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विधानसभा’वार 2012: उमाशंकर सिंह के जीत की कहानी; केरोसिन से करोड़ों का सफर!

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विधानसभा- रसड़ा
वर्ष- 2012
विधायक- उमाशंकर सिंह(बसपा)

विधानसभा’वार में आज हम बात करेंगे जिले की रसड़ा विधानसभा की। 2012 में जब नया परिसिमन हुआ तो चिलकहर विधानसभा समाप्त हो गई। इसके बात 2007 तक सुरक्षित रहने वाली रसड़ा विधानसभा में काफी कुछ भौगोलिक रूप से बदल गया जिसके बाद यह सामान्य सीट हो गई। 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां से विधायक बने बसपा के प्रत्याशी उमाशंकर सिंह। श्री सिंह ने सपा के सनातन पांडेय को लगभग 52000 मतों से हराया।सपा के कद्दावर चेहरे सनातन पांडेय के सामने उमाशंकर सिंह का यह पहला चुनाव था और वह बसपा के प्रत्याशी थे।

कमाल यह की सपा की लहर और सत्ता दल से स्वाभाविक नाराजगी के बाद भी वह 50 हजार से अधिक अंतर से चुनाव जीते। पुराने नेता सनातन पांडेय का हारना तब जिले में चर्चा का विषय बना लेकिन उमाशंकर सिंह पर सबकी नज़र टिकी रही। उमाशंकर सिंह इससे पूर्व कंस्ट्रक्शन कंपनी के एमडी थे और काफी फैला हुआ कारोबार था। आलम ये बना की पांच साल बीतते-बीतते 2017 के चुनाव से ठीक पहले ही भारतीय निर्वाचन आयोग की सलाह पर विधायक उमाशंकर सिंह की विधानसभा सदस्यता रद्द करने का आदेश आ गया। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उपचुनाव के लगभग सप्ताह भर पहले इस फैसले पर स्टे लगा दिया। विधायकी रद्द होने के पूरे घटनाक्रम को हम आगे समझेंगे फिलहाल एक नज़र उमाशंकर सिंह के पॉलिटिकल करियर पर डाल लेते हैं।

कैसा है उमाशंकर सिंह का इतिहास

उत्तर प्रदेश के टॉप टेन अमीर विधायकों में गिने जाने वाले उमाशंकर सिंह के पिता सेना के जवान थे। चुनाव आयोग को दिए अपने ब्योरे में उमाशंकर सिंह ने बताया है कि उनकी कुल चल अचल संपति 20 करोड़ की है। लेकिन समान्य परिवार के उमाशंकर सिंह की संपत्ति को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं। उमाशंकर सिंह छात्र राजनीति में थे।1989-90 में जिले के सतीश चंद्र डिग्री कॉलेज के महामंत्री बने। इसके बाद 2000- 2005 के बीच पहली बार जिलापंचायत सदस्य बने। उनके करीबी और तत्कालीन छात्र राजनीति में टीडी कॉलेज से 1994-95 में छात्रसंघ के उपाध्यक्ष रणवीर सिंह सेंगर बताते हैं कि श्री सिंह उससे पहले केरोसिन तेल की कोटेदारी में सक्रिय थे।

90 के दशक में प्रदेश भर में कॉलेज के विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए आठ लीटर केरोसिन तेल मिलता था। उमाशंकर सिंह के पास सैनिक कोटे की दुकान थी। जिले के टी.डी. कॉलेज, एस.सी. कॉलेज, कुंवर सिंह पीजी कॉलेज और गुलाब देवी महिला महाविद्यालय के विद्यार्थियों को हर माह केरोसिन का तेल मिलता था। जिसकी कोटेदारी का जिम्मा उमाशंकर सिंह को था। इस पर बात करते हुए रणवीर सिंह सेंगर ने बलिया खबर से कहा,

” आस पास के कॉलेजों में तेल बांटने की कोटेदारी उमाशंकर सिंह की थी। वो छात्रसंघ के प्रतिनिध रह चुके थे। राजनीतिक हस्तक्षेप रखने में इसका लाभ हुआ। इस कोटेदारी के ही दौरान उमाशंकर सिंह, सीयर(वर्तमान में बिल्थरारोड विधानसभा) विधायक और तत्कालीन मंत्री हरिनारायण राजभर के प्रतिनिधि भी थे।”

श्री सेंगर ने आगे स्पष्ट किया कि तत्कालीन विधायक के प्रतिनिधि होने के नाते क्षेत्र में प्रभाव बढ़ा और वह 2000-2005 के दौरान जिला पंचायत के सदस्य बने। श्री सेंगर बताते हैं,

