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विधानसभा’वार 2012: रामगोविंद चौधरी की जीत में ऐसा क्या था कि शिक्षा मंत्री बन गए?

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विधानसभा- बांसडीह (360)
2012 चुनाव के विजेता- राम गोविंद चौधरी (समाजवादी पार्टी)
रनर अप- केतकी सिंह (भारतीय जनता पार्टी)
जीत का अंतर- 22877

बलिया की बांसडीह विधानसभा सीट कांग्रेस की पारंपरिक सीट थी। लेकिन 2002 के बाद से कांग्रेस यहां उल्लेखनीय नहीं कर पाई। आज के विधानसभावार में हम बात करेंगे 2012 विधानसभा चुनाव के वस्तुस्थिति की। लेकिन उससे पहले इस सीट की स्थिति समझ लेते हैं। यह सीट कांग्रेस की ऐसी पारंपरिक सीट थी कि कांग्रेस के बच्चा पाठक यहां आजादी के बाद से 2002 तक लगभग लगातार विधायक रहे। 1967 में पहली बार विधायक बनने के बाद बच्चा पाठक इमरजेंसी के दौर के ठीक बाद तक उत्तर प्रदेश के सातवीं विधानसभा के लिए 1977 में चौथी बार विधायक बने। ये वो समय था जब इमरजेंसी के ठीक बाद प्रदेश में चुनाव हो रहे थे और कांग्रेस को लेकर देश भर में रोष था। इसके बाद भी बच्चा पाठक बांसडीह से जीते तो कांग्रेस हाईकमान की नज़र में आए। वह उसके बाद 1989 से 2002 तक पुन: तीन बार विधायक बने। लेकिन मंत्रालय और इतनी पुरानी लीगेसी के ठीक बाद 2002 से समाजवादी पार्टी के एक उम्मीदवार ने इस सीट से अपनी जीत दर्ज की। उम्मीदवार थे रामगोविंद चौधरी। यह सीट 2002 से ही सपा- बसपा के पास है। बीते 2017 विधानसभा में भाजपा की भारी लहर के बाद भी रामगोविंद चौधरी ने यहां से जीत दर्ज की लेकिन 2012 विधानसभा के हालात कुछ और ही थे।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अन्य कद्दावर कांग्रेस नेताओं के साथ बच्चा पाठक. तस्वीर साभार- सौरभ पाठक

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अन्य कद्दावर कांग्रेस नेताओं के साथ बच्चा पाठक. तस्वीर साभार- सौरभ पाठक

क्या थे 2012 के असली हालात
16वें विधानसभा चुनाव में 2012 का दौर उत्तर प्रदेश में सपा का था। बसपा के पांच साल के शासन के बाद सपा के लिए रास्ते आसान होते जा रहे थे। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के राम गोविंद ने भारतीय जनता पार्टी की केतकी सिंह को हराकर सफलता हासिल की थी। एसबीएसपी के दीनबंधु तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बहुजन समाज पार्टी के बड़े लाल को चौथे स्थान पर। रामगोविंद चौधरी इससे पहले बांसडीह से ही विधायक रह चुके थे। यादव और पिछड़ी जातियों वाले इस विधानसभा में सपा ने ठीक पकड़ बना ली। वस्तुस्थिति को समझने के लिए हमने बच्चा पाठक के परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य सौरभ पाठक से बात की। उन्होंने बताया,

“उस समय सपा की लहर थी। हमारे विधानसभा में बैकवर्ड वोट ज्यादा हैं। तकरीबन 60-65 प्रतिशत। बसपा से नाराज़ वोट भी रामगोविंद चौधरी को मिला और कुछ फॉरवर्ड वोट भी पाने में वो सफल रहे। कद्दावर नेता हैं और लोगों में रहते हैं जिसका लाभ उनको मिला”

विधानसभा चुनाव में बच्चा पाठक के समर्थन में रैली को संबोधित करती सोनिया गांधी। तस्वीर साभार- सौरभ पाठक

