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उत्तर प्रदेश

वेस्ट में भाजपा साफ, कैराना में तबस्सुम, नूरपुर विधानसभा सीट सपा ने छीनी

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कैराना लोकसभा और नूरपुर की विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए है। जहां कैराना में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, वहीं नूरपुर में सपा प्रत्याशी नईमुल हसन ने बीजेपी प्रत्याशी अवनी सिंह को 5678 वोटों से हराकर जीत हासिल की। कैराना लोकसभा सीट पर तबस्सुम हसन ने करीब 45 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।

कैराना में भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के चलते ये सीट खाली हुईं। भाजपा ने सहानुभूति वोट के एक्स फैक्टर का फायदा उठाने के लिए यहां से हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा, लेकिन विपक्ष की एकता ने भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। सपा, बसपा, कांग्रेस और आरएलडी के एक साथ आ जाने से कैराना लोकसभा सीट आरएलडी के खाते में गई।

बता दें कि नूरपुर से भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान की सीतापुर जिले के पास 21 फरवरी को सड़क हादसे में हुई मौत के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। उपचुनाव में महागठबंधन से सपा ने नईमुल हसन को फिर से चुनाव मैदान में उतारा था। 2017 के चुनाव में लोकेंद्र चौहान ने नईमुल हसन को परास्त किया था। भाजपा ने विधायक स्व.लोकेंद्र चौहान की पत्नी अवनी सिंह पर दांव खेला था। स्व.लोकेंद्र चौहान नूरपुर सीट पर लगातार दो बार विधायक बने थे। नईमुल हसन व अवनी सिंह के बीच चुनाव में कांटे का मुकाबला रहा। सपा प्रत्याशी नईमुल हसन को बसपा, कांग्रेस, रालोद, महान दल, पीस पार्टी का खुला समर्थन मिला। नईमुल हसन ने चुनाव में अवनी सिंह को परास्त कर दिया।

नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में किस प्रत्याशी को कितने मत मिले
प्रत्याशी                  पार्टी                                   वोट            

नईमुल हसन        समाजवादी पार्टी                    94866
अवनी सिंह        भारतीय जनता पार्टी                 89188
गौहर इकबाल      लोकदल                               1197
जहीर आलम      राष्ट्रीय जनहित संघर्ष पार्टी         687
माया            भारतीय मोमिन फ्रंट                    159
रामरतन        उत्तर प्रदेश रिपब्लिक पार्टी            138
अमित कुमार सिंह    निर्दलीय                           390
प्रबुद्ध कुमार        निर्दलीय                                168
बेगराज सिंह        निर्दलीय                                241
राजपाल सिंह        निर्दलीय                               799
नोटा                                                              1012

कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव में घोषित परिणाम से भाजपा को जोर का झटका लगा है। रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और उपाध्यक्ष जयंत चौधरी की मेहनत रंग लाई। छोटे चौधरी वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बिखरे जाट-मुस्लिम गठजोड़ को एक सूत्र में पिरोने में सफल हो गए। कैराना में तबस्सुम की जीत से रालोद को संजीवनी मिल गई है।

पहले काफी लंबे समय तक रालोद की जातीय ताकत जाट-मुसलिम गठजोड़ रहा था। वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे के बाद से जाट-मुस्लिम समीकरण पूरी तरह बिखर गया था। इसका सबसे बड़ा खामियाजा रालोद को ही भुगतना पड़ा था। इसी कारण 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में रालोद को बड़ा नुकसान हुआ था। मुजफ्फरनगर और शामली जिले में एक भी सीट रालोद को नहीं मिल सकी थी। इसके बाद रालोद ने जाट-मुस्लिम गठजोड़ में जान फूंकने के लिए कवायद की। रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने मुजफ्फरनगर से ही सामाजिक समरसता का अभियान शुरू किया। मुजफ्फरनगर और शामली में जाट-मुस्लिमों को एक मंच पर लाने के लिए सम्मेलन किए। साथ ही कई मुसलिम नेताओं को रालोद में शामिल करके भी यही संदेश दिया गया।

