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बलिया: 2 साल बाद भी नहीं मिले गेटमैन के ह’त्या’रे, दर-दर की ठोकरें खा रहें घर वाले!

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बलिया डेस्क : दो साल पहले गांधीनगर रेलवे फाटक पर हुई गेटमैन की ह’त्या के मामले में जीआरपी का हाथ आज भी खाली है, जबकि मामले में अभी बभी पुलिस टीम का वही सुर बरकरार है कि जांच टीम ह’त्यारों के करीब पहुंच चुकी हैं, जल्द ही मामले का खुलासा किया जायेगा।

अब वह जल्द समय कब आयेगा, फिलहाल इसका जवाब किसी के पास नहीं है। ऐसे में जीआरपी की कार्यशैली पर जहां सवाल उठ रहा है, वहीं गेटमैन की मां व पत्नी आज भी न्याय के लिये दर-दर ठोकरें खा रही है। गौरतलब है कि साल 2018 में 7 फरवरी  मंगलवार की रात बलिया रेलवे स्टेशन के पश्चिमी केबिन पर शैलेश की ड्यूटी लगायी गयी थी।

रात करीब सवा नौ बजे डाउन पवन एक्सप्रेस के आने का समय हुआ तो उसने क्रासिंग बंद कर दी थी। इस दौरान कुछ बाइक सवार अज्ञात लोगों ने क्रासिंग खोलने को कहा। इंकार करने पर बाइक सवार लोगों से उसकी कहासुनी हो गयी। इसकी सूचना शैलेश ने सहायक स्टेशन अधीक्षक राजू राय को दी। ट्रेन के प्लेटफार्म पर पहुंचने के बाद एसएसएस ने घटना के बारे में आरपीएफ को सूचित किया।

आरपीएफ केबिन पर पहुंची, लेकिन वहां सब सामान्य मिला। इस पर जवान वापस लौट गए। रात करीब पौने दस बजे छपरा-लखनऊ एक्सप्रेस बलिया स्टेशन पर पहुंची तो गेट बंद करने के लिये सहायक स्टेशन अधीक्षक ने केबिन मैन को फोन किया। तीन मिनट तक घंटी बजने के बाद भी जब फोन नहीं उठा तो वह रेल कर्मचारी इंद्रजीत को लेकर केबिन पहुंचे, जहां शैलेश लहूलुहान हालत में कुर्सी पर गिरा पड़ा था।

सहायक स्टेशन अधीक्षक व साथ में आये कर्मचारी के सहयोग से ई-रिक्शा पर शैलेश को लाद कर जिला अस्पताल पहुंचाया। चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद हालत गंभीर देख उसे वाराणसी के लिये रेफर कर दिया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया था।

ह’त्या कोई साजिश नहीं, इसलिए नहीं हो रहा खुलासा– घटना के बाद मामले में जांच करने बलिया पहुंची पुलिस अधीक्षिका रेलवे गोरखपुर पुष्पांजलि ने बताया था कि गेटमैन और अज्ञात बाइक सवारों में पहले विवाद और फिर ह’त्या कोई सोची समझी साजिश नहीं है। इसलिए इस घट’ना का खु’लासा नहीं हो पाया है।

टीम ने कई बार मुखबिर के बताए स्थान पर छापेमारी की, लेकिन ठोस सबूत हाथ नहीं लगे। पुलिस का यह प्रयास है कि घटना को अंजाम देने वालों पर कठोर कार्रवाई हो, ताकि वे दोबारा किसी घटना को अंजाम देने की हिमाकत न करें।

सूचना देने को जारी किया था नंबर– गौरतलव हो कि मामले के खुलासे को लेकर पुलिस आज भी प्रयासरत है, लेकिन पुलिस को कोई क्लू नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में उस समय पुलिस अधीक्षिका ने बताया था कि यदि किसी को किसी प्रकार जानकारी है तो नंबर 9454400397 पर सूचना दे सकते हैं। सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा, लेकिन आज तक इस नंबर पर न तो किसी ने कोई फोन किया और न ही पुलिस हत्या’रों तक पहुंच पायी।

पत्नी को आज तक नहीं मिली नौकरी–  ह’त्या के बाद जैसा कि रेलवे ने घोषणा किया था कि मृत’क आश्रित में शैलेश की पत्नी उषा तिवारी को नौकरी दी जायेगी, लेकिन अफसोस आज तक नौकरी नहीं मिल पायी है। ऐसे में पत्नी उषा तिवारी खुद को ठगा सा महसूस कर रही है। वहीं, बच्चों को लेकर गुरबत की जिंदगी जीने को मजबूर है।

वहीँ जीआरपी थाना प्रभारी एके पांडेय के मुताबिक लगातार प्रयास जारी है। जल्द ही मामले का खुलासा किया जायेगा।

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बलिया के एकलौते बसपा विधायक पर क्यों बैठी विजलेंस जांच ?

