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बलिया: पेपर लीक मामले में कार्रवाई, प्रशासन की सख्ती या खुद को बचाने की कवायद?

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पेपर लीक मामले में पत्रकार की गिरफ्तारी के विरोध में धरना

उत्तर प्रदेश अब भी उस साल के इंतजार में है जब कोई परीक्षा बगैर किसी किंतु-परंतु के संपन्न हो जाए। यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट की परीक्षा में हुए पेपर लीक ने इस इंतजार को और लंबा कर दिया है। अंग्रेजी का प्रश्न पत्र परीक्षा हॉल में पहुंचने से पहले बाजारों में पहुंच गया। प्रश्न पत्र लीक होने का कलंक चढ़ा है बलिया जिले के माथे पर। प्रशासन इस मामले में अपनी सख्ती दिखा रही है। अब तक 34 लोगों को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। जिनमें बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक यानी DIOS बृजेश मिश्रा और अमर उजाला अखबार के पत्रकार अजित ओझा दिग्विजय सिंह और राष्ट्रीय सहारा के मनोज गुप्ता शामिल हैं।

पेपर लीक मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंपी गई है। एसटीएफ अब तक इस मामले में 42 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। पहले ही ये बात बता चुके हैं। लेकिन जिले भर में एक गिरफ्तारी को लेकर गहमागहमी बढ़ी हुई है। तीनों पत्रकारों  की गिरफ्तारी से प्रशासन खुद कठघरे में पहुंच गया है। जिले भर के पत्रकार दिग्विजय सिंह और अजित ओझा की गिरफ्तारी के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही तीनों को रिहा करने की मांग कर रहे हैं।क्या है मामला, क्यों हुई गिरफ्तारी? बात करते हैं इस विवाद के पहले दिन से यानी 30 मार्च से। यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट की परीक्षा चल रही थी। 30 मार्च को कक्षा-12 के अंग्रेजी विषय की परीक्षा थी। द्वितीय पाली में परीक्षा होनी थी। परीक्षा शुरू होने से कुछ देर पहले चारों तरफ ये ख़बर आग की तरह फैलती है कि सरकार ने 24 जिलों की परीक्षा निरस्त कर दी है। वजह बताई गई कि अंग्रेजी का पर्चा लीक हो चुका है।

पेपर लीक का केंद्र बना बलिया। जब बात कुछ और साफ हुई तो पता चला कि बलिया से ही पर्चा लीक हुआ है। जिन 24 जिलों में बलिया के ही सेट के प्रश्न पत्र पहुंचे थे उन जिलों में परीक्षा निरस्त कर दी गई। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने यह बात स्पष्ट की है कि “बलिया के समान प्रश्न पत्र जिन 24 जिलों में गए हैं उनकी परीक्षा निरस्त की गई है। ताकि किसी भी छात्र के साथ भेदभाव ना हो।”

नई-नवेली सरकार का गठन हुए अभी हफ्ते भर नहीं बीते थे। योगी 2.0 ने 25 मार्च को शपथ ली और 30 को ये कांड हो गया। लखनऊ से सीधा और सख्त आदेश पहुंचा बलिया। साफ शब्दों में कठोर कार्रवाई का निर्देश जिला प्रशासन को दिया गया। तो कार्रवाई शुरू हुई और धर-पकड़ के दौर का भी आगाज हो गया।

कैसे आया पत्रकार का नाम? अंग्रजी के प्रश्न पत्र लीक होने की ख़बर अमर उजाला ने छापी। ख़बर प्रकाशित की गई कि सोशल मीडिया पर अंग्रेजी की परीक्षा से पहले ही प्रश्न पत्र और उसका सॉल्व पेपर 500 रुपए के भाव में बिक रहा है। ख़बर लगातार दो दिन प्रकाशित की गई। फिर 30 मार्च को परीक्षा निरस्त होती है और गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू होता है। जिसके बाद पुलिस की हथकड़ी पत्रकार अजीत ओझा के हाथों तक पहुंच गई।

