उत्तर प्रदेश
यूपी: 21 जिलों में नए पुलिस कप्तान, 30 आईपीएस के तबादले, देखें पूरी लिस्ट
प्रदेश के कुछ जिलों में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के बाद सरकार ने एक साथ 21 जिलों के पुलिस अधीक्षकों समेत 30 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। इसी के साथ प्रांतीय पुलिस सेवा के 21 अधिकारियों का भी तबादला कर दिया गया है।
जिन जिलों के पुलिस अधीक्षक हटाए गए हैं उनमें कासगंज, श्रावस्ती, अमरोहा, बागपत, संतकबीरनगर, मुजफ्फरनगर, कानपुर नगर, मेरठ, रामपुर, औरैया, हाथरस, एटा, फैजाबाद, मिर्जापुर, कन्नौज, सोनभद्र, बांदा, फतेहगढ़, अंबेडकरनगर, हरदोई, जालौन शामिल हैं। तैनाती पाने वालों में एएसपी बीपी अशोक शामिल हैं। उन्हें बसपा प्रमुख मायावती का करीबी पुलिस अधिकारी माना जाता है। उन्होंने कुछ दिन पहले एससीएसटी के मामले में आरोप लगाते हुए प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह को इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। बाद में उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया था।
नाम वर्तमान तैनाती नवीन तैनाती
अशोक कुमार एसपी श्रावस्ती एसपी कासगंज
आशीष श्रीवास्तव एएसपी, नोएडा एसपी श्रावस्ती
विपिन टाडा एसपी रामपुर एसपी अमरोहा
शैलेष कुमार पांडे एसपी संतकबीर नगर एसपी बागपत
आकाश तोमर एसपी सिटी, गाजियाबाद एसपी संतकबीर नगर
सुधीर कुमार सिंह एसपी अमरोहा एसएसपी मुजफ्फरनगर
अनंत देव एसएसपी मुजफ्फरनगर एसएसपी कानपुर नगर
अखिलेश कुमार एसएसपी कानपुर नगर एसएसपी मेरठ
शिवहरि मीणा एसपी कासगंज एसपी रामपुर
डॉ. त्रिवेणी सिंह एसपी एसटीएफ एसपी औरैया
जयप्रकाश एसपी बागपत एसपी हाथरस
आशीष तिवारी एसपी मिर्जापुर एसएसपी एटा
अखिलेश कुमार चौरसिया एसएसपी एटा एसएसपी फैजाबाद
शालिनी एसपी बांदा एसपी मिर्जापुर
अमरेंद्र प्रसाद सिंह एसपी जालौन एसपी कन्नौज
राठौर किरीट के हरिभाई एसपी कन्नौज एसपी सोनभद्र
एस आनंद एसपी एसटीएफ एसपी बांदा
संतोष कुमार मिश्र एसपी अम्बेडकरनगर एसपी फतेहगढ़
विपिन कुमार मिश्र एसपी हरदोई एसपी अम्बेडकरनगर
आलोक प्रियदर्शी एसपी एसटीएफ एसपी हरदोई
अरविंद चतुर्वेदी एसपी एसटीएफ एसपी जालौन
मनोज कुमार एसएसपी फैजाबाद कमांडेंट, 11वीं पीएसी सीतापुर
रामप्रताप सिंह एसपी सोनभद्र एसपी सुरक्षा मुख्यालय
राजेश कुमार पांडे एसएसपी मेरठ एसपी प्रशिक्षण एवं सुरक्षा, लखनऊ
अतुल शर्मा एसपी फतेहगढ़ उपनिदेशक, यातायात निदेशालय
नागेश्वर सिंह एसपी औरैया एसपी, क्षेत्रीय अभिसूचना
घुले सुशील चंद्रभान एसपी हाथरस डीजीपी अटैच
सुनील गुप्ता प्रतिक्षारत एसपी कानून-व्यवस्था, डीजीपी मुख्यालय
विनीत जायसवाल एएसपी सिटी, इटावा एसपी ग्रामीण, नोएडा
श्लोक कुमार एएसपी, शामली एसपी सिटी, गाजियाबाद
बदले गए पीपीएस अधिकारी
अशोक कुमार वर्मा एएसपी यूपी-100 लखनऊ एएसपी क्राईम गोरखपुर
रामयश सिंह उप सेना नायक 47वीं वाहिनी एएसपी सिटी इटावा
पीएसी गाजियाबाद
अजय प्रताप सिंह एएसपी यूपी-100 लखनऊ एएसपी शामली
अशोक कुमार राय एएसपी ईओडब्ल्यू मुख्यालय ए.एस.पी.अम्बेडकरनगर
लखनऊ
मोनिका चड्ढा डिप्टी एसपी/ एएसपी जीआरपी एएसपी वूमेन पावर लाइन
इलाहाबाद 1090 लखनऊ
रत्ना पाण्डेय डिप्टी एसपी / एएसपी पुलिस ए.एस.पी., पीटीसी सीतापुर
