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20 दिन बाद भी फरार है बलिया का ये BJP का ब्लॉक प्रमुख ! गिरफ्तारी में देरी क्यों ? सड़को पर उतरे वकील

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प्रयागराज के मशहूर वकील अखिलेश शुक्ला की हत्या के बाद जिस तरह से मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह की गिरफ्तारी में देरी हो रही है, उसने पुलिस की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वजह है कि पुलिस अभी तक उसे पकड़ नहीं पाई है? कहीं यह बीजेपी से उसके जुड़े होने और राजनीतिक पहुंच की वजह से तो नहीं हो रहा?
रविवार को वकीलों ने म्योहाल चौराहे पर जबरदस्त प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला रोकने की मांग कर दी। उनका कहना था कि इतने दिनों बाद भी मुख्य आरोपी फरार है, तो पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा कैसे किया जाए? पुलिस बार-बार आश्वासन दे रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
कौन है अतुल प्रताप सिंह?
अतुल प्रताप सिंह बलिया जिले से बीजेपी का गड़वार ब्लॉक प्रमुख है। पहले से ही उस पर कई गंभीर मामले दर्ज है, फिर भी वह खुलेआम घूम रहा है।  पुलिस ने भले ही उस पर 5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हो, लेकिन सवाल है कि क्या यह इनाम भी सिर्फ औपचारिकता है? क्या राजनीतिक दबाव की वजह से पुलिस धीमी कार्रवाई कर रही है?
सड़क पर उतरे वकील !
रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हेलीकॉप्टर जैसे ही पुलिस लाइन ग्राउंड पर उतरा, बड़ी संख्या में वकील महाराणा प्रताप चौराहे पर इकट्ठा हो गए। इसी रास्ते से सीएम का काफिला गुजरने वाला था। वकीलों ने ठान लिया था कि वे मुख्यमंत्री का काफिला रोककर अपनी नाराजगी जताएंगे और पत्रक सौंपेंगे। फिर क्या था ? अफसरों के माथे पर पसीना आ गया कि अगर काफिला रुका, तो सीधा यही मैसेज जाएगा कि यूपी में कानून व्यवस्था फेल हो चुकी है।
वकील इस बात से नाराज़ हैं कि अगर उनके कम्युनिटी के एक सीनियर मेंबर के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों की सिक्योरिटी का क्या होगा? उन्होंने मुख्यमंत्री का काफिला रोकने की कोशिश तो की और अपनी मांगें सामने रखने के लिए प्रदर्शन किया। लेकिन यूपी पुलिस हमेशा की तरह प्रदर्शनकारियों को रोकने में कामयाब रही और एक बार फिर आश्वाशन देकर उन्हें वापस भेज दिया गया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस कमिश्नर मौके पर पहुंचे। उन्होंने वकीलों को भरोसा दिलाया कि आरोपी की जल्द गिरफ्तारी होगी।
17 नवंबर को क्या हुआ था ?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में हुए हमले ने प्रयागराज को हिला कर रख दिया था। अधिवक्ता अखिलेश शुक्ला पर लाठी-डंडों और असलहे से हमला हुआ। उन्हें इतना मारा गया कि वह अधमरे हो गए। तीन दिन तक वह जिंदगी और मौत से जूझते रहे और 20 नवंबर को लखनऊ में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी निखिल सिंह और तीन अन्य को जेल भेज दिया है। लेकिन अतुल प्रताप सिंह अभी तक फरार है।
इस मामले में बसंतपुर का दुर्गेश सिंह और रामपुर का प्रिंस सिंह पहले ही सरेंडर कर चुके हैं। लेकिन अतुल प्रताप सिंह और उसका ड्राइवर अजय यादव अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस का कहना है कि वह छापेमारी कर रही है, लेकिन जब सबकुछ पता है—नाम, पता और पहचान—तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
सवाल यह भी उठता है कि पुलिस की टीमें आखिर कहां छापेमारी कर रही हैं और अब तक क्या नतीजा निकला? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी की बेहतर कानून व्यवस्था की बात करती है, लेकिन ऐसे मामलों में ढिलाई उनके दावों को कमजोर कर रहा है।
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बलिया के रेलवे स्टेशन पर संदिग्ध परिस्थितियों में युवक की मौत

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बलिया के फेफना रेलवे स्टेशन पर एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। युवक ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन आया था लेकिन अचानक ई-रिक्शा से गिर गया। इससे युवक की जान चली गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करने भेज दिया है।

जानकारी के अनुसार सहतवार निवासी 30 वर्षीय जयराम अपनी बेटी तुलसी (5) के साथ फेफना स्टेशन पर गाड़ी पकड़ने के लिए स्टेशन के बाहर पहुंचकर ई रिक्शा से उतरने वाले ही थे, तभी अचानक अचेत होकर गिर गए और वही मौत हो गई।

देखते ही देखते आस पास के लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। भीड़ में से किसी ने पुलिस को सूचना दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेने के साथ ही साथ परिजनों को सूचना दे दिया हैं। वही, पांच वर्षीय तुलसी का रोते रोते बुरा हाल है। इस संबंध में थाना प्रभारी बृजमोहन सरोज ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करने के लिए भेज दिया गया है और परिजनों को भी जिला अस्पताल आने की सूचना दे दी गई है।

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बलिया पुलिस की करतूत, शराब तस्करी की सूचना देने वाले को ही किया गिरफ्तार

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बलिया में पुलिस की शर्मनाक करतूत सामने आई है। यहां पुलिस ने अवैध शराब तस्करी करने की सूचना देने वाले व्यक्ति को ही गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के इस कारनामे ने पूरे विभाग को शर्मसार कर दिया है। इस पूरी घटना से सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या पुलिस अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रही है।

बता दें कि पुलिस कई बार जनता को आश्वस्त कर चुकी है कि अपराध या अपराधियों के बारे में जानकारी देने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाएगा, लेकिन अब पुलिस खुद ही अपनी कही बात से पलटती हुई नजर आ रही है। बलिया में अवैध शराब तस्करी की सूचना मिलने पर पुलिस ने आरोपियों पर कार्रवाई करने की बजाय सूचना देने वाले व्यक्ति को ही हिरासत में ले लिया।

जानकारी के मुताबिक, बैरिया पुलिस ने शराब से भरी पिकअप को छोड़ दिया और खानापूर्ति कर केवल 15 पेटी शराब बरामद दिखाई। ये मामला उछला और आजमगढ़ डीआईजी ने इसपर संज्ञान लिया। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को जांच सौंपी, इस जांच की रिपोर्ट आने के बाद जयप्रकाश नगर में चौकी इंचार्ज और 4 सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया जबकि बैरिया थाना प्रभारी को अभय दान मिला।

गौरतलब है कि पिछले लंबे समय से बैरिया पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। शराब तस्करी और अवैध धंधे में बैरिया पुलिस की संलिप्तता के चर्चा हो रहे हैं, लेकिन फिर भी संबंधित पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इससे जनता में भी भारी अक्रोश है।

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