बलिया स्पेशल
भरत सिंह और नीरज शेखर की नाराजगी, बलिया में किसको पड़ेगी भारी ?

बलिया : लोकसभा चुनावों के सांतवें यानी अंतिम चरण में 19 मई को बलिया लोकसभा सीट के लिए मतदान होने हैं। जिसके मद्देनज़र सभी पार्टियों का प्रचार अभियान तेज़ हो गया है।
बलिया में जहां सपा-बसपा की संयुक्त रैली में मायावती और अखिलेश यादव ने अपने प्रत्याशी सनातन पांडेय के लिए वोटों की अपील की, वहीं बीजेपी की संकल्प रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वीरेंद्र सिंह मस्त के लिए वोट मांगते दिखे।
ताबड़तोड़ जारी इन रैलियों में देश-प्रदेश के तमाम बड़े नेता तो दिखे, लेकिन पिछला चुनाव जीतने वाले बीजेपी सांसद भरत सिंह न तो पीएम मोदी की रैली में नज़र आए और न ही पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे सपा के कद्दावर नेता नीरज शेखर अखिलेश यादव की रैली में दिखे।
बता दें कि बलिया के इन दोनों बड़े नेताओं को इनकी पार्टियों ने टिकट नहीं दिया है। बीजेपी ने बलिया से मौजूदा सांसद भरत सिंह का टिकट काटकर भदोही के सांसद वीरोंद्र सिंह पर भरोसा जताया है तो सपा ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए नीरज शेखर की जगह सनातन पांडेय को चुनावी मैदान में उतारा है।
माना जा रहा है कि अपनी पार्टियों के इस फैसले से ये दोनों नेता नाराज़ हैं और ये नाराज़गी रैलियों में इनकी गैरमौजूदगी से साफ ज़ाहिर होने लगी है। बलिया में पार्टी की कोई भी रैली इन दोनों नेताओं की शिरकत देखने को नहीं मिल रही।
हालांकि भरत सिंह की बात करें तो वह बलिया को छोड़ तमाम दूसरे ज़िलों में पार्टी के लिए प्रचार करते देखे जा रहे हैं। लेकिन नीरज शेखर को सपा के लिए बलिया में सार्वजनिक रूप से कोई प्रचार करते नहीं देखा गया।
हालांकि अखिलेश यादव ने मंगलवार को अपनी रैली में नीरज शेखर के समर्थकों को मनाने की भरपूर कोशिश की थी। उन्होंने नीरज शेखर के परिवार की तारीफ करते हुए कहा था कि टिकट काटे जाने का मतलब ये नहीं कि नीरज शेखर के सम्मान में कोई कमी आई है।
अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी नीरज शेखर का पूरा सम्मान करती है, 2014 में इसीलिए उन्हें राज्यसभा भी भेजा गया था और उनके पिता चंद्रशेखर के नाम पर यूनिवर्सिटी भी बनवाई गई।
लेकिन अखिलेश के इस बायन के बाद भी नीरज शेखर पार्टी के लिए प्रचार करने नहीं निकले, जिससे साफ पता चलता है कि टिकट काटे जाने की नाराज़गी बरकरार है, जो अच्छे भाषणों से खत्म नहीं की जा सकती।
वहीं भरत सिंह की बात करें तो वह बलिया में तो नहीं लेकिन और दुसरे ज़िलों में बीजेपी के प्रत्याशियों का प्रचार करते दिखाई दे रहे हैं। वह चंदौली लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी महेंद्र नाथ पांडेय और जौनपुर लोकसभा सीट से पार्टी के प्रत्याशी केपी सिंह के लिए प्रचार कर चुके हैं।
हालांकि कहा जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के लिए उन्होंने वोट इसलिए मांगे क्योंकि ये दोनों नेता उनके करीबी हैं। उन्होंने इन दोनों नेताओं की रैलियों में जाकर वोट बीजेपी के लिए नहीं बल्कि अपने मित्रों के लिए मांगा है।
अगर भरत सिंह को पार्टी के लिए वोट मांगना होता तो वह बलिया में भी बीजेपी की रैलियों में दिखते और वीरेंद्र सिंह मस्त के लिए प्रचार करते भी नज़र आते।
बलिया की रैलियों में भरत सिंह की गैरमौजूदगी से साबित होता है कि वह भी उम्मीदवार न बनाए जाने पर बीजेपी से नाराज़ हैं और उनकी इस नाराज़गी का बीजेपी को नुकसान हो सकता है।













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बलिया के एकलौते बसपा विधायक पर क्यों बैठी विजलेंस जांच ?

