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उत्तर प्रदेश

राजा भैया ने खींची सियासी लकीर, सवर्ण-मुस्लिमों को बनाएंगे अपना वोट बैंक

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यूपी में प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) ने अपनी राजनीतिक पार्टी  बनाने का फैसला कर लिया है. वो सवर्ण-मुस्लिम वोटबैंक के जरिए अपनी राजनीतिक लकीर खींचने जा रहे हैं.

पच्चीस साल के अपने राजनैतिक करियर में निर्दलीय पारी खेलने वाले राजा भैया अब दलगत राजनीति का आगाज करने जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले वो अपनी नई पार्टी के साथ नजर आएंगे. ऐसे में अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के इस क्षत्रप ने अपना राजनीतिक एजेंडा भी तय कर लिया है.

सवर्णों पर डोरे, SC/ST एक्ट के खिलाफ मुखर

शुक्रवार को लखनऊ में अपनी प्रेस कॉन्फेंस में राजा भैया ने कई संकेत दिए हैं. पहला तो ये साफ है कि उनके राजनीतिक एजेंडे सवर्ण मतदाता प्रमुख रूप से हैं. यही वजह है कि उन्होंने एससी-एसटी एक्ट और आरक्षण के खिलाफ आवाज बुंलद करने की बात कही है. राजा भैया ने कहा कि मौजूदा समय में कई राजनीतिक पार्टियां हैं लेकिन वे सिर्फ जातिवाद और आरक्षण की राजनीति कर रही हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी उन लोगों की आवाज बनेगी जो एससी/एसटी एक्ट के शिकार हैं और आरक्षण की वजह से बेरोजगार हैं.

राजा भैया ने कहा कि आज अगर किसी दलित की लड़की के साथ बलात्कार होता है तो उसके लिए अलग मुआवजे का प्रावधान है. अगर वहीं सामान्य वर्ग के साथ ऐसा हुआ तो सरकार का रवैया अलग होता है. उन्होंने कहा कि अपराध किसी के भी साथ हो सभी को एक नजर से देखना चाहिए.

योग्यता हो प्रमोशन का आधार

राजा भैया ने प्रमोशन में आरक्षण का भी विरोध किया. उन्होंने कहा, “आज आरक्षण में प्रमोशन की बात हो रही है, मेरा मानना है कि प्रमोशन गुणवत्ता और वरिष्ठता के आधार पर होना चाहिए, न कि जाति के आधार पर.” मौजूदा आरक्षण की व्यवस्था को लेकर भी राजा भैया ने सवाल खड़े किए और कहा कि आरक्षण योग्यता के आधार पर हो. जिन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं उन्हें आरक्षण का लाभ क्यों दिया जाए?

मुसलमानों का साथ

राजा भैया ने जहां सवर्ण वोट बैंक को साधने की रणनीति अपनाई है. वहीं, साथ ही मुस्लिम मतों को लेकर भी एक लकीर खींची है. राजा भैया ने अपनी जनसत्ता पार्टी के झंडे में दो रंग शामिल किए हैं. पहला पीला और दूसरा हरा. पीला रंग राजपूतों से जोड़कर देखा जाता है. जबकि हरे रंग को मुस्लिम समुदाय में पवित्र माना जाता है.

राजा भैया ने राम मंदिर को लेकर भी अपना स्टैंड साफ किया. उन्होंने कहा कि राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे वो स्वीकार करेंगे. मुस्लिम समाज भी यही बात दोहरा रहा है. इससे संकेत साफ है कि उनके राजनीतिक एजेंडे में मुस्लिमों को भी पूरी तरह से जगह दी गई है. दरअसल कुंडा विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता बड़ी तादाद में हैं. मुस्लिम मतदाताओं पर राजा भैया की अच्छी खासी पकड़ है. ऐसे में अपनी जीत को यथावत बरकरार रखने के लिए राजा भैया किसी भी सूरत में मुस्लिमों को नाराज नहीं करना चाहते हैं.

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बलिया बीजेपी में नहीं है ‘सब चंगा सी’ !

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लोकसभा चुनाव-2024 का आगाज हो चुका है. पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो चुकी है. सबसे आखिरी चरण यानी सातवें चरण में 1 जून को बलिया में भी मतदान होगा. ज़ाहिर है चुनाव को लेकर बलिया की सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं. लेकिन सियासी गलियारे में सबसे ज्यादा चर्चा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की है.

बलिया में बीजेपी की चर्चा की वजह जीत नहीं, बल्कि भीतरखाने चल रही खींचतान है. टिकट बंटवारे से लेकर लोकल लीडर्स तक की अनदेखी ने जिले के कई बीजेपी नेताओं को नाराज़ और असहज कर दिया है. ऐसे तीन घटनाओं के जरिए इस अंदरूनी कलह की कलई खोली जा सकती है.

