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बलिया स्पेशल

तमाम दावों-वादों के बावजूद चुनाव से पहले नहीं शुरु हुआ एम्स की स्थापना का काम

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देश को चंद्रशेखर जैसा प्रधानमंत्री देने वाला बलिया आज ज़िले में एक एम्स को तरस रहा है। सरकारे बदल गईं, मांगें उठीं, वादे हुए, लेकिन एम्स की स्थापना का काम सिर्फ कागज़ों तक पर ही सिमट कर रह गया। 2012 से ही ज़िले में एम्स खोलने की कवायद जारी है।
शासन प्रशासन की ओर से इस संबंध में उप्लब्ध ज़मीन का नीरिक्षण भी किया जा चुका है, लेकिन इन सब प्रकियाओं के बावजूद एम्स की स्थापना का काम खटाई में पड़ा हुआ है। पिछले साल अप्रैल में ही प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर सीआरओ रसड़ा तहसील के सवन, पखनपुरा, सिकरिया कला गांव में उपलब्ध जमीनों का जायज़ा ले चुके हैं और इस संबंध में ज़िलाधिकारी को रिपोर्ट भी भेजी जा चुकी है।
लेकिन अभी तक एम्स की स्थापना का काम शुरु नहीं हो सका है। इस वक्त सूबे और केंद्र दोनों जगह ही बीजेपी की सरकार है। बीजेपी के सत्ता में आने के बाद बलिया के लोगों को उम्मीद थी कि जो एम्स पिछली सरकारों के शासनकाल में नहीं बन सका वो विकास के दावे के साथ सत्ता में आई बीजेपी के राज में बन जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, केंद्र में बीजेपी का कार्यकाल लगभग खत्म होने पर है और सूबे की योगी सरकार को 2 साल बीत चुके हैं। ऐसे में यह कहना मुश्किल नहीं कि बीजेपी बलिया में एम्स की स्थापना को लेकर गंभीर नहीं।
जिले में सालों से एम्स स्थापित करने की मांग समय-समय पर उठती रही है। इन्हीं मांगों के मद्देनज़र सपा सरकार के शासनकाल में एम्स की स्थापना को लेकर कागज़ी काम शुरु हुए थे। लेकिन स्थापना का काम शासन प्रशासन के दफ्तरों के दस्तावेज़ों तक ही सिमट कर रहे गया। 2017 में सूबे की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में आ गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्तनाथ का संबंध चूंकि पूर्वी उत्तर प्रदेश से है, ऐसे में बलिया के लोगों में ज़्यादा उम्मीद जागी कि अब तो बलिया को एम्स मिल कर ही रहेगा।
लेकिन बलियावासियों को इन दो सालों में योगी आदित्यनाथ से भी मायूसी ही हाथ लगी। अब लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। चुनाव के बाद केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो सकता है और अगर केंद्र में बीजेपी की सरकार नहीं रहती तो ऐसे में बलिया में एम्स की स्थापना की राह और भी मुश्किल हो सकती है। ग़ौरतलब है कि बलिया में एम्स की स्थापना की मांग 2016 से तेज़ हुई है।
उच्च शिक्षा एवं उच्च चिकित्सा शिक्षा स्थापना जन जागरण समिति के जिला समन्वयक डा. इंद्रजीत प्रसाद ने इसके लिए 18 अप्रैल 2016 में इसके लिए पहल की। उन्होंने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर जिले में एम्स के स्थापना की मांग की। कई बार गुहार लगाने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर डा. प्रसाद ने जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत कर मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग की।
इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले के निस्तारण का निर्देश दिया। जिलाधिकारी को भेजी रिपोर्ट में जमीन का उल्लेख किया गया। सीआरओ ने यह बताया कि किसान अपनी जमीन नि:शुल्क देने को तैयार हैं। लेकिन सारी कागज़ी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद एम्स का काम अभी शुरु नहीं हुआ है।
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बलिया के एकलौते बसपा विधायक पर क्यों बैठी विजलेंस जांच ?

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बसपा के रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। विजलेंस विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। उमाशंकर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि विभाग ने विधायक ही नहीं उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के नाम खरीदी गईं जमीन, मकान, फ्लैट, व्यवसायिक और कृषि जमीन की पूरी जानकारी मांगी है।

वैसे सबको पता है नेता जी लोगों की आय से अधिक संपत्ति तो होती ही है। पुरानी स्क्रिप्ट है। लेकिन जब तक कोई नेता सत्ता के करीब होता है, तब तक उसकी संपत्ति पर कोई सवाल नहीं उठता। मगर विपक्ष पर यह कभी भी हो सकता है। उमाशंकर सिंह का मामला भी कुछ ऐसा ही लगता है। बसपा के इस इकलौते विधायक के खिलाफ अचानक जांच शुरू हो गई है। महानिरीक्षक प्रयागराज ने सभी उप निबंधन कार्यालय को निर्देशित किया है कि उमाशंकर सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह, बेटी यामिनी व बेटे युकेश के नाम से प्रदेश में खरीदी गई जमीन, मकान, फ्लैट या अन्य प्रकार की संपत्तियों की जानकारी विजलेंस विभाग को उपलब्ध कराए।

उमाशंकर सिंह की बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। जब पूरे यूपी में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीते दिनों मायावती काफी मुखर है लेकिन क्या अब इसका खामियाजा उमाशंकर सिंह को भुगतना पड़ रहा है?

