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बलिया स्पेशल

अजब कहानी- क्या बेल्थरा रोड तय करता हैं यूपी में किसकी होगी सरकार ?

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राजनीति की नर्सरी कही जाने वाले यूपी के बलिया ज़िले में बेल्थरा रोड निर्वाचन क्षेत्र की अजब कहानी है । इसे संयोग कह सकते हैं लेकिन फ़िलहाल तो ये हकीक़त है कि यहाँ जिस पार्टी का उम्मीदवार इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतता हैं, वह पार्टी ही लखनऊ में सरकार बनाती है।

बलिया को यूपी का सबसे पिछड़ा जिला भी माना जाता है और शायद इस कारण से किसी भी पार्टी या नेता ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है। घाघरा नदी के किनारे स्थित दो जिलों की सीमाओं के निकट बेल्थरा रोड (आरक्षित) विधानसभा क्षेत्र की कहानी अजीब है।

1977 के बाद से विधानसभा चुनावों के नतीजे के अनुसार जनता पार्टी के पहले मुस्लिम उमीदवार मुहम्मद रफीउल्ला ने 1977 में इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता और जनता पार्टी ने इस राज्य में सरकार बनाई, हालांकि 1985 में परिणाम प्रतिकूल था।

1980 के चुनावों में जब कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनाई थी, इस राज्य में इसके उम्मीदवार बब्बन सिंह इस सीट से जीते थे। 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद, पूरे देश में कांग्रेस लहर थी, लेकिन इसके बावजूद लोक दल के शारदनंद अंचल ने इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता, हालांकि कांग्रेस ने सरकार बनाई। 1989 में शारदानंद ने फिर से जनता दल के टिकट पर जीता लेकिन इस बार मुलायम सिंह ने सरकार बनाई।

1991 में जब बीजेपी के हरि नारायण राजभर ने इस सीट से चुनाव जीता तब भाजपा ने राज्य में सरकार बनाई। 1993 में शारदानंद अंकल ने फिर से इस क्षेत्र से एसपी टिकट पर जीता और इस बार समाजवादी पार्टी ने राज्य में सरकार बनाई।

1996 में हरि नारायण राजभर ने फिर से भाजपा टिकट पर यह सीट जीती और बीजेपी ने राज्य में सरकार बनाई, इसके बाद 2002 में शारदानंद अंचल एसपी से जीते, इस पार्टी ने सरकार बनाई।

2007 में केदार नाथ शर्मा ने बीएसपी टिकट पर चुनाव जीता तो बीएसपी ने राज्य में सरकार बनाई।  इसके बाद  2012 के नये परिसीमन सीयर विधान सभा को सुरक्षित कर इसका नाम बिल्थरारोड विधान सभा कर दिया गया था तब सपा के गोरख पासवान विधायक बने और प्रदेश में सपा की सरकार बनी.

वहीँ जब 2017  में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी धनंजय कन्नौजिया विजय प्राप्त करने में सफल रहे तो प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी ।

1977 से पहले और स्वतंत्रता के बाद लगातार तीन बार 1952, 1957, 1962 में और फिर 1974 में भी जिस पार्टी के उम्मीदवार ने इस सीट से जीत हासिल की उसी पार्टी की यूपी में सरकार बनी है।

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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?

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आईपीएस विक्रांत वीर बलिया

बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।

मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं

कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?

विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।

1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।

नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।

कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।

हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।

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बात थी जंगलराज खत्म करने की लेकिन बलिया में तो पैदा हो गए दर्जनों गैंग!

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रिपोर्ट : तिलक कुमार

बलिया। प्रदेश में योगी सरकार बनी तो लोगों में उम्मीद जगी कि अब जंगलराज खत्म हो जाएगा और राम राज की स्थापना होगी। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और तो और जनपद में दर्जनों गैंग पैदा हो गए, जो भोली भाली जनता की नाक में दम करके रखा है।

आलम यह है कि जनपद में योगी सरकार बनने के बाद फरसा, त्रिशूल, चोटी, टांगी, राइडर, शिकारी, रफ्तार व चिंगारी गैंग बनी है और यह गैंग आए दिन किसी न किसी को अपना शिकार बनाते हैं। इन गैंगों की पुष्टि खुद बलिया पुलिस ने की है और सूचना देने वालों पर पांच हजार का इनाम भी रखा है।

इन गैंगों की क्रियाकलापों की बात करें तो ये सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम पर एकाउंट बनाकर गैंग की मॉनिटरिंग करते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह भी है गैंग द्वारा इन एकाउंटों की इस तरह मानि​टरिंग की जाती है कि गैंग के सरगना का पता नहीं चलता है।

हालांकि इस गैंग के मेंबर दस से 20 ही होते हैं, जो समय—समय पर अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के लिए किसी को मारते—पीटते हैं, फिर उसका वीडिया बनाकर सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट कर देते हैं। इन गैंगों को आपरेट करने वाले इतने शातिर होते हैं कि अपनी मौजूदगी का सिर्फ एहसास कराते हैं, लेकिन खुदको हमेशा पर्दे के पीछे रखते हैं।

