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क्या केतकी सिंह भेद पाएंगी रामगोविंद चौधरी का बांसडीह किला? जानिए सियासी सफर

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उत्तर प्रदेश चुनाव में क्षेत्रीय क्षत्रपों को किंग मेकर माना जा रहा है। ये क्षेत्रीय पार्टियां रणनीति के साथ अपने उम्मीदवार घोषित कर रही हैं। डॉ. संजय निषाद की पार्टी निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तीन प्रत्याशियों की नई सूची जारी कर दी है। निषाद पार्टी ने बलिया के बांसडीह सीट से भी उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। केतकी सिंह को बांसडीह से मैदान में उतारा है। केतकी सिंह के सामने सपा के रामगोविंद चौधरी हैं। बांसडीह सीट को रामगोविंद चौधरी का दुर्ग माना जाता है। यहाँ एक नज़र डालते हैं केतकी सिंह के सियासी सफर पर। बलिया खबर को दिए एक इंटरव्यू में केतकी सिंह ने बताई थी अपनी कहानी।

क्या है राजनीतिक करियर– 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार रहीं केतकी सिंह बलिया के बांसडीह विधानसभा से लगभग 30000 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहीं। तब यह सीट सपा के रामगोविंद चौधरी के हाथ लगी। सपा की सरकार बनी और उनका कार्यकाल बतौर शिक्षा मंत्री पूरा हुआ। बीते 2017 के विधानसभा चुनाव में केतकी सिंह दुबारा बांसडीह से ही 49514 वोट पाकर वर्तमान नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी से लगभग 1600 वोटों से निर्दल चुनाव हारीं। भाजपा से टिकट की दावेदार रहीं केतकी सिंह को भाजपा के सुभासपा के गठबंधन के बाद टिकट नहीं मिला। हालांकि 2017 विधानसभा चुनाव में ऐसा उल्लेखनीय प्रदर्शन लगभग दो साल बाद दिसंबर 2018 में पार्टी में लौटने का बड़ा कारण रहा। फिलहाल भाजपा नेत्री के तौर पर अपने राजनीतिक हस्तक्षेप को मजबूत करतीं केतकी सिंह ने बलिया खबर से बात की है।

बी.कॉम की पढ़ाई के दौरान ही हो गया विवाह- बेहद मुखर और ‘फायर ब्रांड’ कही जाने वाली केतकी सिंह ने नवीं कक्षा तक की पढ़ाई छत्तीसगढ़ में पूरी की। 2003 में बलिया के ज्ञान पीठिका स्कूल से 12वीं पास करने के बाद जिले के ही टी.डी. कॉलेज से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की। कंप्यूटर सीखने का दौर था तो उसका कोर्स पूरा किया और फिर पढ़ाई के दौरान ही 2005 में शादी हो गई। कॉलेज में छात्र राजनीति में हस्तक्षेप के सवाल पर केतकी सिंह बताती हैं,

“मैं कॉलेज की राजनीति में नहीं आई। उस समय या अब भी लड़कियों की भूमिका बहुत कम ही रहती है। प्रत्याशी भी कभी इक्का-दुक्का मिल जाएं तो बहुत है। उन्हें कई तरह की समस्या और ह्रासमेंट झेलना पड़ता है। ना हीं लड़कों में वैसे संस्कार हैं और ना हीं समाज एक बेटी को उतनी सुरक्षा दे पाता है।“

राजनीति में अचानक एंट्री का कारण क्या था?– एकदम से मुख्यधारा की राजनीति में आ जाने के सवाल पर केतकी सिंह बताती हैं, ‘यह एक बेहद जरूरी बात है और मुझे लगता है कि सबको जानना चाहिए। घर परिवार की जिम्मेदारियों के बीच जब मैं शादी करके यहां (ससुराल) आयी तो यहां का माहौल दूसरा था। अगर हमें कहीं जाना भी होता तो हमारी गाड़ी तक एकदम बरामदे के पास खड़ी होती। फिर साल 2010 में ग्राम पंचायत के चुनाव के दौरान एक घटना हुई।‘ 2010 के ग्राम पंचायत चुनाव का जिक्र करते हुए केतकी सिंह बताती हैं, ‘ग्राम पंचायत के चुनाव में मेरी सास उम्मीदवार थीं। मतदान के कोई 3-4 दिन पहले जब घर के सारे पुरूष चुनाव प्रचार में निकले थे, दोपहर के वक्त मैं अपनी 1 साल की बेटी के साथ अपने कमरे में थी।

