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बलियाः संतोष यादव की मौत की वजह हार्टअटैक, पुलिस ने हत्या की संभावना से किया इनकार

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बलिया के हड़िया कलां गांव के छत्तीसा निवासी संतोष यादव की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। इस मामले में पुलिस ने हत्या के आरोप से इनकार कर दिया है। पुलिस का कहना है कि मौत हार्ट अटैक से हुई थी, इसमें हत्या का केस दर्ज नहीं किया जाएगा।

बता दें कि 40 वर्षीय संतोष यादव भोजन करने के बाद मंगलवार रात करीब 8 बजे गांव में आई बारात में नाच देखने चला गया। इस दौरान बुधवार सुबह खेत की जुताई करने गए ट्रैक्टर लेकर पहुंचे पहुंचे चालक की नजर संतोष के शव पर पड़ी।

उसने इस बात की जानकारी लोगों को दी। मृतक के छोटे भाई बबलू ने गांव के ही कुछ लोगों पर हत्या के आरोप लगाए। इसकी जानकारी होने के बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। इसके बाद मामले में जांच की गई। कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर युवक की मौत हार्ट अटैक से होने की बात सामने आई। बैरिया सीओ उस्मान का कहना है कि पीएम रिपोर्ट में संतोष की मौत हार्टअटैक से होना पाया गया है।

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बलिया में देर रात आटा चक्की मालिक का अपहरण, व्यापारी को घर से उठा ले गए बदमाश

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बलिया के सुखपुरा थाना क्षेत्र में आटा चक्की के मालिक के अपहरण का मामला सामने आया है। घटना शनिवार देर रात की है जहाँ रात दो बजे हथियारों से लैस नक़ाबपोश बदमाश आए और घौसोती गांव के रहने वाले 55 वर्षीय अजय तिवारी का उनके ही घर से अपहरण कर लिया।

हैरानी की बात ये है कि वारदात के वक्त घर के अन्य सदस्य मौजूद थे, लेकिन बदमाश इतनी ज्यादा संख्या में हथियार लेकर आए थे, कि कोई कुछ विरोध नहीं कर सका। व्यापारी की पत्नी ने बदमाशों की विरोध किया, तो बदमाशों ने महिला की बेरहमी से पिटाई की।

जानकारी के अनुसार, करीब 15-20 बाइक और एक चार पहिया वाहन पर सवार होकर बदमाश पहुंचे थे। अजय तिवारी उस समय अपनी आटा चक्की में काम कर रहे थे। शोर सुनकर उनकी पत्नी बाहर आईं तो बदमाशों ने उन्हें धक्का देकर गिरा दिया और अजय तिवारी को जबरन अपने साथ ले गए। अजय तिवारी के बेटे महामृत्युंजय तिवारी ने बताया, रात को हार्न की आवाजें सुनाई दीं। पिताजी आटा पीस रहे थे, मां चौकी पर बैठी थीं। तभी बदमाश आए और मां के साथ मारपीट कर पिताजी को लेकर भाग गए।

पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने रविवार सुबह घटनास्थल का दौरा किया और परिजनों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच में सामने आया है कि 29 अप्रैल को गांव में आई एक बारात के दौरान अजय तिवारी का कुछ युवकों से विवाद हुआ था। बताया जा रहा है कि बारात में आए कुछ लोग तिवारी के घर के पास टॉयलेट करने लगे थे, जिस पर टोका गया तो कहासुनी हो गई। इसके बाद मामला थाने भी पहुंचा था और दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी।

एसपी ने बताया कि मामले की जांच के लिए कई टीमें गठित की गई हैं। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। जल्द ही मामले का खुलासा करने का दावा किया जा रहा है।

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बलिया में पॉक्सो के आरोपी को 12 वर्ष का सश्रम कारावास, प्रभावी पैरवी से हुआ न्याय

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उत्तर प्रदेश पुलिस के पुलिस महानिदेशक द्वारा संचालित विशेष अभियान “ऑपरेशन कन्विक्शन” के अंतर्गत बलिया जिले में एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह के निर्देशन में मॉनिटरिंग सेल और अभियोजन विभाग की प्रभावशाली पैरवी के चलते पाक्सो एक्ट से जुड़े एक गंभीर मामले में आरोपी को कठोर सजा सुनाई गई है।

मामला थाना गड़वार क्षेत्र का है, जहां वर्ष 2020 में पुलिस ने आरोपी संतोष यादव पुत्र राम इकबाल यादव, निवासी कुरेजी, थाना गड़वार, को भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366 और पाक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत गिरफ्तार किया था।

विशेष न्यायाधीश, पाक्सो एक्ट कोर्ट संख्या-8, बलिया ने आरोपी को दोषी पाते हुए धारा 4 पाक्सो एक्ट के तहत 12 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹10,000 के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में उसे 6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा।

इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने आरोपी को धारा 366 के अंतर्गत 7 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹5,000, तथा धारा 363 के अंतर्गत 5 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹5,000 के जुर्माने से दंडित किया है। इन दोनों मामलों में अर्थदंड न अदा करने की स्थिति में 3-3 माह का अतिरिक्त कारावास भी भुगतना होगा।

इस मुकदमे में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी राकेश पांडेय ने प्रभावशाली ढंग से पक्ष रखा, जिसके फलस्वरूप न्याय सुनिश्चित हो सका। यह सजा न सिर्फ कानून के शासन को सुदृढ़ करती है, बल्कि “ऑपरेशन कन्विक्शन” की गंभीरता और प्रभावशीलता को भी दर्शाती है।

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बलिया में फ्रंट ऑफिस खोलने के प्रस्ताव का विरोध, स्टांप वेंडर और दस्तावेज लेखक धरने पर बैठे

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उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में रजिस्ट्री कार्यालय में फ्रंट ऑफिस खोले जाने के प्रस्ताव के खिलाफ विरोध तेज़ हो गया है। शनिवार को स्टांप वेंडरों और दस्तावेज़ लेखकों ने उप निबंधक कार्यालय परिसर में धरना दिया और प्रस्ताव का विरोध जताया।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस कदम से रजिस्ट्री कार्यालय का निजीकरण बढ़ेगा, जिससे उनका पारंपरिक रोजगार खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले ही लगभग 85 प्रतिशत स्टांप वेंडर बेरोजगार हो चुके हैं और फ्रंट ऑफिस खुलने से लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी पर संकट आ सकता है।

इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शनकारियों ने ज़िलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। उन्हें स्थानीय अधिवक्ता संघ का समर्थन भी प्राप्त हो गया है। वेंडरों और दस्तावेज़ लेखकों ने सरकार से मांग की है कि फ्रंट ऑफिस में उनकी भूमिका को स्पष्ट किया जाए और उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा। उन्होंने सरकार से फ्रंट ऑफिस खोलने का प्रस्ताव तत्काल वापस लेने की अपील की है।

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