बलिया से प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के महिला समेत 5 सदस्य गिरफ्तार होने के बाद प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में आ गया है। नक्सली संगठनों को कौन पैसे देता है, इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करेगा। एटीएस के इस खुलासे के बाद राजधानी स्थित ईडी के जोनल कार्यालय की इंटेलिजेंस यूनिट को सक्रिय कर दिया गया है।
ईडी के अधिकारी इस मामले में लिए एटीएस से जांच से संबंधित जानकारी जुटाने की तैयारी में हैं। वहीं दूसरी ओर एटीएस की जांच में दायरे में बिहार सीमा पर स्थित जिलों के एक दर्जन जनप्रतिनिधि आ रहे हैं, इन पर नक्सलियों की मदद करने का शक है। एटीएस की गिरफ्त में आए पांचों कथित नक्सलियों को रिमांड पर देने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया गया है, जिस पर शुक्रवार को फैसला आएगा।
बता दें कि सभी नक्सली बसंतपुर गांव से गिरफ्तार हुए हैं। ये मुखौटा संगठनों के जरिए अपने नक्सली संगठन का विस्तार करने और पूर्वांचल में गतिविधियां बढ़ाने के लिए एक झोपड़ी में गोपनीय बैठक कर रहे थे। इनके कब्जे से नक्सल साहित्य, पर्चे, हस्तलिखित संदेश, एक लैपटॉप, नौ मोबाइल फोन, एक नाइन एमएम पिस्टल सहित अन्य सामान बरामद हुए हैं। छापेमारी में जो नक्सली पकड़ाए हैं उनमें तारा देवी उर्फ मंजू उर्फ मनीषा, लल्लू राम उर्फ अरुन राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत और विनोद साहनी शामिल है।
एटीएस की पूछताछ में तारा देवी ने बताया कि वह वर्ष 2005 से भाकपा (माओवादी) संगठन के महिला दस्ते की सदस्य है। पार्टी की केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रमोद मिश्रा व संदीप यादव के इशारे पर उसने बिहार में कई घटनाओं को अंजाम दिया।
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