“धीरे-धीरे राजनीतिक सक्रियता बढ़ती रही और फिर ठीका-पट्टा का काम मिलने लगे जिसके बाद उमाशंकर सिंह का कद बढ़ता गया। उनको सबसे पहला काम वर्क ऑर्डर का मिला जिसमें किसी ड्रेनेज की खुदाई की जिम्मेदारी थी। यह काम मुश्किल से 10-15 हज़ार का रहा होगा। लेकिन फिर काम मिलता गया। उन्होंने आगे छात्र शक्ति इंफ्राकंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई और ईमानदारी से काम करते रहे। बाद में कुसुम राय के पीडब्ल्यू डी मंत्री होने पर उन्हें लगभग 100 करोड़ का काम मिला जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा”

क्या रहा चुनाव जीतने का फैक्टर
उमाशंकर सिंह 2012 विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर पूर्व से ही खासे तैयार थे। उन्होंने चुनाव लड़ने से पूर्व एक आयोजन किया। सामूहिक विवाह का। इस आयोजन में 251 जोड़ों की शादियां कराईं गईं। कहा गया कि इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार एवं आसपास के जोड़ों का विवाह हुआ। इसका असर जिले और विधानसभा के आमजनमानस पर पड़ा और परिणाम हुआ कि श्री सिंह चर्चित व्यक्तित्व बन गए। राजनीतिक हस्तक्षेप की इस कोशिश को बल मिला जब श्री सिंह ने विधानसभा के लगभग सभी गांवों में इन शादियों से पूर्व कंबल वितरण करवाया। उनके करीबी बताते हैं कि तकरीबन 50 ट्रक में हज़ारों कंबल वितरित किए गए जिसका असर ऐसा हुआ कि उन्हें राजनीतिक विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा। चुनाव लड़ने और जीतने पर बात करते हुए रणवीर सिंह सेंगर बताते हैं,

“उमाशंकर सिंह अपने काम से लोकप्रिय होते गए। उनकी बनवाई सड़कें आज भी मिसाल के तौर पर ली जाती हैं। इसके अलावा वह क्षेत्र के लोगों और खासकर गरीब तबके को जरूरत के समय में सीधे आर्थिक मदद देते रहे हैं। अस्पताल से लेकर तीर्थटन के लिए ट्रेन-बसें भिजवाने का असर हुआ कि लोगों ने उनको विधायक बनाया”

विधानसभा रसड़ा में जातिगत फैक्टरों का जोर बीते दो चुनावों से धीमा होता चला गया है। उमाशंकर सिंह की छवि का इसमें बड़ा योगदान है। हालांकि यह विधानसभा 2012 से पूर्व आरक्षित रही है। आइये एक नज़र विधानसभा पर डाल लेते हैं।

क्या है रसड़ा विधानसभा की स्थिति

सन 1967 के बाद से 2012 तक जिले की रसड़ा विधनसभा आरक्षित रही है। साल 2012 के आंकड़ों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओँ की संख्या 3 लाख 5 हजार 817 रही, जिसमें पुरुष मतदाताओँ की संख्या 1 लाख 69 हजार 246 जबकि महिला मतदाताओँ की संख्या 1 लाख 36 हजार 549 थी। कभी यह कम्युनिस्टों का गढ़ था जिसमें माकपा के राम रतन राम व रघुनाथ राम विधायर बने। जनता दल के घुरहू राम, कांग्रेस के मन्नू राम तथा रामवचन धुसिया तथा भाजपा के अनिल कुमार भी यहां से विधायक रहे हैं। आखिरी बार बसपा विधायक घूरा राम ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। ऐसे में यहां का लगभग सभी दलों को प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला है। बावजूद इसके कुछ समस्याों ने रसड़ा को अपना घर बना लिया है। इसमें सबसे बड़ी समस्या है जल निकासी। 

क्या है विधानसभा की सबसे मूल समस्या
जल निकासी और नाले में जमे पानी की समस्या 2012 के काफी पहले से बनी हुई है। जो अबतक वैसी ही है। आलम ये है कि रसड़ा के टोंस नदी, बसनहीं नाला और लकड़ा नाला के प्रशासनिक और राजनीतिक कुप्रबंधन से अभी तक एक दर्जन से अधिक गांव और 10 हज़ार बीघे से अधिक धान की फसल में पानी लगा हुआ है। सरायभारती रसड़ा का सबसे बड़ा गांव है। यहां के रहने वाले दिनेश कुमार के घर में अभी भी पानी लगा है। हमसे बातचीत में उन्होंने बताया,
हर साल का यही हाल है। पानी लगता ही है। आधा किलोमीटर के बंधा न बनने से यह परेशानी हमलोग न मालूम कितने साल से उठा रहे हैं और आगे उठाना पड़ेगा।”

स्थानीयों की मानें तो यही हाल चोंगड़ा-चिलकहर मार्ग का है। श्री सेंगर बताते हैं कि इस मार्ग पर तो मोटरसाइकल डूब जाएगी। उन्होंने बताया कि इस मार्ग पर अभी भी तकरीबन दो मीटर तक पानी लगा हुआ है। ऐसे में जनप्रिय छवि वाले लगातार दो बार के विधायक उमाशंकर सिंह के प्रबंधन पर भी सवाल उठना लाजमी है। स्थानीयों में अच्छी छवि वाले उमाशंकर सिंह से अभी भी जलजमाव से प्रभावित ग्रामीणों को उम्मीदे हैं। फिलहाल जलजमाव जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे रसड़ा में नगरपालिका को लेकर भी लोगों में रोष है।


