बलिया स्पेशल
मिलिये बलिया के मुस्लिम युवक से जो बचपन से शाकाहारी हैं

इस्लामिक दुनिया में मात्र कुछ मुस्लिम ही ऐसे होंगे जो मांसाहारी नहीं होते हैं और यह उनकी पसंद के कारण होता है। आज मुस्लिम समाज का एक बड़ा तबका अपनी आम खुराक में गोश्त को सबसे ऊपर रखता है। आज हम आपको एक ऐसे मुस्लिम युवक से मिलवाते हैं जिन्होंने बचपन से मांसाहार का इस्तेमाल नहीं किया है और यह हैं बलिया के 26 वर्षीय कौसर उस्मान। कौसर एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से हैं। यद्यपि वह उस मुस्लिम समाज से संबंधित हैं जहां लोग फट से कह देते हैं कि मुसलमान होकर गोश्त नहीं खाते, कैसे मुस्लिम हो भाई। उस्मान अपने बचपन में गोश्त से हुई एलर्जी के बारे में बताते हुए कहते हैं कि बचपन के दौरान मुझे केवल दो बार गोश्त दिया गया था दोनों बार उन्हें उल्टी हो गई थी। उन्होंने कहा कि तब से आज तक कभी भी गोश्त तो क्या अंडा भी नहीं खाया है। उस्मान ने एक मुस्लिम मौलवी के साथ हुई बात को साझा किया। वह कहते हैं कि वह इफ्तार (रमज़ान के दौरान रोजा खोलना) पार्टी में थे जहां गोश्त परोस दिया गया था लेकिन उन्होंने केवल सलाद लिया और इसे खाना शुरू किया। उनके सामने बैठे मौलवी ने यह मंजर देखा और पूछा कि तुम गोश्त नहीं खाते। जैसे ही उस्मान ने ‘हाँ’ कहा मौलवी ने कहा कि अगर आप गोश्त नहीं खाते तो आप मुस्लिम नहीं रहेंगे। उस्मान ने मौलवी की इस गलत धारणा पर आपत्ति जताई और वहां से दूसरी जगह चले गए। उनका कहना है कि यहां तक कि उसके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों ने भी उन्हें गोश्त नहीं खाने के लिए डांटा। अब दोस्तों के सामने इसके बारे में बताने पर उन्हें डर लगता है। वह अक्सर दोस्तों के साथ मांसाहारी रेस्तरां में जाते हैं लेकिन शाकाहारी भोजन ही खाते हैं। इस पर उनके एक मित्र ने मजाक किया कि उनको राज्य में सब्जियों के राजदूत होना चाहिए। मुस्लिम समुदाय में यह एक बड़ी गलत धारणा है कि यदि कोई मुस्लिम गोश्त नहीं खाता है तो वह अब मुस्लिम नहीं रहेगा। इस्लाम में कहीं नहीं कहा गया है कि मांस खाना मुसलमान होने के लिए जरूरी है या मांसाहार ही उसकी निशानी है। इस्लाम में कहीं भी, कभी भी मांसाहार पर जोर नहीं दिया गया है। हमें अपनी तथाकथित धार्मिक गलतफहमी को अपने समाज में खाने की आदतों के बारे में साफ करने की जरूरत है। इस्लाम ने केवल कुछ खाद्य पदार्थों को हलाल और हराम के रूप में वर्गीकृत किया है, जो उस विशेष भोजन के वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। हराम खाना मानव शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ मौलवियों ने अपने निहित स्वार्थ के लिए इन मिथकों को इज़ाद किया है।













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बलिया के एकलौते बसपा विधायक पर क्यों बैठी विजलेंस जांच ?