कैराना लोकसभा उपचुनाव में प्रत्याशी का चयन करने में भी इस बात का ध्यान रखा गया कि किस तरह जाट- मुसलिम को एक मंच पर लाया जा सके। यही वजह है कि सपा विधायक नाहिद हसन की मां तबस्सुम हसन को रालोद के टिकट पर प्रत्याशी बनाया गया। प्रत्याशी चयन को लेकर पहले राजनीतिकगलियारों में यह चर्चा रही कि रालोद ने गलत दांव खेल दिया है। हालांकि चुनावी पारा चढ़ते ही समीकरणों में बदलाव प्रारंभ हो गया। रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने शामली और सहारनपुर जनपद में चुनाव प्रचार के दौरान भी जाट-मुसलिम गठजोड़ को मजबूत करने पर जोर दिया। वहीं, शामली जिले के गठवाला खाप के गांवों में लगातार यह संदेश दिया कि पुराने झगड़ों को भूलकर भाजपा के खिलाफ एक मंच पर आने की जरूरत है। इसके साथ ही चौधरी अजित सिंह यह संदेश देने में भी कामयाब रहे कि यदि इस चुनाव में मजबूती नहीं दिखाई, तो भविष्य के लिए बड़ा नुकसान हो जाएगा। चुनाव परिणाम से स्पष्ट हो गया कि छोटे चौधरी  जाट और मुसलिम मतदाताओं को साधने में कामयाब हो गए।

खुद को प्रत्याशी बताकर लड़ाया चुनाव
रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर लड़ा। यही नहीं चुनावी सभाओं और जनसंपर्क के दौरान वह जाट बिरादरी के बीच संदेश देना भी नहीं भूले कि जीत और हार तबस्सुम हसन की नहीं, बल्कि रालोद की होगी। रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने तो शामली में सभा के दौरान यह तक कहा था कि प्रत्याशी मैं हूं। इन संदेशों का असर चुनावी जंग में जीत के रूप में निकला।

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PET परीक्षा में फर्जीवाड़ा, बलिया के बांसडीह CHC के मेडिकल ऑफिसर अमित गुप्ता गिरफ्तार

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बलिया। प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (PET) में धांधली करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने बलिया के बांसडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में तैनात मेडिकल ऑफिसर अमित गुप्ता को गिरफ्तार किया है। आरोपी डॉक्टर पर अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर फर्जी दस्तावेज के जरिए सॉल्वर को परीक्षा में बैठाने का गंभीर आरोप है। पुलिस ने इस मामले में दो अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया है।

कैसे चलता था खेल
पुलिस के मुताबिक, गिरोह अभ्यर्थियों से 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक वसूलता था। इसके बाद एडमिट कार्ड और पहचान पत्र में हेरफेर कर किसी अन्य व्यक्ति को परीक्षा देने के लिए भेजा जाता था। इस खेल को मेडिकल ऑफिसर अमित गुप्ता संगठित तरीके से संचालित कर रहा था।

गिरफ्तारी और बरामदगी
छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपी के पास से फर्जी आधार कार्ड, एडमिट कार्ड, मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेज बरामद किए। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश जारी है।

पुलिस का सख्त रुख
एसपी ने कहा कि परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अमित गुप्ता समेत तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है और पूरे नेटवर्क की गहन जांच चल रही है।

यह गिरफ्तारी जिले में स्वास्थ्य विभाग और परीक्षा प्रणाली दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

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गाली देने वाले शहरों के टॉप 10 में शामिल हुआ बलिया, 73% लोग करते हैं गालियों का इस्तेमाल

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बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का नाम अब उन शहरों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहाँ गालियों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। हाल ही में जारी एक सर्वे के मुताबिक, बलिया के 73% लोगों ने खुद कबूल किया कि वे बातचीत के दौरान गालियों का प्रयोग करते हैं।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि अब यह आदत सिर्फ युवाओं और बड़ों तक सीमित नहीं रही, बल्कि चौथी क्लास तक के बच्चे भी गालियां देने लगे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका कारण सोशल मीडिया, मोबाइल गेम्स और घर-परिवार का माहौल है।

