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उत्तर प्रदेश

अपने घर बलिया आ रही इंजीनियरिंग छात्रा की लखनऊ में हत्या, इलाके में सनसनी

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बलिया की रहने वाली छात्रा की लखनऊ में हत्या का मामला सामने आया है । रिपोर्ट के मुताबिक यूपी की  राजधानी लखनऊ के मड़ियांव में घैला पुल के पास खंती में शुक्रवार को पॉलीटेक्निक कॉलेज की 20 वर्षीय छात्रा संस्कृति राय औंधे मुंह पड़ी मिली। उसके माथे में सुराख से खून रिसकर सूख चुका था। राहगीरों की जानकारी पर पुलिस मौके पर पहुंची और उसे ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

लखनऊ में रहने वाले मौसा ने गुरुवार रात संस्कृति की गाजीपुर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। बताया गया है की वह गुरुवार शाम को बलिया जाने के लिए निकली थी। इसके बाद से वह लापता हो गई। देर शाम पुलिस ने उसकी शिनाख्त की। परिवारीजनों ने हत्या की आशंका जताई है। फिलहाल इंस्पेक्टर गाजीपुर का कहना है पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

दरअसल, बलिया के फेफना, भगवानपुर गाव निवासी अधिवक्ता उमेश कुमार राय की बेटी संस्कृति पॉलीटेक्निक कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। पिता उमेश कुमार के मुताबिक, पिछले साल बेटी का पॉलीटेक्निक में दाखिला हुआ था। वह सालभर हॉस्टल में रही। दूसरे साल हॉस्टल नहीं मिल पाया तो वह इंदिरानगर सेक्टर 19 में राजेंद्र अरोड़ा के मकान में किराये पर रहने लगी। पाच जून को बेटी संस्कृति बलिया स्थित घर आई थी। सात जून को उसका प्रैक्टिकल था, इसलिए वह छह को ही लखनऊ चली गई।

विकासनगर निवासी रिश्ते के मौसा आशुतोष के मुताबिक संस्कृति गुरुवार को अपनी एक सहेली के साथ घर जाने वाली थी। दोनों लोग बादशाह नगर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पर सवार होकर बलिया जाती।

लेकिन देर रात संस्कृति स्टेशन नहीं पहुंची और उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ जा रहा था। इस पर सहेली ने परिवारीजनों को जानकारी दी। इसके बाद उसकी तलाश शुरू हुई। मौसा की तहरीर पर गाजीपुर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर ली।

मा से कहा था, मैं आ रही हूं 

21 जून की रात छात्रा को अपनी चंदौली निवासी सहेली पुष्पाजलि के साथ ट्रेन से बलिया जाना था। रात आठ बजे संस्कृति की मा नीलम ने बेटी को फोन मिलाया। इसपर उसने कहा कि घर आ रही हूं, तैयार हो रही हूं, बाद में कॉल करती हूं। रात नौ बजे के करीब पुष्पाजलि बादशाहनगर स्टेशन पहुंच गई, लेकिन संस्कृति नहीं पहुंची। पुष्पाजलि ने एक अन्य सहेली को फोन करके बताया कि संस्कृति का फोन बंद है और वह स्टेशन पर भी नहीं आई। तीसरी सहेली ने संस्कृति के पिता को रात 9:52 पर फोन कर इसकी जानकारी दी।

संस्कृति के पिता ने मामले की जानकारी मिलते ही अपने एक रिश्तेदार को फोन पर पूरी बात बताई और उन्हें गाजीपुर थाने भेजा। रिश्तेदार ने रात में ही छात्रा के पिता की बात गाजीपुर इंस्पेक्टर से कराई। पिता ने इंस्पेक्टर से फोन पर बेटी के साथ अनहोनी की आशका भी जताई थी। घैला गाव की महिला ने दी सूचना:

इंस्पेक्टर मड़ियाव अमरनाथ वर्मा के मुताबिक, बीते दिन यानी 22 जून की दोपहर 12 बजे के करीब घैला गाव निवासी प्रेमा ने झाड़ियों में युवती को लहूलुहान देखकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस का कहना है कि मौके पर छात्रा की सासे चल रही थीं, जिसे फौरन ट्रामा सेंटर ले जाया गया। ट्रामा में डॉक्टरों ने छात्र को मृत घोषित कर दिया। मोबाइल, पर्स गायब, लूट की आशका:

