Connect with us

बलिया स्पेशल

बलिया- वोटर लिस्ट में बड़ी धांधली, सनी लियोनी के नाम जारी हुआ आईडी कार्ड

Published

on

बलिया  में मतदाता सूची में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है। जिससे हड़कंप मचा हुआ है।  बता दें की मतदाता सूची में मतदाताओं की फोटो के स्थान पर सनी लियोन का फोटो और किसी पर कबूतर का फोटो तो कहीं हिरण का फोटो लगा दी गई है। यही नहीं सपा सरकार में मंत्री रहे नारद राय की फोटो के स्थान पर हाथी का फोटो लग गया है।

मामला सामने आने के बाद अब अफसर अपनी गर्दन बचाने की कवायद में जुट गए हैं। जिले के जिन मतदाताओं के फोटो के साथ खिलवाड़ किया गया है, उसमें प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री नारद राय भी हैं। इनकी जगह वोटर लिस्ट में हाथी का फोटो दिखाई पड़ रहा है।

तहसीलदार ने इस कार्य को करने वाले डेटा एंट्री ऑपरेटर के स्थान पर महीनों पहले स्थानांतरित डेटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कोरम पूरा कर लिया है। सदर तहसील से जारी होने वाले आय, जाति, निवास प्रमाणपत्रों को लेकर हुई धांधली की जांच जहां शासन के निर्देश पर जांच अभी चल रही है वहीं अब मतदाता सूची में बड़ी लापरवाही का मामला भी सामने आ गया है।

गौरतलब है निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मतदाता सूची पुनरीक्षण के तहत 15 जुलाई तक सूची को दुरुस्त करने का काम किया गया। नियमानुसार बीएलओ की ओर से तहसीलों में जमा की गई सूची को डेटा एंट्री ऑपरेटर की ओर से फिट करना था इसकी जांच के उपरांत तहसीलदार की ओर से संतुष्टि और एसडीएम की ओर से मंजूरी देने का प्रावधान है, यह सभी ऑनलाइन किया जाना है। जिसके लिए संबंधित अधिकारियों को आईडी व पासवर्ड दिया गया है।

सदर तहसील में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर लापरवाही की गई है। सूची को कोई भी ऑनलाइन देख सकता है। सूची में चंद्रशेखर नगर निवासी वह पूर्व मंत्री नारद राय के फोटो की जगह हाथी का फोटो लगाया गया है। इसकी फीडिंग ऑपरेटर के लॉगिन से 15 जुलाई को की गई है और इसी दिन तहसीलदार की संस्तुति और एसडीएम ने स्वीकृति दी है। इसी तरह ऑपरेटर के लॉगिन से 23 जून को की गई फीडिंग में भी धांधली हुई है। जबकि एसडीएम की ओर से इसकी स्वीकृति भी 2 जुलाई को दे दी गई है। इसमें विवेकानंद कॉलोनी निवासी एक महिला के फोटो की जगह सनी लियोनी की तस्वीर लगाई गई है।

वहीं अंकुर सिंह के फोटो के बदले हिरन और कुमार गौरव के फोटो के स्थान पर कबूतर की तस्वीर लगाई गई है। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार 1 मई से 30 जून के बीच मतदाता सूची में नाम जोड़ने का प्रावधान था इस दौरान मनमाने तरीके से फीडिंग की गई और अधिकारियों ने भी इसकी जांच किए बिना आंख मूंदकर स्वीकृति दे दी। हैरानी की बात यह है कि तहसील के जिस डेटा ऑपरेटर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है उसका तबादला आनन-फानन में सदर तहसील से बेल्थरा रोड तहसील के लिए कर दिया गया।

इस बारे में सदर तहसील के उपाजिलाधिकारी अश्वनी श्रीवास्तव का कहना है कि यह मामला उनके कार्यकाल के पहले का है और पूर्व के अधिकारियों की ओर से की गई जांच में ही डेटा ऑपरेटर पर इस तरह की गड़बड़ी करने की आशंका व्यक्त की गई है। मुकदमा दर्ज कराया गया है पुलिस की जांच में सब कुछ साफ हो जाएगा।

Advertisement        
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

featured

20 दिन बाद भी फरार है बलिया का ये BJP का ब्लॉक प्रमुख ! गिरफ्तारी में देरी क्यों ? सड़को पर उतरे वकील