बसपा के रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। विजलेंस विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। उमाशंकर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि विभाग ने विधायक ही नहीं उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के नाम खरीदी गईं जमीन, मकान, फ्लैट, व्यवसायिक और कृषि जमीन की पूरी जानकारी मांगी है।
वैसे सबको पता है नेता जी लोगों की आय से अधिक संपत्ति तो होती ही है। पुरानी स्क्रिप्ट है। लेकिन जब तक कोई नेता सत्ता के करीब होता है, तब तक उसकी संपत्ति पर कोई सवाल नहीं उठता। मगर विपक्ष पर यह कभी भी हो सकता है। उमाशंकर सिंह का मामला भी कुछ ऐसा ही लगता है। बसपा के इस इकलौते विधायक के खिलाफ अचानक जांच शुरू हो गई है। महानिरीक्षक प्रयागराज ने सभी उप निबंधन कार्यालय को निर्देशित किया है कि उमाशंकर सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह, बेटी यामिनी व बेटे युकेश के नाम से प्रदेश में खरीदी गई जमीन, मकान, फ्लैट या अन्य प्रकार की संपत्तियों की जानकारी विजलेंस विभाग को उपलब्ध कराए।
उमाशंकर सिंह की बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। जब पूरे यूपी में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीते दिनों मायावती काफी मुखर है लेकिन क्या अब इसका खामियाजा उमाशंकर सिंह को भुगतना पड़ रहा है?
बसपा का हाल किसी से छिपा नहीं है। मायावती पार्टी को चुनावी मोड में कम, ‘मैनेजमेंट मोड’ में ज्यादा चला रही हैं। यूपी में अब बसपा केवल ‘बीजेपी की B-Team’ कहकर बदनाम हो रही है। लेकिन ऐसे में उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ व्यक्तिगत मामला मान लेना भी सही नहीं होगा।
सवाल यह भी है कि आखिर राजनीति में आने के बाद कुछ नेताओं की संपत्ति मॉल्टीप्लाई मोड में कैसे चली जाती है? 2009 में जब उमाशंकर सिंह ने कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ सालों में उनकी संपत्तियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाएगी कि सरकार को उसकी जांच करवानी पड़ेगी।
अगर कोई आम आदमी बिना पक्के दस्तावेजों के 5 लाख रुपये की जमीन भी खरीद ले, तो टैक्स विभाग और पुलिस उसके पीछे पड़ जाते हैं। मगर विधायक, सांसद, मंत्री खुलेआम करोड़ों की संपत्ति बना लेते हैं, और हमें लगता है कि यह सब “मेहनत” की कमाई है!
फ़िलहाल सूचना यह है कि उमाशंकर सिंह की तबियत खराब है। वह बीमार चल रहे हैं। लेकिन विजलेंस ने भी अपना काम शुरू कर दिया है
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बलिया में ATM कार्ड के जरिए फ्राड करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, Encounter के बाद 4 गिरफ्तार

बलिया के हल्दी में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद बिहार के चार अपराधियों को गिरफ्तार कर एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई के दौरान पैर में गोली लग से एक आरोपी घायल हो गया।
अपर पुलिस अधीक्षक कृपा शंकर ने संवाददाताओं को बताया कि बुधवार रात को पुलिस को सूचना मिली कि हृदयाचक तिराहा से पीपा पुल की ओर जाने वाली सड़क पर एक कार में कुछ संदिग्ध लोग आ रहे हैं।
शंकर ने कहा, ‘‘पीछा किए जाने पर अपराधियों में से एक ने पुलिस दल पर गोली चला दी, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। एक आरोपी पैर में गोली लगने से घायल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने सभी चार संदिग्धों को काबू कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘गोली लगने से घायल हुए बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के निवासी बच्चा लाल महतो (27) को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य तीन की पहचान साहेब कुमार महतो (32), मदन महतो (37) और लाल बाबू महतो (38) के रूप में हुई है। ये सभी बिहार के हैं।’’
पुलिस ने आरोपियों के पास से दो देसी पिस्तौल (.315 बोर), दो कारतूस, दो खाली खोल, विभिन्न बैंकों के 63 एटीएम कार्ड, एक कार और 5,200 रुपये भी जब्त किए हैं।
अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने एटीएम कार्ड धोखाधड़ी में संलिप्त एक गिरोह का हिस्सा होने की बात कबूल की। वे सीधे-साधे लोगों को निशाना बनाकर उनका एटीएम कार्ड बदल लेते थे और फिर उनके रुपये निकाल लेते थे या अंतरित कर लेते थे। चोरी की रकम गिरोह के सदस्यों के बीच बांटी जाती थी।’’
अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने यह भी कबूल किया कि उन्होंने बलिया और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ दिल्ली में भी कई लोगों को ठगा है।
पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि बलिया, दिल्ली और अन्य स्थानों पर तीनों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्यों और देश के विभिन्न हिस्सों में उनके नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है।
बलिया स्पेशल
Ballia- बेलथरा रोड के सामाजिक कार्यकर्ता खालिद ज़हीर का निधन

बेलथरा रोड डेस्क : बलिया जिले के बेलथरा रोड से एक बुरी खबर सामने आई है। नगर पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता रहे खालिद ज़हीर का वाराणसी में अचानक निधन हो गया। बताया जा रहा है कि गिरने की वजह से उनको सर में गहरी चोट लग गई जिसके बाद परिजन अस्पताल ले गए। इलाज के दौरान ही डाक्टरों ने उन्हे मृत्यु घोषित कर दिया। सोमवार की रात करीब 12 बजे वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए. उनकी उम्र लगभग 58 साल थी.
सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ कई बार नगर पंचायत का चुनाव भी लड़ चुके थे । हर मुद्दे पर पर वो मुखर होकर अपनी बात रखते थे। सभी समुदाय में अच्छी पकड़ रखते थे। उनकी मौत की खबर से इलाके में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
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