बलिया
हाल-ए-बलिया! जिला अस्पताल में 4000 एक्सरे रिपोर्ट अटकी, रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती के बाद भी सेवा बदहाल

बलिया के जिला अस्पताल में एक्स-रे की सुविधा डमाडोल स्थिति में नजर आती है। समय पर मरीजों के एक्सरे नहीं हो पा रहे और एक्सरे हो भी जाते हैं तो रिपोर्ट नहीं आती। हाल ही में रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती हुई लेकिन इसके बाद भी कई हजार एक्स-रे रिपोर्ट अटकी हुई है।
बता दें कि मारपीट, दुर्घटना या अन्य आपराधिक मामलों में पुलिस संबंधित लोगों का एक्स-रे कराती है। लेकिन जिला अस्पताल में कम संख्या में एक्सरे होने से तीन हजार मुकदमे लंबित पड़े हैं। इससे पुलिस को विधिक कार्रवाई करने में दिक्कत हो रही है।
जिला अस्पताल में प्रतिदिन इस तरह के 30-40 एक्स-रे कराए जाते हैं। इस साल अप्रैल से जुलाई तक अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट के अभाव में रिपार्ट नहीं बनाई जा रही थी। जिला अस्पताल के रेडियोलाजिस्ट डा. संजय सिंह ने अप्रैल की शुरुआत में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। उसके बाद से मध्य जुलाई में देवरिया से रेडियोलजिस्ट डा. एसपी श्रीवास्तव CLA को यहां भेजा गया।लेकिन फिर भी ज्यादा संख्या में एक्सरे नहीं हो पा रहे और कई रिपोर्ट लंबित पड़ी हुई है।











बलिया
बलिया के पुलिस इंस्पेक्टर ने रोजेदार को दिया हेलमेट, सिखाई सुरक्षा और अनुशासन की अहमियत

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक दिलचस्प वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें यूपी पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ने एक रोजेदार को न सिर्फ सड़क सुरक्षा का संदेश दिया, बल्कि उसे एक हेलमेट भी गिफ्ट किया। इस वीडियो में एसआई रोजेदार को यह महत्वपूर्ण सीख देते हुए दिख रहे हैं कि “जिंदगी की हिफाजत से बड़ी कोई इबादत नहीं है”। उनका संदेश स्पष्ट था – “रोजा हो या रोड, अनुशासन दोनों में बेहद जरूरी है।”
यह घटना बलिया के एक बाजार में घटित हुई, जहां एक रोजेदार, जो कि रमजान के महीने में अपने रोजे रखे हुए था, बिना हेलमेट के बाइक चला रहा था। आमतौर पर इस स्थिति में पुलिस चालान करती है, लेकिन सब इंस्पेक्टर ने एक अनोखी पहल करते हुए उस रोजेदार को हेलमेट गिफ्ट करने का निर्णय लिया। एसआई ने रोजेदार से उसका नाम पूछा और फिर उसे समझाया कि हेलमेट न पहनना गलत था, और अब वह इसे सुधार सकते हैं। इसके बाद, एसआई ने उसे एक नई हेलमेट भेंट की और उससे वादा लिया कि वह भविष्य में कभी भी बिना हेलमेट के बाइक नहीं चलाएगा।
इस वीडियो को यूपी पुलिस के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से भी पोस्ट किया गया, और यह लोगों के बीच एक सकारात्मक संदेश फैलाने का काम कर रहा है। एसआई ने यह सुनिश्चित किया कि सिर्फ ट्रैफिक नियमों का पालन ही नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। उनका यह कदम यूपी पुलिस के सड़क सुरक्षा अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत लोगों को ट्रैफिक नियमों के पालन के लिए जागरूक किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर लोग एसआई की सराहना कर रहे हैं। एक यूजर ने कहा, “अब यह रोजेदार कभी भी बिना हेलमेट के बाइक पर नहीं निकलेगा,” जबकि दूसरे ने इसे फाइन से कहीं अधिक प्रभावी कदम बताया, जो लोगों को हेलमेट की जरूरत और सुरक्षा का अहसास दिलाएगा। इस पहल ने न केवल एक व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि समाज को भी एक जरूरी संदेश दिया कि सड़क पर चलने के दौरान हमारी सुरक्षा, अनुशासन और जिम्मेदारी सबसे महत्वपूर्ण है।
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स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी के योगदान और उनके जीवन के आदर्शों को सच्ची श्रद्धांजलि

