उत्तर प्रदेश
कौन होते हैं लेखपाल? इनकी नौकरी लेनें पर क्यों तुली है सरकार? जानें 10 महतवपूर्ण बातें

उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों के लेखपाल वेतन बढ़ाने को लेकर हड़ताल पर हैं, तहसीलों में किसी प्रकार का प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है, विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल चल रही है। हड़ताल को खत्म करने के लिए योगी सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। संबंधित जिला प्रशासन द्वारा लेखपालों को सस्पेंड करने व बर्खास्तगी की नोटिस जारी की जा रही है।
क्या हैं लेखपालों के काम – सरकार की हर योजना को समाज के सबसे निचले स्तर के व्यक्ति तक पहुंचाना। आग लगने, बाढ़ आने पर भी उसे गांव जाना है। गांव की जमीन पर कोई अवैध कब्जा भी उसे ही हटवाना है, वह ट्रैक्टर जेसीबी कहां से लाएगा, सरकार को इससे कोई मतलब नहीं है। खेतों की पैमाइश, मेड़बंदी, फसल का हिसाब, गांव को ODF कराना, आवास दिलवाना, पेंशन दिलवाना, चुनाव ड्यूटी, जनगणना ड्यूटी, ऋणमाफी जैसे सारे काम करने होते हैं।
आखिर क्या है मामला 10 पॉइंट में जानें
1– लेखपालों ने पिछले कई दिनों से सरकार विरोधी मोर्चा खोल रखा है।
2– लेखपाल वेतन उच्चीकरण, एसीपी विसंगति, विशेष वेतन भत्ता, मोटर साइकिल और स्टेशनरी भत्ता, भत्तों के देय व पदनाम उप राजस्व निरीक्षक समेत आठ सूत्रीय मांगें सरकार से पूरी करने की मांग कर रहे हैं। लेखपालों की मांग है कि उन्हें लैपटॉप और स्मार्टफोन दिया जाए, जिसका सपना उन्हें सबकुछ डिजिटल करने से पहले ही आज से करीब 7-8 साल पूर्व दिखाया गया था।
3– कर्मचारी संगठनों का समर्थन लेखपालों कर्मचारियों के प्रदर्शन को के कई संगठनों समर्थन दिया है।
4– राजस्व निरीक्षक संघ, ग्राम विकास अधिकारी संघ, अमीन संवर्ग संघ, शिक्षक संघ का भी समर्थन लेखपाल संवर्ग को मिल गया है। लेकिन अब सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के बाद सबका साथ टिके रहना असंभव है।
5– लेखपालों की हड़ताल को सरकार ने अवैध बताते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी।
6– चेतावनी का असर नहीं हुआ तो सरकार ने बस्ता जमा कराने का प्रयास किया था, लेकिन यह ट्रिक भी विफल रही और लेखपाल हड़ताल से पीछे नहीं हटे।
7– मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे के जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग की और बड़ा फैसला लेते हुये हड़ताल कर रहे लेखपालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
8– लेखपाल भी अब समय देने के मूड में नहीं हैं इस बार उन्होंने सरकार से सीधे आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है
9– सीएम योगी ने हड़ताल शुरू होने से पहले ही इस पर बेहद सख्त रुख अपनाया था और सख्त हिदायत दी थी कि हड़ताल पर जानेवालों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
10- योगी सरकार ने जैसा कहा था, वैसा कर भी रहे हैं। अब तक सैकड़ों लेखपालों की नौकरी ले चुके हैं, सैकड़ों निलंबित किए जा चुके हैं और गिरफ्तार किए जा चुके हैं।













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बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख की बेटी की हाई-प्रोफाइल शादी, सियासी दिग्गज और फिल्मी सितारों का जमावड़ा

