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बलिया

बलिया में किशोर ने लोहे के पाइप में फाँसी लगाकर की आत्महत्या

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बलिया के रसड़ा थाना क्षेत्र से चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहाँ एक 16 वर्षीय किशोर ने छत पर लोहे के पाइप में फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से पूरे इलाक़े में हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि किशोर किसी बात से नाराज़ था और उसने ग़ुस्से में आकर ये कदम उठा लिया।

जानकारी के मुताबिक़, 16 वर्षीय अजीत कुमार अपने मौसा संतोष कुमार गुप्ता निवासी रसड़ा कस्बा के रूपी गड़ही मोहल्ला के यहां रहता था। वह किसी बात से नाराज होकर छत पर गया और छत पर लगे लोहे के पाइप के में गमछा से फांसी का फंदा बनाकर अपनी ईहलीला समाप्त कर लिया। घटना की जानकारी होने पर परिजनों में कोहराम मच गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस के अनुसार किशोर मंदबुद्धि का था।

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बलिया में लू की स्थिति, अधिकतम तापमान 42 डिग्री तक पहुंचा

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उत्तर प्रदेश में पिछले सप्ताह झुलसाने वाली गर्मी के बाद अब लू की तीव्रता में थोड़ी कमी आई है। कई जगहों पर अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। राजधानी लखनऊ में रविवार को अधिकतम तापमान 39.4 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि रात का तापमान सामान्य से 4.4 डिग्री अधिक, यानी 27.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

अगले 24 घंटे के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार लखनऊ में आसमान मुख्यतः साफ रहेगा या आंशिक रूप से बादलों से घिरा रहेगा। अधिकतम तापमान 40 डिग्री और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।

हालांकि, पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया, बहराइच, सुल्तानपुर और गाज़ीपुर में लू जैसी स्थितियाँ बनी रहीं। रविवार को बलिया में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3.4 डिग्री अधिक था।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौसम शुष्क बना रहने की संभावना है, जबकि पूर्वी हिस्सों में कहीं-कहीं वर्षा या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पूर्वी यूपी के कुछ इलाकों में आंधी, बिजली गिरने और 40-50 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने की चेतावनी जारी की है।

राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान मुज़फ्फरनगर में 18.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

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बलिया

बलिया के चंदायर में भीषण आग से उजड़े परिवारों को मिला मनोज और विनोद राजभर का सहारा

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सिकंदरपुर तहसील के चंदायर गांव में 23 अप्रैल की रात को अचानक लगी आग ने दर्जनों परिवारों की दुनिया उजाड़ दी। आगजनी की इस भयावह घटना में एक दर्जन से अधिक झोपड़ियां जलकर राख हो गईं, वहीं करीब 18 बकरियों की भी जलकर मौत हो गई। आग की लपटों ने लोगों के घरों के साथ उनकी रोज़मर्रा की जरूरतों का सामान—खाद्यान्न, कपड़े, बर्तन और अन्य जीवनोपयोगी वस्तुएं भी निगल लीं।

घटना की सूचना पर मौके पर पहुंचे हल्का लेखपाल ने पीड़ितों को सरकारी सहायता का भरोसा जरूर दिया, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि केवल फोटो खिंचवाकर लौट गए—जमीनी मदद कोई नहीं कर पाया।

ऐसे में जब मनोज और विनोद राजभर को जब इस दुखद हादसे की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत राहत कार्य की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। मनोज और विनोद दोनों गांव पहुंचे और करीब दो दर्जन पीड़ित परिवारों को खाद्य सामग्री, कपड़े, बिस्तर, मच्छरदानी और आर्थिक सहायता प्रदान की।

राहत सामग्री प्राप्त करने वालों में वीर बहादुर राजभर, विक्रम, सुरेंद्र राजभर, महेश, टुनटुन, कमलेश, हरख यादव, पंकज, गुड्डू राजभर, बिगल, श्यामजी, रामजी, राम प्रवेश, वीरेंद्र, बद्री राजभर, लाल राजभर, श्री भगवान, रामसूरत और अमर राजभर जैसे परिवार शामिल रहे।

मनोज और विनोद की इस मदद से पीड़ितों के चेहरों पर आशा की रौशनी झलकने लगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जब तक ये परिवार सामान्य जीवन में वापस नहीं लौटते, तब तक उनकी ओर से हरसंभव मदद जारी रहेगी। ग्रामीणों ने मनोज और विनोद राजभर के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया।

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बलिया के फेफना में बस्ती में लगी भीषण आग, दर्जनों परिवार बेघर, लाखों की संपत्ति खाक

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बलिया में शनिवार की दोपहर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब फेफना कस्बे की राजभर बस्ती में अचानक आग भड़क उठी। तेज़ लपटों और धुएं ने कुछ ही मिनटों में दर्जनों झोपड़ियों को निगल लिया। लोग जब तक कुछ समझ पाते, तब तक उनकी मेहनत की कमाई और आशियाने जलकर खाक हो चुके थे।

इस दर्दनाक घटना में झोपड़ियों में रखा घर का सारा सामान, कपड़े, अनाज, नकदी, गहने और मवेशी तक आग की भेंट चढ़ गए। आग की भयावहता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिलेंडरों में विस्फोट के चलते आग ने न केवल झोपड़ियों को, बल्कि आसपास के पक्के मकानों को भी अपनी चपेट में ले लिया।

स्थानीय लोगों ने बाल्टी और पानी के जरिए आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन तब तक लपटें विकराल रूप ले चुकी थीं। किसी ने तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचना दी, जिसके बाद दो टीमें मौके पर पहुंचीं और कड़ी मशक्कत के बाद आग बुझाई जा सकी।

इस भीषण हादसे में सरल, अमावस, मुन्ना, चेतन, सोमारू, जुगुल, रामजी, श्रीराम, भीम, बुद्धू, भोला और मुकेश जैसे कई परिवारों के घर पूरी तरह जलकर बर्बाद हो गए। लाखों की संपत्ति और पशुधन नष्ट हो गया। सरल की 10 बकरियां और 2 भैंसें, वहीं अमावस की 5 बकरियां और 2 भैंसें जल गईं। एक भैंस झुलस गई है, जिसका इलाज चल रहा है। सभी के घरों में रखा अनाज—गेहूं और मसूर—भी जल गया।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया और राजस्व विभाग को सूचित किया। पीड़ित परिवार अब खुले आसमान के नीचे जीवन बिताने को मजबूर हैं और सरकारी मदद की बाट जोह रहे हैं।

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