर उन्होंने 20 मार्च को उभांव थाने में शिकायत दर्ज कराई। मामले को गंभीरता से लेते हुए थानाध्यक्ष ने मामले की जांच के लिए 24 घंटे का समय मांगा है।

शिकायत के बाद, पीड़िता के पिता को आरोपी की ओर से जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं। शनिवार को वे थाना दिवस पर पहुंचे और पुलिस से मदद की गुहार लगाई। उभांव के क्राइम इंस्पेक्टर राजेंद्र पांडेय ने बताया कि पुलिस इस मामले में कठोर कार्रवाई कर रही है और जल्द ही दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा।

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बलिया में हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा और 10,000 रुपये का अर्थदंड

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उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन कन्विक्शन अभियान के अंतर्गत पुलिस अधीक्षक बलिया, ओमवीर सिंह के मार्गदर्शन में मॉनिटरिंग सेल और अभियोजन विभाग ने मिलकर एक हत्या के मामले में आरोपी को सजा दिलवाने में सफलता हासिल की।

यह मामला थाना सहतवार में वर्ष 2017 में दर्ज हत्या के आरोपी कमलेश कुंवर (पुत्र सुदामा कुंवर, निवासी सिंगही, थाना सहतवार, बलिया) से जुड़ा था। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, एफटीसी प्रथम, बलिया ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उसे आजीवन कारावास और 10,000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया।

न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि यदि आरोपी अर्थदंड अदा करने में असमर्थ रहता है तो उसे छह महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। साथ ही, न्यायालय ने आरोपी की पहले जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित करने का निर्णय लिया।

इस फैसले में अभियोजन अधिकारी डीजीसी विजय शंकर पांडेय की कड़ी पैरवी का अहम योगदान रहा, जिनकी प्रयासों से आरोपी को सजा दिलवाने में सफलता मिली। इस मामले में पुलिस और अभियोजन विभाग की कड़ी मेहनत ने यह साबित कर दिया कि अपराधियों को न्याय की लंबी प्रक्रिया के बावजूद सजा दिलाना संभव है।

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