देश
‘इण्डिया’ गठबंधन में दलित लीडरशीप वाले चेहरे गायब!

जयराम अनुरागी
लोकसभा 2024 के चुनाव को लेकर देश के दो प्रमुख गठबंधन एनडीए और इण्डिया अभी से अपना – अपना कुनबा बढ़ाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दिये है। केन्द्र में सतारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपने नये- नये साथियों की तलाश कर अपनी संख्या 38 तक कर ली है। वहीं दुसरी तरफ देश के प्रमुख विपक्षी दलों ने 23 जून को पटना में एवं 17 व 18 जुलाई को कर्नाटक में बैठक कर 26 दलों की ” इण्डिया ” नामक गठबंधन बनाकर सतारुढ़ भाजपा की नींद उड़ा दी है।इसके बावजूद भी विपक्ष के लिए भाजपा को रोकने की राह आसान नहीं दिख रही है , क्योंकि देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी वाले दलित लीडरशीप वाले राजनैतिक दलो के चेहरे पटना एवं कर्नाटक की बैठक से गायब थे । दलित समुदाय से आने वाले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे उस बैठक में जरुर थे , लेकिन वह दलितों के प्रतिनिधि न होकर कांग्रेस के प्रतिनिधि थे।
देश की कुल 542 लोकसभा सीटों मे से 84 सींटे अनुसूचित जाति और 47 सींटे अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित है और देश की 160 सीटों पर दलित मत सीधे निर्णायक भूमिका में है । इतनी बड़ी आबादी का ” इण्डिया ” गठबंधन में कोई प्रतिनिधि नहीं है, जो एक गम्भीर मामला है। देखा जाये तो समाजवादी पार्टी , राष्ट्रीय जनता दल , जनता दल ( यूनाईटेड) ,सीपीएम , टीएमसी , जनता दल ( सेक्युलर) , टीडीपी , टीआरएस, एनसीपी , अकाली दल , आम आदमी पार्टी और एआईडीएमके में दलित समाज का कोई ऐसा नहीं दिख रहा है , जिनकी राष्ट्रीय राजनीति में कोई चर्चा होती हो । विपक्षी दलों की इस दलित विरोधी मानसिकता के चलते देश के दलित असमंजस में दिख रहे है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में किसके साथ रहना है।
अब तक विपक्ष में जो राजनैतिक परिस्थितियां बनी है उसमें दलित चेहरे वैसे ही गायब है , जैसे 2020 के बिहार विधानसभा और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से गायब थे। यही कारण है कि बिहार में तेजस्वी यादव और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनते – बनते रह गये थे। यदि उस समय बिहार में तेजस्वी यादव हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा ( हम) के जीतनराम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी( वीआइपी) के मुकेश साहनी तथा उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव आजाद समाज पार्टी ( कांशीराम) के प्रमुख चन्द्रशेखर आज़ाद को साथ ले लिए होते तो चुनाव परिणाम कुछ और होते । बिहार और उत्तर प्रदेश में दलितों की उठेक्षा कोई नयी बात नहीं है। बिहार में रामबिलास पासवान की भी वहां के तथाकथित पिछड़ो के मसीहा लगातार उपेक्षा करते रहे है। यही कारण है कि रामबिलास पासवान अपना अस्तित्व बचाने के लिए न चाहते हुए भी भाजपा गठबंधन में शामिल होने को मजबुर होते रहे है। वही गलती आज विपक्ष के नेता कर रहे है , जो विपक्षी एकजुटता के लिए कहीं से भी शुभ नहीं है।
सबको पता है कि बहुजन समाज पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी हैऔर इसका जनाधार कमोवेश देश के तेरह राज्यों में है। इसकी मुखिया सुश्री मायावती देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चार – चार बार मुख्यमंत्री भी रह चुकी है। अपनी लगातार उपेक्षा देख बसपा सुप्रीमो अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। यदि समय रहते विपक्षी नेताओं ने मायावती से सम्पर्क साधा होता तो शायद ये विपक्षी खेमे में आ सकती थी । इनके बाद देश में दलित युवाओं के आइकान बन चुके आजाद समाज पार्टी( कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आज़ाद है , जिनके नाम पर देश के दलित नौजवान अपनी जान छिड़कते है , जिन्हें टाइम पत्रिका ने फरवरी 2021 में 100 उभरते नेताओं की अपनी वार्षिक सूची में शामिल किया है। हालांकि इनके पास कोई सांसद और विधायक नहीं है , लेकिन ये देश के करोड़ो दलितों को किसी के साथ जोड़ने की कूबत रखते है। अभी हाल ही में 21 जुलाई को जंतर – मंतर पर लाखों की भीड़ जुटाकर अपनी ताकत को दिखा चुके है ।
इन दोनों दलित नेताओें के बाद देश में दलितों के लिए एक और बड़ा नाम है प्रकाश राव अम्बेडकर का , जो भारतीय संविधान के जनक भारत रत्न बाबा साहब डा० भीमराव अम्बेडकर के प्रपौत्र है और ये देश के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रह चुके है। देश के करोड़ो दलित इनके लिए भी अपनी जान छिड़कते हैं । ये फिलहाल भारतीय बहुजन महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष है। यदि विपक्ष इन तीनों दलित नेताओं को अपने साथ जोड़ने में सफल हो जाते है तो विपक्ष की 2024 की राह बहुत हद तक आसान हो सकती है। इसके लिए विपक्ष के नेताओं को अपना दिल थोड़ा बड़ा करना होगा ।
इन दोनों बैठको में कई दलो से एक ही परिवार के कई – कई सदस्य शामिल हुए थे , लेकिन इसके आयोजकों ने विपक्ष के किसी दलित लीडरशीप वाले नेता को शामिल करना ऊचित नहीं समझा । दलित चिंतक लक्ष्मण सिंह भारती का कहना है कि आजादी के 75 साल बीतने के बावजूद आज भी दलितों के प्रति मानसिकता में कोई खास परिवर्तन नहीं आया है। गांव के दलितों के साथ अलग भेदभाव , दलित ब्यूरोक्रेट के साथ अलग भेदभाव और दलित राजनेताओं के साथ अलग तरह का भेदभाव आज भी जारी है। केवल उसका स्वरुप बदला है। यदि विपक्ष के नेता वास्तव में भाजपा गठबंधन को शिकस्त देना चाहते है तो उसमें दलित हेडेड लीडरशीप को ससम्मान शामिल करना चाहिए । यदि हो सके तो विपक्ष के तरफ से किसी दलित प्रधानमंत्री की घोषणा भी करनी चाहिए । यदि ऐसा होता है तो देश के दलित 1977 के बाद दुसरी बार दलित प्रधानमंत्री बनते देख इण्डिया गठबंधन के साथ तेजी से जुड़ सकते है , जिसका लाभ राष्टीय स्तर पर विपक्ष को मिल सकता है ।
लेखक – दलित सामाजिक संगठनों के प्रादेशिक नेटवर्क ” दलित एक्शन सिविल सोसाइटी उत्तर प्रदेश ” के अध्यक्ष है तथा ” डा० अम्बेडकर फेलोशिप सम्मान 2002 ” राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं पत्रकार है ।













