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Election Analysis: गाज़ीपुर में क्यों जीत नहीं पाई बीजेपी, मनोज सिन्हा की जिद्द पड़ी भारी!

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“उत्तर प्रदेश ने कमाल कर दिया.” कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात कही. प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खाते में महज 33 सीटें आईं. समाजवादी पार्टी (सपा) ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की. वैसे तो बीजेपी को राज्य के हर क्षेत्र में सीटें गंवानी पड़ीं लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे पूर्वांचल ने दिए.

पूर्वांचल की एक अहम लोकसभा सीट है गाज़ीपुर. यहां सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने बीजेपी के पारसनाथ राय को कर 1 लाख 24 हजार वोटों से शिकस्त दी है. अफजाल इस सीट से 2019 में भी सांसद बने थे. लेकिन उससे पहले यानी 2014 में बीजेपी के मनोज सिन्हा की जीत हुई थी. मनोज सिन्हा फिलहाल जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल हैं.

गाज़ीपुर में सिन्हा की मजबूत पकड़ मानी जाती है. लेकिन दूसरी ओर इस क्षेत्र में अंसारी परिवार का भी वर्चस्व रहा है. मनोज सिन्हा की पकड़ और मन मुताबिक़ टिकट बंटवारे के बावजूद बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. इस हार की कई वजहें हैं. बलिया ख़बर ने बीजेपी से जुड़े सूत्रों से इसे लेकर बातचीत की. तो चलिए एक-एक कर हार की वजहों पर नज़र डालते हैं.

निजी स्वार्थ पड़ा भारी

मनोज सिन्हा भले जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल बन चुके हैं लेकिन गाज़ीपुर से उनका मोह नहीं छूटा है. इलाके के बीजेपी नेता बातचीत में कहते हैं कि सिन्हा इस सीट पर अपनी पकड़ कमज़ोर नहीं होने देना चाहते हैं. इसलिए यहां पार्टी वही फैसले लेती है जो सिन्हा चाहते हैं. लोकसभा चुनाव से पहले ये चर्चाएं थीं कि वे खुद इस बार चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन बीजेपी आलाकमान इस बात पर राज़ी नहीं था.

बीजेपी के सबसे बड़े नेता नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मनोज सिन्हा की नजदीकी जग ज़ाहिर है. मोदी-शाह सिन्हा को कश्मीर से बुलाने के पक्ष में नहीं थे. पार्टी को लगता है कि कश्मीर के मुद्दे को संभालने के लिए वे सबसे माकूल हैं. ऐसे में उन्हें गाज़ीपुर के चुनाव से दूर रखा गया.

मनोज सिन्हा के करीबी लोग नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “मनोज जी को जब खुद टिकट नहीं मिला तो अपने करीबी के फिल्डिंग सेट कर दिया. पहले तो वो अपने बेटे को ही टिकट दिलाना चाहते थे. लेकिन पार्टी के आंतरिक सर्वे में ये बात निकलकर आई कि उनके बेटे को टिकट देने पर हार तय है. जब बेटे का भी पत्ता कट गया तो सिन्हा साहब ने राय जी (पारसनाथ राय) को टिकट दिलवा दिया.”

पारसनाथ राय शिक्षाविद् हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं. आरएसएस का बैकग्राउंड और फिर मनोज सिन्हा का करीबी होना राय के पक्ष में था. ऐसे में पार्टी ने उन पर भरोसा जताया और टिकट दे दिया.

कई थे दावेदार

गाज़ीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के बीजेपी में कई दावेदार थे. पहला नाम माफिया बृजेश सिंह का था. बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की अदावत के किस्से पूर्वांचल की हर चौक-चौराहे पर पसरी हुई है. ऐसे में मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी के सामने उनकी दावेदारी की कयासें लग रही थीं.

मुख्तार अंसारी को बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में सज़ा मिली थी. उन्हीं कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय को मैदान में उतारकर इमोशनल कार्ड चलने की चर्चाएं भी थीं. टिकट के तीसरे दावेदार बलिया की फेफना विधानसभा सीट से विधायक और योगी आदित्यनाथ सरकार के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेंद्र तिवारी थे. चौथा नाम जिसे दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था वो चंदौली की सैयदराजा विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक सुशील सिंह का था. सुशील सिंह माफिया बृजेश सिंह के भतीजे भी हैं.