विशेषज्ञों की चेतावनी

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि गालियों की बढ़ती आदत न केवल भाषा को दूषित कर रही है, बल्कि बच्चों और युवाओं के व्यक्तित्व और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल रही है। उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों से बच्चों को बेहतर वातावरण और सही भाषा सिखाने की अपील की।

टॉप 10 शहर जहाँ सबसे ज्यादा गालियां दी जाती हैं

  1. कानपुर – 78%

  2. लखनऊ – 76%

  3. वाराणसी – 76%

  4. मुरादाबाद – 76%

  5. संतकबीरनगर – 76%

  6. मेरठ – 75%

  7. प्रयागराज – 75%

  8. गौतमबुद्ध नगर – 73%

  9. बलिया – 73%

  10. मिर्जापुर – 73%

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बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख की बेटी की हाई-प्रोफाइल शादी, सियासी दिग्गज और फिल्मी सितारों का जमावड़ा

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बलिया के इस ब्लॉकप्रमुख की बेटी के शादी में पहुंचे बड़े-बड़े दिग्गज, फ़िल्मी सितारों से लेकर, सांसद तक, अधिकारी से लेकर सुपरस्टार तक लखनऊ की इस शादी में सबका जमावड़ा, निरहुआ’ और खेसारी ने बनाया माहौल, पुरे यूपी में होने लगी बलिया के इस बेटी की शादी की चर्चा !

आमतौर पर चुनावी मंचों पर एक-दूसरे पर निशाना साधने वाले नेताओं को लखनऊ में हो रही एक शादी में हंसी-मजाक करते देखा गया जिसकी वजह से यह शादी इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई है।

बलिया के सीयर ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह की बेटी की शादी लखनऊ के दयालबाग में आयोजित की गई थी। इस शादी समारोह में सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक की तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हुई।

माहौल ऐसा था, मानो कोई बड़ा सियासी सम्मेलन हो रहा हो। शादी में हर पार्टी के दिग्गज एक छत के नीचे बैठे थे और सब राजनीति छोड़ हंसी-मजाक कर रहे थे।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक भी दयालबाग पहुचे। शादी में उन्होंने वर-वधू को आशीर्वाद दिया और सबसे भेट मुलाकात की।महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर वामन कुले ने भी वर वधु को आशीर्वाद दिया।

उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह भी इस शादी में पहुंचे। इनके अलावा, बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेश सिंह दयाल, राज्यसभा सांसद नीरज शेखर जी की धर्मपत्नी श्री मति सुषमा शेखर ,पूर्व मंत्री उपेन्द्र तिवारी ,समाजवादी पार्टी के सांसद रमाशंकर विद्यार्थी, पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष बलिया, संजय यादव और धन्नजय कन्नौजिया , विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों के MD समेत विभिन्न दिगज्ज भी इस खास मौके का हिस्सा बने।

इस अवसर पर पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के पुत्र विपुलेंद्र सिंह मस्त की भी प्रभावी उपस्थिति रही तथा उन्होंने पारिवारिक सदस्य की तरह सभी अतिथियों का स्वागत किया।

इस शादी में प्रशासनिक और फिल्मी जगत के लोग उपस्थित थे। भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और खेसारी लाल यादव भी शादी में नजर आये। दोनों ने लखनऊ के दयालबाग में हो रहे इस शादी की रौनक को और बढ़ा दिया। इनके साथ बाबा कीनाराम आश्रम वाराणसी के पीठाधीश्वर सिद्धार्थ गौतम राम जी ने भी नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया।

शादी की सबसे खास बात ये रही कि इसे पूरी तरह से भव्य अंदाज में आयोजित किया गया। शानदार सजावट से लेकर बढ़िया खान-पान तक, हर चीज़ पर खास ध्यान दिया गया था। गायक कलाकारों ने अपने जबरदस्त परफॉर्मेंस से समां बांध दिया। शानदार कार्यक्रमों में मेहमान जमकर तालियां बजाते दिखाई दिए।

आलोक कुमार सिंह के छोटे भाई अनूप कुमार सिंह मेहमानों की आवभगत कर रहे थे और हर एक अतिथि को खास महसूस करने में जुटे थे। अब बलिया के सीयर ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह की बेटी की इस हाई-प्रोफाइलशादी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रही हैं।

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