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खेल मंत्री के जिले में स्टेडियम का हाल: खिलाड़ी प्रतिभा दिखाएं कि हालत?

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बलिया। लोकतंत्र में जनता वोट डालकर अपना जनप्रतिनिधि चुनती है। उम्मीद करती है कि क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी। विकास के सपने संजोती है। लेकिन जनप्रतिनिधि जनता और इलाके के विकास को भूलकर अपने निजी विकास पर ज्यादा ध्यान देते हैं। आम तौर पर सुविधाएं जनता तक पहुंचने के बजाय मंत्रियों के बंगले पर ही ठहर कर रह जाती है। उत्तरप्रदेश के खेल मंत्री उपेंद्र तिवारी का गृह जिला बलिया है। ले्किन बलिया को आज भी विकास और सुविधाओं का इंतजार है। कहने को तो उपेंद्र तिवारी खेल मंत्री हैं लेकिन उनके गृह जिले में बच्चों को खेलने के बने स्टेडियम में एक भी सुविधा नहीं हैं। मानसून की पहली ही बारिश में वीर लोरिक स्टेडियम इन दिनों टापू में तब्दील हो गया है। स्टेडियम के क्या अंदर क्या बाहर चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है। निकासी की कोई व्यवस्था न तो क्रिड़ाधिकारी द्वारा की गई है और न ही नगर पालिका प्रशासन द्वारा। ऐसा भी नहीं है समस्या इसी साल उत्पन्न हुई है। हर साल की स्थिति यही है। लेकिन फिर भी अधिकारियों के गैर जिम्मेदराना रवैये और खेल मंत्री की नजरअंदाजगी के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है।

स्टेडियम में तीन खेलों का प्रशिक्षण– मौजूदा समय में वीर लोरिक स्पोट्र्स स्टेडियम में तीन खेलों का प्रशिक्षण दिया जाता है। बास्केटबॉल, हॉकी व बैडमिंटन। इन खेलों में कुल ५० से ऊपर बच्चे पंजीकृत है। लेकिन आलम यह है कि अभी एक महीने से सारा खेल प्रशिक्षण बाधित चल रहा है।

मंत्री आवास के ठीक बगल में स्टेडियम लेकिन मंत्री जी का ध्यान नहीं– खेल मंत्री उपेंद्र तिवारी का आवास भी वीर लोरिक स्पोट्र्स स्टेडियम के ठीक बाहर टैगोर नगर में है। ऐसे में जाहिर सी बात है मंत्री जब-जब जिले में आते हैं एक नजर तो जरूर ही उनकी स्टेडियम पर जाती है फिर भी सब कुछ देखकर समस्या का निदान न करना मंत्री पद के साथ भी छलावा है।साल गुजरें, सरकारें बदली लेकिन हालात जस के तस– वर्तमान में भाजपा की सरकार है और खेल मंत्री भी जिले से है। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व मंत्री के जमाने में भी यानी जिस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी उस समय भी बरसात के समय हर साल स्टेडियम को यही दुर्दशा झेलना पड़ता था।वहीं क्रिड़ाधिकारी डा. अतुल सिन्हा का कहना है कि पानी निकासी के लिए प्रबंध किया जा रहा है लेकिन तनिक बरसात में फिर पानी लग जा रहा है। नगर पालिका तथा जिला प्रशासन से स्थायी समाधान के लिए पत्र लिखा गया है।

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बलिया के बेल्थरारोड में दिनदहाड़े महिला से ठगी, लॉकेट और कान के टॉप्स उड़ा ले गए चोर

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बेल्थरा रोड क्षेत्र में मंगलवार को दिनदहाड़े एक महिला से ठगी की सनसनीखेज वारदात सामने आई है। घटना चौधरी चरण सिंह तिराहे पर उस समय हुई जब फुलनी देवी, निवासी अटवा, तुर्तीपार, अपने भांजे की शादी से इंदारा, मऊ से लौटकर ऑटो का इंतजार कर रही थीं।

इसी दौरान एक युवक ने उनसे बातचीत शुरू की। तभी एक अन्य युवक वहां से गुजरा और उसका रुमाल गिर गया। तीसरे युवक ने रुमाल उठाया और कुछ ही देर में एक चौथा व्यक्ति आया, जिसने रुमाल में बड़ी रकम होने का दावा किया। चारों ने मिलकर महिला को बातचीत में उलझाया और एक रुमाल सुंघा दिया। बेहोशी की हालत में महिला के गहने — सिकड़ी, लॉकेट और कान के टॉप्स — चुरा लिए गए।

