बलिया
बलिया में पुलिस ने कृषि मंडी अधिकारी और उनके परिवार पर दर्ज किया दहेज उत्पीड़न का मुकदमा

बलिया की बांसडीह कोतवाली पुलिस ने उप निदेशक (निर्माण) कृषि मंडी मुंडेरा प्रयागराज और उनके परिवार के छह सदस्यो पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज किया है। इनमें पति के साथ-साथ ससुर श्याम बिहारी सिंह, सास भागीरथी, और देवर बृजेश, विवेक, अनिल शामिल हैं। इन सभी पर दहेज उत्पीड़न, मारपीट और अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
विजय कुमार मौर्य (हुसेनाबाद निवासी) ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि उनकी बेटी की शादी 2 दिसम्बर 2022 को अखिलेश सिंह मौर्य (उचेहरा, चंदौली) से हुई थी, जो पहले कृषि मंडी समिति में एसडीओ थे और अब प्रयागराज में उप निदेशक (निर्माण) के पद पर कार्यरत हैं। शादी में दहेज में लग्जरी कार, नगदी, हीरे की अंगूठी और सोने-चांदी के गहने दिए गए थे।
शादी के बाद ससुराल पक्ष ने दहेज के रूप में 25 लाख रुपये की मांग की। विजय कुमार मौर्य ने बताया कि उनकी बेटी अमृता, जो सरकारी स्कूल में टीचर हैं, पहले लखीमपुर खीरी में तैनात थीं, फिर उन्होंने अपना तबादला ज्ञानपुर करवा लिया और ससुराल में रहने लगीं।
अगस्त 2023 में ससुराल वालों ने अमृता के साथ मारपीट की, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। इसके बाद, उसे अपने घर बुला लिया गया। 19 जनवरी 2025 को दामाद ने अमृता से मिलने के बहाने उसे बुलाया और पिटाई करने के बाद गला दबाकर जान लेने की कोशिश की। पुलिस ने दहेज उत्पीड़न और मारपीट के मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है और जांच जारी है।











बलिया
बलिया में जीप और डंपर में भीषण टक्कर, साली की शादी से लौट रहे जीजा की मौत, 5 घायल

बलिया के एनएच-31 पर स्थित हल्दी थाना क्षेत्र के सीताकुण्ड-परसिया मार्ग पर भीषण सड़क हादसा हुआ, जिसमें एक युवक की जान चली गई और उसकी पत्नी समेत पांच अन्य लोग घायल हो गए। जीप और डम्पर के बीच हुई टक्कर के बाद जीप पलट गई। घायलों को तुरंत जिला अस्पताल भेजा गया, जबकि मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
रात करीब नौ बजे सवारी जीप बैरिया की ओर जा रही थी। जैसे ही जीप सीताकुंड से कुछ आगे बढ़ी, सामने से आ रहे डम्पर से उसकी टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि जीप सड़क से उतरकर पलट गई। हादसे में हल्दी थाना क्षेत्र के गंगापुर (तेलिया टोला) निवासी 32 वर्षीय जितेंद्र पटेल, उनकी पत्नी माला देवी (29), दोकटी थाना क्षेत्र के दलनछपरा के 13 वर्षीय आकाश, बैरिया की मेनका (26), और अन्य घायल हो गए।
हादसे की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़कर पहुंचे और पुलिस को सूचित किया। एसओ विश्वदीप सिंह ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर घायलों को बाहर निकाला और एम्बुलेंस से उन्हें अस्पताल भेजवाया। डॉक्टरों ने जितेंद्र पटेल को मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि जितेंद्र अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के साथ अपनी साली की शादी में शामिल होकर घर लौट रहे थे, तभी यह दुर्घटना घटित हुई।
बलिया
बलिया के पुलिस इंस्पेक्टर ने रोजेदार को दिया हेलमेट, सिखाई सुरक्षा और अनुशासन की अहमियत