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बसपा के रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। विजलेंस विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। उमाशंकर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि विभाग ने विधायक ही नहीं उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के नाम खरीदी गईं जमीन, मकान, फ्लैट, व्यवसायिक और कृषि जमीन की पूरी जानकारी मांगी है।

वैसे सबको पता है नेता जी लोगों की आय से अधिक संपत्ति तो होती ही है। पुरानी स्क्रिप्ट है। लेकिन जब तक कोई नेता सत्ता के करीब होता है, तब तक उसकी संपत्ति पर कोई सवाल नहीं उठता। मगर विपक्ष पर यह कभी भी हो सकता है। उमाशंकर सिंह का मामला भी कुछ ऐसा ही लगता है। बसपा के इस इकलौते विधायक के खिलाफ अचानक जांच शुरू हो गई है। महानिरीक्षक प्रयागराज ने सभी उप निबंधन कार्यालय को निर्देशित किया है कि उमाशंकर सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह, बेटी यामिनी व बेटे युकेश के नाम से प्रदेश में खरीदी गई जमीन, मकान, फ्लैट या अन्य प्रकार की संपत्तियों की जानकारी विजलेंस विभाग को उपलब्ध कराए।

उमाशंकर सिंह की बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। जब पूरे यूपी में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीते दिनों मायावती काफी मुखर है लेकिन क्या अब इसका खामियाजा उमाशंकर सिंह को भुगतना पड़ रहा है?

बसपा का हाल किसी से छिपा नहीं है। मायावती पार्टी को चुनावी मोड में कम, ‘मैनेजमेंट मोड’ में ज्यादा चला रही हैं। यूपी में अब बसपा केवल ‘बीजेपी की B-Team’ कहकर बदनाम हो रही है। लेकिन ऐसे में उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ व्यक्तिगत मामला मान लेना भी सही नहीं होगा।

सवाल यह भी है कि आखिर राजनीति में आने के बाद कुछ नेताओं की संपत्ति मॉल्टीप्लाई मोड में कैसे चली जाती है? 2009 में जब उमाशंकर सिंह ने कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ सालों में उनकी संपत्तियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाएगी कि सरकार को उसकी जांच करवानी पड़ेगी।

अगर कोई आम आदमी बिना पक्के दस्तावेजों के 5 लाख रुपये की जमीन भी खरीद ले, तो टैक्स विभाग और पुलिस उसके पीछे पड़ जाते हैं। मगर विधायक, सांसद, मंत्री खुलेआम करोड़ों की संपत्ति बना लेते हैं, और हमें लगता है कि यह सब “मेहनत” की कमाई है!

फ़िलहाल सूचना यह है कि उमाशंकर सिंह की तबियत खराब है। वह बीमार चल रहे हैं। लेकिन विजलेंस ने भी अपना काम शुरू कर दिया है

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बलिया में ATM कार्ड के जरिए फ्राड करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, Encounter के बाद 4 गिरफ्तार

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बलिया के हल्दी में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद बिहार के चार अपराधियों को गिरफ्तार कर एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई के दौरान पैर में गोली लग से एक आरोपी घायल हो गया।

अपर पुलिस अधीक्षक कृपा शंकर ने संवाददाताओं को बताया कि बुधवार रात को पुलिस को सूचना मिली कि हृदयाचक तिराहा से पीपा पुल की ओर जाने वाली सड़क पर एक कार में कुछ संदिग्ध लोग आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जब पुलिस ने वाहन को रोकने का प्रयास किया तो चारों संदिग्ध कार से उतरकर भागने लगे।

शंकर ने कहा, ‘‘पीछा किए जाने पर अपराधियों में से एक ने पुलिस दल पर गोली चला दी, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। एक आरोपी पैर में गोली लगने से घायल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने सभी चार संदिग्धों को काबू कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘गोली लगने से घायल हुए बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के निवासी बच्चा लाल महतो (27) को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य तीन की पहचान साहेब कुमार महतो (32), मदन महतो (37) और लाल बाबू महतो (38) के रूप में हुई है। ये सभी बिहार के हैं।’’

पुलिस ने आरोपियों के पास से दो देसी पिस्तौल (.315 बोर), दो कारतूस, दो खाली खोल, विभिन्न बैंकों के 63 एटीएम कार्ड, एक कार और 5,200 रुपये भी जब्त किए हैं।

अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने एटीएम कार्ड धोखाधड़ी में संलिप्त एक गिरोह का हिस्सा होने की बात कबूल की। वे सीधे-साधे लोगों को निशाना बनाकर उनका एटीएम कार्ड बदल लेते थे और फिर उनके रुपये निकाल लेते थे या अंतरित कर लेते थे। चोरी की रकम गिरोह के सदस्यों के बीच बांटी जाती थी।’’

अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने यह भी कबूल किया कि उन्होंने बलिया और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ दिल्ली में भी कई लोगों को ठगा है।

पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि बलिया, दिल्ली और अन्य स्थानों पर तीनों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्यों और देश के विभिन्न हिस्सों में उनके नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है।

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Ballia- बेलथरा रोड के सामाजिक कार्यकर्ता खालिद ज़हीर का निधन

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बेलथरा रोड डेस्क :  बलिया जिले के बेलथरा रोड से एक बुरी खबर सामने आई है।  नगर पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता रहे खालिद ज़हीर का वाराणसी में अचानक निधन हो गया। बताया जा रहा है कि गिरने की वजह से उनको सर में गहरी चोट लग गई जिसके बाद परिजन अस्पताल ले गए। इलाज के दौरान ही डाक्टरों ने उन्हे मृत्यु घोषित कर दिया।  सोमवार की रात करीब 12 बजे वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए. उनकी उम्र लगभग 58  साल थी.

सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ कई बार नगर पंचायत का चुनाव भी लड़ चुके थे । हर मुद्दे पर पर वो मुखर होकर अपनी बात रखते थे। सभी समुदाय में अच्छी पकड़ रखते थे। उनकी मौत की खबर से इलाके में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।

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