बलिया
बलिया के रेवती क्षेत्र में रिहायशी झोपड़ियों में लगी आग, लोगों की मदद को आगे आए समाजसेवी निर्भय नारायण सिंह

बलिया के रेवती स्थानीय थाना क्षेत्र के लमुही ग्राम सभा के लाली के डेरा में आगजनी की गंभीर घटना सामने आई। यहाँ 11 रिहायशी झोपड़ियां जलकर खाक हो गई। इस पूरी घटना से इलाके में सनसनी फ़ैल गई। वहीं ग्रामीणों ने आपसी रंजिश के तहत आग लगाने के आरोप लगाए हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि रात करीब 9 बजे एक वकील के घर में आग लगी। देखते ही देखते बाकी घरों में आग फैलना शुरू हो गई। आग की लपटें बढ़ती देख इलाके के लोग इकठ्ठे हुए और आग बुझाने की कोशिश की लेकिन तब तक 11 झोपड़ियां जल कर खाक हो चुकी थी। ग्रामीण सुरेंद्र बिन्द, वकील बिन्द, जय प्रकाश बिन्द, नन्द जी बिन्द एवं गणेश बिन्द आदि लोगों का घर बुरी तरह जल गया। ग्रामीणों की शिकायत के बाद पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है।
वहीं इस घटना के सामने आने के बाद बलिया जनपद के प्रखर एवं सच्चे समाजसेवी, श्री निर्भय नारायण सिंह जी लोगों की मदद के लिए आगे आए। आनन फानन में “टीम निर्भय” सारा कामधाम छोड़कर बनारस से मौके पर पहुँचकर यथासंभव राहत सामग्री पहुंचाने का काम किया। समय पर मदद पाकर लोग निर्भय सिंह को धन्यवाद देते हुए नज़र आए।













बलिया
बलिया में गंगा स्नान के दौरान हादसा, युवक डूबा, तलाश जारी

बलिया के शिवपुर घाट पर शुक्रवार को गंगा स्नान के दौरान एक दर्दनाक हादसा हो गया। बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आकाश साहू गंगा में नहाते समय गहरे पानी में डूब गए।
बताया जा रहा है कि आकाश पिछले दो-तीन महीनों से दुबहर थाना क्षेत्र के माधवमठ गांव में अपने रिश्तेदार गोवर्धन साहू के घर ठहरे हुए थे। शुक्रवार को वह अपने एक अन्य रिश्तेदार के साथ श्रीरामपुर घाट पर गंगा स्नान करने पहुंचे थे। स्नान के दौरान अचानक संतुलन बिगड़ने से वह गहरे पानी में चले गए और देखते ही देखते लापता हो गए।
घटना की खबर मिलते ही घाट पर अफरा-तफरी मच गई। आसपास के लोग और आकाश के परिजन चीख-पुकार करते हुए मौके पर पहुंच गए। पुलिस भी तत्काल घटनास्थल पर पहुंची और स्थानीय मल्लाहों तथा ग्रामीणों की मदद से युवक की तलाश शुरू कर दी गई। हालांकि, काफी देर तक प्रयासों के बावजूद आकाश का कुछ पता नहीं चल सका।
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बलिया में विवाह समारोह के दौरान मारपीट, धारदार हथियार से हमला कर एक युवक घायल

बलिया जिले के बेल्थरा रोड क्षेत्र के एक्सार चौकिया गांव में शुक्रवार देर रात एक शादी समारोह के दौरान विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। सुरेन्द्र गोंड के पुत्र सागर के वरक्षा कार्यक्रम के दौरान दो भाइयों के बीच कहासुनी हो गई, जो बाद में झगड़े में बदल गई।
झगड़े को शांत कराने की कोशिश कर रहे 28 वर्षीय परशुराम पर एक पक्ष ने धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने घायल परशुराम को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीयर पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
परिजन उन्हें बेहतर इलाज के लिए मऊ स्थित एक निजी अस्पताल ले गए, जहां शनिवार को उनका इलाज जारी है। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है और मामले की तहकीकात जारी है।
बलिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के एसपी के हलफनामे की भाषा पर जताई नाराजगी, न्यायालय की गरिमा बनाए रखने की दी सलाह

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ओमवीर सिंह द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र की भाषा पर गंभीर आपत्ति जताते हुए उसे अनुचित और न्यायालय की मर्यादा के प्रतिकूल बताया है। अदालत ने भविष्य में अधिक सावधानी बरतने और भाषा में आवश्यक सुधार लाने की सख्त हिदायत दी है।
एसपी सिंह ने अपने हलफनामे में लिखा था कि पुलिस बल ‘किसी अदालत के किसी आदेश’ के अनुपालन में उपलब्ध कराया जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायालय कोई सामान्य संस्था नहीं है, बल्कि एक गरिमामयी संस्था है, जिसे ‘किसी अदालत’ कहकर संबोधित करना अनुचित है। इसे स्पष्ट रूप से ‘जनपद न्यायाधीश बलिया’ या ‘सिविल जज (सीनियर डिवीजन) बलिया’ कहकर संबोधित किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने आगे समझाया कि तहसीलदार, जो कि सहायक कलेक्टर होता है, एसपी का अधीनस्थ नहीं होता। यदि तहसीलदार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करता है, तो उसे पुलिस बल की आवश्यकता की जानकारी एसपी को औपचारिक मांग पत्र के माध्यम से देनी चाहिए। इसके बाद एसपी को स्वयं यह तय करना होगा कि कितनी पुलिस बल की आवश्यकता है, ताकि राज्य को आदेशों के क्रियान्वयन में किसी तरह की शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े।
एसपी बलिया को न केवल भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी दी गई है, बल्कि उनसे एक बेहतर और उपयुक्त भाषा में नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश भी दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 9 मई की दोपहर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बलिया के रसड़ा निवासी गजेंद्र उर्फ धर्मात्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। तहसीलदार रसड़ा ने अदालत के निर्देश पर मौके का निरीक्षण कर अतिक्रमण हटाने की कोशिश की, लेकिन पत्थरबाजी के कारण वह कार्रवाई अधूरी रह गई।
तहसीलदार ने अदालत को बताया कि उन्हें पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके चलते अतिक्रमण नहीं हट पाया। इस पर अदालत ने एसपी से जवाब मांगा था।
अपने शपथपत्र में एसपी ने कहा कि तहसीलदार ने 26 मई को अतिक्रमण हटाने की तिथि तय की थी और 3 मई को पुलिस बल की मांग का पत्र कोतवाली को भेजा गया था। उस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है और 26 मई को पुलिस बल भी प्रदान किया जाएगा।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इस हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा कि एफआईआर तो कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज की गई है, यह कोई विशेष उपलब्धि नहीं है। अदालत ने एसपी को निर्देश दिया कि वे एक संशोधित, उपयुक्त और गरिमामयी हलफनामा प्रस्तुत करें।
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