तभी मेरी सासू मां कमरे में आईं और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। मुझे बिस्तर के बगल में छुपाने की कोशिश करने लगीं। मैंने जानना चाहा मगर वो बस रोए जा रहीं थीं। मैंने खिड़की से बाहर देखा, घर के पीछे की तरफ पुलिस और साथ में बहुत सारे लोग घर में लाठी डंडों के साथ घुस आएं हैं। इतने में मेरे ही बेडरूम का दरवाजा तोड़ कर पुलिस वाले घुस आए। यह सबकुछ इतना जल्दी हो रहा था कि कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला। इसके बाद मैंने पुलिस वालों के साथ चिल्ला कर बात की, उन्हें घर के बाहर किया और पहली बार अपने ही घर के सबसे बाहर निकली।‘

केतकी सिंह इस घटना के प्रभाव को राजनीतिक हस्तक्षेप का ट्रिगर प्वाइंट मानती हैं। यह घटना क्यों अथवा कैसे हुई का नपातुला जवाब उनकी राजनीतिक परिपक्वता जानने के लिए काफी है। केतकी सिंह कहती हैं, ‘बाद में पता चला, तब के हमारे बसपा विधायक ने गैरकानूनी तरीके से हमारे घर में यह कह कर पुलिस भेजी थी कि इनके घर में चुनाव जीतने और प्रचार के लिए अवैध सामग्रियां मौजूद हैं’  हालांकि केतकी सिंह के ससुर विश्राम सिंह इलाके में पहले से राजनीतिक हस्तक्षेप रखते थे। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखऱ के करीबी माने जाने वाले विश्राम सिंह ने भी अपने राजनीतिक अनुभव और खुली सोच को स्पष्ट किया और केतकी सिंह के लिए विधानसभा की राजनीति में हस्तक्षेप के द्वार खोल दिए।

खैर, क्या केतकी सिंह का राजनीति में आना इतना ही आसान या मुश्किल रहा? यह प्रश्न आने वाले समय का हो सकता है फिलहाल बासंडीह और बलिया की राजनीति में इस स्तर पर केतकी सिंह भाजपा के लिए एकमात्र महिला नेत्री हैं। साथ ही यह और भी उल्लेखनीय बात है कि चुनाव में उतरने वाले सभी राजनीतिक दलों को देखें तो भी केतकी सिंह ही एकमात्र महिला नेत्री हैं।

भाजपा ही क्यों- केतकी सिंह मानती हैं कि भारतीय जनता पार्टी से जुड़ाव का कारण उनकी राष्ट्रवादी सोच रही है मगर 2010 के ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान की घटना में भाजपा के नेताओं की मदद भी उनका इस दल से जुड़ने का बड़ा कारण है। वो कहती हैं, ‘जब मैंने भाजपा में जुड़ने को सोचा तब तो पार्टी की हालत इतनी अच्छी नहीं थी लेकिन एक राजनीतिक दल अथवा नेता से आप यही उम्मीद करते हैं कि आपके और समाज के सुख-दुख में वो खड़ा हो। इसलिए मैंने भाजपा जॉइन किया।‘

पहली बार चुनाव लड़ने का अनुभव– केतकी सिंह पहली बार चुनाव लड़ने को लेकर कहती हैं, ‘मैंने देखा कि एक MLA होकर आप पुलिस और लोगों का इस तरह दुरूपयोग कर सकते हैं तो आपके पास चीजें बेहतर करने की कितनी ताकत है। यही कारण था औऱ मैंने सोचा की पहले MLA  बनेंगे और फिर अपने इलाके के स्तर से चीजें ठीक करेंगे’

निर्दल चुनाव लड़ने पर ये स्टैंड– केतकी सिंह 2012 में पहली बार भाजपा के टिकट पर बांसडीह से चुनाव लड़ीं। वोट मिले लगभग 30 हज़ार। इसके बाद के 2017 के चुनाव में भाजपा ने सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के साथ गठबंधन किया और बांसडीह विधानसभा की सीट सुभासपा के हाथ चली गई। केतकी सिंह का टिकट काट कर सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को टिकट दे दिया गया। केतकी सिंह निर्दलीय उम्मीदवार बनीं और 49514 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। केतकी सिंह ने निर्दल चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा, ‘मैंने पहले दिन से ये तय किया है कि मुझे अपने मान-सम्मान के साथ अपनी शर्तों पर राजनीति करनी है।