केतकी सिंह को लेकर कहा जाता रहा कि वह तब पहली बार चुनाव लड़ रही थीं और भाजपा को विकल्प के रूप में नही देखा जा रहा था। हालांकि वह दूसरे स्थान पर थी मगर जीत का अंतर लगभग 22000 वोटों का था। हमने बांसडीह विधानसभा के समाजसेवी और भाजपा नेता गोपाल जी से भी बात की। उन्होंने बताया,

“रामगोविंद चौधरी जमीनी नेता हैं अति साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और लंबे समय से बलिया की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। अपने शुरुआती दिनों में श्री मुरली मनोहर टाउन डिग्री कॉलेज के अध्यक्ष रह चुके हैं। इस सब का असर तो पड़ता ही है बाकी 2012 में रामगोविंद जी के जीत की एक दूसरी वजह सपा की लहर भी रही। उन्हें सभी जातियों के वोट मिले और वो चुनाव जीते”

 मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाने वाले रामगोविंद चौधरी आठ बार विधायक रह चुके हैं।

चंद्रशेखर और मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाने वाले रामगोविंद चौधरी आठ बार विधायक रह चुके हैं। तस्वीर साभार- सोशल मीडिया

क्या है विधानसभा की समस्याएं
इतनी हाई प्रोफाइल सीट होने के बाद भी बांसडीह विधानसभा का हाल बहुत उल्लेखनीय नहीं है। यहां से चुने जाने वाले विधायक अपने-अपने दल के कद्दावर नेता रहे हैं। बच्चा पाठक दो बार मंत्री रहे 1980 में वह PWD और सहकारिता विभाग में मंत्री बने, 1998-99 में उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय का कार्यभार संभाला। रामगोविंद चौधरी समाजवादी पार्टी की सरकार में शिक्षा मंत्री थे। अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के करीबी माने जाते हैं लेकिन बाढ़ और जलजमाव जैसी मूलभूत समस्याओं से बांसडीह अभी तक बाहर नहीं निकल सका है। बाढ़ में कटान का हाल ये है कि मनियर के आस-पास सैकड़ों एकड़ भूमि घाघरा में समा चुकी है। बांसडीह के रहने वाले छात्रनेता और समाजवादी युवजन सभा से जुड़े अतुल पांडेय बताते हैं कि बांसडीह की जनता ने नेताओं को जितना प्यार दिया प्रतिउत्तर वैसा नहीं मिल सका। अतुल बताते हैं,

‘शिक्षा मंत्री रहते हुए रामगोविंद चौधरी ने बांसडीह में तीन नए कॉलेज खोले। बांसडीह के हुसेनाबाद में पॉलटेक्निक कॉलेज, आईटीआई और आश्रम पद्धति विद्यालय का सपा सरकार में भूमि पूजन हुआ, भवन बना हुआ है लेकिन तीनों जगहें लगभग बंद के हाल में है। आईटीआई कॉलेज, हुसेनाबाद में काउंसलिंग होती है लेकिन कॉलेज मिलता है बलिया के आईटीआई में।’

स्थानीयों की मानें तो लगभग यही हाल लिंक रोड का है। अतुल बताते हैं,

“बांसडीह से गांव के भीतर जाने वाली लगभग सड़कें खस्ताहाल हैं। हुसेनाबाद, देवढ़ी या रेवती से मनियर तक बंधा रोड जर्जर हाल में है। एक पुल बन रहा था। 2014 में शिलान्यास हुआ है लेकिन अब तक बस पुल के पिलर बने हैं इसके आगे कुछ नहीं हो सका है।”