…नहीं हुई कार्रवाई तो बन जाएगा गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश में गैंगवार की बात करें तो सबसे बदनाम और कुख्यात जिला गाजियाबाद है, जहां आज भी प्राय: सुनने को मिलता है कि इस गैंग ने उस गैंग को मारा। फला गैंग न फला गैंग को मारा। इस पर कई बॉलीवूड फिल्म से लेकर वेब सी​रिज भी बन चुकी है। अब लगभग लगभग वही चीज बलिया जनपद में भी होने लगी है। ऐसे में इन गैंगों पर जल्द से जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह दिन दूर नहीं जब बलिया भी गाजियाबाद का रूप अख्तियार कर लेगा।

ताजा—ताजा पैदा हुआ कड़ा गैंग
अभी बांसडीह में रोहित यादव राइडर गैंग द्वारा रोहित पांडेय की निर्मम हत्या का मामला शांत नहीं हुआ कि सिकंदपुर थाना क्षेत्र के माल्दह चौकी अंतर्गत हरनाटार गांव में बीती रात पार्टी में बुलाकर कड़ा गैंग वाले एक युवक को मारपीट कर लहूलुहान कर दिया। इसके तीमारदार की मानें तो यह नई गैंग है और किसी पर भी सिर्फ कड़ा से हमला करते हैं।

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बलिया में अस्पतालों का औचक निरीक्षण, 84 स्टॉफ मिले गैरहाजिर, DM के एक्शन से हड़कंप!

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बलिया के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों व कर्मचारियों की उपस्थिति जांचने के लिए सभी तहसील के एसडीएम/डिप्टी कलेक्टरों के माध्यम से जिले के दस सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कराया। इस दौरान कुल 18 डॉक्टर व 66 स्टॉफ ड्यूटी से ​गैरहाजिर मिले। इन सभी अनुपस्थित डॉक्टरों व कर्मचारियों को एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है। साथ ही यह भी कहा ​है कि सभी अस्पतालों में समय से उपस्थिति व बेहतर चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।

निरीक्षण में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, काजीपुरा में तैनात कुल 12 कार्मिकों के सापेक्ष लैब टेक्निशियन फहीजुर्रहमान अंसारी ही उपस्थित मिले, जबकि चिकित्साधिकारी डॉ शैलेश कुमार व 10 कार्मिक गायब मिले। न्यू पीएचसी सागरपाली में तैनात 9 कार्मिकों में से 4 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बांसडीह में डॉ प्रणय कुनाल, डॉ यश्वी सिंह, डॉ प्रियदर्शन सिंह, डॉ बीरबहादुर सिंह चिकित्साधिकारी सहित कुल 18 कर्मचारी अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेरूआरबारी में चिकित्साधिकारी डॉ एसके सिंह, डॉ पीडी शुक्ला, डॉ रामायण यादव सहित कुल 12 कार्मिक अनुपस्थित मिले।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनबरसा में डॉ जया पाठक, डॉ साल्टी कसेरा, डॉ राजेश कुमार, डॉ सुमन कुमार व वरिष्ठ लिपिक पुनीत श्रीवास्तव अनुपस्थित पाये गये। इसी प्रकार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मुरलीछपरा में बीएचडब्ल्यू अजय कुमार रावत, चीफ फार्मासिस्ट मनोहर प्रसाद व चतुर्थ श्रेणी कर्मी प्रेमशंकर यादव गायब मिले। सीएचसी खेजुरी में निरीक्षण के दौरान डॉ प्रशान्त व डॉ एएन शर्मा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बघुड़ी में डॉ चन्दन सिंह अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ककरासो के औचक निरीक्षण में चिकित्साधिकारी डॉ राकेश पाण्डेय सहित 10 कर्मी अनुपस्थित थे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनाडीह में चिकित्साधिकारी डॉ रामाशीष, फार्मासिस्ट महेन्द्र पाल सिंह, एलटी मनीष कुमार यादव, एएनएम संगीता व धर्मेन्द्र सिंह व अजीत पाण्डेय अनुपस्थित थे।

उप जिलाधिकारी ने सीएचसी रसड़ा का निरीक्षण किया तो वहां चिकित्साधिकारी डॉ ऑमिर इम्तियाज, डॉ धर्मवीर सिंह, बीपीएम मिथिलेश गिरि, एसटीएस अभिमान मेहता व सुनील कुमार वर्मा, एलटी बृजेश कुमार, वार्ड बॉय मिथिलेश्वर त्रिपाठी, वीना सिंह, विपिन सिंह, मंगलदेव सिंह, विनय दुबे, राहुल सिंह अनुपस्थित पाये गये। सभी अनुपस्थित चिकित्साधिकारी एवं अन्य कार्मिकों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है।

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