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हरिवंश नारायण- पढ़ें बलिया से लुटियंस जोन की दिल्ली तक का सफ़र

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हरिवंश  की बलिया से राज्यसभा के उपसभापति के पद तक की यात्रा आसान नहीं रही. उत्तर  प्रदेश के छाेटे से गांव सिताबदियारा  में 30 जून, 1956 काे एक किसान  परिवार में जन्मे हरिवंश बचपन से ही मेहनती आैर जुनून के पक्के हैं. गांव  के स्कूल से अारंभिक पढ़ाई के बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए बनारस आ गये.  उन्हाेंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की पढ़ाई की.  इसी दाैरान लाेकनायक जयप्रकाश नारायण का आंदाेलन चल रहा था. उन्हाेंने  आंदाेलन में भी भाग लिया. बीएचयू में रहते हुए हरिवंश देश के नामी  राजनीतिज्ञाें के संपर्क में आये. जेपी के प्रति उनकी शुरू से ही श्रद्धा  रही.

1977 में पत्रकारिता में शुरू किया कैरियर

बाद में हरिवंश ने तय किया कि वे पत्रकारिता के क्षेत्र में जायेंगे.  1977 में पत्रकारिता में कैरियर की शुरूआत टाइम्स आफ इंडिया समूह से की.  टाइम्स आफ इंडिया समूह की सबसे लोकप्रिय साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग‘ के  लिए मुंबई में 1981 तक काम किया. उन दिनाें धर्मवीर भारती धर्मयुग के  संपादक हुआ करते थे. कुछ समय तक वहां काम करने के बाद हरिवंश ने बैंक सेवा  में जाने का मन बनाया. उनकी नियुक्ति  हैदराबाद में बैंक ऑफ इंडिया में  राजभाषा अधिकारी के रूप में हुई. इस दाैरान उनकी पाेस्टिंग उन क्षेत्राें  में हुई थी जाे घाेर नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता रहा है. कुछ समय तक  वे पटना में भी बैंक में कार्यरत रहे. 1981 से 1984 तक उन्हाेंने बैंक में  काम किया, लेकिन बैंक की नाैकरी में उनका मन नहीं लगा. वे वापस  पत्रकारिता में आ गये. वे काेलकाता के प्रतिष्ठित ग्रुप आनंद बाजार पत्रिका  से जुड़ गये. वहां से रविवार साप्ताहिक का  प्रकाशन हाेता था. उस समय  रविवार के संपादक सुरेंद्र प्रताप सिंह हुआ करते थे. उदयन शर्मा जैसे  पत्रकाराें के साथ उन्हाेंने वहां काम किया. रविवार में काम करते वक्त  उन्हें बार-बार झारखंड आना पड़ता था. झारखंड आैर बिहार उन्हीं के जिम्मे  था. इसी दाैरान उनका संपर्क झारखंड आंदाेलन के नेताआें से हुआ. इनमें  डॉ  रामदयाल मुंडा आैर डॉ बीपी केसरी प्रमुख थे. झारखंड आंदाेलन काे कवर करने  के वक्त उन्होंने सारंडा जैसे दुर्गम स्थानाें पर जा कर भी रिपाेर्टिंग की  थी.1985 से लेकर 1989 तक ‘रविवार’ में काम किया.

अक्टूबर 1989 में बने प्रभात खबर के संपादक

इस बीच रांची से निकल  रहे प्रभात खबर का मैनेजमेंट बदल गया था. नये प्रबंधन ने हरिवंश काे प्रभात  खबर संभालने की जिम्मेवारी दी. अक्तूबर 1989 में वे प्रभात खबर के प्रधान  संपादक बने और रांची आ गये.  उन दिनाें बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था. कोई  बड़ा  पत्रकार रांची आ कर काम करना नहीं चाहता था. हरिवंश ने इस चुनाैती  काे स्वीकार किया आैर यह तय किया कि इसी प्रभात खबर काे आगे बढ़ायेंगे.  उन्हाेंने प्रभात खबर की जब जिम्मेवारी संभाली, उस समय प्रभात खबर की कुल  प्रसार संख्या पांच-छह साै से ज्यादा नहीं थी. उन्हाेंने केके गाेयनका आैर आरके  दत्ता के साथ प्रभात खबर काे आगे बढ़ाने का प्रयास किया. यही प्रभात खबर  बाद में तीन राज्याें के दस जगहाें से निकलने लगा. झारखंड राज्य बनाने में  प्रभात खबर ने बड़ी भूमिका अदा की आैर इसमें हरिवंश की ताे खास भूमिका थी.  उन्हाेंने झारखंडी विचारधारा वाली पत्रकारिता काे बढ़ावा दिया आैर अपनी  संपादकीय टीम काे पूरी आजादी दी. हरिवंश नेे प्रभात खबर में ऐसे-ऐसे  मुद्दाें काे उठाया जाे बाद में राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन गया. इसमें  पशुपालन घाेटाला सर्वाधिक चर्चित रहा.