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सड़क दुर्घटना में हुई TV एक्टर की मौत, बलिया के रहने वाले थे अमन जायसवाल

बलिया : मुंबई से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। बेल्थरा रोड के रहने वाले होनहार टीवी कलाकार अमन जायसवाल का शुक्रवार को एक सड़क हादसे में निधन हो गया। फिल्म सिटी के पास दोपहर करीब 3 बजे उनकी बाइक को पीछे से आ रहे एक तेज रफ्तार ट्रेलर ने जोरदार टक्कर मार दी। इस भयानक हादसे में अमन गंभीर रूप से घायल हो गए। तुरंत अस्पताल ले जाने के बावजूद, डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके।
अमन जायसवाल बेल्थरा रोड के रहने वाले थे। प्रतिष्ठित व्यापारी दिनेश जायसवाल के पौत्र और आशीष जायसवाल के बेटे थे। वह मुंबई में रहकर टीवी सीरियल्स में मुख्य किरदार निभा रहे थे और अपने काम से बलिया का नाम रोशन कर रहे थे। अमन मुंबई में जब भी किसी प्रोजेक्ट को साइन करते उनके नाम के साथ बलिया का जिक्र जरुर होता था। वह अब तक तीन लोकप्रिय टीवी सीरियल्स में मुख्य भूमिका निभा चुके थे। उनकी आकस्मिक मौत ने पूरे बेल्थरा रोड को गहरे शोक में डाल दिया है।
बड़े बड़े एक्टर्स के साथ धारावाहिक ‘धरतीपुत्र नंदिनी’ अमन जायसवाल का पहला लीड शो रहा। इसमें उन्होंने आकाश का किरदार निभाया था। जिसके बाद से उनकी पोपुलिराटी दिन ब दिन बदती जा रही थी और उन्हें कई प्रोजेक्ट मिले थे। बलिया के अमन फिल्मी सिटी कही जाने वाली मुंबई में रहकर कई फ़िल्म और सीरियल में किया। अमन की सफलता और संघर्ष की कहानी, युवाओं को प्रेरित करती आई है। अमन ने साबित किया कि छोटे शहर के लोग भी बड़े सपने देख सकते हैं और उन्हें पूरा कर सकते हैं।
जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को अमन बाइक से फिल्म सिटी के पास दोपहर करीब 3 बजे किसी ऑडिशन में जा रहे थें। अचानक हाईवे पर एक ट्रक ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी। घायल अमन को उनके दोस्त अभिनेश मिश्रा तुरंत कामा अस्पताल लेकर गए, लेकिन हादसे के आधे घंटे बाद अमन ने दम तोड़ दिया।
अमन की मौत की खबर सुनते ही उनके परिवार में कोहराम मच गया। माता-पिता की हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। बेल्थरा रोड में लोग इस असामयिक घटना से गहरे सदमे में हैं। अमन जैसे होनहार कलाकार का यूं असमय जाना वाकई में बेहद दुखद है।
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पंजाब में AAP ने तोड़ा गठबंधन, अकेले लड़ने का किया ऐलान

