बलिया स्पेशल
एक नज़र में जानें कौन होगा सलेमपुर लोकसभा सीट से भाजपा का उमीदवार?
बलिया– लोकसभा चुनाव का औपचारिक बिगुल बजने में अभी समय है लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव की तैयारी अपने-अपने तरीके से शुरू कर दी है. लोकसभा चुनाव के रण में बीजेपी की ओर से कौन योद्धा होगा ? इसको लेकर उत्तर प्रदेश की तमाम सीटों पर रायशुमारी का दौर जारी है. इसी कड़ी में सलेमपुर लोकसभा सीट से बीजेपी का प्रत्याशी कौन होगा? इसको लेकर भी चर्चा का बाज़ार गर्म है. इस सीट से भाजपा के दावेदारों की संख्या लगातार बढती जा रही है. 2014 के आम चुनाव में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के रविंद्र कुशवाहा चुनाव जीते थे.पार्टी सूत्रों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक पांच सालों में मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा का रिपोर्ट कार्ड काफी खराब रहा है, जिसमें सबसे ज्यादा शिकायतें जनता से दूरी बनाए रखने और सुनवाई न करने की रही हैं. इससे कहीं न कहीं पार्टी का प्रभाव भी कम हुआ. ऐसे में पार्टी नेतृत्व इस सीट से नया चेहरा मैदान में उतारने की रणनीति बना रहा है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि- सलेमपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र भाटपार रानी, सलेमपुर (अनुसूचित जाति), बेल्थरा रोड (अनुसूचित जाति), सिकंदरपुर और बांसडीह आते हैं.2017 विधानसभा चुनाव की बात करें तो देवरिया जिले में पड़ने वाले भाटपार रानी और बलिया जिले में आने वाले बांसडीह विधानसभा क्षेत्र पर समाजवादी पार्टी ने कब्ज़ा किया था तो वहीँ देवरिया का सलेमपुर, बलिया का बेल्थरा रोड और सिकंदरपुर भाजपा के कब्ज़े में है. एक तरह से देखा जाए तो सलेमपुर लोकसभा सीट पर पिछले 30 सालों में समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. बीजेपी तो पिछली बार मोदी लहर में यह सीट निकालने में कामयाब रही है. इस बार राज्य में सपा-बसपा एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में बदले समीकरण में बीजेपी के लिए यह सीट निकाल पाना आसान नहीं दिख रहा.
सलेमपुर, भाटपार रानी, बांसडीह, बेल्थरा रोड और सिकंदरपुर में बीजेपी से दावेदारों की होर्डिंग ये बता रही है कि यहाँ लगभग एक दर्ज़न से ज्यादा दावेदार टिकट की मांग कर रहे हैं. मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा भी अपना दावा पेश कर चुके हैं. हालांकि लोकसभा में उनकी सक्रियता खास नहीं रही है. 56 वर्षीय सांसद रविंद्र कुशवाहा की शैक्षणिक योग्यता की बात की जाए तो उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की है. वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. वह देवरिया जिले के इथुआ चंदौली में रहते हैं.
देवेन्द्र यादव – 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर चुके देवेन्द्र यादव इस बार फिर भाजपा से टिकट की मांग कर रहे हैं. बांसडीह विधानसभा क्षेत्र के भद्पुरा निवासी देवेन्द्र यादव भाजपा और संघ के काफी पुराने कार्यकर्ता हैं. 1987 से अपनी राजनैतिक पारी की शुरुआत करने वाले देवन्द्र यादव दो बार( 2007- 2010) और (2010- 2012), बलिया में भाजपा जिला अध्यक्ष के पद पर भी आसीन रहे हैं. देवेन्द्र यादव इस समय गोरखपुर क्षेत्र के महामंत्री के साथ-साथ कुशीनगर जिला प्रभारी का भी दायित्व निभा रहे हैं.
अक्षय लाल यादव- बेल्थरा रोड विधानसभा क्षेत्र से आने वाले पूर्व जिला पंचायत सदस्य अक्षय लाल यादव टिकट के दावेदारों में शामिल हैं. अपने जीवन के तकरीबन आधी उम्र सामाजिक कार्यों में समर्पित कर चुके अक्षय लाल को भी उम्मीद है कि पार्टी इस बार उनपर भरोसा करके उन्हें मैदान में उतार सकती है.भगवान पाठक- 58 वर्षीय पूर्व विधायक भगवान पाठक भी टिकट को लेकर दावेदारी पेश कर रहे हैं , वह बसपा से (2007-2012) विधायक भी रहे चुके हैं. 2012 में बसपा छोड़ 2014 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ज्वाइन की थी. श्री पाठक को पूरा भरोसा है की भारतीय जनता पार्टी उन्हें इस बार लोकसभा के मैदान में उतार सकती है.
