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VIDEO- चंद्रशेखर थे सुषमा स्वराज के पहले राजनीतिक गुरु !

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कहानी बहुत पुरानी नहीं. साल 2002 के जनवरी महीने की किसी तारीख़ को मैं पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ केरल में था. वहां उनका भारत यात्रा केंद्र है. तब वहां चंद्रशेखर की उस भारत यात्रा के सहयात्रियों की बैठक होने वाली थी, जो उनके साथ साल 1983 में पैदल चले थे.

मैं उन्हीं सब बातों को देखने और चंद्रशेखर के भारत यात्रा केंद्रों की ताजा स्थिति पर लिखने के लिए उनके साथ घूम रहा था. तब के मेरे संपादक हरिवंश (संप्रति- उपसभापति, राज्यसभा) ने मुझे उस असाइनमेंट पर लगाया था. बातें एक किताब में छपने वाली थीं. सो, मैंने अपना पांच महीना उनके साथ गुज़ारा.

उस दौरान जो बातें भारत यात्रा के संदर्भ में हुईं, वे उस किताब में छप चुकी हैं. कुछ बातें, जो भारत की सियासत और यहां के राजनेताओं और इतिहास की हुईं, वे मेरे निजी संस्मरणों के तौर पर डायरी के पन्नों और दिमाग़ में क़ैद हैं. गाहे-बगाहे इन्हें लिखा भी है और इसकी चर्चाएं भी हुई हैं.

चंद्रशेखर मानते थे कि वे (सुषमा स्वराज) ग़लत पार्टी (भाजपा) में सही नेता हैं. बक़ौल चंद्रशेखर, सुषमा स्वराज की राजनीतिक पृष्ठभूमि भाजपा या आरएसएस के विचारधारा की नहीं रही थी. हालांकि, वे संघ की विचारधारा पर चलने वाले छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी रही थीं. इसके बावजूद सुषमा स्वराज और चंद्रशेखर के संबंध काफ़ी मधुर बने रहे. दोनों ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ रहते हुए भी कभी अपनी मर्यादा नहीं लांघी. इसके कई उदाहरण हैं.

चंद्रशेखर

साल 1996 में लोकसभा में तत्कालीन सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव पर बोलते हुए सुषमा स्वराज ने चंद्रशेखर को भीष्म पितामह कह कर संबोधित किया था. इसी तरह साल 2004 में सोनिया गांधी को लेकर दिए गए एक बयान को लेकर चंद्रशेखर ने सुषमा स्वराज की राज्यसभा की सदस्यता बर्ख़ास्त करने तक की मांग की. लेकिन, दोनो तरफ़ से कभी कोई अमर्यादित टिप्पणी नहीं की गई.

उन्हें जानने वाले लोग बताते हैं कि सुषमा स्वराज किसी वक़्त चंद्रशेखर को अपना मेंटोर मानती थीं. हालांकि, बाद के दिनों में वे लाल कृष्ण आडवाणी के क़रीब आ गईं और फिर भारतीय जनता पार्टी में उनका क़द काफ़ी ऊंचा होता चला गया. एक वक़्त यह भी आया कि कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं का एक वर्ग उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मानने लगा.

यह अलग बात है कि लाल कृष्ण आडवाणी की ही तरह, वे भी भारत की प्रधानमंत्री नहीं बन सकीं. साल 2019 के चुनावों में तो उन्होंने अपनी उम्मीदवारी भी छोड़ दी और घर पर स्वास्थ्य लाभ करने का निर्णय ले लिया. वे भारत की दूसरी महिला विदेश मंत्री रहीं और दूसरे मंत्रालयों में काम करते हुए भी उन्होंने अपनी विशेष छाप छोड़ी.

लेकिन, उनकी सियासी एंट्री इतनी आसान नहीं थी.

बक़ौल चंद्रशेखर, आपातकाल के बाद देश में तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार के प्रति भारी नाराज़गी थी. साल 1977 की सर्दियों में हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी बुरी तरह हार चुकी थी और जनता पार्टी का राजनीतिक अभ्युदय हुआ था. मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बन चुके थे. इसके कुछ ही महीने बाद हरियाणा में विधानसभा के चुनाव हुए. चंद्रशेखर जनता पार्टी के सांगठनिक कर्ता-धर्ता थे.

तब जनता पार्टी ने अंबाला कैंट सीट से सुषमा स्वराज को टिकट दिया और महज़ 25 साल की उम्र में चुनाव जीतकर वे पहली बार विधायक बन गईं. उनकी पार्टी के 75 विधायक चुनाव जीते. मंत्री पद की लाॉबिंग होने लगी. तब मुख्यमंत्री बने देवीलाल ने अपने मंत्रिमंडल में सिर्फ़ नौ मंत्रियों को शामिल किया. चंद्रशेखर की क़रीबी होने के कारण सुषमा स्वराज को उन नौ लोगों में स्थान मिला और वे हरियाणा सरकार की मंत्री बना दी गईं. वह उनकी पहली बड़ी राजनीतिक उपलब्धि थी.वे जनता पार्टी की हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष भी रहीं.

चंद्रशेखर, देवीलाल, वीपी सिंह, अजित सिंह, बीजू पटनायक, आरके हेगड़े

महज़ तीन साल बाद जनता पार्टी में बड़ी टूट हुई. भजनलाल ने 40 विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली. तब जनता पार्टी के सिर्फ़ चार विधायकों ने पार्टी नहीं छोड़ी. सुषमा स्वराज उनमें से एक थीं. उनके अलावा स्वामी अग्निवेश (पुंडारी), शंकर लाल (सिरसा) व बलदेव तायल (हिसार) जैसे विधायक जनता पार्टी में बने रहे.