कांग्रेस को एक और बड़ा झटका देते हुए पंजाब में आम आदमी पार्टी ने गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इस ऐलान से पहले आम आदमी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में असम की तीन सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम की गुरुवार को घोषणा की। उसने उम्मीद जताई कि विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) उन्हें इन सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति देगा।
‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने संवाददाता सम्मेलन में तीन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की। उन्होंने बताया कि डिब्रूगढ़ से मनोज धनोहर, गुवाहाटी से भावेन चौधरी और सोनितपुर से ऋषि राज को उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ‘हम एक परिपक्व गठबंधन के भागीदार हैं और हमें पूरा विश्वास है कि ‘इंडिया’ गठबंधन इसे स्वीकार करेगा. लेकिन चुनाव जीतना सबसे महत्वपूर्ण है। हम इन तीन सीट के लिए तुरंत तैयारी शुरू कर रहे है।’
पाठक ने कहा कि ‘अब सभी चीजों में तेजी लानी चाहिए. कई महीनों से बातचीत जारी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। हम मोदी सरकार के खिलाफ लड़ाई में ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ हैं। गठबंधन के संबंध में सभी फैसले तुरंत लिए जाने चाहिए।’
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लोकसभा चुनाव से पहले AAP ने किया बडे़ स्तर पर संगठन विस्तार, कई विंगों में हुई नियुक्तियां

पंजाब में लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने संगठन विस्तार करते हुए बड़े स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्तियां की हैं। करीब 2500 से अधिक लोगों को संगठन में जगह दी गई है। कुछ दिन पहले पार्टी जॉइन करने वाले नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां मिली है।
गुरदासपुर से भाजपा छोड़ AAP में शामिल हुए स्वर्ण सलारिया को पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। जबकि डॉ. केडी सिंह और राजिंदर रीहल को स्टेट जॉइंट सेक्रेटरी लगाया गया है। वहीं, फतेहगढ़ साहिब लोकसभा हलका में कैप्टन हरजीत सिंह को लोकसभा वाइस प्रेसिडेंट नियुक्त किया है। इसके अलावा अल्पसंख्यक विंग में बड़ी नियुक्तियां की गई हैं। पार्टी का लक्ष्य सभी 13 लोकसभा सीटों को फतह करना है। क्योंकि CM भगवंत मान पहले ही पंजाब में इस बार 13-0 का नारा दे चुके हैं।
पार्टी की तरफ से जिला से लेकर स्टेट तक संगठन के सभी विंगों में नई तैनाती की गई हैं। इसमें जिला स्तर के डॉक्टर विंग, एक्स इंप्लाई विंग, स्वर्णकार विंग, ट्रांसपोर्ट विंग, इंटेक्चुअल विंग और बीसी विंग शामिल है। बीसी विंग में सबसे ज्यादा लोगों को जगह दी गई। पार्टी ने संगठन को इस तरह मजबूत किया है कि ब्लॉक व गली तक उनकी पहुंच संभव हो पाए। इससे पहले भी पार्टी इस तरह इतने बड़े स्तर पर नियुक्तियां कर चुकी है।
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