बलिया खबर के पाठकों, ये है हमारा नया कार्यक्रम विधानसभा’वार । इस कार्यक्रम में हम जिले की सभी विधानसभाओं पर  2007 से लेकर अब तक के सभी चुनावों पर विस्तृत रिपोर्ट करेंगे। इसके माध्यम से तत्कालीन चुनावी परिस्थितियों, स्थानीय मुद्दों और विजयी प्रत्याशी के राजनीतिक जीवन का ब्योरा देंगे। आप अपने सुझाव balliakhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं।


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बलिया में लू की स्थिति, अधिकतम तापमान 42 डिग्री तक पहुंचा

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उत्तर प्रदेश में पिछले सप्ताह झुलसाने वाली गर्मी के बाद अब लू की तीव्रता में थोड़ी कमी आई है। कई जगहों पर अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। राजधानी लखनऊ में रविवार को अधिकतम तापमान 39.4 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि रात का तापमान सामान्य से 4.4 डिग्री अधिक, यानी 27.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

अगले 24 घंटे के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार लखनऊ में आसमान मुख्यतः साफ रहेगा या आंशिक रूप से बादलों से घिरा रहेगा। अधिकतम तापमान 40 डिग्री और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।

हालांकि, पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया, बहराइच, सुल्तानपुर और गाज़ीपुर में लू जैसी स्थितियाँ बनी रहीं। रविवार को बलिया में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3.4 डिग्री अधिक था।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौसम शुष्क बना रहने की संभावना है, जबकि पूर्वी हिस्सों में कहीं-कहीं वर्षा या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पूर्वी यूपी के कुछ इलाकों में आंधी, बिजली गिरने और 40-50 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने की चेतावनी जारी की है।

राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान मुज़फ्फरनगर में 18.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

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बलिया के फेफना में बस्ती में लगी भीषण आग, दर्जनों परिवार बेघर, लाखों की संपत्ति खाक

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बलिया में शनिवार की दोपहर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब फेफना कस्बे की राजभर बस्ती में अचानक आग भड़क उठी। तेज़ लपटों और धुएं ने कुछ ही मिनटों में दर्जनों झोपड़ियों को निगल लिया। लोग जब तक कुछ समझ पाते, तब तक उनकी मेहनत की कमाई और आशियाने जलकर खाक हो चुके थे।

इस दर्दनाक घटना में झोपड़ियों में रखा घर का सारा सामान, कपड़े, अनाज, नकदी, गहने और मवेशी तक आग की भेंट चढ़ गए। आग की भयावहता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिलेंडरों में विस्फोट के चलते आग ने न केवल झोपड़ियों को, बल्कि आसपास के पक्के मकानों को भी अपनी चपेट में ले लिया।

स्थानीय लोगों ने बाल्टी और पानी के जरिए आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन तब तक लपटें विकराल रूप ले चुकी थीं। किसी ने तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचना दी, जिसके बाद दो टीमें मौके पर पहुंचीं और कड़ी मशक्कत के बाद आग बुझाई जा सकी।

इस भीषण हादसे में सरल, अमावस, मुन्ना, चेतन, सोमारू, जुगुल, रामजी, श्रीराम, भीम, बुद्धू, भोला और मुकेश जैसे कई परिवारों के घर पूरी तरह जलकर बर्बाद हो गए। लाखों की संपत्ति और पशुधन नष्ट हो गया। सरल की 10 बकरियां और 2 भैंसें, वहीं अमावस की 5 बकरियां और 2 भैंसें जल गईं। एक भैंस झुलस गई है, जिसका इलाज चल रहा है। सभी के घरों में रखा अनाज—गेहूं और मसूर—भी जल गया।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया और राजस्व विभाग को सूचित किया। पीड़ित परिवार अब खुले आसमान के नीचे जीवन बिताने को मजबूर हैं और सरकारी मदद की बाट जोह रहे हैं।

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पहलगाम में हुई टारगेट किलिंग के विरोध में बलिया में प्रदर्शन, पाकिस्तान का पुतला फूंका

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा की गई निर्दोष नागरिकों की हत्या के विरोध में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में लोगों का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के नेतृत्व में टीडी कॉलेज चौराहे पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए अपना आक्रोश जताया। इस दौरान पाकिस्तान का पुतला भी जलाया गया, जो जनमानस के गहरे आक्रोश का प्रतीक बना।

आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पहलगाम में मासूम लोगों की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और अब आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की ज़रूरत है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि आतंकवाद को संरक्षण देने वाले तत्वों और देशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आतंकवादी गतिविधियां भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनी रहेंगी। साथ ही उन्होंने वैश्विक समुदाय से भी आतंकवाद के समूल नाश की अपील की।

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