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बलिया स्पेशल

बलिया के गौरवशाली इतिहास को जानने के लिए पढ़ें अमन बरनवाल का ये लेख

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बलिया डेस्क : बलिया की नई प्रतिभाओं में एक नाम अमन बरनवाल का भी है। अमन एक शानदार लेखक हैं। महज़ 24 साल की उम्र में अमन एक पुस्तक के लेखन के साथ ही देश – दुनिया के कई अहम मुद्दों पर लेख लिख चुके हैं। हाल ही में उन्होंने बलिया के गौरवशाली इतिहास और ज़िले की मौजूदा समस्याओं को लेकर एक बेहतरीन लेख लिखा है।

इस लेख का शीर्षक ‘story at ballia’ है। अमन ने अपने इस लेख में बलिया की ऐतिहासिक, राजनीतिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक विशिष्टता का कम शब्दों में ही शानदार उल्लेख किया है। उन्होंने लेख में बलिया की मौजूदा स्थिति पर भी चिंता व्यक्ति की है। उनके मुताबिक़, जिस बलिया ने भारत को कई महान हस्तियां देकर उसके गौरव को बढ़ाया, वो आज बेरोज़गारी जैसी बड़ी समस्या से जूझ रहा है, जिसका निस्तारण किया जाना बेहद ज़रूरी है।

बलिया खबर को अमन का ये लेख काफ़ी पसंद आया है। आप भी इस लेख को पढ़ें –

‘मंगल’ मस्ती में चूर चलल
पहिला बागी मशहूर चलल
गोरन का पलटनि का आगे
बलिया के बांका शूर चलल

उपरोक्त पंक्तियाँ बलिया जिले के प्रभावशाली ऐतिहासिक महत्व को व्यक्त करने के लिए काफ़ी हैं .अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध बाग़ी रूख के कारण बलिया को 1 November 1879 को अंग्रेज़ी हुकूमत के द्वारा ग़ाज़ीपुर से अलग कर दिया गया . बलिया की धरती अपने आप में ऐतिहासिक , राजनीतिक , साहित्यिक तथा सांस्कृतिक विशिष्टता समेटे हुए है.

प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नायक मंगल पांडे का जन्म इसी क्रांतिकारी धरती पर हुआ था .बलिया की क्रांतिकारी प्रवृत्ति का अंदाज़ा इसी बात से हम लगा सकते हैं की सम्पूर्ण भारतवर्ष में सबसे पहले 19 aug 1942 को चित्तु पांडे के नेतृत्व में बलिया को स्वतंत्रता मिली थी.

यदि बलिया जिले के राजनीतिक महत्ता की बात करें तो बलिया ने भारतवर्ष को कई सारे राजनीतिक नगीने भी दिए हैं. अपने कुशल वाकपटूता के लिए प्रसिद्ध ,भारत के पहले समाजवादी प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ,प्रख्यात समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र और लोक नायक जयप्रकाश नारायण जैसे राजनीतिक धुरंधरो की जन्मभूमि बलिया ही थी.

ऐतिहासिक ददरी मेले के कारण बलिया अपने सांस्कृतिक महत्व को भी राष्ट्रीय फलक पर स्थापित किए हुआ है. हिंदी साहित्य जगत में अपनी लेखनी के द्वारा एक अलग छाप छोड़ने वाले डॉक्टर केदारनाथ सिंह, भगवत शरण उपाध्याय, डाक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे महान हस्तियों की जन्मस्थली बलिया ही है.

बलिया की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार से है कि यह उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर का अंतिम ज़िला है .यदि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से राज्य सरकार और केंद्र सरकार में बलिया के राजनीतिक प्रतिनिधित्व की बात की जाए तो प्रारम्भ से लेकर आज तक दोनो सरकारों में जिले का विशिष्ट प्रतिनिधित्व हमेशा से रहा है , किंतु कुछ समस्याओ का समाधान आज तक सम्भव नही हो पाया.

35 लाख की आबादी वाले बलिया में आर्सेनिक युक्त जल की समस्या एक प्रमुख समस्या है .जिले का एक बहुत बड़ा हिस्सा बाढ़ की समस्या से भी ग्रसित रहता है .इसके अतिरिक्त स्वतंत्रता प्राप्ति के 70 वर्ष बाद भी रोज़गार प्राप्ति के पर्याप्त अवसर न होने के कारण यहाँ के युवा सुदूर महानगरों में प्रवसन के लिए मजबूर हैं. इन सभी समस्याओं का समाधान अत्यंत ही आवश्यक है.

