रसड़ा
बलिया के गोशालाओं में दम तोड़ रहे हैं बछड़े, अधिकारियों को नहीं है खबर!
बलिया जिले के बछईपुर गोआश्रय केंद्र में असमय गायों की मौत होने की खबरें आ रही हैं। समाचार पत्र दैनिक जागरण की एक खबर के मुताबिक पिछले दो हफ्तों में लगभग दस की संख्या में गाय और उनके बछड़ों की मौत हुई है। गाय और उनके बछड़े गोआश्रय केंद्र में असमय मर रही हैं। मरे हुए पशुओं के कंकाल नगरा से गड़वार मार्ग के सलेमपुर लकड़ा नाला के पास फेंका हुआ है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के पास इससे संबंधित कोई जानकारी नहीं है।
जिले के रसड़ा तहसील के अंतर्गत दो-दो गोआश्रय केंद्र हैं। ब्लाक चिलकहर के गोपालपुर में एक छोटा गोआश्रय केंद्र है और बछईपुर में एक बड़ा गोआश्रय केंद्र है। बछईपुर स्थित गोआश्रय केंद्र की दुर्व्यवस्था के चलते लगातार गायों और उनके बछड़ों की मौत हो रही है। मरने के बाद इन पशुओं को कायदे से दफनाने की भी व्यवस्था नहीं की गई है। पशुओं को सड़क किनारे फेंका जा रहा है।
पशुओं के मौत की खबर पर बलिया खबर ने जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अशोक मिश्रा से संपर्क किया। डॉ अशोक मिश्रा ने इस खबर को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि,
डॉ. अशोक मिश्रा ने बताया कि “अभी उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी गए थे जांच करने। हमने जांच करवा लिया है। हमें ये नहीं समझ आ रहा है कि यह खबर कहां से आ गई है।
“ऐसी कोई बात नहीं है। रसड़ा के किसी गोआश्रय केंद्र पर किसी गाय या बछड़े की मौत नहीं हुई है। यह खबर पूरी तरह गलत है। लकड़ा नाले के आसपास भले दिखे होंगे एक-दो वरना ऐसी कोई बात नहीं है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में गोआश्रय केंद्रों की स्थापना की गई ताकि अवारा पशुओं को सुरक्षित किया जा सके। अवारा पशु दर-दर भटक कर ना मरें। लेकिन अब गोआश्रय केंद्रों की अव्यवस्था ही पशुओं की जान लेने लगी है। इसके बाद जिम्मेदार अधिकारी ऐसी खबरों को सीधे खारिज कर रहे हैं। ताकि इस लापरवाही के खिलाफ उन पर कार्रवाई ना हो सके।
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बलिया में पूजा चौहान की मौत ने खड़े किए कई सवाल ?
बलिया के नगरा थाना क्षेत्र के सरयां गुलाबराम गांव में पूजा चौहान की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए है। सरयां गुलाबराम गांव में रविवार सुबह जो दृश्य देखने को मिला, उसने पूरे बलिया को हिला कर रख दिया है। सुबह गांव में जामुन के पेड़ से एक 20 वर्षीय युवती का शव लटका मिला। पैर करीब छह फीट ऊपर हवा में, हाथ पीछे बंधे हुए। नाम पूजा चौहान। 20 साल की पूजा चौहान का शव जब पेड़ से लटका देखा, तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। जिसने भी ये मंजर देखा, उसकी रूह कांप गई। सबके मन में सवाल उठा की कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है।
हर दिन अखबारों में ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। सोचिये जब प्रशासन को यह पता है कि ऐसे अपराध बढ़ रहे हैं, फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठता। गुलाबराय सरया गांव में रविवार सुबह धर्मराज चौहान की बेटी पूजा का शव गांव में एक पेड़ से लटकता मिला, उसके हाथ पीछे बंधे हुए थे। शव देखते ही गांव में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह समेत अन्य अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे और हालात को बारीकी से देखा।
पूजा चौहान साधारण परिवार की लड़की थी। उसकी शादी अगले महीने 25 अप्रैल को होने वाली थी। घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं। परिवार में खुशियों का माहौल था, लेकिन किसी को क्या पता था कि यह खुशी मातम में बदल जाएगी। पूजा के माता-पिता फिलहाल पीजीआई में अपना इलाज करा रहे थे, और वह घर पर अकेली थी। परिवार के बाकी सदस्य भी बाहर रहते थे। उसका भाई गुजरात में नौकरी करता है और बहन असम में शादीशुदा जिंदगी बिता रही है। फिर सवाल यह उठता है कि आखिर उसकी मौत के पीछे कौन हो सकता है?