रांची में रहने के बावजूद हरिवंश  का संपर्क देश के प्रमुख लाेगाें से रहा. चंद्रशेखर के वे पहले से करीबी  थे. इसी दाैरान केंद्र में जब कांग्रेस के सहयाेग से चंद्रशेखर के नेतृत्व  में सरकार बनी, ताे हरिवंश काे चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री कार्यालय में  सहायक सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) बनाया. यह 1990 की बात है. जून 1991 तक  वे इस पद पर रहे. जब तक हरिवंश प्रधानमंत्री कार्यालय में रहे, प्रभात खबर  का दायित्व उन्हाेंने छाेड़ दिया था. पीएमआे से इस्तीफा देने के बाद वे  पुन: प्रभात खबर के प्रधान संपादक बने.

सम्मान: हरिवंश ने पहले पत्रकार के ताैर  पर आैर बाद में सांसद हाेने के नाते दुनिया के कई देशाें की यात्राएं की.  उन्हें अनेक सम्मान मिले. नवंबर 2014 को नयी दिल्ली में उन्हें वर्ष 2014  का आचार्य तुलसी सम्मान से सम्मानित किया गया.  2012 में दक्षिण अफ्रीका के  जोहंसबर्ग में आयोजित नौंवें विश्व हिंदी सम्मेलन में उन्हें हिंदी के  क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया. हिंदी पत्रकारिता के  क्षेत्र में विशिष्ट योगदान  के लिए भोपाल में उन्हें पहला माधवराव सप्रे  पुरस्कार प्रदान किया गया. उन्हें  अखिल भारतीय पत्रकारिता विकास परिषद  द्वारा आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान भी मिल चुका है.

पुस्तकें : हरिवंश  ने कई पुस्तकों का संपादन भी किया है. उनके द्वारा संपादित पहली दो पुस्तक  है –  ‘झारखंड : दिसुम मुक्तिगाथा और सृजन के सपने’ और ‘जोहार झारखंड’.   वे प्रेस इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, नयी दिल्ली, द्वारा प्रकाशित पत्रिका  ‘विदुरा’ में सलाहकार संपादक भी रहे. उनकी अन्य पुस्तकें हैं –

झारखंड समय और सवाल,  झारखंड : सपने और यथार्थ,  जनसरोकार की पत्रकारिता,   संताल हूल, झारखंड : अस्मिता के आयाम,  झारखंड : सुशासन अब भी संभावना  है,  बिहारनामा,  बिहार : रास्ते की तलाश, बिहार : अस्मिता के आयाम. हरिवंश  ने चंद्रशेखर से जुड़ी चार किताबों का भी संपादन किया. हरिवंश के  कार्यकाल में ही प्रभात खबर का तेजी से विकास बिहार में भी हुआ. मूल्याें  पर आधारित उन्हाेंने पत्रकारिता की. इसी का फल यह रहा कि हर दल में उनके  प्रशंसक रहे. लेखनी के धनी हरिवंश लंबी-लंबी यात्रा करते रहे हैं. अधिक से  अधिक जानकारी हासिल करने की उनकी भूख  रही है. इसी क्रम में उन्हाेंने कुछ  साल पहले मानसराेवर की कठिन यात्रा तय की.  इसी बीच लगभग तीन साल पहले जनता  दल यूनाइटेड ने उन्हें राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाया. वे राज्यसभा के  सदस्य बने. सांसद बनने के बाद कई कमेटियां में वे रहे.