पार्टी के कई नेता बलिया के पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त और राधा मोहन सिंह की दावेदारी पर भी हामी भरते हैं. इनके पक्ष में अनुभवी नेता होने और जमीन से जुड़े होने का तर्क दिया जाता है.

दावेदारों के बरक्स पारसनाथ राय कमज़ोर उम्मीदवार ही थे. वजह? पारसनाथ राय ने इससे पहले कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा था. सीटिंग सांसद, जातिगत समीकरण और मुख्तार फैक्टर के मजबूत होने के बावजूद एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतारना जिसने कभी चुनाव नहीं लड़ा था, बीजेपी के लिए नुक्सानदेह साबित हुआ. पारसनाथ राय सामाजिक तौर पर सक्रिय जरूर रहे हैं. लेकिन सियासी तौर पर ज़मीन पर उनकी पकड़ बेहद कमजोर थी.

गाज़ीपुर में करीब दो दशकों से बीजेपी से जुड़े एक कार्यकर्ता बताते हैं, “देखिए बीजेपी ऐसे ही किसी को टिकट नहीं दे देती है. बाकायदा सर्वे होता है हर सीट और हर कैंडिडेट पर. पारसनाथ जी के बारे में भी सर्वे हुआ था. और सर्वे में ये बात सामने आई कि वो हार जाएंगे. उनके बजाए किसी पुराने नेता को उतारने की बातें सामने आई थीं.”

मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में मौत के बाद गाज़ीपुर में उनके भाई के लिए सिम्पैथी भी थी. अफजाल अंसारी की पकड़, मुख्तार अंसारी के नाम पर सिम्पैथी और मनोज सिन्हा की जिद्द की बदौलत एक कमजोर उम्मीदवार की वजह से बीजेपी ये सीट हार गई और सपा की जीत हुई.

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बलिया के पियरियां में नीलम ज्ञानदीप कॉन्वेंट स्कूल का भव्य उद्घाटन

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रविवार को बलिया के गड़वार शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत पियरियां गाँव में नीलम ज्ञानदीप कॉन्वेंट स्कूल का शुभारंभ एक भव्य समारोह में किया गया। उद्घाटन समारोह में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह एवं क्षेत्रीय विधायक संग्राम सिंह यादव ने फीता काटकर स्कूल का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विद्यालय के डायरेक्टर अरुण सर भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे और आयोजन की कमान संभाली।

कार्यक्रम में रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी हुईं, जिसने माहौल को और भी खास बना दिया। विद्यालय के डायरेक्टर अरुण सर ने अपने संबोधन में कहा, हमारा उद्देश्य सिर्फ पढ़ाई कराना नहीं, बल्कि इस क्षेत्र के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी तैयार करना है। मैं इस विद्यालय को एक ‘मंदिर’ मानकर सेवा भाव से शिक्षा दूंगा।

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने विद्यालय को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया, वहीं विधायक संग्राम सिंह यादव ने कहा, यह क्षेत्र अब भी पिछड़ेपन से जूझ रहा है, और हमारा दायित्व है कि किसी भी बच्चे को आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित न होना पड़े। उन्होंने स्कूल में ARO प्लांट लगवाने का भी वादा किया, ताकि बच्चों को स्वच्छ पेयजल मिल सके।

इस अवसर पर सैकड़ों गणमान्य अतिथियों, प्रमुख रुप से हीरालाल कौशल, रामाश्रय यादव, लालबाबू राम, देवदत्त सिंह, प्रभुनाथ यादव, अभिषेक यादव (पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष) आदि ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम के समापन पर अरुण सर ने सभी अतिथियों और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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बलिया में पू्र्व पीएम जननायक चंद्रशेखर को समर्पित हाफ मैराथन में उमड़ा जनसैलाब, अंतरराष्ट्रीय धावकों ने भी जताई सहभागिता

