बलिया स्पेशल
बलिया बाढ़- अरबों रुपये खर्च के बाद भी हर तकनीकी फेल, आने वाला दिनों में नेशनल हाईवे ख़’तरे में
बलिया डेस्क– अब तक बाढ़ कटान को रोकने के नाम पर बाढ़ विभाग ने जो भी कवायद
अपनाई वह धरातल पर सफल होता नहीं दिख रहा है। चाहे जीओ विधि से बना प्लेटफार्म हो या फिर बांस बल्लियों से बंबू क्रेट ही क्यों न हो। बोल्डरों से बना स्पर भी असफल है। जब भी गंगा नदी उफान मारती है तो बाढ़ विभाग के सारे कारनामों को अपने पेट में समाहित कर लेती है और बाढ़ विभाग का कलई चिट्ठा साफ नजर आने लगता है।
अब तक अरबों रुपये एनएच-31 व गांवों को बचाने के नाम पर खर्च किए गए हैं। नतीजा यह रहा कि न तो एनएच 31 की मुश्किलें कम हुई और न गांव ही बचे। कहना गलत नहीं होगा कि आने
वाला साल एनएच के लिए खतरा साबित हो सकता है। बताते चले कि वर्ष 1997से बाढ़ विभाग मझौवा में अरबों रुपये का स्पर बना डाला। लेकिन पचरूखिया व मझौवा गांव को नहीं बचाया जा सका।
उसके बाद नारायणपुर, हुक्म छपरा, उपाध्याय टोला को बचाने के लिए बाढ़ विभाग कुल
छोटे-बड़े 13 स्परों का निर्माण कराया। जिसमें सरकार के करोड़ों रुपये खर्च हुए और गंगा उफान पर हुई तो स्पर संख्या 16 से लेकर 23 तक को अपने पेटे में समाहित कर लिया। स्परों को समाहित करने के बाद हुक्म छपरा के सामने एनएच 31 पर धाबा बोल दिया। संयोग अच्छा रहा कि गंगा का रौद्र रूप कम हो गया।
उसके बाद गंगापुर व चौबे छपरा को बचाने के लिए बाढ़ विभाग ने बांस व बल्लियों के सहारे बंबू क्रेट के द्वारा बाढ़ व कटान को रोकने का प्रयास किया। जिसको गंगा की लहरों ने अपने पेटे में समाहित करने के साथ ही चौबे छपरा गांव का भी अस्तित्व मिटा दिया। फिर बंबू क्रेट के सहारे केहरपुर गांव को बचाने का प्रयास इस बार बाढ़ विभाग किया तो केहरपुर गांव का भी अस्तिव मिट गया। 39 करोड़ रुपये खर्च कर दूबे छपरा रिंग बंधे का निर्माण किया गया।
जिसमें जीओ विधि से प्लेटफार्म भी बना, बोल्डरों के सहारे एक स्पर भी बना। लेकिन वह भी इस बार की बाढ़ में बह गया और गंगा ने उदई छपरा व गोलपुर गांव में जमकर तबाही बचाई। जिससे एक दर्जन परिवारों काआशियाना गंगा की लहरों में समा गया। इस बार फिर बाढ़ विभाग नौरंगा में हो रही कटान को रोकने के लिए बंबू क्रेट विधि का प्रयोग कर रहा है। देखना है कि वहां यह विधि कितना कारगर साबित हो रही है। पीड़ितों का कहना है कि चाहे गांव बचे या न बचे।
लेकिन हर बार बाढ़ विभाग अपनी तकनीकी बदलकर धन को बंदरबांट करने का काम कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अब तक अरबों रुपये खर्च करने के बाद न गांव ही बचा, न एनएच 31 की मुश्किलें ही कम हुई। हालात यह है कि रामगढ़ में एनएच 31 व नदी के बीच का फसला महज सौ
मीटर से भी कम है। समय रहते शासन-प्रशासन नहीं चेता तो आने वाला समय भयावह होगा।
लोगों की मानें तो जितना धन खर्च हुआ, उतने में पक्का ठोकर का निर्माण मझौवा से लेकर दूबे छपरा तक हो गया होता और आज लोगों को यह भी नहीं देखना पड़ता। लेकिन बाढ़ विभाग को इससे क्या मतलब कोई मरता है तो मरे। उसे तो बस बंदरबांट से मतलब है।
एक के बाद एक 20 गांवों को लील चुकी है गंगा– करीब तीन दशकों पर नजर दौड़ाए तो गंगा ने पचरूखिया, मझौवा, नारायणपुर, उपाध्याय टोला, तेलिया टोला, हुकुम छपरा, मीनापुर, दुर्जनपुर, गंगापुर, परमेश्वरपुर, रिकनी छपरा, चौबे छपरा, साहपुर गंगौली, श्रीनगर,
प्रसाद छपरा बक्शी, केहरपुर, उदईछपरा का कुछ अंश आदि गांवों को अपने पेटे में समाहित कर लिया।
हर बारजनप्रतिनिधयों व बाढ़ विभाग यही आश्वासन देताचला आया कि अब कोई गांव गंगा की गोद में नहीं समाएगा। लेकिन अगले साल गंगा किसी न किसी गांव का अस्तिव मिटा देते।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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