पुनीत शाही – सलेमपुर लोकसभा सीट से दावेदारों में सबसे कम उम्र के पुनीत शाही यूँ तो स्नातक है, देवरिया के पिंडी के रहने वाले शाही सामाजिक कार्यकर्ता के साथ -साथ 2006 से भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी) के सदस्य हैं, नौजवानों में लोकप्रिय पुनीत शाही भी सलेमपुर सीट से टिकट मिलने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं.
मनोरमा गुप्ता – सलेमपुर सीट से पहली महिला दावेदार भाजपा की जिला मंत्री मनोरमा गुप्ता भी इलाके में अपनी दावेदारी को लेकर काफ़ी चर्चा में हैं. बांसडीह विधानसभा के मनियर की रहने वाली मनोरमा गुप्ता स्नातक है, अपनी दावेदारी पर मनोरमा ने उम्मीद जताते हुए कहा कि पार्टी का जो आदेश होगा वो मेरे लिए सर्वमान्य होगा .
आप को बता दें की सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा नेता ओमप्रकाश वर्मा और राजेश सिंह कुशवाहा के भी होर्डिंग्स लगे हुए, जिस पर बलिया खबर ने उनसे उनकी दावेदारी के बारे में जानने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. अब तो आने वाला वक़्त ही बताएगा कि भाजपा सलेमपुर का सिकंदर किसको बनाती है ! जानकारी के लिए बता दें की सेलमपुर लोकसभा संसदीय सीट प्रदेश के 2 जिलों बलिया और देवरिया से मिलाकर बना है. सलेमपुर उत्तर प्रदेश की सबसे पुरानी तहसील है, मोहम्मद सलीम के द्वारा बसाया गया यह शहर हमेशा से ही धर्म और राजनीति दोनों की दृष्टि के महत्वपूर्ण रहा है. ब्रिटिशकाल में तहसील के रूप में इसकी स्थापना 1939 में हुई थी.
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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बात थी जंगलराज खत्म करने की लेकिन बलिया में तो पैदा हो गए दर्जनों गैंग!
रिपोर्ट : तिलक कुमार
बलिया। प्रदेश में योगी सरकार बनी तो लोगों में उम्मीद जगी कि अब जंगलराज खत्म हो जाएगा और राम राज की स्थापना होगी। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और तो और जनपद में दर्जनों गैंग पैदा हो गए, जो भोली भाली जनता की नाक में दम करके रखा है।
आलम यह है कि जनपद में योगी सरकार बनने के बाद फरसा, त्रिशूल, चोटी, टांगी, राइडर, शिकारी, रफ्तार व चिंगारी गैंग बनी है और यह गैंग आए दिन किसी न किसी को अपना शिकार बनाते हैं। इन गैंगों की पुष्टि खुद बलिया पुलिस ने की है और सूचना देने वालों पर पांच हजार का इनाम भी रखा है।
इन गैंगों की क्रियाकलापों की बात करें तो ये सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम पर एकाउंट बनाकर गैंग की मॉनिटरिंग करते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह भी है गैंग द्वारा इन एकाउंटों की इस तरह मानिटरिंग की जाती है कि गैंग के सरगना का पता नहीं चलता है।
हालांकि इस गैंग के मेंबर दस से 20 ही होते हैं, जो समय—समय पर अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के लिए किसी को मारते—पीटते हैं, फिर उसका वीडिया बनाकर सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट कर देते हैं। इन गैंगों को आपरेट करने वाले इतने शातिर होते हैं कि अपनी मौजूदगी का सिर्फ एहसास कराते हैं, लेकिन खुदको हमेशा पर्दे के पीछे रखते हैं।
…नहीं हुई कार्रवाई तो बन जाएगा गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश में गैंगवार की बात करें तो सबसे बदनाम और कुख्यात जिला गाजियाबाद है, जहां आज भी प्राय: सुनने को मिलता है कि इस गैंग ने उस गैंग को मारा। फला गैंग न फला गैंग को मारा। इस पर कई बॉलीवूड फिल्म से लेकर वेब सीरिज भी बन चुकी है। अब लगभग लगभग वही चीज बलिया जनपद में भी होने लगी है। ऐसे में इन गैंगों पर जल्द से जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह दिन दूर नहीं जब बलिया भी गाजियाबाद का रूप अख्तियार कर लेगा।
ताजा—ताजा पैदा हुआ कड़ा गैंग
अभी बांसडीह में रोहित यादव राइडर गैंग द्वारा रोहित पांडेय की निर्मम हत्या का मामला शांत नहीं हुआ कि सिकंदपुर थाना क्षेत्र के माल्दह चौकी अंतर्गत हरनाटार गांव में बीती रात पार्टी में बुलाकर कड़ा गैंग वाले एक युवक को मारपीट कर लहूलुहान कर दिया। इसके तीमारदार की मानें तो यह नई गैंग है और किसी पर भी सिर्फ कड़ा से हमला करते हैं।
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बलिया में अस्पतालों का औचक निरीक्षण, 84 स्टॉफ मिले गैरहाजिर, DM के एक्शन से हड़कंप!
