बलिया
सनातन पांडेय: ग्राम प्रधान वाले परिवार का बच्चा जो बलिया में सपा का खेवैया बन रहा
“अगर इस बार काउंटिंग में गड़बड़ी हुई तो काउंटिंग स्थल से या तो मेरी लाश बाहर आएगी नहीं तो कलेक्टर की.”
पढ़कर लगेगा कि किसी दबंग या बाहुबली नेता ने लोकसभा चुनाव-2024 के बीच ये बयान दिया है. लेकिन तफ़्तीश करेंगे तो पता चलेगा कि बयान देने वाले सनातन पांडेय का पॉलिटिकल कैरेक्टर अपने इलाके में इसके ठीक उलट है. साफ, सीधा और सुलझा हुआ. आज सनातन पांडेय की कहानी में दाखिल होंगे. बलिया को करीब से देखने-समझने वाले लोगों के बिहाफ़ पर देखेंगे कि सनातन पांडेय की कहानी उनके बयान जैसी तीखी है या फिर इससे अलहदा है.
लोकसभा चुनाव-2024 की गर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है. लड़ाई इंच-इंच और एक-एक सीट की है. बयानबाज़ी चल रही है. प्रचार-प्रसार चल रहा है. उम्मीदवार मैदान में उतारे जा रहे हैं, पर्चा दाखिल किया जा रहा है. इस बीच संसद को सबसे ज़्यादा सांसद देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के इलाके में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के घर बलिया से समाजवादी पार्टी ने सनातन पांडेय को अपना उम्मीदवार बनाया है. सपाट पॉलिटिकल भाषा में कहें तो इस सीट से सपा ने टिकट रिपीट किया है. यानी पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में भी इस सीट से प्रत्याशी सनातन पांडेय ही थे.
तो ऐसी क्या वजहें रहीं कि एक बार की हार के बावजूद पार्टी ने उन पर भरोसा जताया? समीकरणों की तहें उभारेंगे लेकिन पहले चलते हैं सनातन पांडेय के शुरुआती दिनों की ओर.
61 साल के सनातन पांडेय का जन्म 1963 में बलिया के चिलकहर स्थित पांडेयपुर में हुआ था. पिता रामजी पांडेय ग्राम प्रधान रहे. उनका परिवार शुरू से ब्लॉक स्तर की राजनीति में सक्रिय रहा. बलिया के ही निवासी और सनातन पांडेय को शुरुआती दिनों से ही देखने वाले नमो नारायण सिंह बताते हैं, “सनातन जी के पिता और माता दोनों लोग अपने गांव पांडेयपुर के प्रधान रहे हैं. आज भी उनके ही परिवार के पास प्रधानी है.”
वो अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, “आज भी उनकी दूसरी पितृवधु ही ग्राम प्रधान हैं. दरअसल लंबे समय से या तो उनके परिवार का कोई प्रधान बना है या फिर उनसे ही जुड़ा कोई व्यक्ति. माने कि ये पद उनके आसपास ही रहा है हमेशा.” बताते चलें कि पांडेय की प्रधान फिल्हाल मोनिका पांडेय हैं, जो कि सनातन पांडेय के ही परिवार की सदस्य हैं.
ख़ैर. बलिया से ही इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सनातन पांडेय ने पॉलिटेक्निक करने का मन बनाया. और इसके लिए वो अपना जिला छोड़ पड़ोस की ओर निकल पड़े. आज़मगढ़ से 1980 में उन्होंने पॉलिटेक्निक की पढ़ाई की. इसके बाद गन्ना विकास परिषद में जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गई.
नमो नारायण सिंह कहते हैं, “परिवार गांव-जवार की राजनीति में सक्रिय था, तो उनको भी इच्छा थी कि राजनीति में ही उतरा जाए, समाज सेवा की जाए.”
राजनीति में उतरने के साथ-साथ सनातन पांडेय के दिमाग़ में जो एक बात थी वो ये कि जब परिवार की राजनीति दूसरी पीढ़ी में जाए तब स्तर गांव से उठकर विधानसभा और संसद भवन तक पहुंच जाए.
