बलिया स्पेशल
‘युवा तुर्क’ की जमीन पर लाखों की नौकरी छोड़ चुनावी मैदान में हैं ये युवा नेता

बलिया लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है। बलिया लोकसभा सीट पर रोमांचक मुकाबला होने की प्रबल संभावना है।
यहां से अबतक 11 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है। लेकिन मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ बीजेपी और महागठबंधन के बीच बताया जा रहा है। बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त और महागठबंधन के सनातन पांडेय की चर्चा ही यहां ज़ोरों पर है।
लेकिन इस सीट पर इन बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों के सिवा कई निर्दलीय उम्मीदवार भी ताल ठोक रहे हैं। जिनकी कहीं कोई चर्चा नहीं है। मीडिया की सुर्खियों से गायब ऐसे ही निर्दलीय उम्मीदवारों में एक नाम ओम प्रकाश पांडेय का है। जो सियासत की दुनिया के दिग्गजों को चुनौती देते नज़र आ रहे हैं।
इंजीनियरिंग के छात्र रहे ओम प्रकाश पांडेय ने अपनी अच्छी खासी नौकरी त्याग कर राजनीति में कदम रखा है। उन्हें उम्मीद है कि उनके इस कदम से समाज में कुछ हद तक बदलाव किया जा सकता है।
बलिया ख़बर से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि उन्होंने नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ने का फैसला इसलिए किया क्योंकि सत्ता पर काबिज़ नेताओं से बलिया के लोगों को सिर्फ हताशा हाथ लगी है। वह चुनाव लड़कर इस हताशा को मिटाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि बलिया के लोगों ने जिन नेताओं को संसद पहुंचाया, उन्होंने बलिया के लिए कुछ नहीं किया। यहां विकास के नाम पर लोगों को सिर्फ ठगा गया है। स्वास्थ्य, रोज़गार और शिक्षा सभी मोर्चों पर बलिया का विकास न के बराबर हुआ है।
यहां के नेताओं ने जनता से वादे तो बड़े-बड़े किए, लेकिन उन्हें कभी पूरा नहीं किया।वादा था यहां एम्स बनवाने का, जो सिर्फ कागज़ों पर ही बन सका है। यहां के लोगों से रोज़गार का वादा किया गया था, लेकिन यहां कोई भी इंडस्ट्री न होने के कारण नौजवानों को यहां से बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है।
युवा नेता ने बलिया खबर को बताया कि उनके चुनाव प्रचार को मीडिया कवरेज नहीं दे रहा। वह अपना प्रचार गांव-गांव जाकर लोगों से मिलकर कर रहे हैं और उन्हें लोगों का समर्थन भी मिल रहा है।
उन्हें उम्मीद है कि अगर चुनाव में लोगों का इसी तरह समर्थन मिला तो उनका प्रदर्शन अच्छा हो सकता है। यह पूछे जाने पर कि अगर वह चुनाव जीत जाते हैं तो बलिया के लिए क्या करेंगे?
इसपर उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाना होगी। और नौजवानों के रोज़गार के लिए बलिया में इंडस्ट्रीस लगाना होगी।













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बलिया के एकलौते बसपा विधायक पर क्यों बैठी विजलेंस जांच ?