बलिया के इस ब्लॉकप्रमुख की बेटी के शादी में पहुंचे बड़े-बड़े दिग्गज, फ़िल्मी सितारों से लेकर, सांसद तक, अधिकारी से लेकर सुपरस्टार तक लखनऊ की इस शादी में सबका जमावड़ा, निरहुआ’ और खेसारी ने बनाया माहौल, पुरे यूपी में होने लगी बलिया के इस बेटी की शादी की चर्चा !
आमतौर पर चुनावी मंचों पर एक-दूसरे पर निशाना साधने वाले नेताओं को लखनऊ में हो रही एक शादी में हंसी-मजाक करते देखा गया जिसकी वजह से यह शादी इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई है।
बलिया के सीयर ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह की बेटी की शादी लखनऊ के दयालबाग में आयोजित की गई थी। इस शादी समारोह में सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक की तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हुई।
माहौल ऐसा था, मानो कोई बड़ा सियासी सम्मेलन हो रहा हो। शादी में हर पार्टी के दिग्गज एक छत के नीचे बैठे थे और सब राजनीति छोड़ हंसी-मजाक कर रहे थे।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक भी दयालबाग पहुचे। शादी में उन्होंने वर-वधू को आशीर्वाद दिया और सबसे भेट मुलाकात की।महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर वामन कुले ने भी वर वधु को आशीर्वाद दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह भी इस शादी में पहुंचे। इनके अलावा, बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेश सिंह दयाल, राज्यसभा सांसद नीरज शेखर जी की धर्मपत्नी श्री मति सुषमा शेखर ,पूर्व मंत्री उपेन्द्र तिवारी ,समाजवादी पार्टी के सांसद रमाशंकर विद्यार्थी, पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष बलिया, संजय यादव और धन्नजय कन्नौजिया , विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों के MD समेत विभिन्न दिगज्ज भी इस खास मौके का हिस्सा बने।
इस अवसर पर पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के पुत्र विपुलेंद्र सिंह मस्त की भी प्रभावी उपस्थिति रही तथा उन्होंने पारिवारिक सदस्य की तरह सभी अतिथियों का स्वागत किया।
इस शादी में प्रशासनिक और फिल्मी जगत के लोग उपस्थित थे। भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और खेसारी लाल यादव भी शादी में नजर आये। दोनों ने लखनऊ के दयालबाग में हो रहे इस शादी की रौनक को और बढ़ा दिया। इनके साथ बाबा कीनाराम आश्रम वाराणसी के पीठाधीश्वर सिद्धार्थ गौतम राम जी ने भी नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया।
शादी की सबसे खास बात ये रही कि इसे पूरी तरह से भव्य अंदाज में आयोजित किया गया। शानदार सजावट से लेकर बढ़िया खान-पान तक, हर चीज़ पर खास ध्यान दिया गया था। गायक कलाकारों ने अपने जबरदस्त परफॉर्मेंस से समां बांध दिया। शानदार कार्यक्रमों में मेहमान जमकर तालियां बजाते दिखाई दिए।
आलोक कुमार सिंह के छोटे भाई अनूप कुमार सिंह मेहमानों की आवभगत कर रहे थे और हर एक अतिथि को खास महसूस करने में जुटे थे। अब बलिया के सीयर ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह की बेटी की इस हाई-प्रोफाइलशादी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रही हैं।
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20 दिन बाद भी फरार है बलिया का ये BJP का ब्लॉक प्रमुख ! गिरफ्तारी में देरी क्यों ? सड़को पर उतरे वकील


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बलिया बीजेपी में नहीं है ‘सब चंगा सी’ !