खेती-किसानी पर निर्भर बांसडीह के मुख्य नहर की सफाई भी लंबे समय से नहीं हुई है। अगऊर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को रामगोविंद चौधरी ने गोद ले रखा है। मगर दो बार से लगातार विधायक रहने के बाद भी बीस बेड का वह अस्पताल बस कहने को रह गया है। दवाई और स्टाफ की कमी से जूझ रहे उस अस्पताल में कोविड के दूसरे वेव में के बाद भी प्रशासन और नेताओं का ध्यान नहीं गया है। ध्यान रहे कि यह समस्याएं 2012 से बनी हुई हैं।


बलिया खबर के पाठकों, ये है हमारा नया कार्यक्रम विधानसभा’वार । इस कार्यक्रम में हम जिले की सभी विधानसभाओं पर  2007 से लेकर अब तक के सभी  विधानसभा चुनावों पर विस्तृत रिपोर्ट करेंगे। इसके माध्यम से तत्कालीन चुनावी परिस्थितियों, स्थानीय मुद्दों और विजयी प्रत्याशी के राजनीतिक जीवन का ब्योरा देंगे। आप अपने सुझाव balliakhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं।


यह भी पढ़ें: रामगोविंद चौधरी: जिले में चंद्रशेखर के बाद समाजवाद का चेहरा!

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स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी के योगदान और उनके जीवन के आदर्शों को सच्ची श्रद्धांजलि

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मुजौना के पूर्व प्रधान श्री धर्मजीत सिंह जी (पति – स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी) बताते हैं कि, “मैं 17 साल तक प्रधान रहा और मेरी धर्मपत्नी 5 वर्ष तक प्रधान पद पर रहीं। उनका गांववासियों के साथ व्यवहार हमेशा एक परिवार की तरह था।” इसके बाद, श्री सिंह एक महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख करते हुए बताते हैं, “1980 के दशक में भारत सरकार की पुनर्वास योजना के तहत, लगभग 20 बिगहा ग्राम समाज की भूमि पर गांववासियों को बसाने की प्रेरणा मुझे मेरी धर्मपत्नी से मिली। यह सरकारी योजना थी, लेकिन उस समय कई बाधाएं भी सामने आईं। बावजूद इसके, मुझे जो आत्मबल और सहयोग उनसे मिला, वह एक अनमोल अनुभव था।”

वह आगे कहते हैं, “गांववासियों का जो स्नेह हमें मिला, वह अभूतपूर्व था। प्रत्येक वर्ष जरूरतमंदों के बीच वस्त्र वितरण से लेकर आवश्यक सामग्रियों का वितरण, यह उनकी प्राथमिकता रही।”

स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी के ज्येष्ठ पुत्र, ब्लाक प्रमुख (सीयर) श्री आलोक कुमार सिंह कहते हैं, “2015 में मैंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत मां की प्रेरणा से की। कर्मभूमि के रूप में मैंने अपनी जन्मभूमि को चुना और गांव का प्रधान बना।” एक किस्सा साझा करते हुए श्री सिंह कहते हैं, “मेरे कार्यकाल में जब सभी गांववासियों के आवास बन रहे थे, तो मां ने खुशी जताते हुए कहा, ‘यह मेरी अधूरी इच्छा थी, जो अब पूरी हो रही है।’ मां की इच्छा थी कि गांव का हर परिवार मूलभूत सुविधाओं से युक्त हो, और इसका सबसे बड़ा कारण था कि उनका गांववासियों के साथ एक विशेष पारिवारिक रिश्ता था।”

इसके बाद, जब सीट आरक्षित हुई, तो श्री सिंह के पारिवारिक सहयोगी श्री देवनाथ राजभर की धर्मपत्नी, श्रीमती गीता राजभर प्रधान बनीं। मां की ही इच्छा थी कि श्रीमती राजभर ग्राम प्रधान के रूप में चुनाव लड़े। उनके प्रधान बनने के बाद भी, गांववासियों के प्रति विकास और सहयोग की रफ्तार पहले की तरह बनी रही।

