बलिया
प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद भाजपा में शामिल हो गए नीरज शेखर

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने बीते सोमवार को राज्यसभा और समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गए.
इस्तीफा देने के बाद नीरज शेखर ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. सोमवार शाम उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के शीर्ष नेताओं से भी मुलाकात की थी.
मंगलवार को समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता नीरज शेखर भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए
इससे पहले राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार को सदन को सूचित किया कि उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता नीरज शेखर का उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
सदन की बैठक शुरू होने पर नायडू ने नीरज शेखर के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैंने जांच की और उनसे बात भी की. मैंने पाया कि यह इस्तीफा नीरज ने स्वेच्छा से दिया है. पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद मैंने 15 जुलाई से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.’
नायडू ने कहा कि राज्यसभा के नियम 213 (सदन संचालन से संबंधित नियम एवं प्रक्रिया) के तहत उन्होंने नीरज शेखर का इस्तीफा स्वीकार किया है.
इस नियम के अनुसार अगर कोई सदस्य सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना चाहता है तो उसे लिखित में इस्तीफा देना होगा और सभापति को इसकी सूचना देनी होगी. अगर सभापति इस्तीफे को लेकर संतुष्ट हो जाते हैं तो वह इसे तत्काल स्वीकार कर सकते हैं.
एनडीटीवी खबर के मुताबिक भाजपा नीरज शेखर को 2020 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में भेज सकती है.
सपा से चंद्रशेखर के इस्तीफे पर पूछे गए सवाल पर पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने कहा, ‘आज गुरु पूर्णिमा है. मैं उन्हें आशीर्वाद देता हूं. खुश रहें. राजनीतिक पार्टी एक ट्रेन की तरह होती है, लोग चढ़ते हैं, उतर जाते हैं लेकिन ट्रेन चलती रहती है.’
50 वर्षीय नीरज शेखर ने अपना इस्तीफा राज्यसभा में अपना कार्यकाल ख़त्म होने के एक साल पहले ही दे दिया. वह साल 2014 से राज्यसभा सदस्य थे. उनका कार्यकाल 25 नवंबर 2020 तक था.
साल 2007 में अपने पिता चंद्रशेखर के निधन के बाद उनकी परंपरागत बलिया सीट पर हुए उपचुनाव में नीरज शेखर ने सपा उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी. साल 2009 में वह इस सीट से दोबारा चुने गए. हालांकि 2014 में उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया था.
उनके इस्तीफा देने के बाद अखिलेश यादव की पार्टी सपा के राज्यसभा में नौ सदस्य और लोकसभा में पांच सदस्य बच गए हैं.
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में बलिया से अखिलेश यादव द्वारा टिकट नहीं दिए जाने से नीरज शेखर नाराज थे. यहां से सपा ने पूर्व विधायक सनातन पांडेय को चुनाव में उतारा था, जो चुनाव हार गए थे.













बलिया
बलिया में देर रात आटा चक्की मालिक का अपहरण, व्यापारी को घर से उठा ले गए बदमाश

बलिया के सुखपुरा थाना क्षेत्र में आटा चक्की के मालिक के अपहरण का मामला सामने आया है। घटना शनिवार देर रात की है जहाँ रात दो बजे हथियारों से लैस नक़ाबपोश बदमाश आए और घौसोती गांव के रहने वाले 55 वर्षीय अजय तिवारी का उनके ही घर से अपहरण कर लिया।
हैरानी की बात ये है कि वारदात के वक्त घर के अन्य सदस्य मौजूद थे, लेकिन बदमाश इतनी ज्यादा संख्या में हथियार लेकर आए थे, कि कोई कुछ विरोध नहीं कर सका। व्यापारी की पत्नी ने बदमाशों की विरोध किया, तो बदमाशों ने महिला की बेरहमी से पिटाई की।
जानकारी के अनुसार, करीब 15-20 बाइक और एक चार पहिया वाहन पर सवार होकर बदमाश पहुंचे थे। अजय तिवारी उस समय अपनी आटा चक्की में काम कर रहे थे। शोर सुनकर उनकी पत्नी बाहर आईं तो बदमाशों ने उन्हें धक्का देकर गिरा दिया और अजय तिवारी को जबरन अपने साथ ले गए। अजय तिवारी के बेटे महामृत्युंजय तिवारी ने बताया, रात को हार्न की आवाजें सुनाई दीं। पिताजी आटा पीस रहे थे, मां चौकी पर बैठी थीं। तभी बदमाश आए और मां के साथ मारपीट कर पिताजी को लेकर भाग गए।
पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने रविवार सुबह घटनास्थल का दौरा किया और परिजनों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच में सामने आया है कि 29 अप्रैल को गांव में आई एक बारात के दौरान अजय तिवारी का कुछ युवकों से विवाद हुआ था। बताया जा रहा है कि बारात में आए कुछ लोग तिवारी के घर के पास टॉयलेट करने लगे थे, जिस पर टोका गया तो कहासुनी हो गई। इसके बाद मामला थाने भी पहुंचा था और दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी।
एसपी ने बताया कि मामले की जांच के लिए कई टीमें गठित की गई हैं। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। जल्द ही मामले का खुलासा करने का दावा किया जा रहा है।
बलिया
बलिया में पॉक्सो के आरोपी को 12 वर्ष का सश्रम कारावास, प्रभावी पैरवी से हुआ न्याय