बसपा के रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। विजलेंस विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। उमाशंकर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि विभाग ने विधायक ही नहीं उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के नाम खरीदी गईं जमीन, मकान, फ्लैट, व्यवसायिक और कृषि जमीन की पूरी जानकारी मांगी है।
वैसे सबको पता है नेता जी लोगों की आय से अधिक संपत्ति तो होती ही है। पुरानी स्क्रिप्ट है। लेकिन जब तक कोई नेता सत्ता के करीब होता है, तब तक उसकी संपत्ति पर कोई सवाल नहीं उठता। मगर विपक्ष पर यह कभी भी हो सकता है। उमाशंकर सिंह का मामला भी कुछ ऐसा ही लगता है। बसपा के इस इकलौते विधायक के खिलाफ अचानक जांच शुरू हो गई है। महानिरीक्षक प्रयागराज ने सभी उप निबंधन कार्यालय को निर्देशित किया है कि उमाशंकर सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह, बेटी यामिनी व बेटे युकेश के नाम से प्रदेश में खरीदी गई जमीन, मकान, फ्लैट या अन्य प्रकार की संपत्तियों की जानकारी विजलेंस विभाग को उपलब्ध कराए।
उमाशंकर सिंह की बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। जब पूरे यूपी में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तब भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीते दिनों मायावती काफी मुखर है लेकिन क्या अब इसका खामियाजा उमाशंकर सिंह को भुगतना पड़ रहा है?
बसपा का हाल किसी से छिपा नहीं है। मायावती पार्टी को चुनावी मोड में कम, ‘मैनेजमेंट मोड’ में ज्यादा चला रही हैं। यूपी में अब बसपा केवल ‘बीजेपी की B-Team’ कहकर बदनाम हो रही है। लेकिन ऐसे में उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ व्यक्तिगत मामला मान लेना भी सही नहीं होगा।
सवाल यह भी है कि आखिर राजनीति में आने के बाद कुछ नेताओं की संपत्ति मॉल्टीप्लाई मोड में कैसे चली जाती है? 2009 में जब उमाशंकर सिंह ने कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ सालों में उनकी संपत्तियों की लिस्ट इतनी लंबी हो जाएगी कि सरकार को उसकी जांच करवानी पड़ेगी।
अगर कोई आम आदमी बिना पक्के दस्तावेजों के 5 लाख रुपये की जमीन भी खरीद ले, तो टैक्स विभाग और पुलिस उसके पीछे पड़ जाते हैं। मगर विधायक, सांसद, मंत्री खुलेआम करोड़ों की संपत्ति बना लेते हैं, और हमें लगता है कि यह सब “मेहनत” की कमाई है!
फ़िलहाल सूचना यह है कि उमाशंकर सिंह की तबियत खराब है। वह बीमार चल रहे हैं। लेकिन विजलेंस ने भी अपना काम शुरू कर दिया है
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बलिया में ATM कार्ड के जरिए फ्राड करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, Encounter के बाद 4 गिरफ्तार

बलिया के हल्दी में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद बिहार के चार अपराधियों को गिरफ्तार कर एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई के दौरान पैर में गोली लग से एक आरोपी घायल हो गया।
अपर पुलिस अधीक्षक कृपा शंकर ने संवाददाताओं को बताया कि बुधवार रात को पुलिस को सूचना मिली कि हृदयाचक तिराहा से पीपा पुल की ओर जाने वाली सड़क पर एक कार में कुछ संदिग्ध लोग आ रहे हैं।
शंकर ने कहा, ‘‘पीछा किए जाने पर अपराधियों में से एक ने पुलिस दल पर गोली चला दी, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। एक आरोपी पैर में गोली लगने से घायल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने सभी चार संदिग्धों को काबू कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘गोली लगने से घायल हुए बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के निवासी बच्चा लाल महतो (27) को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य तीन की पहचान साहेब कुमार महतो (32), मदन महतो (37) और लाल बाबू महतो (38) के रूप में हुई है। ये सभी बिहार के हैं।’’
पुलिस ने आरोपियों के पास से दो देसी पिस्तौल (.315 बोर), दो कारतूस, दो खाली खोल, विभिन्न बैंकों के 63 एटीएम कार्ड, एक कार और 5,200 रुपये भी जब्त किए हैं।
अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने एटीएम कार्ड धोखाधड़ी में संलिप्त एक गिरोह का हिस्सा होने की बात कबूल की। वे सीधे-साधे लोगों को निशाना बनाकर उनका एटीएम कार्ड बदल लेते थे और फिर उनके रुपये निकाल लेते थे या अंतरित कर लेते थे। चोरी की रकम गिरोह के सदस्यों के बीच बांटी जाती थी।’’
अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने यह भी कबूल किया कि उन्होंने बलिया और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ दिल्ली में भी कई लोगों को ठगा है।
पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि बलिया, दिल्ली और अन्य स्थानों पर तीनों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्यों और देश के विभिन्न हिस्सों में उनके नेटवर्क का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है।
बलिया स्पेशल
Ballia- बेलथरा रोड के सामाजिक कार्यकर्ता खालिद ज़हीर का निधन

बेलथरा रोड डेस्क : बलिया जिले के बेलथरा रोड से एक बुरी खबर सामने आई है। नगर पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता रहे खालिद ज़हीर का वाराणसी में अचानक निधन हो गया। बताया जा रहा है कि गिरने की वजह से उनको सर में गहरी चोट लग गई जिसके बाद परिजन अस्पताल ले गए। इलाज के दौरान ही डाक्टरों ने उन्हे मृत्यु घोषित कर दिया। सोमवार की रात करीब 12 बजे वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए. उनकी उम्र लगभग 58 साल थी.
सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ कई बार नगर पंचायत का चुनाव भी लड़ चुके थे । हर मुद्दे पर पर वो मुखर होकर अपनी बात रखते थे। सभी समुदाय में अच्छी पकड़ रखते थे। उनकी मौत की खबर से इलाके में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
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