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक दिलचस्प वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें यूपी पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ने एक रोजेदार को न सिर्फ सड़क सुरक्षा का संदेश दिया, बल्कि उसे एक हेलमेट भी गिफ्ट किया। इस वीडियो में एसआई रोजेदार को यह महत्वपूर्ण सीख देते हुए दिख रहे हैं कि “जिंदगी की हिफाजत से बड़ी कोई इबादत नहीं है”। उनका संदेश स्पष्ट था – “रोजा हो या रोड, अनुशासन दोनों में बेहद जरूरी है।”
यह घटना बलिया के एक बाजार में घटित हुई, जहां एक रोजेदार, जो कि रमजान के महीने में अपने रोजे रखे हुए था, बिना हेलमेट के बाइक चला रहा था। आमतौर पर इस स्थिति में पुलिस चालान करती है, लेकिन सब इंस्पेक्टर ने एक अनोखी पहल करते हुए उस रोजेदार को हेलमेट गिफ्ट करने का निर्णय लिया। एसआई ने रोजेदार से उसका नाम पूछा और फिर उसे समझाया कि हेलमेट न पहनना गलत था, और अब वह इसे सुधार सकते हैं। इसके बाद, एसआई ने उसे एक नई हेलमेट भेंट की और उससे वादा लिया कि वह भविष्य में कभी भी बिना हेलमेट के बाइक नहीं चलाएगा।
इस वीडियो को यूपी पुलिस के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से भी पोस्ट किया गया, और यह लोगों के बीच एक सकारात्मक संदेश फैलाने का काम कर रहा है। एसआई ने यह सुनिश्चित किया कि सिर्फ ट्रैफिक नियमों का पालन ही नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। उनका यह कदम यूपी पुलिस के सड़क सुरक्षा अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत लोगों को ट्रैफिक नियमों के पालन के लिए जागरूक किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर लोग एसआई की सराहना कर रहे हैं। एक यूजर ने कहा, “अब यह रोजेदार कभी भी बिना हेलमेट के बाइक पर नहीं निकलेगा,” जबकि दूसरे ने इसे फाइन से कहीं अधिक प्रभावी कदम बताया, जो लोगों को हेलमेट की जरूरत और सुरक्षा का अहसास दिलाएगा। इस पहल ने न केवल एक व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि समाज को भी एक जरूरी संदेश दिया कि सड़क पर चलने के दौरान हमारी सुरक्षा, अनुशासन और जिम्मेदारी सबसे महत्वपूर्ण है।
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स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी के योगदान और उनके जीवन के आदर्शों को सच्ची श्रद्धांजलि

मुजौना के पूर्व प्रधान श्री धर्मजीत सिंह जी (पति – स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी) बताते हैं कि, “मैं 17 साल तक प्रधान रहा और मेरी धर्मपत्नी 5 वर्ष तक प्रधान पद पर रहीं। उनका गांववासियों के साथ व्यवहार हमेशा एक परिवार की तरह था।” इसके बाद, श्री सिंह एक महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख करते हुए बताते हैं, “1980 के दशक में भारत सरकार की पुनर्वास योजना के तहत, लगभग 20 बिगहा ग्राम समाज की भूमि पर गांववासियों को बसाने की प्रेरणा मुझे मेरी धर्मपत्नी से मिली। यह सरकारी योजना थी, लेकिन उस समय कई बाधाएं भी सामने आईं। बावजूद इसके, मुझे जो आत्मबल और सहयोग उनसे मिला, वह एक अनमोल अनुभव था।”
वह आगे कहते हैं, “गांववासियों का जो स्नेह हमें मिला, वह अभूतपूर्व था। प्रत्येक वर्ष जरूरतमंदों के बीच वस्त्र वितरण से लेकर आवश्यक सामग्रियों का वितरण, यह उनकी प्राथमिकता रही।”
स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी के ज्येष्ठ पुत्र, ब्लाक प्रमुख (सीयर) श्री आलोक कुमार सिंह कहते हैं, “2015 में मैंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत मां की प्रेरणा से की। कर्मभूमि के रूप में मैंने अपनी जन्मभूमि को चुना और गांव का प्रधान बना।” एक किस्सा साझा करते हुए श्री सिंह कहते हैं, “मेरे कार्यकाल में जब सभी गांववासियों के आवास बन रहे थे, तो मां ने खुशी जताते हुए कहा, ‘यह मेरी अधूरी इच्छा थी, जो अब पूरी हो रही है।’ मां की इच्छा थी कि गांव का हर परिवार मूलभूत सुविधाओं से युक्त हो, और इसका सबसे बड़ा कारण था कि उनका गांववासियों के साथ एक विशेष पारिवारिक रिश्ता था।”
इसके बाद, जब सीट आरक्षित हुई, तो श्री सिंह के पारिवारिक सहयोगी श्री देवनाथ राजभर की धर्मपत्नी, श्रीमती गीता राजभर प्रधान बनीं। मां की ही इच्छा थी कि श्रीमती राजभर ग्राम प्रधान के रूप में चुनाव लड़े। उनके प्रधान बनने के बाद भी, गांववासियों के प्रति विकास और सहयोग की रफ्तार पहले की तरह बनी रही।
श्री अनूप सिंह “मंटू”, छोटे पुत्र और महादेव कंस्ट्रक्शन के प्रबंध निदेशक, बताते हैं, “मेरी मां का जन्म एक बड़े, कुलीन और सांस्कारिक परिवार में हुआ था, जिससे उन्हें परिवार को एकजुट रखने और रिश्तों में समन्वय स्थापित करने की अद्भुत क्षमता विरासत में मिली। वह सादगी, सद्भाव, विनम्रता और करुणा की प्रतिमूर्ति थीं। हमारी परवरिश में, परिवार को एकीकृत करने और एक आदर्श परिवार की स्थापना में उनके संस्कार स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते हैं। हम सभी उनके विचारों को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे, और वह हमेशा हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगी।”
स्मृति शेष उद्गार
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