ट्रेनिंग अकादमी, मुरादाबाद
राजेन्द्र प्रसाद यादव डिप्टीएसपी / एएसपी एएसपी पीटीसी सीतापुर
पुलिस ट्रेनिंग अकादमी मुरादाबाद
अरविन्द कुमार डिप्टीएसपी /एएसपी मेरठ सेक्टर एएसपी सतर्कता अधिष्ठान
मेरठ लखनऊ
मनीषा सिंह डिप्टी एस.पी./ए.एस.पी. गाजियाबाद ए.एस.पी./स्टाफ आफिसर
एडीजी आगरा जोन, आगरा
शिवराज डिप्टीएसपी /एएसपी इलाहाबाद ए.एस.पी.माडर्न कण्ट्रोल रूम
इलाहाबाद
प्रज्ञा मिश्रा डिप्टी एस.पी./एएसपी एसीओ एएसपी / सेक्टर आफिसर
मुरादाबाद सेक्टर, मुरादाबाद सीबीसीआईडी सेक्टर बरेली
नीति द्विवेदी डिप्टी एस.पी./एएसपी बरेली एएसपी महिला सम्मान प्रकोष्ठ लखनऊ
अयोध्या प्रसाद सिंह डिप्टीएसपी/ एएसपी वाराणसी एएसपी /स्टाफ आफिसर एडीजी
वाराणसी जोन, वाराणसी
साधनासिंह डिप्टीएसपी / एएसपी मुख्यालय एएसपी यूपी पुलिस मुख्यालय
पुलिस महानिदेशक लखनऊ इलाहाबाद
हबीबुल हसन एएसपी पीटीसी सीतापुर एएसपी ईओडब्ल्यू मुख्यालय लखनऊ
आलोक कुमार शर्मा एएसपी क्राईम गोरखपुर एएसपी ग्रामीण मुजफ्फरनगर
ओम प्रकाश सिंह एएसपी अम्बेडकरनगर डिप्टी एसपी कुम्भ मेला इलाहाबाद
बी.पी.अशोक एएसपी पुलिस प्रशिक्षण एएसपी क्राईम मेरठ
मुख्यालय लखनऊ
शिवराम यादव डिप्टी एसपी क्राईम मेरठ एएसपी पुलिस प्रशिक्षण मुख्यालय
लखनऊ
कमलेश बहादुर एएसपी यातायात लखनऊ एएसपी सिटी आजमगढ़
सुभाष चंद गंगवार एएसपी सिटी आजमगढ़ एएसपी ट्रैफिक बरेली
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20 दिन बाद भी फरार है बलिया का ये BJP का ब्लॉक प्रमुख ! गिरफ्तारी में देरी क्यों ? सड़को पर उतरे वकील
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बलिया बीजेपी में नहीं है ‘सब चंगा सी’ !
लोकसभा चुनाव-2024 का आगाज हो चुका है. पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो चुकी है. सबसे आखिरी चरण यानी सातवें चरण में 1 जून को बलिया में भी मतदान होगा. ज़ाहिर है चुनाव को लेकर बलिया की सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं. लेकिन सियासी गलियारे में सबसे ज्यादा चर्चा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की है.
बलिया में बीजेपी की चर्चा की वजह जीत नहीं, बल्कि भीतरखाने चल रही खींचतान है. टिकट बंटवारे से लेकर लोकल लीडर्स तक की अनदेखी ने जिले के कई बीजेपी नेताओं को नाराज़ और असहज कर दिया है. ऐसे तीन घटनाओं के जरिए इस अंदरूनी कलह की कलई खोली जा सकती है.
‘मस्त’ आउट, नीरज शेखर को टिकट:
2019 में बलिया लोकसभा सीट से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. ‘मस्त’ और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि एक बार फिर पार्टी उन्हें टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टिकट मिल गया पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और बीजेपी के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को. बताते चलें कि 2007 के उपचुनाव और फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा की टिकट पर ही नीरज शेखर सांसद बने थे. 2014 में भी सपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया लेकिन बीजेपी के भरत सिंह से हार गए. 2019 में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.