‘मस्त’ आउट, नीरज शेखर को टिकट:

2019 में बलिया लोकसभा सीट से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. ‘मस्त’ और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि एक बार फिर पार्टी उन्हें टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टिकट मिल गया पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और बीजेपी के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को. बताते चलें कि 2007 के उपचुनाव और फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा की टिकट पर ही नीरज शेखर सांसद बने थे. 2014 में भी सपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया लेकिन बीजेपी के भरत सिंह से हार गए. 2019 में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

महज पांच साल के भाजपाई और पूर्व समाजवादी नेता को टिकट देने से बलिया बीजेपी के नेता खुश नहीं दिखे. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नीरज को टिकट मिलने पर गर्मजोशी दिखाई. हालांकि औपचारिकता के तौर पर टिकट मिलने के अगले ही दिन वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ से मुलाकात करने जरूर पहुंचे थे.

आनंद स्वरूप शुक्ला का फेसबुक पोस्ट:

17 अप्रैल को बलिया सदर से बीजेपी के पूर्व विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया. आनंद स्वरूप ने लिखा है, “…2022 के विधानसभा चुनाव में आश्चर्यजनक अज्ञात व ज्ञात कारणों से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने मुझे मेरी जन्मभूमि व कर्मभूमि बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र से स्थानान्तरित कर आपके बैरिया विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया.”

इस पोस्ट में आगे वह लिखते हैं कि किन्हीं वजहों से बैरिया से उनकी हार हो गई. आनंद स्वरूप शुक्ला इसके बाद एक ऐलान करते हैं, “चुनाव परिणाम के पश्चात पार्टी नेतृत्व को मैंने अवगत कराया कि अब आगे मैं कभी भी बैरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ूंगा.” यानी कि पूर्व विधायक और यूपी की योगी सरकार के पूर्व मंत्री ने साफ घोषणा कर दी वह कभी भी बैरिया से चुनाव नहीं लड़ेंगे.

इस कलह को समझने के लिए बैरिया का बैकग्राउंड समझने की जरूरत है. आनंद स्वरूप शुक्ला 2017 में बलिया सदर से विधायक बने थे. बैरिया से विधायक बने थे सुरेंद्र सिंह. लेकिन 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बलिया सदर से दयाशंकर सिंह को टिकट दे दिया. आनंद स्वरूप शुक्ला को ट्रांसफर किया गया बैरिया. और सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया. नतीजा ये हुआ कि सुरेंद्र सिंह बागी हो गए. चुनाव का रिजल्ट आया तो बीजेपी बैरिया सीट गंवा चुकी थी.

सुरेंद्र सिंह एक बार बीजेपी वापसी कर चुके हैं. माना जा रहा है कि इसलिए उन्होंने खुद को हमेशा के लिए बैरिया से दूर कर लिया है. लेकिन विधायकी हारने के कोफ्त से उपजी लड़ाई अब तक जारी है और इसका असर अब लोकसभा चुनाव पर पड़ रहा है. दोनों ही खेमे फिलहाल तो बलिया में पार्टी के प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं.

उपेंद्र तिवारी और सपा की बातचीत की ख़बरें:

बलिया में बीजेपी के एक और ब्राह्मण चेहरा हैं उपेंद्र तिवारी. 2017 में फेफना से विधायक थे. योगी सरकार में इनके नाम से भी मंत्री पद नत्थी था. 2022 में चुनाव हार गए. बलिया सीट से उपेंद्र तिवारी भी दावेदारी कर रहे थे. बीजेपी से टिकट मिलने की रेस में वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ और नीरज शेखर के अलावा उपेंद्र तिवारी को भी बताया जा रहा था. जब पार्टी ने यहां से नीरज को टिकट दे दिया तो उपेंद्र तिवारी को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गईं.

अख़बारों ने साफ-साफ छापा कि सपा की ओर से बलिया में उपेंद्र तिवारी या अतुल राय को टिकट दिए जाने की उम्मीद है. चौक-चौराहों पर भी चर्चा थी कि उपेंद्र तिवारी सपा के लिए माकूल साबित हो सकते हैं. आख़िर कैसे? चर्चा चली कि घोसी से राजीव राय को टिकट मिलने के बाद बलिया से भी सवर्ण को टिकट देना अखिलेश के जातिगत इंजीनियरिंग में सेट नहीं हो पा रहा था. और ऐसे में उपेंद्र तिवारी को टिकट नहीं मिला.