श्री अनूप सिंह “मंटू”, छोटे पुत्र और महादेव कंस्ट्रक्शन के प्रबंध निदेशक, बताते हैं, “मेरी मां का जन्म एक बड़े, कुलीन और सांस्कारिक परिवार में हुआ था, जिससे उन्हें परिवार को एकजुट रखने और रिश्तों में समन्वय स्थापित करने की अद्भुत क्षमता विरासत में मिली। वह सादगी, सद्भाव, विनम्रता और करुणा की प्रतिमूर्ति थीं। हमारी परवरिश में, परिवार को एकीकृत करने और एक आदर्श परिवार की स्थापना में उनके संस्कार स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते हैं। हम सभी उनके विचारों को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे, और वह हमेशा हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगी।” 

स्मृति शेष उद्गार
स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी की याद में

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यूपी कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण फैसले, बलिया में मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए 14.08 एकड़ भूमि को मिली मंजूरी

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें 19 प्रस्तावों पर मुहर लगी। इस बैठक के बाद वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर इन फैसलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि बलिया जिले में मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए 14.08 एकड़ भूमि को चिकित्सा शिक्षा विभाग को निशुल्क हस्तांतरित करने की मंजूरी दी गई है। इसमें से 12.39 एकड़ भूमि पर मेडिकल कॉलेज बनेगा, जबकि लगभग 2 एकड़ भूमि पर स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडे की मूर्ति स्थापित की जाएगी और उसका सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा। इस मेडिकल कॉलेज का नाम स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडे के नाम पर रखा जाएगा, जो देश की आज़ादी के संघर्ष में अहम योगदान के लिए याद किए जाते हैं।

इसके साथ ही, सैफई स्थित आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में 300 बेड वाले गायनी ब्लॉक के निर्माण को लेकर वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है। सैफई मेडिकल कॉलेज के लिए 1 अरब 76 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, जिसके तहत वहां अतिरिक्त 300 बेड जोड़े जाएंगे।

इसके अलावा, बुलंदशहर में एक नया नर्सिंग कॉलेज खोला जाएगा और राष्ट्रीय कृषि विद्यालय की 4570 वर्गमीटर भूमि को भी चिकित्सा शिक्षा विभाग को निशुल्क हस्तांतरित किया जाएगा आगरा मेट्रो परियोजना के तहत, मेट्रो डिपो के निर्माण के लिए गृह विभाग की भूमि को शहरी नियोजन विभाग के पक्ष में निशुल्क हस्तांतरण की मंजूरी दी गई।

किसानों के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, योगी सरकार ने गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की घोषणा की है। रबी विपणन वर्ष 2025-26 के तहत गेहूं का MSP अब 2425 रुपये प्रति क्विंटल होगा, जो कि 17 मार्च से 15 जून तक लागू रहेगा।

 

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बलिया की फेफना पुलिस ने दुष्कर्म के वांछित अभियुक्त को किया गिरफ्तार

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बलिया की फेफना पुलिस ने शनिवार को दुष्कर्म के मामले में वांछित अभियुक्त को मन्नोपुर गांव के पास गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ संबंधित धाराओं में कार्रवाई करते हुए उसे न्यायालय में पेश किया।

इस मामले की जानकारी देते हुए थाना प्रभारी अजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि विजय शंकर यादव, निवासी मन्नोपुर ने एक तहरीर दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ज्ञान प्रकाश यादव उर्फ अंकुश यादव, पुत्र रामजी यादव, निवासी मन्नोपुर (खलीलपुर), उम्र लगभग 22 वर्ष ने एक नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर भगा लिया था। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत किया था और आरोपी की तलाश शुरू कर दी थी।

विवेचना के दौरान, पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली, जिसके आधार पर अभियुक्त को मन्नोपुर स्थित पोल्ट्री फार्म के पास से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने आवश्यक कानूनी कार्रवाई करते हुए आरोपी को न्यायालय भेज दिया। इस गिरफ्तारी में उ.नि. वकील सिंह और आरक्षी सुरेन्द्र कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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