नौकरी छोड़, सियासी राह पर गाड़ी:
बहरहाल, नौकरी में रहते हुए राजनीति में परोक्ष तौर पर उनकी सक्रियता रही. लेकिन एकाध सालों में जब उन्हें ये बात समझ आई कि नौकरी और पॉलिटिक्स एक साथ नहीं सध सकता है तो इस्तीफे के लिए खुद को तैयार कर लिया. 1996 में सनातन पांडेय गन्ना विकास परिषद के जेई पद से इस्तीफा देकर राजनीतिक मैदान में उतर जाते हैं.
इस्तीफे की टाइमिंग एकदम परफेक्ट थी. ‘96 में सनातन पांडेय ने इस्तीफा दिया और ‘97 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे. तब बलिया में एक विधानसभा सीट हुआ करती थी चिलकहर. यहीं से सनातन आते हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी की टिकट के लिए चिलकहर से दावेदारी पेश की. लेकिन पार्टी ने उनके बजाय संग्राम सिंह यादव को टिकट देना मुनासिब समझा.
एक नज़र 1996 के यूपी विधानसभा चुनाव और चिलकहर सीट पर डालते हैं. संग्राम सिंह यादव 1993 में हुए उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर चिलकहर से विधायक बने थे. लेकिन 1996 के चुनाव में उन्होंने साइकिल की सवारी कर ली. बसपा ने यहां से छोटेलाल राजभर को टिकट दिया और सपा ने संग्राम सिंह यादव को. पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो सनातन पांडेय निर्दलीय ही मैदान में उतर गए. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. चिलकहर ने तब छोटेलाल राजभर को अपना विधायक चुना.
अभी एक बार और उन्हें बगैर किसी पार्टी के झंडा के चुनाव मैदान में उतरना था. साल 2002. यूपी में विधानसभा चुनाव हुआ. इस बार भी सनातन पांडेय एड़ी-चोटी की ताकत झोंक चुके थे ताकि सपा का टिकट उन्हें मिले. लेकिन टिकट नहीं मिला. 2002 में बीजेपी के रामइकबाल सिंह यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. सनातन निर्दलीय चुनाव लड़े और हारे.
दो बार निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद आखिरकार 2007 के विधानसभा चुनाव में सपा ने उन पर दांव लगाया. दांव कामयाब हुआ और सनातन पांडेय चुनाव जीत गए. घटनाक्रम देखने पर ऐसा लगता है कि चिलकहर विधानसभा सीट सनातन को विधायक बनाने के इंतजार में बैठी थी. क्योंकि 2007 इस सीट का आखिरी चुनाव था. 2011 में परिसीमन हुआ और चिलकहर सीट की कहानी समाप्त हो गई.
अब सीट हो गई थी रसड़ा. 2012 का विधानसभा चुनाव आया. सपा ने सनातन पांडेय को टिकट दिया. सामने बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर एक मजबूत दावेदार थे. नाम- उमाशंकर सिंह. उमाशंकर सिंह के हाथों सनातन पांडेय को हार मिली. और ये हार 2017 में भी उनके दरवाज़े लौटकर आई. लेकिन सूबे में सरकार बनी समाजवादी पार्टी की. तब तक सनातन पांडेय सपा आलाकमान के करीबी हो चुके थे.करीबी होने का नतीजा ये हुआ कि सपा सरकार में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री का सलाहकार बना दिया गया. ‘17 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी पार्टी से मिले संकेत के बाद सनातन पांडेय बलिया लोकसभा सीट से दावेदारी की तैयारी में जुट गए.
2019 के लोकसभा चुनाव बीजेपी और ख़ासकर नरेंद्र मोदी की लहर छाई हुई थी. बीजेपी ने बलिया सीट से वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ को मैदान में उतारा. सामने थे सपा के सनातन पांडेय. वोटिंग हुई और जब नतीजे आए तो पता चला कि वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ को 4,69,114 वोट मिले थे, वहीं सनातन पांडेय को 4,53,595 वोट. हार का अंतर 15,519 वोटों का था. बलिया ख़बर से बातचीत में जब नमो नारायण सिंह ने ये दावा किया कि इस बार के चुनाव में सनातन 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीतेंगे तो हमने उनसे पूछा कि आख़िर 2019 में हार क्यों हो गई थी? इस पर वो कहते हैं,
“पिछली बार वो हारे कहां थे? उनको तंत्र से हराया गया था. नियम है कि काउंटिंग स्थल पर कोई भी असलहाधारी नहीं जाएगा. कोई उम्मीदवार सुरक्षा में ऐसे लोगों को लेकर नहीं जाएगा. लेकिन पिछली विरोधी लोग गए वैसे.”