लोकसभा चुनाव-2024 का आगाज हो चुका है. पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो चुकी है. सबसे आखिरी चरण यानी सातवें चरण में 1 जून को बलिया में भी मतदान होगा. ज़ाहिर है चुनाव को लेकर बलिया की सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं. लेकिन सियासी गलियारे में सबसे ज्यादा चर्चा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की है.
बलिया में बीजेपी की चर्चा की वजह जीत नहीं, बल्कि भीतरखाने चल रही खींचतान है. टिकट बंटवारे से लेकर लोकल लीडर्स तक की अनदेखी ने जिले के कई बीजेपी नेताओं को नाराज़ और असहज कर दिया है. ऐसे तीन घटनाओं के जरिए इस अंदरूनी कलह की कलई खोली जा सकती है.
‘मस्त’ आउट, नीरज शेखर को टिकट:
2019 में बलिया लोकसभा सीट से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. ‘मस्त’ और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि एक बार फिर पार्टी उन्हें टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टिकट मिल गया पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और बीजेपी के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को. बताते चलें कि 2007 के उपचुनाव और फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा की टिकट पर ही नीरज शेखर सांसद बने थे. 2014 में भी सपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया लेकिन बीजेपी के भरत सिंह से हार गए. 2019 में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.
महज पांच साल के भाजपाई और पूर्व समाजवादी नेता को टिकट देने से बलिया बीजेपी के नेता खुश नहीं दिखे. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नीरज को टिकट मिलने पर गर्मजोशी दिखाई. हालांकि औपचारिकता के तौर पर टिकट मिलने के अगले ही दिन वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ से मुलाकात करने जरूर पहुंचे थे.
आनंद स्वरूप शुक्ला का फेसबुक पोस्ट:
17 अप्रैल को बलिया सदर से बीजेपी के पूर्व विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया. आनंद स्वरूप ने लिखा है, “…2022 के विधानसभा चुनाव में आश्चर्यजनक अज्ञात व ज्ञात कारणों से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने मुझे मेरी जन्मभूमि व कर्मभूमि बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र से स्थानान्तरित कर आपके बैरिया विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया.”
इस पोस्ट में आगे वह लिखते हैं कि किन्हीं वजहों से बैरिया से उनकी हार हो गई. आनंद स्वरूप शुक्ला इसके बाद एक ऐलान करते हैं, “चुनाव परिणाम के पश्चात पार्टी नेतृत्व को मैंने अवगत कराया कि अब आगे मैं कभी भी बैरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ूंगा.” यानी कि पूर्व विधायक और यूपी की योगी सरकार के पूर्व मंत्री ने साफ घोषणा कर दी वह कभी भी बैरिया से चुनाव नहीं लड़ेंगे.
इस कलह को समझने के लिए बैरिया का बैकग्राउंड समझने की जरूरत है. आनंद स्वरूप शुक्ला 2017 में बलिया सदर से विधायक बने थे. बैरिया से विधायक बने थे सुरेंद्र सिंह. लेकिन 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बलिया सदर से दयाशंकर सिंह को टिकट दे दिया. आनंद स्वरूप शुक्ला को ट्रांसफर किया गया बैरिया. और सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया. नतीजा ये हुआ कि सुरेंद्र सिंह बागी हो गए. चुनाव का रिजल्ट आया तो बीजेपी बैरिया सीट गंवा चुकी थी.
सुरेंद्र सिंह एक बार बीजेपी वापसी कर चुके हैं. माना जा रहा है कि इसलिए उन्होंने खुद को हमेशा के लिए बैरिया से दूर कर लिया है. लेकिन विधायकी हारने के कोफ्त से उपजी लड़ाई अब तक जारी है और इसका असर अब लोकसभा चुनाव पर पड़ रहा है. दोनों ही खेमे फिलहाल तो बलिया में पार्टी के प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं.
उपेंद्र तिवारी और सपा की बातचीत की ख़बरें:
बलिया में बीजेपी के एक और ब्राह्मण चेहरा हैं उपेंद्र तिवारी. 2017 में फेफना से विधायक थे. योगी सरकार में इनके नाम से भी मंत्री पद नत्थी था. 2022 में चुनाव हार गए. बलिया सीट से उपेंद्र तिवारी भी दावेदारी कर रहे थे. बीजेपी से टिकट मिलने की रेस में वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ और नीरज शेखर के अलावा उपेंद्र तिवारी को भी बताया जा रहा था. जब पार्टी ने यहां से नीरज को टिकट दे दिया तो उपेंद्र तिवारी को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गईं.
अख़बारों ने साफ-साफ छापा कि सपा की ओर से बलिया में उपेंद्र तिवारी या अतुल राय को टिकट दिए जाने की उम्मीद है. चौक-चौराहों पर भी चर्चा थी कि उपेंद्र तिवारी सपा के लिए माकूल साबित हो सकते हैं. आख़िर कैसे? चर्चा चली कि घोसी से राजीव राय को टिकट मिलने के बाद बलिया से भी सवर्ण को टिकट देना अखिलेश के जातिगत इंजीनियरिंग में सेट नहीं हो पा रहा था. और ऐसे में उपेंद्र तिवारी को टिकट नहीं मिला.
हालांकि 20 अप्रैल को उपेंद्र तिवारी ने इसी ख़बर की कटिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी एक तस्वीर फेसबुक पर शेयर की. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस ख़बर का खंडन किया. उपेंद्र तिवारी ने भले ही सपा से टिकट मिलने की ख़बरों का खंडन कर दिया हो लेकिन ये चर्चाएं बीजेपी के खिलाफ ही काम कर रही हैं और पार्टी के समर्थन में बट्टा लगा रही हैं.
बलिया के बड़े बीजेपी नेताओं का असंतोष और फिलहाल अपने प्रत्याशी के साथ ना दिखना लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाता दिख रहा है. हालांकि पार्टी से जुड़े जिले के एक नेता बलिया ख़बर से नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “बड़ी पार्टियों में ये सब होता रहता है. लेकिन बीजेपी बहुत अलग किस्म की पार्टी है. यहां निजी हित को किनारे रखकर पार्टी हित में काम होता है. अपनी-अपनी नाराज़गी की वजहें हो सकती हैं, लेकिन सभी नेता-कार्यकर्ता आलाकमान के फैसले के साथ खड़ा है और नीरज शेखर के लिए लगा है. आने वाले दिनों में आप सभी नेताओं को एक साथ मंच पर देखेंगे.”