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पंजाब में AAP ने तोड़ा गठबंधन, अकेले लड़ने का किया ऐलान

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कांग्रेस को एक और बड़ा झटका देते हुए पंजाब में आम आदमी पार्टी ने गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इस ऐलान से पहले आम आदमी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में असम की तीन सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम की गुरुवार को घोषणा की। उसने उम्मीद जताई कि विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) उन्हें इन सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति देगा।

‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने संवाददाता सम्मेलन में तीन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की। उन्होंने बताया कि डिब्रूगढ़ से मनोज धनोहर, गुवाहाटी से भावेन चौधरी और सोनितपुर से ऋषि राज को उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ‘हम एक परिपक्व गठबंधन के भागीदार हैं और हमें पूरा विश्वास है कि ‘इंडिया’ गठबंधन इसे स्वीकार करेगा. लेकिन चुनाव जीतना सबसे महत्वपूर्ण है। हम इन तीन सीट के लिए तुरंत तैयारी शुरू कर रहे है।’

पाठक ने कहा कि ‘अब सभी चीजों में तेजी लानी चाहिए. कई महीनों से बातचीत जारी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। हम मोदी सरकार के खिलाफ लड़ाई में ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ हैं। गठबंधन के संबंध में सभी फैसले तुरंत लिए जाने चाहिए।’

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लोकसभा चुनाव से पहले AAP ने किया बडे़ स्तर पर संगठन विस्तार, कई विंगों में हुई नियुक्तियां

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पंजाब में लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने संगठन विस्तार करते हुए बड़े स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्तियां की हैं। करीब 2500 से अधिक लोगों को संगठन में जगह दी गई है। कुछ दिन पहले पार्टी जॉइन करने वाले नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां मिली है।

गुरदासपुर से भाजपा छोड़ AAP में शामिल हुए स्वर्ण सलारिया को पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। जबकि डॉ. केडी सिंह और राजिंदर रीहल को स्टेट जॉइंट सेक्रेटरी लगाया गया है। वहीं, फतेहगढ़ साहिब लोकसभा हलका में कैप्टन हरजीत सिंह को लोकसभा वाइस प्रेसिडेंट नियुक्त किया है। इसके अलावा अल्पसंख्यक विंग में बड़ी नियुक्तियां की गई हैं। पार्टी का लक्ष्य सभी 13 लोकसभा सीटों को फतह करना है। क्योंकि CM भगवंत मान पहले ही पंजाब में इस बार 13-0 का नारा दे चुके हैं।

पार्टी की तरफ से जिला से लेकर स्टेट तक संगठन के सभी विंगों में नई तैनाती की गई हैं। इसमें जिला स्तर के डॉक्टर विंग, एक्स इंप्लाई विंग, स्वर्णकार विंग, ट्रांसपोर्ट विंग, इंटेक्चुअल विंग और बीसी विंग शामिल है। बीसी विंग में सबसे ज्यादा लोगों को जगह दी गई। पार्टी ने संगठन को इस तरह मजबूत किया है कि ब्लॉक व गली तक उनकी पहुंच संभव हो पाए। इससे पहले भी पार्टी इस तरह इतने बड़े स्तर पर नियुक्तियां कर चुकी है।

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अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में किया रोड शो, बोले झाड़ू का बटन दबाओगे तो मुझे जेल नहीं जाना पड़ेगा

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शराब पॉलिसी घोटाले में जमानत मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल 2 दिन के लिए पंजाब दौरे पर हैं। गुरुवार को उन्होंने अमृतसर लोकसभा सीट से AAP उम्मीदवार कुलदीप सिंह धालीवाल के समर्थन में रोड शो निकाला। इससे पहले केजरीवाल ने गोल्डन टेंपल और दुर्ग्याणा मंदिर में माथा टेका।

अरविंद केजरीवाल ने कहा- जेल से निकलकर आप के पास आ रहा हूं। मुझे झूठ केस में फंसा कर जेल में डाल दिया था। जब मान साहब मुझसे जेल में मिलने आते थे तो मैं मान साहब से यही पूछता था कि पंजाब में लोग खुश हैं या नहीं। मैं यह सोचता था कि आखिर मुझे जेल में क्यों डाला?।

हमने दिल्ली और पंजाब में बिजली माफ कर दी, इसलिए मुझे जेल में डाला। सरकारी स्कूल सुधारे, क्या इसलिए जेल में डाला। मेरा कसूर यह है कि आप के लिए मोहल्ला क्लीनिक और स्कूल बना दिए। जब मैं जेल गया तो मुझे 15 दिन इन्सुलिन नहीं दिया। ऊपर वाले की कृपा से 20 दिन के लिए मोहलत मिल गई। मैं जेल में जाऊंगा या नहीं, यह आप पर निर्भर करेगा। ऐसे में जब वोट डालने जाना तो देखना कि आप केजरीवाल की आजादी के लिए वोट डालना है या जेल भेजना है।

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