अजीत ओझा, पत्रकार, बलिया

अजीत ओझा, पत्रकार, बलिया

अजीत ओझा इस प्रकरण को लेकर कहते हैं कि “30 मार्च को यानी अंग्रेजी परीक्षा वाले दिन ही जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह औ DIOS बृजेश मिश्रा ने मुझसे संपर्क किया। दोनों अधिकारियों ने अमर उजाला में प्रकाशित ख़बर और सोशल मीडिया पर वायरल अंग्रेजी के प्रश्न पत्र की जानकारी मांगी। अधकारियों ने कहा तो मैंने अंग्रेजी की वायरल हो रही पेपर दोनों को व्हाट्सऐप पर भेज दिया। जिसे बाद में आधार बना कर मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। अजीत ओझा की गिरफ्तारी इस आधार पर हुई है कि उन्होंने अंग्रेजी का प्रश्न पत्र वायरल किया है। प्रशासन इस मामले में उनसे पूछताछ कर रही है।

दिग्विजय सिंह , पत्रकार, बलिया

गिरफ्तारी का विरोध: पत्रकार अजीत ओझा की गिरफ्तारी का जिले भर में विरोध हो रहा है। प्रशासन पर आरोप लग रहे हैं कि जिसने सच को उजागर किया उस पर ही कार्रवाई की जा रही है। हालांकि चर्चा यह भी है कि अजीत ओझा की गिरफ्तारी इसलिए हुई है उन्होंने पेपर लीक का सच उजागर कर प्रशासन की फजीहत करा दी है। प्रशासनिक महकमे में जो लोग नकल गिरोह से मिले हुए हैं उनके लिए संकट खड़ा कर देने का अंजाम भुगतना पड़ रहा है।

इस पूरे मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार कहीं से भी लचर नहीं दिखना चाहती है। पूरी सख्ती दिखाने का फरमान है ताकि जनता को यकीन हो कि नकल गिरोह पर लगाम कसने के लिए सरकार गंभीरता से काम कर रही है। यही वजह है कि प्रशासन हर रोज संदिग्ध लोगों पर नकेल कस रही है।

सभी गिरफ्तारियों के बीच एक पत्रकार की गिरफ्तारी ने प्रशासन की कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। सवाल है कि क्या पत्रकार अजीत ओझा को इसलिए गिरफ्तार किया गया है ताकि मामले को दबाया जा सके? या कुछ और बड़े सच और आला अधिकारियों की पोल-पट्टी ना खुल जाए इसलिए इस मामले की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया है? बहरहाल देखना होगा कि आने वाले समय में इस मामले में क्या कुछ कार्रवाई होती है?

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बलिया के फेफना तिराहे के पास खुली डिजिटल लाइब्रेरी, मिलेंगी विशेष सुविधाएं

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बलिया के फेफना तिराहा से 500 मीटर रसड़ा रोड़ वोडाफोन टावर के सामने बाबा विश्वनाथ डिजिटल लाइब्रेरी की शुरुआत की गई है। इस लाइब्रेरी में कई प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी, खासतौर पर लड़कियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

इस लाइब्रेरी में शांत वातावरण, हाई स्पीड वाई-फाई सेवा, पूर्णतया वातानुकूलित, शुद्ध पेयजल की सुविधा, पार्किंग सुविधा, सीसीटीवी कैमरे की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा प्रत्येक दिन अख़बार भी पढ़ने दिया जाएगा। सेपरेट स्वच्छ वॉशरूम और टायलेट की सुविधा मिलेगी। यहां अनुशासनात्मक परिसर मिलेगा, जिससे पढ़ने में आसानी होगी।

इस लाइब्रेरी में प्रवेश लेने के लिए प्रोफेसर चंदन चौरसिया (मोबाइल नंबर- 8798946155) और पवन चौरसिया (7800921043) से संपर्क किया जा सकता है।

 

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बलिया डीएम ने किया होम्योपैथिक चिकित्सालयों का निरीक्षण किया, 29 डॉक्टर मिले गैरहाजिर, सभी का वेतन रोका गया

