बलिया स्पेशल
सपा के कद्दावर नेता से मिले ओमप्रकाश राजभर, बंद कमरे में गुफ्तगू से बढ़ी हलचल
यूपी में बीजेपी सरकार की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और एसपी नेता शिवपाल यादव की मुलाकात हुई। वाराणसी में बंद कमरे में हुई मुलाकात को लेकर सियासी हलचल बढ़ गई है। इसे वर्ष 2019 के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि दोनों नेताओं ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया है।
शिवपाल यादव गुरुवार को वाराणसी पहुंच सर्किट हाउस में ठहरे थे। शुक्रवार की सुबह ओमप्रकाश राजभर भी सर्किट हाउस पहुंचे तो बंद कमरे में दस मिनट तक उनके बीच गुफ्तगू हुई। दोनों नेता बाहर निकले तो चेहरे पर मुस्कुराहट थी। जाते वक्त शिवपाल ने ओमप्रकाश राजभर से गर्मजोशी से हाथ मिलाकर कहा, ‘फिर मुलाकात होगी।’ एसपी और एसबीएसपी नेताओं की मुलाकात की खबर शहर में तेजी से फैलने से चर्चाओं का बाजार गरम रहा।
वाराणसी में इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। कयास लगाया जा रहा है कि बीजेपी को 2019 के चुनाव में पटखनी देने के लिए बनने वाले महागठबंधन में या तो एसबीएसपी को शामिल करने की तैयारी है या फिर पार्टी में दबदबा कम होने के चलते शिवपाल दूसरी पार्टी जॉइन कर सकते हैं।
गठबंधन में नहीं जा रहा
इस संदर्भ में पूछे जाने पर ओमप्रकाश राजभर का कहना है कि गरीबों और असहायों के हित के लिए आंदोलन में समाजवादी पार्टी और शिवपाल यादव ने उनका पहले कई बार साथ दिया है। ऐसे में अगर वह सर्किट हाउस में मौजूद रहे तो मिलने में कोई हर्ज नहीं। उन्होंने महागठबंधन में जाने की चर्चा को गलत बताया। उन्होंने कहा, ‘मैं भारतीय जनता पार्टी के साथ हूं औ 2024 तक रहूंगा। मुलाकात को लेकर किसी को कयासबाजी करनी हो तो करता रहे।’
उधर, शिवपाल यादव ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया। गठबंधन को लेकर कुछ बात होने के सवाल पर वह बोले कि आप ओमप्रकाश राजभर से ही पूछिए तो बेहतर होगा।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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