बलिया स्पेशल
बागी बलिया की उन 4 महिलाओं की बात, जिन्होंने 2022 के चुनावी दंगल में ताल ठोकी है
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो चरण का मतदान हो चुका है। आगामी 3 मार्च को बलिया जनपद में भी मतदान होना है। वोटिंग से पहले एक नज़र देखते हैं बागी बलिया के विधानसभा सीटों पर दावेदारी पेश कर रहीं महिला नेताओं पर। बलिया से चुनाव लड़ रही महिलाओं में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से केतकी सिंह, कांग्रेस से ओमलता राज, गीता गोयल और सोनम बिंद शामिल हैं।
बात केतकी सिंह की:
बलिया की सियासत में पिछले कुछ सालों में केतकी सिंह ने अच्छी-खासी उपस्थिति दर्ज कराई है। बांसडीह रोड से केतकी सिंह तीसरी दफा विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं। इससे पहले 2012 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं। तो वहीं 2017 में निर्दलीय जोर-आजमाइश कर चुकी हैं। दोनों ही चुनावों में केतकी सिंह को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन वो कहावत है न कि ”तुम्हारी जीत से ज्यादा हमारे हार की चर्चा है।” ठीक यही कहानी रही केतकी सिंह के साथ।
2012 के चुनाव में केतकी सिंह को भाजपा ने टिकट दिया। चुनाव हुआ, नतीजे सामने आए। जीत समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रामगोविंद चौधरी की हुई। केतकी सिंह दूसरे स्थान पर रहीं। उन्हें लगभग तीस हज़ार वोट मिले थे। रामगोविंद चौधरी की जीत का अंतर बड़ा था। उन्हें लगभग 52 हज़ार से अधिक वोट मिले थे।
2017 का चुनाव आया तो बहुत कुछ बदल चुका था। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन चुके थे। आज देश के गृह मंत्री अमित शाह तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। यूपी के मिशन पर मोदी-शाह की जोड़ी निकली थी। अमित शाह ने सोशल इंजिनियरिंग के बूते सूबे की सियासत में भाजपा की वापसी कराने का मन बना लिया था। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ भाजपा का गठबंधन हुआ। बांसडीह विधानसभा सीट चली गई सुभासपा के खाते में। बांसडीह से एनडीए गठबंधन की ओर से सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को चुनावी मैदान में उतरे।
कुल मिलाकर बात ये है कि केतकी सिंह को भाजपा ने टिकट नहीं दिया। लेकिन केतकी सिंह ने चुनाव लड़ने का मन बना लिया था। सो केतकी सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। चुनाव हुआ, नतीजे सामने आए। जीत तो इस बार भी केतकी सिंह को नहीं मिली। लेकिन केतकी सिंह ने रामगोविंद चौधरी की जीत का रंग फीका कर दिया था। रामगोविंद चौधरी और केतकी सिंह के बीच वोटों का अंतर लगभग 1600 ही था।
एक बार फिर केतकी सिंह चुनावी मैदान में हैं। बांसडीह से सपा ने एक बार फिर अपने पुराने समाजवादी सिपाही रामगोविंद चौधरी को टिकट दिया है। भाजपा ने केतकी सिंह को टिकट दिया है। मुकाबला दिलचस्प है, कांटे की टक्कर है। चुनाव दंगल में विजय किसकी होगी? इसका जवाब 10 मार्च को मिलेगा।
कांग्रेस की ओमलता राज:
बलिया के रसड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने ओमलता राज को टिकट दिया है। ओमलता राज युवा महिला नेत्री हैं। पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। खूब पढ़ाई-लिखाई की है ओमलता राज ने। वकालत की डिग्री ले रखी है। कानून की पढ़ाई में अब शोध भी कर रही हैं। चुनाव से पहले ही वो कांग्रेस में शामिल हुई हैं। अब पार्टी ने लड़की हूं लड़ सकती हूं और 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने के ऐलान के बाद ओमलता राज को टिकट भी दे दिया है।
ओमलता राज के पिता परशुराम भारती कांग्रेस पार्टी के नेता हैं। बलिया में परशुराम भारती की सक्रियता का ही परिणाम है कि ओमलता राज को कांग्रेस ने टिकट भी दिया है। हालांकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जो एजेंडा सेट करने की जुगत में है उस फ्रेम में ओमलता राज फिट बैठती हैं। ओमलता राज एक लड़की हैं, पढ़ी-लिखी हैं और ‘पिछड़े समाज’ से आती हैं। हालांकि टिकट मिलने के बाद अब ओमलता राज के लिए असली चुनौती शुरू हुई है।