हालांकि 20 अप्रैल को उपेंद्र तिवारी ने इसी ख़बर की कटिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी एक तस्वीर फेसबुक पर शेयर की. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस ख़बर का खंडन किया. उपेंद्र तिवारी ने भले ही सपा से टिकट मिलने की ख़बरों का खंडन कर दिया हो लेकिन ये चर्चाएं बीजेपी के खिलाफ ही काम कर रही हैं और पार्टी के समर्थन में बट्टा लगा रही हैं.

बलिया के बड़े बीजेपी नेताओं का असंतोष और फिलहाल अपने प्रत्याशी के  साथ ना दिखना लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाता दिख रहा है. हालांकि पार्टी से जुड़े जिले के एक नेता बलिया ख़बर से नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “बड़ी पार्टियों में ये सब होता रहता है. लेकिन बीजेपी बहुत अलग किस्म की पार्टी है. यहां निजी हित को किनारे रखकर पार्टी हित में काम होता है. अपनी-अपनी नाराज़गी की वजहें हो सकती हैं, लेकिन सभी नेता-कार्यकर्ता आलाकमान के फैसले के साथ खड़ा है और नीरज शेखर के लिए लगा है. आने वाले दिनों में आप सभी नेताओं को एक साथ मंच पर देखेंगे.”

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पुलिस भर्ती पेपर लीक में बलिया का नीरज यादव गिरफ्तार, अभ्यर्थियों को व्हाट्सएप पर भेजे थे जवाब

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उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की घटना सामने आने के बाद अब कार्रवाई शुरू हो गई है। सरकार ने भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया है, साथ ही साथ सीएम योगी आदित्यनाथ ने आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है। इसी बीच पुलिस ने बलिया के नीरज यादव को गिरफ्तार किया है, आरोप है कि नीरज ने भर्ती परीक्षा मामले में अभ्यर्थियों को सवालों के उत्तर व्हाट्सएप पर भेजे थे।

बताया जा रहा है कि मथुरा के रहने वाले एक उपाध्याय ने नीरज को पूरी परीक्षा की उत्तर कुंजी भेजी थी और इसी कुंजी में से उत्तर देख कर नीरज ने अभ्यर्थियों को व्हाट्सएप पर जवाब भेजे थे।
अब पुलिस मथुरा के उस शख्स की तलाश कर रही है, जिसके पास भर्ती परीक्षा की पूरी उत्तर कुंजी मौजूद थी। पुलिस इस बात का भी जवाब ढूंढ रही है कि आखिर परीक्षा की पूरी उत्तर कुंजी उसे शख्स के पास कैसे पहुंची।

जानकारी के मुताबिक, लखनऊ के कृष्णानगर के अलीनगर सुनहरा स्थित सिटी मॉडर्न अकेडमी स्कूल को भी परीक्षा केंद्र बनाया गया था। 18 फरवरी को आयोजित परीक्षा की दूसरी पाली के दौरान शाम करीब 4:55 बजे कक्ष संख्या-24 के निरीक्षक वंदना कनौजिया और विश्वनाथ सिंह ने परीक्षार्थी सत्य अमन कुमार को पर्ची से नकल कर ओएमआर शीट भरते पकड़ा था। उन्होंने पर्ची बरामद कर ली थी। पुलिस टीम ने सत्य अमन को गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में उसने बताया कि नीरज यादव नाम के शख्स ने उत्तरकुंजी व्हाट्सएप पर भेजी थी।

नीरज ने पुलिस को बताया कि मथुरा निवासी उपाध्याय ने उसको उत्तरकुंजी भेजी। व्हाट्सएप चैट से इसकी पुष्टि भी हुई। सूत्रों के मुताबिक उपाध्याय को जानकारी हो गई थी कि सत्य अमन पकड़ा गया है। इसलिए वह दबिश से ठीक पहले वह भाग निकला। वहीं आरोपी नीरज यादव मर्चेंट नेवी में था। वर्तमान में वह नौकरी छोड़ रखी है। सूत्रों के मुताबिक वह परीक्षाओं में सेंधमारी का काम कुछ वक्त से कर रहा है। इसके एवज में मोटी रकम वसूलता है।

अब तक इस जांच में कई अनसुलझे सवाल पैदा हुए हैं। सवाल यह है कि आखिर नीरज यादव का नेटवर्क कहां तक है और उसे कुंजी उपलब्ध करवाने वाले उपाध्याय को उत्तर कुंजी कहां से मिली। आखिर नीरज ने उत्तर कुंजी देने के बदले अमन से कितनी रकम मांगी थी और कितने अन्य लोगों को उत्तर कुंजी दी गई है। ये सभी सवाल अनसुलझे हैं, जिनका जवाब आने वाले वक्त में ही मिल पाएगा।