महज पांच साल के भाजपाई और पूर्व समाजवादी नेता को टिकट देने से बलिया बीजेपी के नेता खुश नहीं दिखे. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नीरज को टिकट मिलने पर गर्मजोशी दिखाई. हालांकि औपचारिकता के तौर पर टिकट मिलने के अगले ही दिन वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ से मुलाकात करने जरूर पहुंचे थे.
आनंद स्वरूप शुक्ला का फेसबुक पोस्ट:
17 अप्रैल को बलिया सदर से बीजेपी के पूर्व विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया. आनंद स्वरूप ने लिखा है, “…2022 के विधानसभा चुनाव में आश्चर्यजनक अज्ञात व ज्ञात कारणों से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने मुझे मेरी जन्मभूमि व कर्मभूमि बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र से स्थानान्तरित कर आपके बैरिया विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया.”
इस पोस्ट में आगे वह लिखते हैं कि किन्हीं वजहों से बैरिया से उनकी हार हो गई. आनंद स्वरूप शुक्ला इसके बाद एक ऐलान करते हैं, “चुनाव परिणाम के पश्चात पार्टी नेतृत्व को मैंने अवगत कराया कि अब आगे मैं कभी भी बैरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ूंगा.” यानी कि पूर्व विधायक और यूपी की योगी सरकार के पूर्व मंत्री ने साफ घोषणा कर दी वह कभी भी बैरिया से चुनाव नहीं लड़ेंगे.
इस कलह को समझने के लिए बैरिया का बैकग्राउंड समझने की जरूरत है. आनंद स्वरूप शुक्ला 2017 में बलिया सदर से विधायक बने थे. बैरिया से विधायक बने थे सुरेंद्र सिंह. लेकिन 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बलिया सदर से दयाशंकर सिंह को टिकट दे दिया. आनंद स्वरूप शुक्ला को ट्रांसफर किया गया बैरिया. और सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया. नतीजा ये हुआ कि सुरेंद्र सिंह बागी हो गए. चुनाव का रिजल्ट आया तो बीजेपी बैरिया सीट गंवा चुकी थी.
सुरेंद्र सिंह एक बार बीजेपी वापसी कर चुके हैं. माना जा रहा है कि इसलिए उन्होंने खुद को हमेशा के लिए बैरिया से दूर कर लिया है. लेकिन विधायकी हारने के कोफ्त से उपजी लड़ाई अब तक जारी है और इसका असर अब लोकसभा चुनाव पर पड़ रहा है. दोनों ही खेमे फिलहाल तो बलिया में पार्टी के प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं.
उपेंद्र तिवारी और सपा की बातचीत की ख़बरें:
बलिया में बीजेपी के एक और ब्राह्मण चेहरा हैं उपेंद्र तिवारी. 2017 में फेफना से विधायक थे. योगी सरकार में इनके नाम से भी मंत्री पद नत्थी था. 2022 में चुनाव हार गए. बलिया सीट से उपेंद्र तिवारी भी दावेदारी कर रहे थे. बीजेपी से टिकट मिलने की रेस में वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ और नीरज शेखर के अलावा उपेंद्र तिवारी को भी बताया जा रहा था. जब पार्टी ने यहां से नीरज को टिकट दे दिया तो उपेंद्र तिवारी को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गईं.
अख़बारों ने साफ-साफ छापा कि सपा की ओर से बलिया में उपेंद्र तिवारी या अतुल राय को टिकट दिए जाने की उम्मीद है. चौक-चौराहों पर भी चर्चा थी कि उपेंद्र तिवारी सपा के लिए माकूल साबित हो सकते हैं. आख़िर कैसे? चर्चा चली कि घोसी से राजीव राय को टिकट मिलने के बाद बलिया से भी सवर्ण को टिकट देना अखिलेश के जातिगत इंजीनियरिंग में सेट नहीं हो पा रहा था. और ऐसे में उपेंद्र तिवारी को टिकट नहीं मिला.
हालांकि 20 अप्रैल को उपेंद्र तिवारी ने इसी ख़बर की कटिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी एक तस्वीर फेसबुक पर शेयर की. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस ख़बर का खंडन किया. उपेंद्र तिवारी ने भले ही सपा से टिकट मिलने की ख़बरों का खंडन कर दिया हो लेकिन ये चर्चाएं बीजेपी के खिलाफ ही काम कर रही हैं और पार्टी के समर्थन में बट्टा लगा रही हैं.