रसड़ा वही सीट है जहां से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमा शंकर सिंह विधायक हैं। क्षेत्र में उमा शंकर सिंह की धमक को हर कोई जानता है। रसड़ा सीट पर पिछले 32 सालों से कभी कांग्रेस को जीत नहीं मिली है। ऐसे में ओमलता राज के लिए चुनौती बड़ी होगी। इस सियासी भिड़ंत में ओमलता राज किस हद तक टिक पाती हैं 10 मार्च को पता चलेगा।
युवा और चर्चित चेहरा सोनम बिंद:
कांग्रेस ने बैरिया विधानसभा सीट से सोनम बिंद पर भरोसा जताया है। एकदम युवा चेहरा। सोनम बिंद भी पहली बार विधानसभा के चुनाव में अपनी ताकत आजमा रही हैं। इससे पहले सोनम बिंद जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ चुकी हैं। सोनम बिंद की उम्र महज 26 साल है। मूल रूप से बांसडीह विधानसभा सीट की रहने वाली हैं।
सोनम बिंद पिछड़ी जातियों से ही आती हैं। स्नातक तक की पढ़ाई कर चुकी हैं। स्टाफ नर्स का कोर्स कर चुकी हैं। हालांकि सोनम बिंद को बैरिया से टिकट मिलने पर उनका विरोध भी हो रहा है। विरोध है कि सोनम बिंद बांसडीह की रहने वाली हैं। तब उन्हें बैरिया से टिकट क्यों दिया गया? बलिया के सियासी गलियारे में सोनम बिंद को लेकर ये चर्चा आम है कि जिले बड़े कांग्रेसी नेताओं से उनका विवाद है।
बेल्थरा रोड से गीता गोयल की दावेदारी:
बलिया में कुल 7 विधानसभा सीटों में से 3 पर महिला उम्मीदवार उतारा है। बेल्थरा रोड सीट से कांग्रेस ने गीता गोयल को टिकट दिया है। गीता गोयल पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रही हैं। 43 साल की गीता गोयल शिक्षिका हैं। कुरेम गांव की निवासी हैं, जो कि रसड़ा विधानसभा क्षेत्र में आता है। राजनीति में बहुत हस्तक्षेप ना होते हुए भी गीता गोयल को टिकट मिलना बहुत से लोगों को हैरान कर गया।
गीता गोयल के पति संतोष गोयल रसड़ा जूनियर हाईस्कूल के हेडमास्टर हैं। रसड़ा से दो बार विधायक रहे हरदेव राम गीता गोयल के फूफा हैं। तो वहीं रसड़ा से ही पूर्व विधायक स्व. अनिल पासी गीता के पति संतोष गोयल के ममेरे भाई हैं। गीता गोयल का परिवार पुराना कांग्रेसी रहा है। लड़की हूं, लड़ सकती हूं और विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने की घोषणा प्रियंका गांधी ने की थी। जिसकी बदौलत गीता गोयल को बेल्थरा रोड से कांग्रेस का टिकट मिला है।
ये बलिया की चार वो नाम हैं जो यूपी की चुनावी दंगल में ताकत आजमा रही हैं। बलिया में 3 मार्च को मतदान होना है। 10 मार्च को नतीजे सामने आएंगे। तब देखना होगा कि इन चार महिला नेत्रियों में से किसे जीत मिलती है और किसे हार का सामना करना पड़ता है?
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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बात थी जंगलराज खत्म करने की लेकिन बलिया में तो पैदा हो गए दर्जनों गैंग!
रिपोर्ट : तिलक कुमार
बलिया। प्रदेश में योगी सरकार बनी तो लोगों में उम्मीद जगी कि अब जंगलराज खत्म हो जाएगा और राम राज की स्थापना होगी। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और तो और जनपद में दर्जनों गैंग पैदा हो गए, जो भोली भाली जनता की नाक में दम करके रखा है।
आलम यह है कि जनपद में योगी सरकार बनने के बाद फरसा, त्रिशूल, चोटी, टांगी, राइडर, शिकारी, रफ्तार व चिंगारी गैंग बनी है और यह गैंग आए दिन किसी न किसी को अपना शिकार बनाते हैं। इन गैंगों की पुष्टि खुद बलिया पुलिस ने की है और सूचना देने वालों पर पांच हजार का इनाम भी रखा है।
इन गैंगों की क्रियाकलापों की बात करें तो ये सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम पर एकाउंट बनाकर गैंग की मॉनिटरिंग करते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह भी है गैंग द्वारा इन एकाउंटों की इस तरह मानिटरिंग की जाती है कि गैंग के सरगना का पता नहीं चलता है।
हालांकि इस गैंग के मेंबर दस से 20 ही होते हैं, जो समय—समय पर अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के लिए किसी को मारते—पीटते हैं, फिर उसका वीडिया बनाकर सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट कर देते हैं। इन गैंगों को आपरेट करने वाले इतने शातिर होते हैं कि अपनी मौजूदगी का सिर्फ एहसास कराते हैं, लेकिन खुदको हमेशा पर्दे के पीछे रखते हैं।