Published

on

प्रयागराज के मशहूर वकील अखिलेश शुक्ला की हत्या के बाद जिस तरह से मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह की गिरफ्तारी में देरी हो रही है, उसने पुलिस की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वजह है कि पुलिस अभी तक उसे पकड़ नहीं पाई है? कहीं यह बीजेपी से उसके जुड़े होने और राजनीतिक पहुंच की वजह से तो नहीं हो रहा?
रविवार को वकीलों ने म्योहाल चौराहे पर जबरदस्त प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला रोकने की मांग कर दी। उनका कहना था कि इतने दिनों बाद भी मुख्य आरोपी फरार है, तो पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा कैसे किया जाए? पुलिस बार-बार आश्वासन दे रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
कौन है अतुल प्रताप सिंह?
अतुल प्रताप सिंह बलिया जिले से बीजेपी का गड़वार ब्लॉक प्रमुख है। पहले से ही उस पर कई गंभीर मामले दर्ज है, फिर भी वह खुलेआम घूम रहा है।  पुलिस ने भले ही उस पर 5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हो, लेकिन सवाल है कि क्या यह इनाम भी सिर्फ औपचारिकता है? क्या राजनीतिक दबाव की वजह से पुलिस धीमी कार्रवाई कर रही है?
सड़क पर उतरे वकील !
रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हेलीकॉप्टर जैसे ही पुलिस लाइन ग्राउंड पर उतरा, बड़ी संख्या में वकील महाराणा प्रताप चौराहे पर इकट्ठा हो गए। इसी रास्ते से सीएम का काफिला गुजरने वाला था। वकीलों ने ठान लिया था कि वे मुख्यमंत्री का काफिला रोककर अपनी नाराजगी जताएंगे और पत्रक सौंपेंगे। फिर क्या था ? अफसरों के माथे पर पसीना आ गया कि अगर काफिला रुका, तो सीधा यही मैसेज जाएगा कि यूपी में कानून व्यवस्था फेल हो चुकी है।
वकील इस बात से नाराज़ हैं कि अगर उनके कम्युनिटी के एक सीनियर मेंबर के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों की सिक्योरिटी का क्या होगा? उन्होंने मुख्यमंत्री का काफिला रोकने की कोशिश तो की और अपनी मांगें सामने रखने के लिए प्रदर्शन किया। लेकिन यूपी पुलिस हमेशा की तरह प्रदर्शनकारियों को रोकने में कामयाब रही और एक बार फिर आश्वाशन देकर उन्हें वापस भेज दिया गया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस कमिश्नर मौके पर पहुंचे। उन्होंने वकीलों को भरोसा दिलाया कि आरोपी की जल्द गिरफ्तारी होगी।
17 नवंबर को क्या हुआ था ?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में हुए हमले ने प्रयागराज को हिला कर रख दिया था। अधिवक्ता अखिलेश शुक्ला पर लाठी-डंडों और असलहे से हमला हुआ। उन्हें इतना मारा गया कि वह अधमरे हो गए। तीन दिन तक वह जिंदगी और मौत से जूझते रहे और 20 नवंबर को लखनऊ में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी निखिल सिंह और तीन अन्य को जेल भेज दिया है। लेकिन अतुल प्रताप सिंह अभी तक फरार है।
इस मामले में बसंतपुर का दुर्गेश सिंह और रामपुर का प्रिंस सिंह पहले ही सरेंडर कर चुके हैं। लेकिन अतुल प्रताप सिंह और उसका ड्राइवर अजय यादव अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस का कहना है कि वह छापेमारी कर रही है, लेकिन जब सबकुछ पता है—नाम, पता और पहचान—तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
सवाल यह भी उठता है कि पुलिस की टीमें आखिर कहां छापेमारी कर रही हैं और अब तक क्या नतीजा निकला? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी की बेहतर कानून व्यवस्था की बात करती है, लेकिन ऐसे मामलों में ढिलाई उनके दावों को कमजोर कर रहा है।
Continue Reading

featured

प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं

Published

on

प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।

जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।

अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।

प्रयागराज  की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

Continue Reading

featured

जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?

Published

on

आईपीएस विक्रांत वीर बलिया

बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।

मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं

कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?

विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।

1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।

नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।

कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।

हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।

Continue Reading

TRENDING STORIES

error: Content is protected !!