बलिया स्पेशल
अधिकारीयों पर बरसे डीएम, प्रदेश में जिले की रैंकिंग बढ़ाने पर दिया जोर
बलिया
जिला अधिकारी भवानी सिंह खंगारौत ने मुख्यमंत्री की प्राथमिकता के कार्यक्रमों का क्रियान्वयन पूरी गतिशीलता के साथ करने के निर्देश सभी संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। जिला अधिकारी आज कलेक्ट मे आयोजित बैठक में प्राथमिकता के 61 बिन्दुओं पर की गयी कार्यवाही की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होने कार्यक्रमों के क्रियान्वयन मे सी व डी श्रेणी मे चल रहे विभाग के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रदेश में जिले की रैंकिंग बढ़ाई जाय।
कहा कि डाटा फीडिंग मे विशेष सतर्कता बरती जाय। कहा कि सी एम ओ अपने नक्शे सुधारें। जिला अधिकारी ने अर्थ एवं संख्याधिकारी महीने की 5 तारीख को सभी के डाटा चेक करेंऔर जिनके नक्शे गलत हों, सही कराये जांए। कहा कि अगली मीटिंग में सभी अधिकारी गत माह का व उससे पिछले माह का नक्शा लेकर आयेंगे। स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों की गति धीमी पायी गयी।
चकबंदी वादो के निस्तारण, महिला अपराधो कार्यवाही, कुपोषण से मुक्ति जैसे कार्यक्रम ‘ सी’ श्रेणी मे पाये गये। पेयजल मिशन, अधूरे निर्माण कार्यो, डूडा, पुलिस, राजस्व, कृषि, स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण, बिजली, आदि विभागो के कई कार्यक्रम’ डी ‘श्रेणी में पाये गये। नक्शा मे कतिपय खामियाँ पाये जाने पर जिलाधिकारी ने सभी 7 अपर जिला सांख्यिकीय अधिकारियों का वेतन रोकने के निर्देश दिए। कहा कि मंगलवार तक नक्शा की सभी त्रुटियां सुधार कर प्रस्तुत किया जाए। विद्युत विभाग की अलग से बैठक बुलाने के निर्देश जिलाधिकारी ने दिए। बैठक मे सी डीओ बद्रीनाथ सिह, डी डी ओ शशिमौलि मिश्र, डी एफ ओ श्रद्धा यादव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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