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बलियाः जिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे जिलाधिकारी, लिया व्यवस्थाओं का जायजा

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बलियाः जिलाधिकारी रविंद्र कुमार जिला अस्पताल में औचक निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने यहां सभी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान जिलाधिकारी ने आपातकालीन कक्ष, माइनर ऑपरेशन थिएटर, स्टोर रूम, पोस्ट कोविड वार्ड, मेडिकल वार्ड,ईएम‌ओ वार्ड और आयुष विंग का निरीक्षण किया।

अस्पताल पहुंचकर जिलाधिकारी ने चिकित्सालय परिसर में उटपटांग ढंग खड़े वाहनों को को लेकर नाराजगी जताई और ड्यूटी कर रहे होमगार्डों को फटकार लगाई और सभी वाहनों को व्यवस्थित रूप से खड़े कराने का निर्देश दिया। इसके बाद जिलाधिकारी ने चिकित्सालय में माइनर ऑपरेशन थिएटर में कोई स्टाफ निरीक्षण के समय मौजूद नहीं होने, परिसर की साफ- सफाई, चिकित्सालय में लगी कुर्सियों को अव्यवस्थित ढंग से पाये जाने पर मुख्य चिकित्सालय अधीक्षक को फटकार लगाई और कहा कि चिकित्सालय में जितने भी छोटे बड़े काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी हैं उनकी हर स्तर से जिम्मेदारी तय की जाए, तभी व्यवस्था में सुधार होगा।

जिलाधिकारी ने मरीजों से बातचीत की। इस दौरान सीएमएस को एक सुझाव काउंटर बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने सीएमएस को निर्देशित किया कि एक मरीज के साथ कक्ष में एक ही सहायक होना चाहिए, जिससे चिकित्सालय में भीड़ भाड़ होने से बचा जा सके। जिला अस्पताल के निरीक्षण के दौरान सीएमएस ने बताया कि बगल में ही आयुष विंग की स्थापना की गई है।

जिलाधिकारी ने चिकित्सालय में मौजूद वन स्टाप सेंटर (सखी) का निरीक्षण किया और वहां की काउंसलर से वहां रहने वाली महिलाओं के बारे में बातचीत कर स्थिति से रूबरू हुए। काउंसलर ने बताया कि वन स्टाफ सेंटर का दरवाजा टूट गया है, जिस पर जिलाधिकारी ने तत्काल सीएमएस को निर्देशित कर ठीक कराने के निर्देश दिए।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के एसपी के हलफनामे की भाषा पर जताई नाराजगी, न्यायालय की गरिमा बनाए रखने की दी सलाह

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ओमवीर सिंह द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र की भाषा पर गंभीर आपत्ति जताते हुए उसे अनुचित और न्यायालय की मर्यादा के प्रतिकूल बताया है। अदालत ने भविष्य में अधिक सावधानी बरतने और भाषा में आवश्यक सुधार लाने की सख्त हिदायत दी है।

एसपी सिंह ने अपने हलफनामे में लिखा था कि पुलिस बल ‘किसी अदालत के किसी आदेश’ के अनुपालन में उपलब्ध कराया जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायालय कोई सामान्य संस्था नहीं है, बल्कि एक गरिमामयी संस्था है, जिसे ‘किसी अदालत’ कहकर संबोधित करना अनुचित है। इसे स्पष्ट रूप से ‘जनपद न्यायाधीश बलिया’ या ‘सिविल जज (सीनियर डिवीजन) बलिया’ कहकर संबोधित किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने आगे समझाया कि तहसीलदार, जो कि सहायक कलेक्टर होता है, एसपी का अधीनस्थ नहीं होता। यदि तहसीलदार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करता है, तो उसे पुलिस बल की आवश्यकता की जानकारी एसपी को औपचारिक मांग पत्र के माध्यम से देनी चाहिए। इसके बाद एसपी को स्वयं यह तय करना होगा कि कितनी पुलिस बल की आवश्यकता है, ताकि राज्य को आदेशों के क्रियान्वयन में किसी तरह की शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े।