उत्तर प्रदेश पुलिस के पुलिस महानिदेशक द्वारा संचालित विशेष अभियान “ऑपरेशन कन्विक्शन” के अंतर्गत बलिया जिले में एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह के निर्देशन में मॉनिटरिंग सेल और अभियोजन विभाग की प्रभावशाली पैरवी के चलते पाक्सो एक्ट से जुड़े एक गंभीर मामले में आरोपी को कठोर सजा सुनाई गई है।
मामला थाना गड़वार क्षेत्र का है, जहां वर्ष 2020 में पुलिस ने आरोपी संतोष यादव पुत्र राम इकबाल यादव, निवासी कुरेजी, थाना गड़वार, को भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366 और पाक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत गिरफ्तार किया था।
विशेष न्यायाधीश, पाक्सो एक्ट कोर्ट संख्या-8, बलिया ने आरोपी को दोषी पाते हुए धारा 4 पाक्सो एक्ट के तहत 12 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹10,000 के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में उसे 6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा।
इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने आरोपी को धारा 366 के अंतर्गत 7 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹5,000, तथा धारा 363 के अंतर्गत 5 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹5,000 के जुर्माने से दंडित किया है। इन दोनों मामलों में अर्थदंड न अदा करने की स्थिति में 3-3 माह का अतिरिक्त कारावास भी भुगतना होगा।
इस मुकदमे में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी राकेश पांडेय ने प्रभावशाली ढंग से पक्ष रखा, जिसके फलस्वरूप न्याय सुनिश्चित हो सका। यह सजा न सिर्फ कानून के शासन को सुदृढ़ करती है, बल्कि “ऑपरेशन कन्विक्शन” की गंभीरता और प्रभावशीलता को भी दर्शाती है।
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बलिया में फ्रंट ऑफिस खोलने के प्रस्ताव का विरोध, स्टांप वेंडर और दस्तावेज लेखक धरने पर बैठे

उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में रजिस्ट्री कार्यालय में फ्रंट ऑफिस खोले जाने के प्रस्ताव के खिलाफ विरोध तेज़ हो गया है। शनिवार को स्टांप वेंडरों और दस्तावेज़ लेखकों ने उप निबंधक कार्यालय परिसर में धरना दिया और प्रस्ताव का विरोध जताया।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस कदम से रजिस्ट्री कार्यालय का निजीकरण बढ़ेगा, जिससे उनका पारंपरिक रोजगार खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले ही लगभग 85 प्रतिशत स्टांप वेंडर बेरोजगार हो चुके हैं और फ्रंट ऑफिस खुलने से लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी पर संकट आ सकता है।
इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शनकारियों ने ज़िलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। उन्हें स्थानीय अधिवक्ता संघ का समर्थन भी प्राप्त हो गया है। वेंडरों और दस्तावेज़ लेखकों ने सरकार से मांग की है कि फ्रंट ऑफिस में उनकी भूमिका को स्पष्ट किया जाए और उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा। उन्होंने सरकार से फ्रंट ऑफिस खोलने का प्रस्ताव तत्काल वापस लेने की अपील की है।
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