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लोकसभा का टिकट मिले या न मिले स्वास्थ्य सेवा की मुहिम लागतार चलती रहेगी- राजेश सिंह दयाल

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दयाल फाउंडेशन Dayal Foundation

बलिया के पूर में शनिवार को  दयाल फाउंडेशन के तरफ से  स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया।  यहाँ हजारों की संख्या में लोग इलाज कराने पहुचें थे। यूं तो इस क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से परेशान थे, महंगे अस्पतालों की महगी दवाओं ने इस क्षेत्र को और कमजोर कर दिया था, वहीं सलेमपुर एक नेता ने साहस दिखाया और यहाँ के लोगों के जीवन में नई किरण बिखेर दी। उनके मुफ्त स्वास्थ्य कैंपो ने सिर्फ इसी क्षेत्र में डेढ़ लाख से अधिक मरीजों को नया जीवन दिया है। “मेडिसिन मैन” के नाम से प्रसिद्ध राजेश सिंह दयाल ने बलिया और देवरिया में गंभीर बीमारियों का न सिर्फ मुफ्त इलाज करवा बल्कि जनता के चेहरे पर मुस्कान ला दी है।

महीनो से राजेश सिंह दयाल सलेमपुर क्षेत्र में बड़े बड़े स्वस्थ कैम्प का आयोजन करवा रहें हैं। वह भाजपा में बड़े पद पर हैं और इस बार सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ सकतें हैं। उनकी इस पहल को देखते हुए, बलिया और देवरिया के भाजपा नेता और समर्थक भी उनके साथ खड़े हैं। शनिवार को जब बलिया में दयाल फाउंडेशन के डॉक्टर लोगों का मुफ्त इलाज कर रहे थे तब भाजपा के ज़िला अध्यक्ष संजय यादव भी स्थानीय गाँव में  मौजूद थे। इस कैम्प में 1500 मरीजों को मुफ्त स्वास्थ्य जाँच और मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराई गईं। भाजपा के कार्यकर्ता भी इस कैप में लोगों कि मदद करते दिखे। संजय यादव ने भी सिविर में आए लोगों से बात कि और उनका हाल जाना।

इस कैम्प में लखनऊ से आए विशेषज्ञ डॉक्टरों ने लोगों की स्वास्थ्य जांच की और उन्हें आवश्यक सलाह दी। शिविर में ब्लड टेस्ट, ईसीजी, आंखों की जांच जैसी सुविधाएं भी मुफ्त में उपलब्ध थीं। पुरे क्षेत्र में जगह जगह राजेश सिंह दयाल फाउंडेशन द्वारा ऐसे कई निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते रहें हैं। अब तक ऐसी शिविरों में 1 हजार से अधिक मरीजों का मुफ्त मोतियाबिंद ऑपरेशन भी कराया गया है।

शनिवार के शिविर में बलिया के जिलाध्यक्ष की मौजूदगी ने कही न कही बड़ा सन्देश दिया हैं। दयाल सलेमपुर से भाजपा दावेदारों में सबसे मजबूत चहेरा माने जा रहें हैं। संजय यादव का इस मुफ्त स्वस्थ सिविर में रहना यह बताता है कि 2024 के चुनाव में बलिया और देवरिया के भाजपा कार्यकर्ता भी दयाल के नाम से सहमत हैं और सलेमपुर में राजेश सिंह दयाल के नाम पर बढ़ी घोषणा हो सकती हैं

इस कैम्प के दौरान राजेश सिंह दयाल ने पिछले 30 साल से भाजपा से अपने जुड़ाव को व्यक्त करते हुए कहा कि उनके सामाजिक कार्य राष्ट्रहित से जुड़े हुए हैं। उन्होंने प्रेरणास्रोत के रूप में पीएम मोदी जी का नाम लिया और इसका श्रेय भारतीय जनता पार्टी को दिया। उन्होंने भाजपा को एक परिवार मानते हुए आपस में प्रेमभाव की भावना व्यक्त की।

2014 में दयाल के बड़े बेटे का निधन हो गया था। इसके बाद से वह सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे और राजनीति से परे, राजेश दयाल ने अपने निजी दुख को समाज सेवा में बदल दिया और इस क्षेत्र में कई बड़े काम करने लगे। उनका दयाल फाउंडेशन सालों से सलेमपुर के लोगों की मदद कर रहा हैं। टिकट मिलने कि बात पर उन्होंने कहा सेवा का कोई अंत नहीं, चाहे चुनावी टिकट मिले या न मिले। चुनाव को आधार बनाकर समाज सेवा के कार्यों को करने की बात पर दयाल ने स्पष्ट किया कि उनकी समाज सेवा और स्वास्थ्य सेवा की मुहिम निरंतर चलती रहेगी, टिकट मिले या न मिले ।

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