बलिया
मणिपुर में तैनात असम राइफल्स के जवान का निधन, बलिया में शोक की लहर
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मणिपुर में तैनात 33 असम राइफल्स के जवान रमाशंकर राजभर का 26 जनवरी को अचानक तबीयत बिगड़ने से निधन हो गया। 59 वर्षीय रमाशंकर बलिया जिले के जनऊपुर गांव के निवासी थे, और उनके निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
रमाशंकर की तबीयत खराब होने पर उन्हें एमएच इंफाल के सेना अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उन्होंने देर रात अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद, असम राइफल्स के कर्नल और सुबेदार ने सलामी दी और फिर हेलीकाप्टर से उनके पार्थिव शरीर को पटना लाया गया। वहां से एम्बुलेंस द्वारा शव को उनके पैतृक गांव जनऊपुर, बलिया भेजा गया।
गांव पहुंचने पर परिजनों में गहरी शोक की लहर दौड़ गई। उनकी पत्नी सुभावती और पुत्र अमरेश बेसुध हो गए। स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। असम राइफल्स के जवानों ने शहीद के पार्थिव शरीर को कंधों पर उठाया, जिससे हर किसी की आंखें नम हो गईं। हजारों लोग शव यात्रा में शामिल हुए और “वंदे मातरम” और “जब तक सूरज चांद रहेगा, रमाशंकर तेरा नाम रहेगा” के नारे लगाए।
अंतिम संस्कार के लिए महावीर घाट, वाराणसी में सेना के जवानों ने अंतिम सलामी दी, और रमाशंकर के पुत्र अमरेश ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस वीर जवान के परिवार में एक पुत्र और चार पुत्रियां हैं।
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बलिया
डीयू और जेएनयू के गोल्ड मेडलिस्ट आदर्श कुमार मिश्र को दिल्ली विश्वविद्यालय से मिली पीएचडी की उपाधि
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कुशीनगर जनपद के नेबुआ राय गंज निवासी श्री मृत्युंजय मिश्र के पुत्र आदर्श कुमार मिश्र को दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से पीएचडी की उपाधि प्राप्त हुई है। उन्हें यह सम्मान दिल्ली विश्वविद्यालय के 101वें दीक्षांत समारोह में दिया गया, जहां मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह उपस्थित थे। इस अवसर पर डॉ. आदर्श मिश्र को “विद्यावाचस्पति” की उपाधि प्रदान की गई।
आदर्श मिश्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सिसवा बाजार स्थित चोखराज विद्यालय से प्राप्त की थी और उसके बाद देश के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। वह 2016 में इस कॉलेज के टॉपर रहे थे। इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से एम.ए. की पढ़ाई की, जहां भी वह टॉपर रहे। एम.ए. के दौरान ही उन्होंने यूजीसी जेआरएफ की परीक्षा भी पास की और 2018 में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रवेश लिया।
डॉ. आदर्श का शोध विषय “केदारनाथ सिंह की कविताओं में लोकचेतना की अभिव्यक्ति” था। अब तक उनके एक दर्जन से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं और वे देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कविता पाठ के लिए भी आमंत्रित किए जा चुके हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त होने की खुशी में उनके क्षेत्र में हर्षोल्लास का माहौल है। उनके निज आवास पर देर रात तक उनके परिजनों और शुभचिंतकों का आना-जाना लगा रहा, जिन्होंने उन्हें इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी।
बलिया
बलिया में बेल्थरा रोड के निजी अस्पताल में गर्भवती महिला और बच्चे की मौत, परिजनों ने किया हंगामा
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बलिया के बेल्थरा रोड के बहोरवां स्थित पूजा अस्पताल में शुक्रवार रात एक गर्भवती महिला और उसके बच्चे की मौत हो गई, जिसके बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें ऑपरेशन से पहले दो लाख रुपए जमा करने के लिए मजबूर किया और एक कागज पर हस्ताक्षर भी करवाए। इसके बाद अस्पताल ने परिजनों को बाहर कर दिया और जब काफी समय तक कोई सूचना नहीं मिली, तो पता चला कि अस्पताल का स्टाफ और डॉक्टर चोरी-छिपे वहां से फरार हो गए थे।
इस घटना के बाद नाराज मृतका के परिवार ने अस्पताल में तोड़फोड़ की। उभांव थाना प्रभारी, राजेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि पीड़ित परिवार ने अब तक न तो कोई औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है और न ही शव को पोस्टमार्टम के लिए सौंपा है।
स्वास्थ्य विभाग की डिप्टी सीएमओ, डॉ. पद्मावती ने कहा कि पूजा अस्पताल के खिलाफ पहले भी शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं और विभाग ने दो बार छापेमारी भी की थी, लेकिन हर बार अस्पताल बंद पाया गया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस नई शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, बेल्थरा रोड में कई अवैध अस्पताल बिना किसी निगरानी के संचालित हो रहे हैं, जो केवल चिकित्सकों की होर्डिंग्स के जरिए मरीजों को आकर्षित करते हैं। स्वास्थ्य विभाग इस समस्या से भली-भांति अवगत होने के बावजूद अब तक प्रभावी कदम नहीं उठा सका है।
बलिया
बलिया में आधी रात को कलेक्ट्रेट के बाहर दो महिलाओं का धरना, दबंगों से जमीन कब्जाने का आरोप
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उत्तर प्रदेश के बलिया से एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक अधिकारियों को चौका दिया। रात के समय जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर दो महिलाएं बैठी हुई मिलीं, जिससे वहां मौजूद लोग हैरान रह गए। जैसे ही पुलिसकर्मियों ने यह देखा, उन्होंने तुरंत अधिकारियों को सूचित किया और एसडीएम भी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने महिलाओं से इस अप्रत्याशित स्थिति के बारे में पूछा तो जो जवाब मिला, वह उनकी नींद उड़ा देने वाला था।
यह घटना देर रात लगभग 11 बजे की है, जब बांसडीह तहसील के देवरार गांव की दो महिलाएं कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर धरना देने पहुंची थीं। महिलाओं का आरोप था कि उन्हें जो पट्टा जमीन आवंटित की गई थी, उस पर स्थानीय दबंगों ने कब्जा कर लिया है। इसके बावजूद जब उन्होंने अपनी शिकायत की, तो कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अधिकारियों ने तुरंत महिलाओं को शांत करने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़ी रही और किसी भी स्थिति में वहां से जाने को तैयार नहीं हुईं। इस घटना ने अधिकारियों के बीच हड़कंप मचाया और उन्हें यह समझ में आया कि स्थिति को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
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