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बलिया

बेल्थरा रोड नायब तहसीलदार ने बुजुर्ग को डांटकर भगाया, SDM के सामने देते रहे धमकी!

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बलिया के बेल्थरा रोड में नायब तहसीलदार की दबंगई सामने आई है। यहां एसडीएम कार्यालय फरियाद लेेकर पहुंचे एक बुजुर्ग को नायब तहसीलदार ने डांटकर भगाया। नायब तहसीलदार दीपक कुमार सिंह एसडीएम के सामने ही बुजुर्ग को दबंगों की तरह डांटते रहे।

उन्होंने बुजुर्ग को ऑफिस से बाहर भगा दिया। वहां खड़े एक व्यक्ति ने घटना की वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जहां एसडीएम कुर्सी पर बैठे पूरा वाकया देखते रहे। जानकारी के मुताबिक पुलिस विभाग में सेवा दे चुके सेवानिवृत्त बुजुर्ग को नायब तहसीलदार दीपक कुमार सिंह ने बुरी तरह फटकारा। वह बुजुर्ग के साथ अभद्रता करते नजर रहे। इस दौरान उपजिलाधिकारी राजेश गुप्ता भी मौजूद थे।

उनके सामने ही नायब तहसीलदार दीपक कुमार ने बुजुर्ग को धमकी दी कि अगर वह किसी भी कोर्ट में जाएगा तो वहां जाकर भी उसके खिलाफ बयान देंगे। इस दौरान मौजूद एसडीएम ने नायब तहसीलदार को रोका नहीं, बल्कि मूक दर्शक बनकर बैठे रहे।

दोनों अधिकारियों के दुर्व्यवहार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोगों का कहना है कि इसी तरह ये अधिकारी आये दिन फरियादियों से दुर्व्यवहार करते रहते हैं। एक तरफ सीएम योगी जनता की समस्याओं का तुरंत समाधान करने के निर्देश अधिकारियों को दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अधिकारी फरियादियों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। जिससे जनता में आक्रोश है। इस मामले पर बलिया खबर ने नायब तहसीलदार दीपक कुमार सिंह का भी पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। उनका पक्ष सामने आने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा।

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बलिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के एसपी के हलफनामे की भाषा पर जताई नाराजगी, न्यायालय की गरिमा बनाए रखने की दी सलाह

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ओमवीर सिंह द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र की भाषा पर गंभीर आपत्ति जताते हुए उसे अनुचित और न्यायालय की मर्यादा के प्रतिकूल बताया है। अदालत ने भविष्य में अधिक सावधानी बरतने और भाषा में आवश्यक सुधार लाने की सख्त हिदायत दी है।

एसपी सिंह ने अपने हलफनामे में लिखा था कि पुलिस बल ‘किसी अदालत के किसी आदेश’ के अनुपालन में उपलब्ध कराया जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायालय कोई सामान्य संस्था नहीं है, बल्कि एक गरिमामयी संस्था है, जिसे ‘किसी अदालत’ कहकर संबोधित करना अनुचित है। इसे स्पष्ट रूप से ‘जनपद न्यायाधीश बलिया’ या ‘सिविल जज (सीनियर डिवीजन) बलिया’ कहकर संबोधित किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने आगे समझाया कि तहसीलदार, जो कि सहायक कलेक्टर होता है, एसपी का अधीनस्थ नहीं होता। यदि तहसीलदार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करता है, तो उसे पुलिस बल की आवश्यकता की जानकारी एसपी को औपचारिक मांग पत्र के माध्यम से देनी चाहिए। इसके बाद एसपी को स्वयं यह तय करना होगा कि कितनी पुलिस बल की आवश्यकता है, ताकि राज्य को आदेशों के क्रियान्वयन में किसी तरह की शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े।

एसपी बलिया को न केवल भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी दी गई है, बल्कि उनसे एक बेहतर और उपयुक्त भाषा में नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश भी दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 9 मई की दोपहर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बलिया के रसड़ा निवासी गजेंद्र उर्फ धर्मात्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। तहसीलदार रसड़ा ने अदालत के निर्देश पर मौके का निरीक्षण कर अतिक्रमण हटाने की कोशिश की, लेकिन पत्थरबाजी के कारण वह कार्रवाई अधूरी रह गई।