प्रशासन की मिली-भगत का आरोप सपा और सनातन पांडेय से जुड़े लोग 2019 के बाद से ही लगाते रहे हैं. लेकिन सवाल है कि इस बार क्या सनातन की राह आसान है?
2024 की राह:
बीजेपी ने बलिया से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदला है. क्योंकि माना जा रहा था कि वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ को लेकर बलिया के लोगों में नाराज़गी है. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. अब नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है.
बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.
बलिया में बीजेपी से नाराज़गी, नीरज शेखर पर ‘दो बार सांसद वाला ’ का टैग, ब्राह्मण वोटर्स का समीकरण. ये तीनों अगर कयासों के मुताबिक़ ग्राउंड पर उतरे और इसी आधार पर वोटिंग हुई तो ज़ाहिर तौर पर सनातन पांडेय की संसद की राह आसान बन सकती है. लेकिन अभी वोटिंग में ठीक-ठाक वक़्त बचा है. बलिया में सातवें चरण में यानी 1 जून को वोटिंग होगी. ऐसे में इस दौरान क्या कुछ नए समीकरण उभरकर सामने ये कहना मुश्किल होगा.
बलिया
बलिया के विकास को मिलेगी रफ्तार, अब फोरलेन होगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे
बलियावासियों के लिए अच्छी खबर है। अब ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे फोरलेन रोड होगी, इससे बलिया के विकास को रफ्तार मिलेगी और यूपी से बिहार का सफ़र आसान हो सकेगा। बलिया में बिहार बॉर्डर के ह्रदयपुर गांव नंबर 29 से शुरू होकर ये एक्सप्रेस वे गाजीपुर जिले के जंगीपुर गांव तक जाता है। इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 115 किलोमीटर है, इसमें 17 किलोमीटर का स्पर बिहार के बक्सर जिले के लिए बनाया गया है। इसका मतलब है कि एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 132 किलोमीटर होगी इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में तीन बड़े पुल भी होंगे।
बताया गया है कि एक्सप्रेस वे में 16 छोटे ब्रिज, 90 के करीब पुलिया और अंडरपास भी होंगे। एक्सप्रेसवे दो बड़ी नदियों तमसा और घाघरा को पार करेगा। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद रोड कनेक्टिविटी बेहतर होगी। साथ ही गाजीपुर से बलिया तक आना जाना आसान हो जाएगा।
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का 35 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है। बाकी को पूरा करने के लिए भी तेजी से काम चल रहा है। इसे जुलाई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीणों की सुविधा के लिए एक्सप्रेसवे पर 34 अंडरपास बनाए गए हैं। यह गाजीपुर, बलिया, और बक्सर को जोड़ने वाला एक्सप्रेसवे होगा।
एक्सप्रेसवे के निर्माण होने के बाद गाजीपुर, बलिया के साथ-साथ बक्सर के बीच यात्रा का समय कम होगा और यात्रियों का सफर सुविधाजनक बनेगा। रोड कनेक्टिविटी बेहतर होने से बलिया, गाजीपुर और छपरा जिलों में रोजगार के रास्ते खुलेंगे।
बलिया
बलिया में मोबाइल चोरी की घटना को अंजाम देने वाले 5 लोग गिरफ़्तार
बलिया में मोबाइल दुकान में चोरी की घटना को अंजाम देने वाले 5 चोरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने चोरों के पास से 62 मोबाइल फोन, 21 इयरफोन, 9 नेकबैंड, 15 एडाप्टर चार्जर, 6 पावर बैंक, 294 मोबाइल बैटरी और 254 फोन फोल्डर बरामद किए गए हैं।
पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह के मुताबिक, रसड़ा थाने के उप निरीक्षक विश्वदीप सिंह को मुखबिर से सूचना मिली थी कि चोर मंदा गांव से पकवाइनार की तरफ ई-रिक्शा में चोरी का सामान ले जा रहे हैं।
सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने मंदा रेलवे क्रॉसिंग पर घेराबंदी कर आरोपियों को पकड़ लिया। पकड़े गए आरोपियों में एक बाल अपचारी के साथ ही मनोज कुमार, राजकुमार, साधु और रितेश कुमार शामिल हैं। मनोज, राजकुमार और साधु मंदा गांव के रहने वाले हैं, जबकि रितेश कटयां का निवासी है। पांचवां आरोपी एक नाबालिग है। पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें न्यायालय में पेश किया है।
बलिया
बलिया के बैरिया थाने में पूर्व विधायक और प्रभारी निरीक्षक के बीच हुई कहासुनी, पूर्व विधायक बोले-थाना आपके पिताजी का नहीं है!