मुजौना के पूर्व प्रधान श्री धर्मजीत सिंह जी (पति – स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी) बताते हैं कि, “मैं 17 साल तक प्रधान रहा और मेरी धर्मपत्नी 5 वर्ष तक प्रधान पद पर रहीं। उनका गांववासियों के साथ व्यवहार हमेशा एक परिवार की तरह था।” इसके बाद, श्री सिंह एक महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख करते हुए बताते हैं, “1980 के दशक में भारत सरकार की पुनर्वास योजना के तहत, लगभग 20 बिगहा ग्राम समाज की भूमि पर गांववासियों को बसाने की प्रेरणा मुझे मेरी धर्मपत्नी से मिली। यह सरकारी योजना थी, लेकिन उस समय कई बाधाएं भी सामने आईं। बावजूद इसके, मुझे जो आत्मबल और सहयोग उनसे मिला, वह एक अनमोल अनुभव था।”
वह आगे कहते हैं, “गांववासियों का जो स्नेह हमें मिला, वह अभूतपूर्व था। प्रत्येक वर्ष जरूरतमंदों के बीच वस्त्र वितरण से लेकर आवश्यक सामग्रियों का वितरण, यह उनकी प्राथमिकता रही।”
स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी के ज्येष्ठ पुत्र, ब्लाक प्रमुख (सीयर) श्री आलोक कुमार सिंह कहते हैं, “2015 में मैंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत मां की प्रेरणा से की। कर्मभूमि के रूप में मैंने अपनी जन्मभूमि को चुना और गांव का प्रधान बना।” एक किस्सा साझा करते हुए श्री सिंह कहते हैं, “मेरे कार्यकाल में जब सभी गांववासियों के आवास बन रहे थे, तो मां ने खुशी जताते हुए कहा, ‘यह मेरी अधूरी इच्छा थी, जो अब पूरी हो रही है।’ मां की इच्छा थी कि गांव का हर परिवार मूलभूत सुविधाओं से युक्त हो, और इसका सबसे बड़ा कारण था कि उनका गांववासियों के साथ एक विशेष पारिवारिक रिश्ता था।”
इसके बाद, जब सीट आरक्षित हुई, तो श्री सिंह के पारिवारिक सहयोगी श्री देवनाथ राजभर की धर्मपत्नी, श्रीमती गीता राजभर प्रधान बनीं। मां की ही इच्छा थी कि श्रीमती राजभर ग्राम प्रधान के रूप में चुनाव लड़े। उनके प्रधान बनने के बाद भी, गांववासियों के प्रति विकास और सहयोग की रफ्तार पहले की तरह बनी रही।
श्री अनूप सिंह “मंटू”, छोटे पुत्र और महादेव कंस्ट्रक्शन के प्रबंध निदेशक, बताते हैं, “मेरी मां का जन्म एक बड़े, कुलीन और सांस्कारिक परिवार में हुआ था, जिससे उन्हें परिवार को एकजुट रखने और रिश्तों में समन्वय स्थापित करने की अद्भुत क्षमता विरासत में मिली। वह सादगी, सद्भाव, विनम्रता और करुणा की प्रतिमूर्ति थीं। हमारी परवरिश में, परिवार को एकीकृत करने और एक आदर्श परिवार की स्थापना में उनके संस्कार स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते हैं। हम सभी उनके विचारों को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे, और वह हमेशा हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगी।”
स्मृति शेष उद्गार
स्वर्गीय शिवकुमारी देवी जी की याद में
बलिया
बलिया में चलती कार के शीशे में फंसी डेढ़ साल के बच्चे की गर्दन, मौत

बलिया जिले के बेल्थरा रोड में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक डेढ़ साल के मासूम बच्चे की मौत हो गई। बच्चा अपनी मां की गोद में कार की पीछे वाली सीट पर बैठा था। अचानक चलते हुए कार में खेलते-खेलते उसने खिड़की का बटन दबा दिया, जिससे कार का शीशा अचानक ऊपर चढ़ गया और बच्चे का गला उसमें फंस गया।
घटना सोमवार दोपहर की है, जब मां रंभा और उनका बच्चा रेयांश मंदिर से पूजा करके वापस लौट रहे थे। रंभा ने बताया कि वह और उसका बेटा पीछे वाली सीट पर बैठे थे, और उनका बेटा खेलते हुए खिड़की से बाहर झांकने लगा। इस दौरान बच्चे के पैर से खिड़की का बटन दब गया, जिससे शीशा तेजी से ऊपर उठकर बच्चे के गले में फंस गया।
मां ने जैसे ही देखा, शीशा नीचे किया और बच्चे को गोद में उठाया, लेकिन बच्चे की गर्दन झूलने लगी थी। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। रोशन, जो कि बच्चे का पिता था, ने बताया कि घटना के समय वह दुकान पर था। जैसे ही उसे घटना का पता चला, वह अस्पताल दौड़ा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
परिवार ने पोस्टमॉर्टम नहीं कराए और सोमवार शाम को ही बच्चे को दफन कर दिया। यह पूरा मामला बेल्थरा रोड से 60 किमी दूर घटित हुआ, और इससे पूरे परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है। रेयांश रोशन और रंभा का इकलौता बेटा था, जिसकी किलकारियों से घर महकता था। यह हादसा न केवल परिवार के लिए बल्कि सभी रिश्तेदारों के लिए एक बड़ा शॉक है। परिवार के सदस्य और स्थानीय लोग इस हादसे को लेकर बेहद दुखी हैं।
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