बलिया स्पेशल
सलेमपुर: कुशवाहा VS कुशवाहा की जंग में कहीं कांग्रेस का ब्राह्मण कार्ड न पड़ जाए भारी !
सलेमपुर– सलेमपुर लोकसभा सीट पर तीन दिग्गजों के बीच चुनावी लड़ाई सिमटती जा रही है. आजादी के बाद पहली बार 2014 में मोदी लहर में बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी. सीट बरकरार रखने के लिए पार्टी ने एक बार भी रविंद्र कुशवाहा को उतारा है तो बसपा ने आरएस कुशवाहा का दांव चला है. वहीं कांग्रेस ने राजेश मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है. इस तरह से कुशवाहा बनाम कुशवाहा की जंग में कांग्रेस के ब्राह्मण कार्ड ने सलेमपुर की जंग को दिलचस्प बना दिया है.
सलेमपुर सीट उत्तर प्रदेश के दो जिलों बलिया और देवरिया के कुछ हिस्सों से मिलाकर बनी है. बीजेपी ने भले ही 2014 में यहां से जीतकर सभी को चौंका दिया था, लेकिन इस बार की सियासी कहानी काफी अलग नजर आ रही है. यह इलाका कुशवाहा समुदाय का मजबूत बेल्ट माना जाता है. इसीलिए बीजेपी के कुशवाहा कार्ड के जवाब में बसपा ने भी कुशवाहा दांव चला है. यही नहीं सपा के साथ गठबंधन होने के चलते बसपा यहां बीजेपी की सियासी गणित को बिगाड़ती नजर आ रही है.
बीजेपी ने चार बार के सांसद रहे हरि केवल प्रसाद के बेटे और मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा पर एक बार फिर भरोसा जताया है. हालांकि रविंद्र कुशवाहा के पिता हरि केवल दो बार जनता दल और दो बार सपा से सांसद चुने गए थे. पिछले चुनाव में रविंद्र कुशवाहा ने बीजेपी का दामन थामकर चुनावी मैदान में उतरे और सांसद बनने में कामयाब रहे. दोबारा से संसद पहुंचने के लिए रविंद्र कुशवाहा सलेमपुर की इलाके में घूम-घूमकर मोदी-योगी के नाम पर वोट मांग रहे हैं. हालांकि रविंद्र कुशवाहा को पिछले दिनों गांव के लोगों की नारजगी का भी सामना करना पड़ा है.
बीजेपी के कुशवाहा कार्ड के खिलाफ बसपा ने भी कुशवाहा दांव चला है. बसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है. कुशवाहा लगातार यह बताने में जुटे हैं कि रविंद्र कुशवाहा ने सपा छोड़कर अपने पिता के राजनीतिक सिद्धांतों के खिलाफ कदम उठाया है. उन्होंने अपने जीवन में कभी भी बीजेपी की विचारधारा से समझौता नहीं किया था. बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सलेमपुर में आरएस कुशवाहा के पक्ष में संयुक्त चुनावी जनसभा को संबोधित भी किया है .
दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर 1984 के बाद कांग्रेस का कोई उम्मीदवार जीत नहीं सका है. हालांकि कई बार कांग्रेस यहां दूसरे नंबर पर जरूर रही है. इस बार कांग्रेस ने वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा पर दांव खेला है. राजेश मिश्रा ब्राह्मण और सवर्ण मतदाताओं को साधने में जुटे हैं. इसके अलावा उनकी नजर दलित और मुस्लिम मतदाताओं पर भी है. कांग्रेस से राज बब्बर और पीएल पुनिया ने सलेमपुर में राजेश मिश्रा को जिताने के लिए पसीना बहा रहे हैं. वहीँ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी भी यहाँ आज प्रचार के लिए आ सकती हैं.
सलेमपुर लोकसभा सीट 1999 के बाद से 2014 तक सपा और बसपा के बीच ही रही है. इस बार दोनों पार्टियां मिलकर चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा गठबंधन ने जिस तरह से कुशवाहा कार्ड खेला है और कांग्रेस उम्मीदवार अगर ब्राह्मण मतदाताओं को साधने में सफल रहते हैं तो बीजेपी के लिए यह सीट बरकरार रखना बड़ी चुनौती होगी.
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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