होश में आने के बाद पीड़िता ने तुरंत 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची, महिला का बयान दर्ज किया और मामले की जांच शुरू कर दी है।

स्थानीय लोगों ने क्षेत्र में बढ़ती ऐसी घटनाओं पर चिंता जताते हुए गश्त बढ़ाने की मांग की है। गौरतलब है कि इस इलाके में पहले भी कई महिलाएं इसी तरह की ठगी का शिकार हो चुकी हैं, लेकिन आरोपी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

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बलिया में फ्रंट ऑफिस खोलने के प्रस्ताव का विरोध, स्टांप वेंडर और दस्तावेज लेखक धरने पर बैठे

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उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में रजिस्ट्री कार्यालय में फ्रंट ऑफिस खोले जाने के प्रस्ताव के खिलाफ विरोध तेज़ हो गया है। शनिवार को स्टांप वेंडरों और दस्तावेज़ लेखकों ने उप निबंधक कार्यालय परिसर में धरना दिया और प्रस्ताव का विरोध जताया।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस कदम से रजिस्ट्री कार्यालय का निजीकरण बढ़ेगा, जिससे उनका पारंपरिक रोजगार खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले ही लगभग 85 प्रतिशत स्टांप वेंडर बेरोजगार हो चुके हैं और फ्रंट ऑफिस खुलने से लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी पर संकट आ सकता है।

इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शनकारियों ने ज़िलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। उन्हें स्थानीय अधिवक्ता संघ का समर्थन भी प्राप्त हो गया है। वेंडरों और दस्तावेज़ लेखकों ने सरकार से मांग की है कि फ्रंट ऑफिस में उनकी भूमिका को स्पष्ट किया जाए और उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा। उन्होंने सरकार से फ्रंट ऑफिस खोलने का प्रस्ताव तत्काल वापस लेने की अपील की है।

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बलिया में आंगनवाड़ी नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा उजागर, दो नियुक्तियां रद्द, लेखपाल पर होगी कार्रवाई

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बलिया जनपद की सदर तहसील के अंतर्गत बेलहरी परियोजना के दो आंगनवाड़ी केंद्रों—बजरहा और रेपुरा—में नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान फर्जी आय प्रमाण पत्र के माध्यम से अनुचित लाभ लेने का मामला सामने आया है।

तहसीलदार सदर द्वारा कराई गई जांच में यह तथ्य उजागर हुआ कि इन केंद्रों पर नियुक्ति के लिए आवेदन करने वाली दो अभ्यर्थियों—श्रीमती गुड़िया (रेपुरा) और श्रीमती अमृता दुबे (बजरहा) ने बीपीएल श्रेणी का फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। दोनों ने अपनी पारिवारिक मासिक आय ₹3800 से कम दर्शाई थी, जबकि जांच में यह स्पष्ट हुआ कि उनके परिजन सरकारी सेवा में कार्यरत हैं, जिससे वे बीपीएल श्रेणी में पात्र नहीं थीं।

जांच में यह भी सामने आया कि इन फर्जी प्रमाण पत्रों के निर्माण में लेखपाल श्री दिव्यांशु कुमार यादव (क्षेत्र: आमघाट, तहसील: बलिया सदर) की संलिप्तता रही है। उन्होंने अभ्यर्थियों के साथ मिलीभगत कर ये प्रमाण पत्र जारी किए। प्रशासन ने इस गंभीर अनियमितता पर त्वरित संज्ञान लेते हुए निम्न निर्णय लिए हैं। इसके तहत दोनों आवेदिकाओं की आंगनवाड़ी नियुक्तियां तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई हैं।

इसके अलावा संबंधित बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO) को निर्देशित किया गया है कि दोनों के विरुद्ध प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई जाए। उपजिलाधिकारी (SDM) सदर को निर्देश दिए गए हैं कि दोषी लेखपाल के विरुद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही कर आवश्यक दंड सुनिश्चित किया जाए। यह कार्रवाई शासन द्वारा निष्पक्ष चयन प्रक्रिया और नियमों की पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में उठाया गया एक सख्त और आवश्यक कदम है।

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