बसपा का हाल किसी से छिपा नहीं है। मायावती पार्टी को चुनावी मोड में कम, ‘मैनेजमेंट मोड’ में ज्यादा चला रही हैं। यूपी में अब बसपा केवल ‘बीजेपी की B-Team’ कहकर बदनाम हो रही है। लेकिन ऐसे में उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ व्यक्तिगत मामला मान लेना भी सही नहीं होगा।

सवाल यह भी है कि आखिर राजनीति में आने के बाद कुछ नेताओं की संपत्ति मॉल्टीप्लाई मोड में कैसे चली जाती है? 2009 में जब उमाशंकर सिंह ने कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ सालों में उनकी संपत्तियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाएगी कि सरकार को उसकी जांच करवानी पड़ेगी।

अगर कोई आम आदमी बिना पक्के दस्तावेजों के 5 लाख रुपये की जमीन भी खरीद ले, तो टैक्स विभाग और पुलिस उसके पीछे पड़ जाते हैं। मगर विधायक, सांसद, मंत्री खुलेआम करोड़ों की संपत्ति बना लेते हैं, और हमें लगता है कि यह सब “मेहनत” की कमाई है!

फ़िलहाल सूचना यह है कि उमाशंकर सिंह की तबियत खराब है। वह बीमार चल रहे हैं। लेकिन विजलेंस ने भी अपना काम शुरू कर दिया है

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बलिया में ATM कार्ड के जरिए फ्राड करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, Encounter के बाद 4 गिरफ्तार

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बलिया के हल्दी में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद बिहार के चार अपराधियों को गिरफ्तार कर एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई के दौरान पैर में गोली लग से एक आरोपी घायल हो गया।

अपर पुलिस अधीक्षक कृपा शंकर ने संवाददाताओं को बताया कि बुधवार रात को पुलिस को सूचना मिली कि हृदयाचक तिराहा से पीपा पुल की ओर जाने वाली सड़क पर एक कार में कुछ संदिग्ध लोग आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जब पुलिस ने वाहन को रोकने का प्रयास किया तो चारों संदिग्ध कार से उतरकर भागने लगे।

शंकर ने कहा, ‘‘पीछा किए जाने पर अपराधियों में से एक ने पुलिस दल पर गोली चला दी, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। एक आरोपी पैर में गोली लगने से घायल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने सभी चार संदिग्धों को काबू कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘गोली लगने से घायल हुए बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के निवासी बच्चा लाल महतो (27) को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य तीन की पहचान साहेब कुमार महतो (32), मदन महतो (37) और लाल बाबू महतो (38) के रूप में हुई है। ये सभी बिहार के हैं।’’

पुलिस ने आरोपियों के पास से दो देसी पिस्तौल (.315 बोर), दो कारतूस, दो खाली खोल, विभिन्न बैंकों के 63 एटीएम कार्ड, एक कार और 5,200 रुपये भी जब्त किए हैं।

अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने एटीएम कार्ड धोखाधड़ी में संलिप्त एक गिरोह का हिस्सा होने की बात कबूल की। वे सीधे-साधे लोगों को निशाना बनाकर उनका एटीएम कार्ड बदल लेते थे और फिर उनके रुपये निकाल लेते थे या अंतरित कर लेते थे। चोरी की रकम गिरोह के सदस्यों के बीच बांटी जाती थी।’’

अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने यह भी कबूल किया कि उन्होंने बलिया और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ दिल्ली में भी कई लोगों को ठगा है।

पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि बलिया, दिल्ली और अन्य स्थानों पर तीनों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्यों और देश के विभिन्न हिस्सों में उनके नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है।

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बलिया स्पेशल

Ballia- बेलथरा रोड के सामाजिक कार्यकर्ता खालिद ज़हीर का निधन

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बेलथरा रोड डेस्क :  बलिया जिले के बेलथरा रोड से एक बुरी खबर सामने आई है।  नगर पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता रहे खालिद ज़हीर का वाराणसी में अचानक निधन हो गया। बताया जा रहा है कि गिरने की वजह से उनको सर में गहरी चोट लग गई जिसके बाद परिजन अस्पताल ले गए। इलाज के दौरान ही डाक्टरों ने उन्हे मृत्यु घोषित कर दिया।  सोमवार की रात करीब 12 बजे वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए. उनकी उम्र लगभग 58  साल थी.

सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ कई बार नगर पंचायत का चुनाव भी लड़ चुके थे । हर मुद्दे पर पर वो मुखर होकर अपनी बात रखते थे। सभी समुदाय में अच्छी पकड़ रखते थे। उनकी मौत की खबर से इलाके में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।

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