बसपा के चलते मैं राजनीति में आयी, सपा की सरकार देखी है। इसके बाद अगर देखें तो राजनीतिक तौर पर खुल कर तत्कालीन सरकारों का विरोध करने का स्पेस भाजपा में मिला। मैं भाजपा के विरोध में चुनाव में नहीं उतरी थी। यहां से भाजपा का उम्मीदवार होता तो मैं जरूर समर्थन करती। मैं चुनाव लड़ने वाले सहयोगी दल के उम्मीदवार को अपना नेता नहीं मानती थी। मैं विचारधारा की राजनीति करती हूं ऐसे में किसी भी दल के उम्मीदवार के लिए वोट नहीं मांग सकती थी और यही आत्मविश्वास है कि आज मैं नेता प्रतिपक्ष के विरोध में उम्मीदवारी दर्ज करा रही हूं।‘

कितना प्रभावी है जातिगत फैक्टर– जातिगत राजनीति और समीकरणों को लेकर केतकी सिंह काफी बेफिक्र नज़र आती हैं। अपनी बातचीत में महात्मा गांधी, चंद्रशेखऱ और जेपी का जिक्र करते हुए चुनावों में इस फैक्टर के प्रभाव पर केतकी सिंह कहती हैं,  ‘ मुझे अपने दूसरे चुनाव की तैयारी के दौरान ये जाति का फैक्टर समझ आया। कहीं कुछ होनी-अनहोनी  होती जैसे मान लीजिए किसी बस्ती में आग लग गई तो लोग कहते थे,  वहां मत जाइए, वो आपको कभी वोट नहीं देंगे। हालांकि मैंने अब तक के अपने दोनों चुनाव में इस बात का ध्यान नहीं रखा। दूसरी बार निर्दल चुनाव लड़ने के बाद तो यह और साफ हो गया’

बलिया की लड़कियों के लिए बतौर भाजपा नेत्री ने केतकी सिंह ने सबसे आखिर में कुछ रेखांकित करने लायक बात कही। पूरी बातचीत में अपनी दो बेटियों का लगातार जिक्र करती हुई केतकी सिंह खुद में आत्मविश्वास रखने की बात करती हैं। केतकी सिंह कहती हैं, ‘मैं बलिया की लड़कियों को कहना चाहती हूं कि राजनीति में आइये और पूरी तरह आत्मविश्वास के साथ आइये। जनता आत्मविश्वासी नेता के बारे में कभी भी पुरूष या महिला के भेद के साथ नहीं सोचती है। अभिवावकों से अनुरोध है कि बेटे जितना विश्वास बेटी पर भी करें, उनकी उड़ान हर किसी से बेहतर होगी’

पूरी बातचीत में केतकी सिंह के तेवर ने बहुत से नए सवालों को स्थान दिया। पूर्वांचल में भाजपा सहित किसी भी राजनीतिक दल में फिलवक्त इतनी मुखर और बिना प्रभावी पारिवारिक सहयोग की शायद ही कोई महिला नेता हों। अब इस प्रभावशाली तेवर का कारण एक बार की बगावत है या राजनीतिक महत्वकांक्षा, इसका मूल्यांकन तो समय के हाथों है। फिलहाल केतकी सिंह चुनाव से लगभग साल भर पहले ही पूरी तैयारी के साथ लैस हैं। सुबह 11 बजे तक लोगों के मिलती हैं और फिर क्षेत्र में जाती हैं। जब हम केतकी सिंह से बातचीत करने पहुंचे, पंचायत चुनावों में समीकरणों की उठा-पटक के बीच कुछ लोग उनसे मिलने आए थे, वो पंचायत चुनाव के आरक्षण की नई नियमावली से नाखुश थे। उन्हें उम्मीद है कि केतकी सिंह उनकी कुछ मदद करेंगी। उन्हें सहयोग के लिए पूर्णतया आश्वस्त करती केतकी सिंह बड़ी जिम्मेदारी से अभिवादन स्वीकार करती रहीं।

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बी.एन. इंटरनेशनल स्कूल में विज्ञान प्रदर्शनी का भव्य आयोजन

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बलिया। नारायणपुर स्थित बी.एन. इंटरनेशनल स्कूल में शनिवार को विज्ञान प्रदर्शनी का शानदार आयोजन किया गया। विद्यार्थियों ने विज्ञान के विभिन्न आयामों पर आधारित अपने मॉडल प्रदर्शित कर सबको प्रभावित किया। उनकी सृजनशीलता और तकनीकी कौशल को देखकर अतिथि, अभिभावक व आगंतुक मंत्रमुग्ध रह गए।

कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्र के विख्यात एवं सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता श्री विनोद कुमार सिंह द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य श्री बलविंदर सिंह, अभिभावकों तथा पूर्व छात्रों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही, जिन्होंने बच्चों का उत्साहवर्धन किया।

प्राचार्य श्री बलविंदर सिंह ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियाँ छात्रों में नवाचार, शोध क्षमता और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देती हैं। विद्यालय प्रबंधन ने सभी अतिथियों व प्रतिभागी छात्रों का आभार व्यक्त किया।

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BHU के शिक्षाविद् अजीत सिंह बनें जमुना राम मेमोरियल स्कूल के प्रिंसिपल

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चितबड़ागांव, बलिया।
जमुना राम मेमोरियल स्कूल में शुक्रवार को शिक्षा के नए अध्याय की शुरुआत हुई, जब श्री अजीत कुमार सिंह ने विद्यालय के नए प्रधानाचार्य के रूप में पदभार संभाला। अंग्रेज़ी विषय में स्नातक एवं परास्नातक काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पूर्ण करने वाले श्री सिंह पिछले 15 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर चुके हैं। उनकी पहचान एक अनुशासित, नवाचारवादी और छात्र केंद्रित शिक्षक के रूप में रही है।

पद ग्रहण के अवसर पर विद्यालय के संस्थापक प्रबंधक प्रो. धर्मात्मा नंद ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि—
“विद्यालय को हमेशा एक ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता थी, जो शिक्षा को केवल पाठ्यक्रम नहीं बल्कि भविष्य निर्माण के रूप में देखे। हमें विश्वास है कि श्री सिंह के मार्गदर्शन में हमारे बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा।”

समारोह में विद्यालय के निदेशक तुषार नंद, सह निदेशक सौम्या प्रसाद, सीनियर ऑडिटर अरविंद चौबे, प्राइमरी कोऑर्डिनेटर नीतू मिश्रा, एवं विद्यालय परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन इरफ़ान अंसारी ने किया।

अपने संबोधन में प्रधानाचार्य श्री अजीत कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा “शिक्षा वही है, जो आपको सोचने, समझने और समाज में योगदान देने की शक्ति दे। लक्ष्य बड़ा रखें, प्रयास निरंतर रखें और खुद पर विश्वास कभी मत खोएँ। यह विद्यालय आपकी सफलता की हर सीढ़ी पर आपके साथ खड़ा रहेगा।”

विद्यालय में छात्रों और शिक्षकों के बीच नए प्रधानाचार्य के आगमन से उत्साह, विश्वास और नई उम्मीदों का संचार स्पष्ट रूप से देखने को मिला। सभी को भरोसा है कि आने वाले वर्षों में विद्यालय प्रगति के नए आयाम स्थापित करेगा।

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फेफना खेल महोत्सव : कबड्डी फाइनल में जमुना राम मेमोरियल स्कूल की बेटियों का दमदार प्रदर्शन

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बलिया, 3 दिसंबर 2025। फेफना खेल महोत्सव 2025 के तहत आज बालिका वर्ग की कबड्डी प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला रोमांच और जोश से भरपूर रहा। खिताबी जंग जमुना राम मेमोरियल स्कूल, चितबड़ागांव और मर्चेंट इंटर कॉलेज, बलिया के बीच खेली गई।

कड़े संघर्ष से भरे इस मैच में जमुना राम मेमोरियल स्कूल की बालिकाओं ने शानदार कौशल, साहस और टीमवर्क का परिचय दिया। अंतिम मिनटों तक चले रोमांचक मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम ने उपविजेता का खिताब हासिल किया।

पूर्व खेल मंत्री ने बढ़ाया खिलाड़ियों का उत्साह

फाइनल मुकाबले में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे पूर्व खेल मंत्री श्री उपेंद्र तिवारी ने दोनों टीमों से भेंट कर उनका हौसला बढ़ाया। मैच के बाद उन्होंने विजेता और उपविजेता टीमों को मेडल व ट्रॉफी प्रदान कर सम्मानित किया।

विद्यालय परिवार में उत्सव जैसा माहौल

विद्यालय के प्रबंधक निदेशक इंजीनियर तुषार नंद ने छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि बेटियों का यह प्रदर्शन स्कूल के लिए गर्व की बात है।
प्रधानाचार्य अरविंद चौबे और क्रीड़ा शिक्षक सरदार मोहम्मद अफजल ने भी टीम की उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

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