एसपी बलिया को न केवल भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी दी गई है, बल्कि उनसे एक बेहतर और उपयुक्त भाषा में नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश भी दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 9 मई की दोपहर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बलिया के रसड़ा निवासी गजेंद्र उर्फ धर्मात्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। तहसीलदार रसड़ा ने अदालत के निर्देश पर मौके का निरीक्षण कर अतिक्रमण हटाने की कोशिश की, लेकिन पत्थरबाजी के कारण वह कार्रवाई अधूरी रह गई।

तहसीलदार ने अदालत को बताया कि उन्हें पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके चलते अतिक्रमण नहीं हट पाया। इस पर अदालत ने एसपी से जवाब मांगा था।

अपने शपथपत्र में एसपी ने कहा कि तहसीलदार ने 26 मई को अतिक्रमण हटाने की तिथि तय की थी और 3 मई को पुलिस बल की मांग का पत्र कोतवाली को भेजा गया था। उस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है और 26 मई को पुलिस बल भी प्रदान किया जाएगा।

हालांकि, हाईकोर्ट ने इस हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा कि एफआईआर तो कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज की गई है, यह कोई विशेष उपलब्धि नहीं है। अदालत ने एसपी को निर्देश दिया कि वे एक संशोधित, उपयुक्त और गरिमामयी हलफनामा प्रस्तुत करें।

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बलिया में फर्जी बी.पी.एल. प्रमाण पत्र के सहारे पाई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी, जिलाधिकारी ने नियुक्ति पर लगाई रोक

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बलिया जिले के नगरा क्षेत्र स्थित जहांगीरपुरा वार्ड संख्या-3 की एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर फर्जी बी.पी.एल. प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी पद प्राप्त करने का आरोप सिद्ध हुआ है। जिलाधिकारी को प्राप्त शिकायत की जांच के बाद मामला गंभीर पाया गया, जिसके चलते संबंधित नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है।

शिकायत की जांच के लिए तहसीलदार एवं उपजिलाधिकारी रसड़ा को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि 7 जनवरी 2025 को एक फर्जी आय प्रमाण पत्र तैयार करवा कर श्रीमती जयश्री, पत्नी राजीव मोहन यादव, ने स्वयं को बी.पी.एल. श्रेणी में दर्शाया था। इस फर्जीवाड़े में क्षेत्रीय लेखपाल की भी संलिप्तता पाई गई है।

उपजिलाधिकारी रसड़ा द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO), नगरा को निर्देशित किया है कि श्रीमती जयश्री के विरुद्ध प्राथमिकी (FIR) दर्ज करवाई जाए। इसके साथ ही, दोषी लेखपाल पर प्रशासनिक एवं विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन की इस सख्त कार्रवाई से स्पष्ट संदेश दिया गया है कि शासकीय पदों की प्राप्ति हेतु धोखाधड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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बलिया के बेल्थरारोड में दिनदहाड़े महिला से ठगी, लॉकेट और कान के टॉप्स उड़ा ले गए चोर

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बेल्थरा रोड क्षेत्र में मंगलवार को दिनदहाड़े एक महिला से ठगी की सनसनीखेज वारदात सामने आई है। घटना चौधरी चरण सिंह तिराहे पर उस समय हुई जब फुलनी देवी, निवासी अटवा, तुर्तीपार, अपने भांजे की शादी से इंदारा, मऊ से लौटकर ऑटो का इंतजार कर रही थीं।

इसी दौरान एक युवक ने उनसे बातचीत शुरू की। तभी एक अन्य युवक वहां से गुजरा और उसका रुमाल गिर गया। तीसरे युवक ने रुमाल उठाया और कुछ ही देर में एक चौथा व्यक्ति आया, जिसने रुमाल में बड़ी रकम होने का दावा किया। चारों ने मिलकर महिला को बातचीत में उलझाया और एक रुमाल सुंघा दिया। बेहोशी की हालत में महिला के गहने — सिकड़ी, लॉकेट और कान के टॉप्स — चुरा लिए गए।

होश में आने के बाद पीड़िता ने तुरंत 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची, महिला का बयान दर्ज किया और मामले की जांच शुरू कर दी है।

स्थानीय लोगों ने क्षेत्र में बढ़ती ऐसी घटनाओं पर चिंता जताते हुए गश्त बढ़ाने की मांग की है। गौरतलब है कि इस इलाके में पहले भी कई महिलाएं इसी तरह की ठगी का शिकार हो चुकी हैं, लेकिन आरोपी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

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