पुलिस ने शव की शिनाख्त के लिए फोटो सोशल मीडिया पर वायरल किया, जिसके बाद उसकी शिनाख्त संस्कृति के रूप में हुई। सीओ अलीगंज दीपक सिंह ने बताया कि छात्रा का मोबाइल फोन और पर्स गायब है। आशका जताई जा रही है कि लूट के इरादे से किसी ने छात्रा की हत्या कर दी है।

पहले पॉलीटेक्निक पर मिलने की हुई थी बात

सीओ अलीगंज का कहना है कि छात्रा की सहेली मुंशी पुलिया के पास इंदिरानगर में ही रहती है। पहले दोनों की मुंशी पुलिया पर मिलने की बात हुई थी, यहीं से साथ टैक्सी से बादशाहनगर स्टेशन जाना था। इसी बीच अचानक संस्कृति ने सहेली को फोन करके कहा कि उसे देर होगी, स्टेशन पर ही मिलेंगे। पुलिस इस बात की आशका जता रही है कि इस बीच कोई दोस्त छात्रा के कमरे पर आ गया होगा और घटना को अंजाम दिया।

घटनाओं के बाद मड़ियाव इंस्पेक्टर का स्थानातरण

एसएसपी दीपक कुमार ने इंस्पेक्टर मड़ियाव को बीकेटी थाने की कमान सौंपी है और वहा तैनात रहे इंस्पेक्टर तेज प्रकाश सिंह को मड़ियाव कोतवाली का प्रभारी बनाया है। गौरतलब है कि बीकेटी के विश्रमपुर गाव में भी गुरुवार को एक युवती की गला काटकर हत्या कर दी गई थी।

सीडीआर रिपोर्ट खंगाल रही पुलिस: एएसपी ट्रासगोमती हरेंद्र कुमार के मुताबिक, छात्रा के फोन की सीडीआर निकाली गई है। उसने अपने घर में बात करने के साथ कुछ साथी दोस्तों से भी बात की थी। एक दोस्त से उसकी फोन पर चैटिंग की भी बात सामने आ रही है, लेकिन यह बात अभी अपुष्ट है। छात्रा सेक्टर 19 में रहती थी, जिसकी आखिरी लोकेशन टेढ़ीपुलिया पर मिली है। रात 08:08 बजे उसकी अपने सहेली से आखिरी बार बातचीत हुई थी, इसके बाद उसका फोन बंद हो गया था। टैक्सी चालक भी पुलिस के रडार पर:

राजधानी में पूर्व की घटनाओं को देखते हुए पुलिस को टेंपो और ऑटो चालकों पर भी शक है। आशका इस बात की भी जताई जा रही है कि छात्रा ने जो टेंपो या ऑटो बुक कराई हो, कहीं उसी के चालक ने लूटपाट कर छात्रा की हत्या न कर दी हो। एएसपी टीजी के मुताबिक, इस दिशा में भी पड़ताल किया जा रहा है।

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बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख की बेटी की हाई-प्रोफाइल शादी, सियासी दिग्गज और फिल्मी सितारों का जमावड़ा

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बलिया के इस ब्लॉकप्रमुख की बेटी के शादी में पहुंचे बड़े-बड़े दिग्गज, फ़िल्मी सितारों से लेकर, सांसद तक, अधिकारी से लेकर सुपरस्टार तक लखनऊ की इस शादी में सबका जमावड़ा, निरहुआ’ और खेसारी ने बनाया माहौल, पुरे यूपी में होने लगी बलिया के इस बेटी की शादी की चर्चा !

आमतौर पर चुनावी मंचों पर एक-दूसरे पर निशाना साधने वाले नेताओं को लखनऊ में हो रही एक शादी में हंसी-मजाक करते देखा गया जिसकी वजह से यह शादी इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई है।

बलिया के सीयर ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह की बेटी की शादी लखनऊ के दयालबाग में आयोजित की गई थी। इस शादी समारोह में सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक की तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हुई।

माहौल ऐसा था, मानो कोई बड़ा सियासी सम्मेलन हो रहा हो। शादी में हर पार्टी के दिग्गज एक छत के नीचे बैठे थे और सब राजनीति छोड़ हंसी-मजाक कर रहे थे।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक भी दयालबाग पहुचे। शादी में उन्होंने वर-वधू को आशीर्वाद दिया और सबसे भेट मुलाकात की।महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर वामन कुले ने भी वर वधु को आशीर्वाद दिया।

उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह भी इस शादी में पहुंचे। इनके अलावा, बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेश सिंह दयाल, राज्यसभा सांसद नीरज शेखर जी की धर्मपत्नी श्री मति सुषमा शेखर ,पूर्व मंत्री उपेन्द्र तिवारी ,समाजवादी पार्टी के सांसद रमाशंकर विद्यार्थी, पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष बलिया, संजय यादव और धन्नजय कन्नौजिया , विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों के MD समेत विभिन्न दिगज्ज भी इस खास मौके का हिस्सा बने।

इस अवसर पर पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के पुत्र विपुलेंद्र सिंह मस्त की भी प्रभावी उपस्थिति रही तथा उन्होंने पारिवारिक सदस्य की तरह सभी अतिथियों का स्वागत किया।

इस शादी में प्रशासनिक और फिल्मी जगत के लोग उपस्थित थे। भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और खेसारी लाल यादव भी शादी में नजर आये। दोनों ने लखनऊ के दयालबाग में हो रहे इस शादी की रौनक को और बढ़ा दिया। इनके साथ बाबा कीनाराम आश्रम वाराणसी के पीठाधीश्वर सिद्धार्थ गौतम राम जी ने भी नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया।

शादी की सबसे खास बात ये रही कि इसे पूरी तरह से भव्य अंदाज में आयोजित किया गया। शानदार सजावट से लेकर बढ़िया खान-पान तक, हर चीज़ पर खास ध्यान दिया गया था। गायक कलाकारों ने अपने जबरदस्त परफॉर्मेंस से समां बांध दिया। शानदार कार्यक्रमों में मेहमान जमकर तालियां बजाते दिखाई दिए।

आलोक कुमार सिंह के छोटे भाई अनूप कुमार सिंह मेहमानों की आवभगत कर रहे थे और हर एक अतिथि को खास महसूस करने में जुटे थे। अब बलिया के सीयर ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह की बेटी की इस हाई-प्रोफाइलशादी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रही हैं।

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20 दिन बाद भी फरार है बलिया का ये BJP का ब्लॉक प्रमुख ! गिरफ्तारी में देरी क्यों ? सड़को पर उतरे वकील