बलिया के बैरिया विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैरिया थाने पहुंचे और वहां प्रभारी निरीक्षक को हड़काते हुए नजर आए। इतना ही नहीं, पूर्व विधायक ने प्रभारी निरीक्षक से ये तक कह दिया कि थाना आपके पिता जी का नहीं है।
जानकारी के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश सचिव तारकेश्वर गोड़ के साथ कथित रूप से प्रभारी निरीक्षक बैरिया रामायण सिंह द्वारा बदसलूकी की गयी और थाने से भगा दिए जाने के मामले में अपने कार्यकर्ताओं के साथ पूर्व विधायक थाने पहुंचे।
थाने पहुंचकर ही पूर्व विधानयक सुरेंद्र सिंह कोतवाल के साथ बहस करने लगे। विधायक ने कहा- यह थाना आपके पिताजी का नहीं है। आप किसी को थाने से भगा नहीं सकते हैं। वहीं कोतवाल ने जवाब में कहा- आपको भी किसी को तुम तड़ाक कहने का अधिकार नहीं है।
इसके बाद पूर्व विधायक और भड़क गए। प्रभारी निरीक्षक ने कहा कि आप फोन पर गाली देते हैं, मेरे पास आपकी रिकॉर्डिंग है, इस पर सुरेंद्र सिंह ने कहा कि आप रखें रहिए। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीओ बैरिया मोहम्मद उस्मान पहुंचे और दोनों को किसी तरह समझा-बुझाकर मामला शांत कराया।
बता दें कि दया छपरा गांव में गोड़ बिरादरी व यादव बिरादरी में तीन दिन पूर्व मारपीट की घटना हुई थी। जिसमें घटना के तीन दिन बाद पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई है। उसी में गोड़ पक्ष के पैरवी के लिए भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश मंत्री तारकेश्वर गोड़ थाने पहुंचे थे। आरोप है कि कोतवाल रामायण सिंह ने उन्हें थाने से भाग जाने को कहा। इसी मामले में पूर्व विधायक थाने पहुंचे थे और उन्होंने प्रभारी निरीक्षक को जमकर खरी-खोटी सुनाई।
-
बलिया5 days ago
बलिया में शर्मनाक घटना, पिता ने अपनी ही बेटी के साथ किया बलात्कार
-
बलिया2 weeks ago
बलिया में 2 युवकों की धारदार हथियार से हत्या, परिजन बोले- हत्यारों को फांसी हो, हमें जान के बदले जान चाहिए
-
featured2 weeks ago
बलिया में लव मैरिज के 3 महीने बाद दंपति ने की सुसाइड, पति ट्रेन से कटा, पत्नी ने लगाई फांसी
-
बलिया1 week ago
पति को खोजते हुए अलीगढ़ से बलिया पहुंची पत्नी, 12 साल लिव-इन में रहने और शादी करने के बाद हुआ फ़रार
-
बलिया1 week ago
सेना का ट्रक खाई में गिरने से बलिया निवासी जवान शहीद, एक दिन पहले ही पत्नी से की थी बात
-
बलिया2 days ago
बलिया के बैरिया थाने में पूर्व विधायक और प्रभारी निरीक्षक के बीच हुई कहासुनी, पूर्व विधायक बोले-थाना आपके पिताजी का नहीं है!
-
बलिया3 days ago
बलिया में घोटाले के आरोप में पूर्व विधायक समेत 3 के खिलाफ केस दर्ज
-
बलिया1 week ago
पूर्वांचल एक्सप्रेस पर दर्दनाक हादसा, कंटेनर में घुसी कार, बेल्थरारोड निवासी 1 युवक की मौत, 3 घायल