…नहीं हुई कार्रवाई तो बन जाएगा गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश में गैंगवार की बात करें तो सबसे बदनाम और कुख्यात जिला गाजियाबाद है, जहां आज भी प्राय: सुनने को मिलता है कि इस गैंग ने उस गैंग को मारा। फला गैंग न फला गैंग को मारा। इस पर कई बॉलीवूड फिल्म से लेकर वेब सीरिज भी बन चुकी है। अब लगभग लगभग वही चीज बलिया जनपद में भी होने लगी है। ऐसे में इन गैंगों पर जल्द से जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह दिन दूर नहीं जब बलिया भी गाजियाबाद का रूप अख्तियार कर लेगा।
ताजा—ताजा पैदा हुआ कड़ा गैंग
अभी बांसडीह में रोहित यादव राइडर गैंग द्वारा रोहित पांडेय की निर्मम हत्या का मामला शांत नहीं हुआ कि सिकंदपुर थाना क्षेत्र के माल्दह चौकी अंतर्गत हरनाटार गांव में बीती रात पार्टी में बुलाकर कड़ा गैंग वाले एक युवक को मारपीट कर लहूलुहान कर दिया। इसके तीमारदार की मानें तो यह नई गैंग है और किसी पर भी सिर्फ कड़ा से हमला करते हैं।
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बलिया में अस्पतालों का औचक निरीक्षण, 84 स्टॉफ मिले गैरहाजिर, DM के एक्शन से हड़कंप!
बलिया के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों व कर्मचारियों की उपस्थिति जांचने के लिए सभी तहसील के एसडीएम/डिप्टी कलेक्टरों के माध्यम से जिले के दस सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कराया। इस दौरान कुल 18 डॉक्टर व 66 स्टॉफ ड्यूटी से गैरहाजिर मिले। इन सभी अनुपस्थित डॉक्टरों व कर्मचारियों को एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि सभी अस्पतालों में समय से उपस्थिति व बेहतर चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।
निरीक्षण में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, काजीपुरा में तैनात कुल 12 कार्मिकों के सापेक्ष लैब टेक्निशियन फहीजुर्रहमान अंसारी ही उपस्थित मिले, जबकि चिकित्साधिकारी डॉ शैलेश कुमार व 10 कार्मिक गायब मिले। न्यू पीएचसी सागरपाली में तैनात 9 कार्मिकों में से 4 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बांसडीह में डॉ प्रणय कुनाल, डॉ यश्वी सिंह, डॉ प्रियदर्शन सिंह, डॉ बीरबहादुर सिंह चिकित्साधिकारी सहित कुल 18 कर्मचारी अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेरूआरबारी में चिकित्साधिकारी डॉ एसके सिंह, डॉ पीडी शुक्ला, डॉ रामायण यादव सहित कुल 12 कार्मिक अनुपस्थित मिले।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनबरसा में डॉ जया पाठक, डॉ साल्टी कसेरा, डॉ राजेश कुमार, डॉ सुमन कुमार व वरिष्ठ लिपिक पुनीत श्रीवास्तव अनुपस्थित पाये गये। इसी प्रकार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मुरलीछपरा में बीएचडब्ल्यू अजय कुमार रावत, चीफ फार्मासिस्ट मनोहर प्रसाद व चतुर्थ श्रेणी कर्मी प्रेमशंकर यादव गायब मिले। सीएचसी खेजुरी में निरीक्षण के दौरान डॉ प्रशान्त व डॉ एएन शर्मा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बघुड़ी में डॉ चन्दन सिंह अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ककरासो के औचक निरीक्षण में चिकित्साधिकारी डॉ राकेश पाण्डेय सहित 10 कर्मी अनुपस्थित थे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनाडीह में चिकित्साधिकारी डॉ रामाशीष, फार्मासिस्ट महेन्द्र पाल सिंह, एलटी मनीष कुमार यादव, एएनएम संगीता व धर्मेन्द्र सिंह व अजीत पाण्डेय अनुपस्थित थे।
उप जिलाधिकारी ने सीएचसी रसड़ा का निरीक्षण किया तो वहां चिकित्साधिकारी डॉ ऑमिर इम्तियाज, डॉ धर्मवीर सिंह, बीपीएम मिथिलेश गिरि, एसटीएस अभिमान मेहता व सुनील कुमार वर्मा, एलटी बृजेश कुमार, वार्ड बॉय मिथिलेश्वर त्रिपाठी, वीना सिंह, विपिन सिंह, मंगलदेव सिंह, विनय दुबे, राहुल सिंह अनुपस्थित पाये गये। सभी अनुपस्थित चिकित्साधिकारी एवं अन्य कार्मिकों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है।
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