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प्रयागराज के मशहूर वकील अखिलेश शुक्ला की हत्या के बाद जिस तरह से मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह की गिरफ्तारी में देरी हो रही है, उसने पुलिस की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वजह है कि पुलिस अभी तक उसे पकड़ नहीं पाई है? कहीं यह बीजेपी से उसके जुड़े होने और राजनीतिक पहुंच की वजह से तो नहीं हो रहा?
रविवार को वकीलों ने म्योहाल चौराहे पर जबरदस्त प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला रोकने की मांग कर दी। उनका कहना था कि इतने दिनों बाद भी मुख्य आरोपी फरार है, तो पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा कैसे किया जाए? पुलिस बार-बार आश्वासन दे रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
कौन है अतुल प्रताप सिंह?
अतुल प्रताप सिंह बलिया जिले से बीजेपी का गड़वार ब्लॉक प्रमुख है। पहले से ही उस पर कई गंभीर मामले दर्ज है, फिर भी वह खुलेआम घूम रहा है।  पुलिस ने भले ही उस पर 5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हो, लेकिन सवाल है कि क्या यह इनाम भी सिर्फ औपचारिकता है? क्या राजनीतिक दबाव की वजह से पुलिस धीमी कार्रवाई कर रही है?
सड़क पर उतरे वकील !
रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हेलीकॉप्टर जैसे ही पुलिस लाइन ग्राउंड पर उतरा, बड़ी संख्या में वकील महाराणा प्रताप चौराहे पर इकट्ठा हो गए। इसी रास्ते से सीएम का काफिला गुजरने वाला था। वकीलों ने ठान लिया था कि वे मुख्यमंत्री का काफिला रोककर अपनी नाराजगी जताएंगे और पत्रक सौंपेंगे। फिर क्या था ? अफसरों के माथे पर पसीना आ गया कि अगर काफिला रुका, तो सीधा यही मैसेज जाएगा कि यूपी में कानून व्यवस्था फेल हो चुकी है।
वकील इस बात से नाराज़ हैं कि अगर उनके कम्युनिटी के एक सीनियर मेंबर के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों की सिक्योरिटी का क्या होगा? उन्होंने मुख्यमंत्री का काफिला रोकने की कोशिश तो की और अपनी मांगें सामने रखने के लिए प्रदर्शन किया। लेकिन यूपी पुलिस हमेशा की तरह प्रदर्शनकारियों को रोकने में कामयाब रही और एक बार फिर आश्वाशन देकर उन्हें वापस भेज दिया गया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस कमिश्नर मौके पर पहुंचे। उन्होंने वकीलों को भरोसा दिलाया कि आरोपी की जल्द गिरफ्तारी होगी।
17 नवंबर को क्या हुआ था ?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में हुए हमले ने प्रयागराज को हिला कर रख दिया था। अधिवक्ता अखिलेश शुक्ला पर लाठी-डंडों और असलहे से हमला हुआ। उन्हें इतना मारा गया कि वह अधमरे हो गए। तीन दिन तक वह जिंदगी और मौत से जूझते रहे और 20 नवंबर को लखनऊ में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी निखिल सिंह और तीन अन्य को जेल भेज दिया है। लेकिन अतुल प्रताप सिंह अभी तक फरार है।
इस मामले में बसंतपुर का दुर्गेश सिंह और रामपुर का प्रिंस सिंह पहले ही सरेंडर कर चुके हैं। लेकिन अतुल प्रताप सिंह और उसका ड्राइवर अजय यादव अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस का कहना है कि वह छापेमारी कर रही है, लेकिन जब सबकुछ पता है—नाम, पता और पहचान—तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
सवाल यह भी उठता है कि पुलिस की टीमें आखिर कहां छापेमारी कर रही हैं और अब तक क्या नतीजा निकला? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी की बेहतर कानून व्यवस्था की बात करती है, लेकिन ऐसे मामलों में ढिलाई उनके दावों को कमजोर कर रहा है।
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बलिया बीजेपी में नहीं है ‘सब चंगा सी’ !

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लोकसभा चुनाव-2024 का आगाज हो चुका है. पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो चुकी है. सबसे आखिरी चरण यानी सातवें चरण में 1 जून को बलिया में भी मतदान होगा. ज़ाहिर है चुनाव को लेकर बलिया की सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं. लेकिन सियासी गलियारे में सबसे ज्यादा चर्चा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की है.

बलिया में बीजेपी की चर्चा की वजह जीत नहीं, बल्कि भीतरखाने चल रही खींचतान है. टिकट बंटवारे से लेकर लोकल लीडर्स तक की अनदेखी ने जिले के कई बीजेपी नेताओं को नाराज़ और असहज कर दिया है. ऐसे तीन घटनाओं के जरिए इस अंदरूनी कलह की कलई खोली जा सकती है.

‘मस्त’ आउट, नीरज शेखर को टिकट:

2019 में बलिया लोकसभा सीट से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. ‘मस्त’ और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि एक बार फिर पार्टी उन्हें टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टिकट मिल गया पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और बीजेपी के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को. बताते चलें कि 2007 के उपचुनाव और फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा की टिकट पर ही नीरज शेखर सांसद बने थे. 2014 में भी सपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया लेकिन बीजेपी के भरत सिंह से हार गए. 2019 में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

महज पांच साल के भाजपाई और पूर्व समाजवादी नेता को टिकट देने से बलिया बीजेपी के नेता खुश नहीं दिखे. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नीरज को टिकट मिलने पर गर्मजोशी दिखाई. हालांकि औपचारिकता के तौर पर टिकट मिलने के अगले ही दिन वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ से मुलाकात करने जरूर पहुंचे थे.

आनंद स्वरूप शुक्ला का फेसबुक पोस्ट:

17 अप्रैल को बलिया सदर से बीजेपी के पूर्व विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया. आनंद स्वरूप ने लिखा है, “…2022 के विधानसभा चुनाव में आश्चर्यजनक अज्ञात व ज्ञात कारणों से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने मुझे मेरी जन्मभूमि व कर्मभूमि बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र से स्थानान्तरित कर आपके बैरिया विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया.”

