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बलिया में अज्ञात वाहन ने बाइक को मारी टक्कर, 1 युवक की मौत, 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया के महराजगंज तहसील क्षेत्र में दर्दनाक सड़क हादसा हुआ। यहां एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने बाइक को टक्कर मार दी। बाइक पर 2 युवक सवार थे, इनमें से एक ही हादसे में मौत हो गई, जबकि दूसरा युवक गंभीर रूप से घायल है। फिलहाल पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक, हादसा कनावा मोड़ के पास हुआ। दोनों युवक बलिया के रहने वाले थे और रेलवे अंडर पास में काम करते थे। वे किसी काम से बाइक से जा रहे थे, तभी अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। दोनों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों ने दोनों घायलों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। डॉक्टरों ने एक युवक को मृत घोषित कर दिया। दूसरे युवक की हालत नाजुक देखते हुए उसे लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया।

पुलिस ने मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस ने बताया कि तहरीर मिलने पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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बलिया में गंगा स्नान के दौरान हादसा, युवक डूबा, तलाश जारी

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बलिया के शिवपुर घाट पर शुक्रवार को गंगा स्नान के दौरान एक दर्दनाक हादसा हो गया। बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आकाश साहू गंगा में नहाते समय गहरे पानी में डूब गए।

बताया जा रहा है कि आकाश पिछले दो-तीन महीनों से दुबहर थाना क्षेत्र के माधवमठ गांव में अपने रिश्तेदार गोवर्धन साहू के घर ठहरे हुए थे। शुक्रवार को वह अपने एक अन्य रिश्तेदार के साथ श्रीरामपुर घाट पर गंगा स्नान करने पहुंचे थे। स्नान के दौरान अचानक संतुलन बिगड़ने से वह गहरे पानी में चले गए और देखते ही देखते लापता हो गए।

घटना की खबर मिलते ही घाट पर अफरा-तफरी मच गई। आसपास के लोग और आकाश के परिजन चीख-पुकार करते हुए मौके पर पहुंच गए। पुलिस भी तत्काल घटनास्थल पर पहुंची और स्थानीय मल्लाहों तथा ग्रामीणों की मदद से युवक की तलाश शुरू कर दी गई। हालांकि, काफी देर तक प्रयासों के बावजूद आकाश का कुछ पता नहीं चल सका।

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बलिया में विवाह समारोह के दौरान मारपीट, धारदार हथियार से हमला कर एक युवक घायल

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बलिया जिले के बेल्थरा रोड क्षेत्र के एक्सार चौकिया गांव में शुक्रवार देर रात एक शादी समारोह के दौरान विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। सुरेन्द्र गोंड के पुत्र सागर के वरक्षा कार्यक्रम के दौरान दो भाइयों के बीच कहासुनी हो गई, जो बाद में झगड़े में बदल गई।

झगड़े को शांत कराने की कोशिश कर रहे 28 वर्षीय परशुराम पर एक पक्ष ने धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने घायल परशुराम को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीयर पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

परिजन उन्हें बेहतर इलाज के लिए मऊ स्थित एक निजी अस्पताल ले गए, जहां शनिवार को उनका इलाज जारी है। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है और मामले की तहकीकात जारी है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के एसपी के हलफनामे की भाषा पर जताई नाराजगी, न्यायालय की गरिमा बनाए रखने की दी सलाह

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ओमवीर सिंह द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र की भाषा पर गंभीर आपत्ति जताते हुए उसे अनुचित और न्यायालय की मर्यादा के प्रतिकूल बताया है। अदालत ने भविष्य में अधिक सावधानी बरतने और भाषा में आवश्यक सुधार लाने की सख्त हिदायत दी है।

एसपी सिंह ने अपने हलफनामे में लिखा था कि पुलिस बल ‘किसी अदालत के किसी आदेश’ के अनुपालन में उपलब्ध कराया जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायालय कोई सामान्य संस्था नहीं है, बल्कि एक गरिमामयी संस्था है, जिसे ‘किसी अदालत’ कहकर संबोधित करना अनुचित है। इसे स्पष्ट रूप से ‘जनपद न्यायाधीश बलिया’ या ‘सिविल जज (सीनियर डिवीजन) बलिया’ कहकर संबोधित किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने आगे समझाया कि तहसीलदार, जो कि सहायक कलेक्टर होता है, एसपी का अधीनस्थ नहीं होता। यदि तहसीलदार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करता है, तो उसे पुलिस बल की आवश्यकता की जानकारी एसपी को औपचारिक मांग पत्र के माध्यम से देनी चाहिए। इसके बाद एसपी को स्वयं यह तय करना होगा कि कितनी पुलिस बल की आवश्यकता है, ताकि राज्य को आदेशों के क्रियान्वयन में किसी तरह की शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े।

एसपी बलिया को न केवल भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी दी गई है, बल्कि उनसे एक बेहतर और उपयुक्त भाषा में नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश भी दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 9 मई की दोपहर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बलिया के रसड़ा निवासी गजेंद्र उर्फ धर्मात्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। तहसीलदार रसड़ा ने अदालत के निर्देश पर मौके का निरीक्षण कर अतिक्रमण हटाने की कोशिश की, लेकिन पत्थरबाजी के कारण वह कार्रवाई अधूरी रह गई।

तहसीलदार ने अदालत को बताया कि उन्हें पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके चलते अतिक्रमण नहीं हट पाया। इस पर अदालत ने एसपी से जवाब मांगा था।

अपने शपथपत्र में एसपी ने कहा कि तहसीलदार ने 26 मई को अतिक्रमण हटाने की तिथि तय की थी और 3 मई को पुलिस बल की मांग का पत्र कोतवाली को भेजा गया था। उस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है और 26 मई को पुलिस बल भी प्रदान किया जाएगा।

हालांकि, हाईकोर्ट ने इस हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा कि एफआईआर तो कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज की गई है, यह कोई विशेष उपलब्धि नहीं है। अदालत ने एसपी को निर्देश दिया कि वे एक संशोधित, उपयुक्त और गरिमामयी हलफनामा प्रस्तुत करें।

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