कौन हैं अमन बरनवाल?- 24 वर्षीय अमन बरनवाल बिल्थरा रोड के रहने वाले हैं। लेखन में रुचि के साथ ही उनकी दिलचस्पी ज़िले को बेहतर बनाने में भी है, इसीलिए वो दिल्ली की चाणक्य आईएएस एकेडमी से लोक सेवा की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई बलिया से ही की है। वो पॉलिटिकल साइंस में स्नातक हैं।

एक व्यवसायिक घराने में जन्म लेने के बावजूद अमन की रुचि व्यवसाय में नहीं बल्कि लेखन में रही। उन्हें बचपन से ही लिखने का शौक रहा है। वो ऐतिहासिक, समाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अक्सर लेख लिखते रहते हैं। वो ‘’यादों का कारवाँ‘’ नाम की एक पुस्तक भी लिख चुके हैं, जिसे राजमंगल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। आप इस किताब को ऑनलाइन अमेज़न से भी खरीद सकते हैं।

(बलिया ख़बर आपकी आवाज़ है. हम आम लोगों की आवाज़ उठाते हैं. आपकी बात करते हैं. नौजवानों के हौसले को सलाम करते हैं. अगर आप के पास भी ऐसी ही कोई स्टोरी हो तो हमें बताएं. हम उसे अपने प्लेटफ़ॉर्म पर जगह देंगे)

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20 दिन बाद भी फरार है बलिया का ये BJP का ब्लॉक प्रमुख ! गिरफ्तारी में देरी क्यों ? सड़को पर उतरे वकील

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प्रयागराज के मशहूर वकील अखिलेश शुक्ला की हत्या के बाद जिस तरह से मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह की गिरफ्तारी में देरी हो रही है, उसने पुलिस की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वजह है कि पुलिस अभी तक उसे पकड़ नहीं पाई है? कहीं यह बीजेपी से उसके जुड़े होने और राजनीतिक पहुंच की वजह से तो नहीं हो रहा?
रविवार को वकीलों ने म्योहाल चौराहे पर जबरदस्त प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला रोकने की मांग कर दी। उनका कहना था कि इतने दिनों बाद भी मुख्य आरोपी फरार है, तो पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा कैसे किया जाए? पुलिस बार-बार आश्वासन दे रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
कौन है अतुल प्रताप सिंह?
अतुल प्रताप सिंह बलिया जिले से बीजेपी का गड़वार ब्लॉक प्रमुख है। पहले से ही उस पर कई गंभीर मामले दर्ज है, फिर भी वह खुलेआम घूम रहा है।  पुलिस ने भले ही उस पर 5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हो, लेकिन सवाल है कि क्या यह इनाम भी सिर्फ औपचारिकता है? क्या राजनीतिक दबाव की वजह से पुलिस धीमी कार्रवाई कर रही है?
सड़क पर उतरे वकील !
रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हेलीकॉप्टर जैसे ही पुलिस लाइन ग्राउंड पर उतरा, बड़ी संख्या में वकील महाराणा प्रताप चौराहे पर इकट्ठा हो गए। इसी रास्ते से सीएम का काफिला गुजरने वाला था। वकीलों ने ठान लिया था कि वे मुख्यमंत्री का काफिला रोककर अपनी नाराजगी जताएंगे और पत्रक सौंपेंगे। फिर क्या था ? अफसरों के माथे पर पसीना आ गया कि अगर काफिला रुका, तो सीधा यही मैसेज जाएगा कि यूपी में कानून व्यवस्था फेल हो चुकी है।
वकील इस बात से नाराज़ हैं कि अगर उनके कम्युनिटी के एक सीनियर मेंबर के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों की सिक्योरिटी का क्या होगा? उन्होंने मुख्यमंत्री का काफिला रोकने की कोशिश तो की और अपनी मांगें सामने रखने के लिए प्रदर्शन किया। लेकिन यूपी पुलिस हमेशा की तरह प्रदर्शनकारियों को रोकने में कामयाब रही और एक बार फिर आश्वाशन देकर उन्हें वापस भेज दिया गया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस कमिश्नर मौके पर पहुंचे। उन्होंने वकीलों को भरोसा दिलाया कि आरोपी की जल्द गिरफ्तारी होगी।
17 नवंबर को क्या हुआ था ?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में हुए हमले ने प्रयागराज को हिला कर रख दिया था। अधिवक्ता अखिलेश शुक्ला पर लाठी-डंडों और असलहे से हमला हुआ। उन्हें इतना मारा गया कि वह अधमरे हो गए। तीन दिन तक वह जिंदगी और मौत से जूझते रहे और 20 नवंबर को लखनऊ में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी निखिल सिंह और तीन अन्य को जेल भेज दिया है। लेकिन अतुल प्रताप सिंह अभी तक फरार है।
इस मामले में बसंतपुर का दुर्गेश सिंह और रामपुर का प्रिंस सिंह पहले ही सरेंडर कर चुके हैं। लेकिन अतुल प्रताप सिंह और उसका ड्राइवर अजय यादव अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस का कहना है कि वह छापेमारी कर रही है, लेकिन जब सबकुछ पता है—नाम, पता और पहचान—तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
सवाल यह भी उठता है कि पुलिस की टीमें आखिर कहां छापेमारी कर रही हैं और अब तक क्या नतीजा निकला? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी की बेहतर कानून व्यवस्था की बात करती है, लेकिन ऐसे मामलों में ढिलाई उनके दावों को कमजोर कर रहा है।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं

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प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।

जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।

अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।

प्रयागराज  की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?

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आईपीएस विक्रांत वीर बलिया

बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।

मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं

कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?

विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।

1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।

नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।

कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।

हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।

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