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बांसडीह

बलिया के दीनानाथ के घर बनने की कहानी है इंसानियत की मिसाल

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महेश ने दीनानाथ के घर के लिए अपनी दुकान से मोटर दिया।

आए दिन कई वजहों से हमारा भरोसा मानवता और इंसानियत पर से उठने लगता है। ऐसा अनुभव होता है मानो दुनिया स्वार्थ के चंगुल में बुरी तरह फंस चुकी है। जहां से निकल पाना अब लगभग नामुमकिन सा है। लेकिन कभी-कभार ऐसे कुछ उदाहरण हमारे सामने उभर कर आते हैं जो इंसानियत की जिंदा मिसाल साबित होती हैं। ऐसा ही एक उदाहरण पेश किया है बलिया के लोगों ने। बलिया जिले के बांसडीह में दीनानाथ नाम के व्यक्ति का एक घर युवाओं ने अपनी मदद से बनवाई है।

बांसडीह में बलुई रामपुर नाम का एक गांव है। 56 साल के दीनानाथ बलुई रामपुर गांव के ही रहने वाले हैं। दीनानाथ गांव और आसपास के क्षेत्रों में मेहनत-मजदूरी का काम करते हैं। लेकिन मजदूरी इतनी ही मिल पाती है जिससे किसी तरह दो वक्त को चुल्हा जल सके। कोरोना महामारी के समय में दो सालों तक मजदूरी का काम भी पूरी तरह ठप ही रहा। जिसकी वजह स्थिति और भी बिगड़ गई।

आर्थिक तौर बेहद कमजोर दीनानाथ के पास सिर छुपाने को अपना पक्का मकान भी नहीं था। दीनानाथ अपने परिवार के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहते थे। दीनानाथ के दो बच्चे हैं, एक बेटी और एक बेटा। बेटी बड़ी है और घर का काम करती है। जबकि बेटा अपने पिता के साथ ही ईंट के भट्टे पर मजदूरी करने जाता है। 2017 में उनकी पत्नी का निधन हो गया था। पत्नी बोन मैरो बीमारी की समस्या से पीड़ित थी।

बलुई रामपुर और बांसडीह के लोग उनकी मदद के लिए आगे आए। लगभग सभी वर्ग के लोगों ने योगदान देकर दीनानाथ के लिए एक पक्का मकान बनवाया। उनके मकान बनवाने में किसी ने बालू खरीदा। तो किसी ने ईंट। लोगों ने अपनी क्षमता के अनुसार इस मकान के निर्माण में सहयोग किया। घर बन जाने के बाद पानी की व्यवस्था का सवाल आया। तब ओम साईं पाइप स्टोर के मालिक महेश ने हाथ बढ़ाया।

बलिया जिले के जापलीगंज के रहने वाले महेश ने दीनानाथ को एक मोटर और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया। 40 वर्षीय महेश हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं। जापलीगंज में ही उनकी हार्डवेयर की दुकान है। दीनानाथ के पास अब अपना घर भी है और पानी के लिए मोटर भी। दीनानाथ गांव वालों की इस मदद पर भावुक हैं।

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बलिया में स्वास्थ्यकर्मियों का विरोध : बेरूआरबारी प्रभारी चिकित्साधिकारी के खिलाफ धरने पर बैठे कर्मचारी!

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बलिया। जनपद के बेरूआरबारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में बुधवार को स्वास्थ्यकर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा। प्रभारी चिकित्साधिकारी के खिलाफ नाराजगी जताते हुए स्वास्थ्यकर्मी पीएचसी परिसर में धरने पर बैठ गए और जमकर नारेबाजी की। कर्मचारियों ने प्रभारी चिकित्साधिकारी को तत्काल हटाए जाने की मांग की।

स्वास्थ्यकर्मियों का आरोप है कि प्रभारी चिकित्साधिकारी का व्यवहार कर्मचारियों के प्रति अभद्र और अपमानजनक है। इसके अलावा केंद्र पर अनियमितता और कार्यस्थल पर मनमानी का माहौल है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने बताया कि कई बार उच्चाधिकारियों को शिकायत दी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

धरने पर बैठे स्वास्थ्यकर्मियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन को जिला स्तर पर तेज किया जाएगा।
धरना प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही स्थानीय स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों में हलचल मच गई। फिलहाल मामले को शांत कराने के लिए बातचीत की कोशिशें जारी हैं।

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PET परीक्षा में फर्जीवाड़ा, बलिया के बांसडीह CHC के मेडिकल ऑफिसर अमित गुप्ता गिरफ्तार

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बलिया। प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (PET) में धांधली करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने बलिया के बांसडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में तैनात मेडिकल ऑफिसर अमित गुप्ता को गिरफ्तार किया है। आरोपी डॉक्टर पर अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर फर्जी दस्तावेज के जरिए सॉल्वर को परीक्षा में बैठाने का गंभीर आरोप है। पुलिस ने इस मामले में दो अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया है।

कैसे चलता था खेल
पुलिस के मुताबिक, गिरोह अभ्यर्थियों से 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक वसूलता था। इसके बाद एडमिट कार्ड और पहचान पत्र में हेरफेर कर किसी अन्य व्यक्ति को परीक्षा देने के लिए भेजा जाता था। इस खेल को मेडिकल ऑफिसर अमित गुप्ता संगठित तरीके से संचालित कर रहा था।

गिरफ्तारी और बरामदगी
छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपी के पास से फर्जी आधार कार्ड, एडमिट कार्ड, मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेज बरामद किए। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश जारी है।

पुलिस का सख्त रुख
एसपी ने कहा कि परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अमित गुप्ता समेत तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है और पूरे नेटवर्क की गहन जांच चल रही है।

यह गिरफ्तारी जिले में स्वास्थ्य विभाग और परीक्षा प्रणाली दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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