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शनिवार को बलिया में पूर्व प्रधानमंत्री जननायक चंद्रशेखर की पुण्य स्मृति में रन फॉर बलिया’ थीम पर छठी हाफ मैराथन का आयोजन भव्य रूप से किया गया। इस आयोजन का शुभारंभ उत्तर प्रदेश सरकार के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने हरी झंडी दिखाकर किया। यह 21.1 किलोमीटर लंबी दौड़ पटपर (पचखोरा) स्थित शारदा पेट्रोल पंप से शुरू हुई।

प्रतियोगिता को लेकर खेलप्रेमियों और धावकों में खासा उत्साह देखने को मिला। सुबह 6 बजे से पहले ही स्टार्टिंग पॉइंट पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। धावकों को चिकित्सकीय जांच के बाद आयोजन स्थल तक बसों के माध्यम से लाया गया। जगह-जगह धावक हाथों में तिरंगा लिए वार्मअप करते नजर आए, जिससे माहौल देशभक्ति और खेल भावना से ओतप्रोत हो उठा।

इस मैराथन में उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों तथा केन्या और इथोपिया से आए धावकों सहित कुल 700 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। पहली बार इस मैराथन में भाग ले रहे केन्याई धावक जान कैलाई और स्टीफन कोसगई ने आयोजन की सराहना की। उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता की जानकारी उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से मिली और बलिया आकर यहां की खेल भावना व माहौल से वे अत्यंत प्रभावित हुए।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर, पूर्व मंत्री नारद राय, पूर्व बीएसए और वर्तमान में अलीगढ़ के बीएसए राकेश सिंह सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों ने शिरकत की। आयोजन समिति ने सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया।

अपने संबोधन में अतिथियों ने जननायक चंद्रशेखर के राष्ट्र निर्माण में दिए गए योगदान को याद करते हुए इस हाफ मैराथन को उन्हें समर्पित एक सच्ची श्रद्धांजलि बताया। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय कोच रुस्तम खां, बीएसए मनीष सिंह, भाजपा नेता उत्कर्ष सिंह, उमेश सिंह, नवतेज सिंह, यशजीत सिंह, अनिल सिंह, शिक्षक नेता जितेंद्र सिंह और प्रदीप सिंह समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

मैराथन के सफल आयोजन को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। धावकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए पूरे रूट पर रिफ्रेशमेंट बूथ लगाए गए थे और ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर बैरिकेडिंग की गई थी। सिकंदरपुर चौराहा, खेजुरी थाना, खड़सरा-जिगरसंड मोड़ समेत प्रमुख चौराहों पर बड़े वाहनों की आवाजाही को रोका गया था। आयोजन स्थल और मार्ग पर खेजुरी और सुखपुरा थाने की पुलिस, महिला थाना प्रभारी, अग्निशमन दल तथा आयोजन समिति के स्वयंसेवकों की मुस्तैद तैनाती रही।

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बलिया में 60 वर्षीय व्यक्ति की धारदार हथियार से मारकर हत्या!

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बलिया के गड़वार थाना क्षेत्र के ग्राम आम डरिया में दर्दनाक घटनाक्रम सामने आया है। यहां एक 60 वर्षीय व्यक्ति की सरेआम हत्या कर दी गई। इससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक, 60 वर्षीय जनार्दन राम ग्राम आर डरिया में रहते थे। बुधवार को वे शौच से लौट रहे थे। तभी गांव के राधेश्याम राम ने उन्हें गालियां देना शुरू की। इस पर जनार्दन राम ने उसे गाली देने से मना किया। इसके बाद राधेश्याम बौखला गया और उसने जनार्दन राम पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। घायल जनार्दन राम को तत्काल जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की मदद से आरोपी को हिरासत में ले लिया।

घटना की जानकारी देते हुए पीड़ित के भतीजे धनंजय ने बताया कि आरोपी राधेश्याम पहले भी हत्या कर चुका है। वह कुछ दिन पहले ही जेल से बाहर आया है। सीओ सिटी श्यामकांत ने बताया कि घायल को इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है।

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