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इसकी चर्चा करते हुए मुझसे कहा था कि ऐसी घटनाओं ने सुषमा स्वराज का राजनीतिक क़द और ऊंचा किया. वह उनकी शुरुआत थी, जो इतनी मज़बूत हुई कि बाद के दिनों में उन्होंने सफलता के कई मुक़ाम हासिल किए. इसके बाद का उनका राजनीतिक करियर सबको मालूम है.

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पंजाब में AAP ने तोड़ा गठबंधन, अकेले लड़ने का किया ऐलान

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कांग्रेस को एक और बड़ा झटका देते हुए पंजाब में आम आदमी पार्टी ने गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इस ऐलान से पहले आम आदमी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में असम की तीन सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम की गुरुवार को घोषणा की। उसने उम्मीद जताई कि विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) उन्हें इन सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति देगा।

‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने संवाददाता सम्मेलन में तीन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की। उन्होंने बताया कि डिब्रूगढ़ से मनोज धनोहर, गुवाहाटी से भावेन चौधरी और सोनितपुर से ऋषि राज को उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ‘हम एक परिपक्व गठबंधन के भागीदार हैं और हमें पूरा विश्वास है कि ‘इंडिया’ गठबंधन इसे स्वीकार करेगा. लेकिन चुनाव जीतना सबसे महत्वपूर्ण है। हम इन तीन सीट के लिए तुरंत तैयारी शुरू कर रहे है।’

पाठक ने कहा कि ‘अब सभी चीजों में तेजी लानी चाहिए. कई महीनों से बातचीत जारी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। हम मोदी सरकार के खिलाफ लड़ाई में ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ हैं। गठबंधन के संबंध में सभी फैसले तुरंत लिए जाने चाहिए।’

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लोकसभा चुनाव से पहले AAP ने किया बडे़ स्तर पर संगठन विस्तार, कई विंगों में हुई नियुक्तियां

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पंजाब में लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने संगठन विस्तार करते हुए बड़े स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्तियां की हैं। करीब 2500 से अधिक लोगों को संगठन में जगह दी गई है। कुछ दिन पहले पार्टी जॉइन करने वाले नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां मिली है।

गुरदासपुर से भाजपा छोड़ AAP में शामिल हुए स्वर्ण सलारिया को पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। जबकि डॉ. केडी सिंह और राजिंदर रीहल को स्टेट जॉइंट सेक्रेटरी लगाया गया है। वहीं, फतेहगढ़ साहिब लोकसभा हलका में कैप्टन हरजीत सिंह को लोकसभा वाइस प्रेसिडेंट नियुक्त किया है। इसके अलावा अल्पसंख्यक विंग में बड़ी नियुक्तियां की गई हैं। पार्टी का लक्ष्य सभी 13 लोकसभा सीटों को फतह करना है। क्योंकि CM भगवंत मान पहले ही पंजाब में इस बार 13-0 का नारा दे चुके हैं।

पार्टी की तरफ से जिला से लेकर स्टेट तक संगठन के सभी विंगों में नई तैनाती की गई हैं। इसमें जिला स्तर के डॉक्टर विंग, एक्स इंप्लाई विंग, स्वर्णकार विंग, ट्रांसपोर्ट विंग, इंटेक्चुअल विंग और बीसी विंग शामिल है। बीसी विंग में सबसे ज्यादा लोगों को जगह दी गई। पार्टी ने संगठन को इस तरह मजबूत किया है कि ब्लॉक व गली तक उनकी पहुंच संभव हो पाए। इससे पहले भी पार्टी इस तरह इतने बड़े स्तर पर नियुक्तियां कर चुकी है।

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अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में किया रोड शो, बोले झाड़ू का बटन दबाओगे तो मुझे जेल नहीं जाना पड़ेगा

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शराब पॉलिसी घोटाले में जमानत मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल 2 दिन के लिए पंजाब दौरे पर हैं। गुरुवार को उन्होंने अमृतसर लोकसभा सीट से AAP उम्मीदवार कुलदीप सिंह धालीवाल के समर्थन में रोड शो निकाला। इससे पहले केजरीवाल ने गोल्डन टेंपल और दुर्ग्याणा मंदिर में माथा टेका।

अरविंद केजरीवाल ने कहा- जेल से निकलकर आप के पास आ रहा हूं। मुझे झूठ केस में फंसा कर जेल में डाल दिया था। जब मान साहब मुझसे जेल में मिलने आते थे तो मैं मान साहब से यही पूछता था कि पंजाब में लोग खुश हैं या नहीं। मैं यह सोचता था कि आखिर मुझे जेल में क्यों डाला?।

हमने दिल्ली और पंजाब में बिजली माफ कर दी, इसलिए मुझे जेल में डाला। सरकारी स्कूल सुधारे, क्या इसलिए जेल में डाला। मेरा कसूर यह है कि आप के लिए मोहल्ला क्लीनिक और स्कूल बना दिए। जब मैं जेल गया तो मुझे 15 दिन इन्सुलिन नहीं दिया। ऊपर वाले की कृपा से 20 दिन के लिए मोहलत मिल गई। मैं जेल में जाऊंगा या नहीं, यह आप पर निर्भर करेगा। ऐसे में जब वोट डालने जाना तो देखना कि आप केजरीवाल की आजादी के लिए वोट डालना है या जेल भेजना है।

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