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बलिया जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने बुधवार को जिला होम्योपैथिक चिकित्सालय के अलावा जनपद के 27 होम्योपैथिक चिकित्सालयों का औचक निरीक्षण कराया, जिसमें 29 चिकित्सक अनुपस्थित मिले। जिलाधिकारी में सभी ग़ैरहाजिर चिकित्सकों का वेतन अग्रिम आदेश तक रोकते हुए जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी को निर्देश दिया है कि सबका स्पष्टीकरण प्राप्त कर अपनी आख्या सहित सीडीओ को उपलब्ध कराएं।

सभी एसडीएम और खंड विकास अधिकारियों के माध्यम से यह निरीक्षण अभियान चलाकर कराया गया। इस दौरान जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डा सुरेश गोंड के अलावा राजकीय होम्योपैथिक जिला चिकित्सालय में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. लिली मुनींद्र व डा मनु अनुपस्थित मिले। इसके अलावा जो चिकित्साधिकारी अनुपस्थित थे, उनमें राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय रेपुरा में चिकित्साधिकारी डॉ उपेंद्र सिंह, सीता कुंड में डॉ रामबचन, रसड़ा में डॉ लाल बहादुर, सिकंदरपुर में सुनील कुमार वर्मा, काजीपुर में डॉ नवनीता सिंह, बांसडीह में शिवकुमार सिंह, राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय शेर पर डॉ आलोक त्रिपाठी, प्रधानपुर में डॉ बृजेश कुमार भारती गैरहाजिर मिले।

शाह मोहम्मदपुर में डॉ दयाशंकर, सूर्यपुरा में डा संजय कुमार, ससना बहादुरपुर में डॉ रुबी गुप्ता, पड़री में डॉ राजकुमार, सरयाडीह भगत में डॉ नरेंद्र कुमार, डुमरी में डॉ सुशील प्रकाश सागर, उजियार में डॉ पुनीता राय, टुटवरी में डॉ कनक, लालगंज में शैलेंद्र कुमार शर्मा, खरुआव में आशुतोष यादव, उधरन गजियापुर में डॉ लाल सिंह, जमीन सिसौंड में डॉ नीलम कुमार, बहुताचक में डॉ राजमणि, पचखोरा में डॉ चंद्रिका धर, दुगाईपट्टी में डॉ राधावती यादव, बड़ागांव में डॉ प्रदीप कुमार यादव, मानिकपुर में उदयराज व शंकरपुर अस्पताल पर दिव्या राजपूत शामिल थे। जिलाधिकारी ने सभी अनुपस्थित चिकित्साधिकारियों का एक दिन का वेतन अग्रिम आदेश तक रोकते हुए सीडीओ के यहां स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही चेतावनी भी दी है कि समय से अपने अस्पताल पर उपस्थित रहकर अपने दायित्व का निर्वहन करें।

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बलिया पुलिस ने चोरी की वारदात का किया खुलासा, आरोपी गिरफ्तार

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बलिया की फेफना पुलिस ने चोरी की वारदार का खुलासा करते हुए 1 आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के कब्जे से चोरी की 1 अंगूठी, 1 अंगूठी सफेद धातु और 2180 रुपये नगद सहित 1 मोबाइल और 1 अवैध चाकू बरामद किया गया है।

पीड़ित ने बताया कि 18 अक्टूबर की शाम समय वो लगभग 8 बजे अपने आवास पर पहुंची तो देखा कि उनके कमरे का ताला खुला हुआ था, उन्होंने अंदर जाकर देखा तो बक्से का ताला भी खुला था। बक्से के अंदर रखी सोने और चांदी की अंगूठी के साथ 3 हजार नकद गायब था। पीड़ित ने बताया कि उनके आवास के पास में रहने वाला अश्निवी सिंह काफी दिनों से उनके आवास के पास संदिग्ध अवस्था में घूमता दिख रहा था। मुझे उस पर शक है।

इस शिकायत के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की और तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और उसके पास से चोरी अंगूठी, 2180 नगद और 1 मोबाइल बरामद किया। इस कार्रवाई में फेफना पुलिस टीम के वरिष्ठ उपनिरीक्षक राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, उपनिरीक्षक सुधीर चौहान, उपनिरीक्षक अजय कुमार, कांस्टेबल नन्दू पाल, कांस्टेबल हरिश्चन्द्र की विशेष भूमिका रही।

 

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