तहसीलदार ने अदालत को बताया कि उन्हें पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके चलते अतिक्रमण नहीं हट पाया। इस पर अदालत ने एसपी से जवाब मांगा था।

अपने शपथपत्र में एसपी ने कहा कि तहसीलदार ने 26 मई को अतिक्रमण हटाने की तिथि तय की थी और 3 मई को पुलिस बल की मांग का पत्र कोतवाली को भेजा गया था। उस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है और 26 मई को पुलिस बल भी प्रदान किया जाएगा।

हालांकि, हाईकोर्ट ने इस हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा कि एफआईआर तो कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज की गई है, यह कोई विशेष उपलब्धि नहीं है। अदालत ने एसपी को निर्देश दिया कि वे एक संशोधित, उपयुक्त और गरिमामयी हलफनामा प्रस्तुत करें।

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बलिया

बलिया में फर्जी बी.पी.एल. प्रमाण पत्र के सहारे पाई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी, जिलाधिकारी ने नियुक्ति पर लगाई रोक

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बलिया जिले के नगरा क्षेत्र स्थित जहांगीरपुरा वार्ड संख्या-3 की एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर फर्जी बी.पी.एल. प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी पद प्राप्त करने का आरोप सिद्ध हुआ है। जिलाधिकारी को प्राप्त शिकायत की जांच के बाद मामला गंभीर पाया गया, जिसके चलते संबंधित नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है।

शिकायत की जांच के लिए तहसीलदार एवं उपजिलाधिकारी रसड़ा को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि 7 जनवरी 2025 को एक फर्जी आय प्रमाण पत्र तैयार करवा कर श्रीमती जयश्री, पत्नी राजीव मोहन यादव, ने स्वयं को बी.पी.एल. श्रेणी में दर्शाया था। इस फर्जीवाड़े में क्षेत्रीय लेखपाल की भी संलिप्तता पाई गई है।

उपजिलाधिकारी रसड़ा द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO), नगरा को निर्देशित किया है कि श्रीमती जयश्री के विरुद्ध प्राथमिकी (FIR) दर्ज करवाई जाए। इसके साथ ही, दोषी लेखपाल पर प्रशासनिक एवं विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन की इस सख्त कार्रवाई से स्पष्ट संदेश दिया गया है कि शासकीय पदों की प्राप्ति हेतु धोखाधड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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बलिया के बेल्थरारोड में दिनदहाड़े महिला से ठगी, लॉकेट और कान के टॉप्स उड़ा ले गए चोर

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बेल्थरा रोड क्षेत्र में मंगलवार को दिनदहाड़े एक महिला से ठगी की सनसनीखेज वारदात सामने आई है। घटना चौधरी चरण सिंह तिराहे पर उस समय हुई जब फुलनी देवी, निवासी अटवा, तुर्तीपार, अपने भांजे की शादी से इंदारा, मऊ से लौटकर ऑटो का इंतजार कर रही थीं।

इसी दौरान एक युवक ने उनसे बातचीत शुरू की। तभी एक अन्य युवक वहां से गुजरा और उसका रुमाल गिर गया। तीसरे युवक ने रुमाल उठाया और कुछ ही देर में एक चौथा व्यक्ति आया, जिसने रुमाल में बड़ी रकम होने का दावा किया। चारों ने मिलकर महिला को बातचीत में उलझाया और एक रुमाल सुंघा दिया। बेहोशी की हालत में महिला के गहने — सिकड़ी, लॉकेट और कान के टॉप्स — चुरा लिए गए।

होश में आने के बाद पीड़िता ने तुरंत 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची, महिला का बयान दर्ज किया और मामले की जांच शुरू कर दी है।

स्थानीय लोगों ने क्षेत्र में बढ़ती ऐसी घटनाओं पर चिंता जताते हुए गश्त बढ़ाने की मांग की है। गौरतलब है कि इस इलाके में पहले भी कई महिलाएं इसी तरह की ठगी का शिकार हो चुकी हैं, लेकिन आरोपी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

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