बसपा के रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। विजलेंस विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। उमाशंकर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि विभाग ने विधायक ही नहीं उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के नाम खरीदी गईं जमीन, मकान, फ्लैट, व्यवसायिक और कृषि जमीन की पूरी जानकारी मांगी है।
वैसे सबको पता है नेता जी लोगों की आय से अधिक संपत्ति तो होती ही है। पुरानी स्क्रिप्ट है। लेकिन जब तक कोई नेता सत्ता के करीब होता है, तब तक उसकी संपत्ति पर कोई सवाल नहीं उठता। मगर विपक्ष पर यह कभी भी हो सकता है। उमाशंकर सिंह का मामला भी कुछ ऐसा ही लगता है। बसपा के इस इकलौते विधायक के खिलाफ अचानक जांच शुरू हो गई है। महानिरीक्षक प्रयागराज ने सभी उप निबंधन कार्यालय को निर्देशित किया है कि उमाशंकर सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह, बेटी यामिनी व बेटे युकेश के नाम से प्रदेश में खरीदी गई जमीन, मकान, फ्लैट या अन्य प्रकार की संपत्तियों की जानकारी विजलेंस विभाग को उपलब्ध कराए।
उमाशंकर सिंह की बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। जब पूरे यूपी में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीते दिनों मायावती काफी मुखर है लेकिन क्या अब इसका खामियाजा उमाशंकर सिंह को भुगतना पड़ रहा है?
बसपा का हाल किसी से छिपा नहीं है। मायावती पार्टी को चुनावी मोड में कम, ‘मैनेजमेंट मोड’ में ज्यादा चला रही हैं। यूपी में अब बसपा केवल ‘बीजेपी की B-Team’ कहकर बदनाम हो रही है। लेकिन ऐसे में उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ व्यक्तिगत मामला मान लेना भी सही नहीं होगा।
सवाल यह भी है कि आखिर राजनीति में आने के बाद कुछ नेताओं की संपत्ति मॉल्टीप्लाई मोड में कैसे चली जाती है? 2009 में जब उमाशंकर सिंह ने कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ सालों में उनकी संपत्तियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाएगी कि सरकार को उसकी जांच करवानी पड़ेगी।
अगर कोई आम आदमी बिना पक्के दस्तावेजों के 5 लाख रुपये की जमीन भी खरीद ले, तो टैक्स विभाग और पुलिस उसके पीछे पड़ जाते हैं। मगर विधायक, सांसद, मंत्री खुलेआम करोड़ों की संपत्ति बना लेते हैं, और हमें लगता है कि यह सब “मेहनत” की कमाई है!
फ़िलहाल सूचना यह है कि उमाशंकर सिंह की तबियत खराब है। वह बीमार चल रहे हैं। लेकिन विजलेंस ने भी अपना काम शुरू कर दिया है
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बलिया में ATM कार्ड के जरिए फ्राड करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, Encounter के बाद 4 गिरफ्तार

बलिया के हल्दी में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद बिहार के चार अपराधियों को गिरफ्तार कर एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई के दौरान पैर में गोली लग से एक आरोपी घायल हो गया।
अपर पुलिस अधीक्षक कृपा शंकर ने संवाददाताओं को बताया कि बुधवार रात को पुलिस को सूचना मिली कि हृदयाचक तिराहा से पीपा पुल की ओर जाने वाली सड़क पर एक कार में कुछ संदिग्ध लोग आ रहे हैं।
शंकर ने कहा, ‘‘पीछा किए जाने पर अपराधियों में से एक ने पुलिस दल पर गोली चला दी, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। एक आरोपी पैर में गोली लगने से घायल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने सभी चार संदिग्धों को काबू कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘गोली लगने से घायल हुए बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के निवासी बच्चा लाल महतो (27) को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य तीन की पहचान साहेब कुमार महतो (32), मदन महतो (37) और लाल बाबू महतो (38) के रूप में हुई है। ये सभी बिहार के हैं।’’
पुलिस ने आरोपियों के पास से दो देसी पिस्तौल (.315 बोर), दो कारतूस, दो खाली खोल, विभिन्न बैंकों के 63 एटीएम कार्ड, एक कार और 5,200 रुपये भी जब्त किए हैं।
अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने एटीएम कार्ड धोखाधड़ी में संलिप्त एक गिरोह का हिस्सा होने की बात कबूल की। वे सीधे-साधे लोगों को निशाना बनाकर उनका एटीएम कार्ड बदल लेते थे और फिर उनके रुपये निकाल लेते थे या अंतरित कर लेते थे। चोरी की रकम गिरोह के सदस्यों के बीच बांटी जाती थी।’’
अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने यह भी कबूल किया कि उन्होंने बलिया और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ दिल्ली में भी कई लोगों को ठगा है।
पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि बलिया, दिल्ली और अन्य स्थानों पर तीनों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्यों और देश के विभिन्न हिस्सों में उनके नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है।
बलिया स्पेशल
Ballia- बेलथरा रोड के सामाजिक कार्यकर्ता खालिद ज़हीर का निधन

बेलथरा रोड डेस्क : बलिया जिले के बेलथरा रोड से एक बुरी खबर सामने आई है। नगर पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता रहे खालिद ज़हीर का वाराणसी में अचानक निधन हो गया। बताया जा रहा है कि गिरने की वजह से उनको सर में गहरी चोट लग गई जिसके बाद परिजन अस्पताल ले गए। इलाज के दौरान ही डाक्टरों ने उन्हे मृत्यु घोषित कर दिया। सोमवार की रात करीब 12 बजे वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए. उनकी उम्र लगभग 58 साल थी.
सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ कई बार नगर पंचायत का चुनाव भी लड़ चुके थे । हर मुद्दे पर पर वो मुखर होकर अपनी बात रखते थे। सभी समुदाय में अच्छी पकड़ रखते थे। उनकी मौत की खबर से इलाके में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
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