पहले तो खबर आई की पूजा ने आत्महत्या की है लेकिन जिस तरीके से उसका शव पेड़ से लटक रहा था वह कुछ और ही बयां करता है। पूजा ने खुद अपनी जान ली होती, तो उसके हाथ पीछे बंधे कैसे होते? यह सवाल जितना आसान लगता है, इसका जवाब उतना ही पेचीदा है। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के हाथ पीछे बंधे नहीं हो सकते। मतलब, शायद किसी ने पूजा की हत्या की और फिर उसे पेड़ से लटकाकर मामले को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की। क्या उसकी मौत के पीछे कोई पुरानी दुश्मनी थी? या फिर कोई और वजह? कई सवाल हैं। हो सकता है यह सिर्फ कोई मसेज देने के लिए किया गया हो।
घटनास्थल पर मौजूद किचन में बिखरा आटा और अस्त-व्यस्त बर्तन यह बताते हैं कि शायद पूजा का पहले किसी झगड़ा भी हुआ होगा उसके बाद उसके साथ यह अनहोनी हुई होगी। पुलिस जांच के शुरुआती तथ्यों को देखें तो इस मामले में यौन शोषण का भी एंगल जुड़ सकता है। पीड़िता की नानी का साफ कहना है कि उनकी नातिन आत्महत्या नहीं कर सकती। परिजन इस बात से साफ़ इंकार कर रहे हैं। लेकिन सवालों के जवाब आने है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मामले में योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि “उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। अपराधियों को खुली छूट मिल चुकी है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है।”
हाथरस, उन्नाव, बदायूं, और अब बलिया—कब तक यूपी की मिट्टी मासूम बेटियों के खून से लाल होती रहेगी?
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बलिया के एकलौते बसपा विधायक पर क्यों बैठी विजलेंस जांच ?
बसपा के रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। विजलेंस विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। उमाशंकर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि विभाग ने विधायक ही नहीं उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के नाम खरीदी गईं जमीन, मकान, फ्लैट, व्यवसायिक और कृषि जमीन की पूरी जानकारी मांगी है।
वैसे सबको पता है नेता जी लोगों की आय से अधिक संपत्ति तो होती ही है। पुरानी स्क्रिप्ट है। लेकिन जब तक कोई नेता सत्ता के करीब होता है, तब तक उसकी संपत्ति पर कोई सवाल नहीं उठता। मगर विपक्ष पर यह कभी भी हो सकता है। उमाशंकर सिंह का मामला भी कुछ ऐसा ही लगता है। बसपा के इस इकलौते विधायक के खिलाफ अचानक जांच शुरू हो गई है। महानिरीक्षक प्रयागराज ने सभी उप निबंधन कार्यालय को निर्देशित किया है कि उमाशंकर सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह, बेटी यामिनी व बेटे युकेश के नाम से प्रदेश में खरीदी गई जमीन, मकान, फ्लैट या अन्य प्रकार की संपत्तियों की जानकारी विजलेंस विभाग को उपलब्ध कराए।
उमाशंकर सिंह की बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। जब पूरे यूपी में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीते दिनों मायावती काफी मुखर है लेकिन क्या अब इसका खामियाजा उमाशंकर सिंह को भुगतना पड़ रहा है?
बसपा का हाल किसी से छिपा नहीं है। मायावती पार्टी को चुनावी मोड में कम, ‘मैनेजमेंट मोड’ में ज्यादा चला रही हैं। यूपी में अब बसपा केवल ‘बीजेपी की B-Team’ कहकर बदनाम हो रही है। लेकिन ऐसे में उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ व्यक्तिगत मामला मान लेना भी सही नहीं होगा।
सवाल यह भी है कि आखिर राजनीति में आने के बाद कुछ नेताओं की संपत्ति मॉल्टीप्लाई मोड में कैसे चली जाती है? 2009 में जब उमाशंकर सिंह ने कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ सालों में उनकी संपत्तियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाएगी कि सरकार को उसकी जांच करवानी पड़ेगी।
अगर कोई आम आदमी बिना पक्के दस्तावेजों के 5 लाख रुपये की जमीन भी खरीद ले, तो टैक्स विभाग और पुलिस उसके पीछे पड़ जाते हैं। मगर विधायक, सांसद, मंत्री खुलेआम करोड़ों की संपत्ति बना लेते हैं, और हमें लगता है कि यह सब “मेहनत” की कमाई है!
फ़िलहाल सूचना यह है कि उमाशंकर सिंह की तबियत खराब है। वह बीमार चल रहे हैं। लेकिन विजलेंस ने भी अपना काम शुरू कर दिया है
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बलिया के डॉ. प्रिंस गुप्ता कश्मीर यूनिवर्सिटी में बनें असिस्टेंट प्रोफेसर
बलिया के रहने वाले डॉ. प्रिंस गुप्ता ने जिले का नाम रोशन किया है। डॉ. प्रिंस केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर, में प्रोफेसर बन गए हैं। उनकी इस उपलब्धि पर पूरे परिवार में हर्ष की लहर है। डॉ. प्रिंस गुप्ता के पिता का नाम कुंज बिहारी प्रसाद है और वे संवारा चिल्कहर के निवासी हैं।
प्रिंस की शुरुआती शिक्षा रसड़ा के अमर शहीद भगत सिंह इंटर कॉलेज से हुई थी। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई इविंग क्रिश्चियन कॉलेज इलाहाबाद विश्वविद्यालय और स्नातकोत्तर की पढ़ाई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की से की है। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से पीएचडी की है।
उन्होंने योनसेई विश्वविद्यालय दक्षिण कोरिया, साऊथर्न यूनिवर्सिटी डेनमार्क, KTH रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, स्वीडन, राष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (CNRS), फ्रांस से पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च की है।
वो वर्तमान में केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर के भौतिकी विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर तैनात पर तैनाती मिली हैं। उनकी इस कामयाबी पर स्वर्गीय बालेश्वर प्रसाद गुप्ता के परिवार सहित गाँव के लोग भी गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। बता दें कि डॉ. प्रिंस गुप्ता की पत्नी डॉ. अंजली जायसवाल बलिया के सतीश चंद्र कालेज के मैथमेटिक्स डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं।
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