बलिया के बड़े बीजेपी नेताओं का असंतोष और फिलहाल अपने प्रत्याशी के साथ ना दिखना लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाता दिख रहा है. हालांकि पार्टी से जुड़े जिले के एक नेता बलिया ख़बर से नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “बड़ी पार्टियों में ये सब होता रहता है. लेकिन बीजेपी बहुत अलग किस्म की पार्टी है. यहां निजी हित को किनारे रखकर पार्टी हित में काम होता है. अपनी-अपनी नाराज़गी की वजहें हो सकती हैं, लेकिन सभी नेता-कार्यकर्ता आलाकमान के फैसले के साथ खड़ा है और नीरज शेखर के लिए लगा है. आने वाले दिनों में आप सभी नेताओं को एक साथ मंच पर देखेंगे.”
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पुलिस भर्ती पेपर लीक में बलिया का नीरज यादव गिरफ्तार, अभ्यर्थियों को व्हाट्सएप पर भेजे थे जवाब
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की घटना सामने आने के बाद अब कार्रवाई शुरू हो गई है। सरकार ने भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया है, साथ ही साथ सीएम योगी आदित्यनाथ ने आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है। इसी बीच पुलिस ने बलिया के नीरज यादव को गिरफ्तार किया है, आरोप है कि नीरज ने भर्ती परीक्षा मामले में अभ्यर्थियों को सवालों के उत्तर व्हाट्सएप पर भेजे थे।
बताया जा रहा है कि मथुरा के रहने वाले एक उपाध्याय ने नीरज को पूरी परीक्षा की उत्तर कुंजी भेजी थी और इसी कुंजी में से उत्तर देख कर नीरज ने अभ्यर्थियों को व्हाट्सएप पर जवाब भेजे थे।
अब पुलिस मथुरा के उस शख्स की तलाश कर रही है, जिसके पास भर्ती परीक्षा की पूरी उत्तर कुंजी मौजूद थी। पुलिस इस बात का भी जवाब ढूंढ रही है कि आखिर परीक्षा की पूरी उत्तर कुंजी उसे शख्स के पास कैसे पहुंची।
जानकारी के मुताबिक, लखनऊ के कृष्णानगर के अलीनगर सुनहरा स्थित सिटी मॉडर्न अकेडमी स्कूल को भी परीक्षा केंद्र बनाया गया था। 18 फरवरी को आयोजित परीक्षा की दूसरी पाली के दौरान शाम करीब 4:55 बजे कक्ष संख्या-24 के निरीक्षक वंदना कनौजिया और विश्वनाथ सिंह ने परीक्षार्थी सत्य अमन कुमार को पर्ची से नकल कर ओएमआर शीट भरते पकड़ा था। उन्होंने पर्ची बरामद कर ली थी। पुलिस टीम ने सत्य अमन को गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में उसने बताया कि नीरज यादव नाम के शख्स ने उत्तरकुंजी व्हाट्सएप पर भेजी थी।
नीरज ने पुलिस को बताया कि मथुरा निवासी उपाध्याय ने उसको उत्तरकुंजी भेजी। व्हाट्सएप चैट से इसकी पुष्टि भी हुई। सूत्रों के मुताबिक उपाध्याय को जानकारी हो गई थी कि सत्य अमन पकड़ा गया है। इसलिए वह दबिश से ठीक पहले वह भाग निकला। वहीं आरोपी नीरज यादव मर्चेंट नेवी में था। वर्तमान में वह नौकरी छोड़ रखी है। सूत्रों के मुताबिक वह परीक्षाओं में सेंधमारी का काम कुछ वक्त से कर रहा है। इसके एवज में मोटी रकम वसूलता है।
अब तक इस जांच में कई अनसुलझे सवाल पैदा हुए हैं। सवाल यह है कि आखिर नीरज यादव का नेटवर्क कहां तक है और उसे कुंजी उपलब्ध करवाने वाले उपाध्याय को उत्तर कुंजी कहां से मिली। आखिर नीरज ने उत्तर कुंजी देने के बदले अमन से कितनी रकम मांगी थी और कितने अन्य लोगों को उत्तर कुंजी दी गई है। ये सभी सवाल अनसुलझे हैं, जिनका जवाब आने वाले वक्त में ही मिल पाएगा।
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