इस पोस्ट में आगे वह लिखते हैं कि किन्हीं वजहों से बैरिया से उनकी हार हो गई. आनंद स्वरूप शुक्ला इसके बाद एक ऐलान करते हैं, “चुनाव परिणाम के पश्चात पार्टी नेतृत्व को मैंने अवगत कराया कि अब आगे मैं कभी भी बैरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ूंगा.” यानी कि पूर्व विधायक और यूपी की योगी सरकार के पूर्व मंत्री ने साफ घोषणा कर दी वह कभी भी बैरिया से चुनाव नहीं लड़ेंगे.

इस कलह को समझने के लिए बैरिया का बैकग्राउंड समझने की जरूरत है. आनंद स्वरूप शुक्ला 2017 में बलिया सदर से विधायक बने थे. बैरिया से विधायक बने थे सुरेंद्र सिंह. लेकिन 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बलिया सदर से दयाशंकर सिंह को टिकट दे दिया. आनंद स्वरूप शुक्ला को ट्रांसफर किया गया बैरिया. और सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया. नतीजा ये हुआ कि सुरेंद्र सिंह बागी हो गए. चुनाव का रिजल्ट आया तो बीजेपी बैरिया सीट गंवा चुकी थी.

सुरेंद्र सिंह एक बार बीजेपी वापसी कर चुके हैं. माना जा रहा है कि इसलिए उन्होंने खुद को हमेशा के लिए बैरिया से दूर कर लिया है. लेकिन विधायकी हारने के कोफ्त से उपजी लड़ाई अब तक जारी है और इसका असर अब लोकसभा चुनाव पर पड़ रहा है. दोनों ही खेमे फिलहाल तो बलिया में पार्टी के प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं.

उपेंद्र तिवारी और सपा की बातचीत की ख़बरें:

बलिया में बीजेपी के एक और ब्राह्मण चेहरा हैं उपेंद्र तिवारी. 2017 में फेफना से विधायक थे. योगी सरकार में इनके नाम से भी मंत्री पद नत्थी था. 2022 में चुनाव हार गए. बलिया सीट से उपेंद्र तिवारी भी दावेदारी कर रहे थे. बीजेपी से टिकट मिलने की रेस में वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ और नीरज शेखर के अलावा उपेंद्र तिवारी को भी बताया जा रहा था. जब पार्टी ने यहां से नीरज को टिकट दे दिया तो उपेंद्र तिवारी को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गईं.

अख़बारों ने साफ-साफ छापा कि सपा की ओर से बलिया में उपेंद्र तिवारी या अतुल राय को टिकट दिए जाने की उम्मीद है. चौक-चौराहों पर भी चर्चा थी कि उपेंद्र तिवारी सपा के लिए माकूल साबित हो सकते हैं. आख़िर कैसे? चर्चा चली कि घोसी से राजीव राय को टिकट मिलने के बाद बलिया से भी सवर्ण को टिकट देना अखिलेश के जातिगत इंजीनियरिंग में सेट नहीं हो पा रहा था. और ऐसे में उपेंद्र तिवारी को टिकट नहीं मिला.

हालांकि 20 अप्रैल को उपेंद्र तिवारी ने इसी ख़बर की कटिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी एक तस्वीर फेसबुक पर शेयर की. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस ख़बर का खंडन किया. उपेंद्र तिवारी ने भले ही सपा से टिकट मिलने की ख़बरों का खंडन कर दिया हो लेकिन ये चर्चाएं बीजेपी के खिलाफ ही काम कर रही हैं और पार्टी के समर्थन में बट्टा लगा रही हैं.

बलिया के बड़े बीजेपी नेताओं का असंतोष और फिलहाल अपने प्रत्याशी के  साथ ना दिखना लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाता दिख रहा है. हालांकि पार्टी से जुड़े जिले के एक नेता बलिया ख़बर से नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “बड़ी पार्टियों में ये सब होता रहता है. लेकिन बीजेपी बहुत अलग किस्म की पार्टी है. यहां निजी हित को किनारे रखकर पार्टी हित में काम होता है. अपनी-अपनी नाराज़गी की वजहें हो सकती हैं, लेकिन सभी नेता-कार्यकर्ता आलाकमान के फैसले के साथ खड़ा है और नीरज शेखर के लिए लगा है. आने वाले दिनों में आप सभी नेताओं को एक साथ मंच पर देखेंगे.”

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