बलिया के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों व कर्मचारियों की उपस्थिति जांचने के लिए सभी तहसील के एसडीएम/डिप्टी कलेक्टरों के माध्यम से जिले के दस सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कराया। इस दौरान कुल 18 डॉक्टर व 66 स्टॉफ ड्यूटी से गैरहाजिर मिले। इन सभी अनुपस्थित डॉक्टरों व कर्मचारियों को एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि सभी अस्पतालों में समय से उपस्थिति व बेहतर चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।
निरीक्षण में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, काजीपुरा में तैनात कुल 12 कार्मिकों के सापेक्ष लैब टेक्निशियन फहीजुर्रहमान अंसारी ही उपस्थित मिले, जबकि चिकित्साधिकारी डॉ शैलेश कुमार व 10 कार्मिक गायब मिले। न्यू पीएचसी सागरपाली में तैनात 9 कार्मिकों में से 4 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बांसडीह में डॉ प्रणय कुनाल, डॉ यश्वी सिंह, डॉ प्रियदर्शन सिंह, डॉ बीरबहादुर सिंह चिकित्साधिकारी सहित कुल 18 कर्मचारी अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेरूआरबारी में चिकित्साधिकारी डॉ एसके सिंह, डॉ पीडी शुक्ला, डॉ रामायण यादव सहित कुल 12 कार्मिक अनुपस्थित मिले।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनबरसा में डॉ जया पाठक, डॉ साल्टी कसेरा, डॉ राजेश कुमार, डॉ सुमन कुमार व वरिष्ठ लिपिक पुनीत श्रीवास्तव अनुपस्थित पाये गये। इसी प्रकार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मुरलीछपरा में बीएचडब्ल्यू अजय कुमार रावत, चीफ फार्मासिस्ट मनोहर प्रसाद व चतुर्थ श्रेणी कर्मी प्रेमशंकर यादव गायब मिले। सीएचसी खेजुरी में निरीक्षण के दौरान डॉ प्रशान्त व डॉ एएन शर्मा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बघुड़ी में डॉ चन्दन सिंह अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ककरासो के औचक निरीक्षण में चिकित्साधिकारी डॉ राकेश पाण्डेय सहित 10 कर्मी अनुपस्थित थे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनाडीह में चिकित्साधिकारी डॉ रामाशीष, फार्मासिस्ट महेन्द्र पाल सिंह, एलटी मनीष कुमार यादव, एएनएम संगीता व धर्मेन्द्र सिंह व अजीत पाण्डेय अनुपस्थित थे।
उप जिलाधिकारी ने सीएचसी रसड़ा का निरीक्षण किया तो वहां चिकित्साधिकारी डॉ ऑमिर इम्तियाज, डॉ धर्मवीर सिंह, बीपीएम मिथिलेश गिरि, एसटीएस अभिमान मेहता व सुनील कुमार वर्मा, एलटी बृजेश कुमार, वार्ड बॉय मिथिलेश्वर त्रिपाठी, वीना सिंह, विपिन सिंह, मंगलदेव सिंह, विनय दुबे, राहुल सिंह अनुपस्थित पाये गये। सभी अनुपस्थित चिकित्साधिकारी एवं अन्य कार्मिकों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है।
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