बलिया स्पेशल
बलिया में ‘हमारी पाठशाला-हमारी विरासत’ मुहीम की शुरुआत, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति हुए सम्मानित
बलिया डेस्क : हमारी पाठशाला-हमारी विरासत मुहिम की पहली कड़ी की शुरुआत चिलकहर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बर्रेबोझ प्रांगड़ से हुई। परिसर में आयोजित ‘पुरातन छात्र सम्मान समारोह’ में बतौर मुख्य अतिथि उसी विद्यालय के पढ़े छात्र व वर्तमान में राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के कुलपति कामेश्वर नाथ सिंह शामिल हुए।
जिलाधिकारी एसपी शाही ने कुलपति को सम्मानित करने के साथ अपील भी किया कि इस विद्यालय को मॉडल स्कूल बनाने में अपना अतुलनीय योगदान दें। कार्यक्रम में अभिभावकों व बच्चों के लिए भी शिक्षा से जुड़े कई अहम जानकारी दी गई। अपने सम्बोधन में कुलपति श्री सिंह ने कहा कि मेरे मन में भी आता था कि जहां से हमने शिक्षा ग्रहण किया, वहां के लिए कुछ न कुछ किया जाना चाहिए। निश्चित रूप से जिला प्रशासन ने इस अभियान के जरिए सफलता के शीर्ष पर पहुंचे लोगों को दायित्व बोध कराया है। यह अत्यंत ही सराहनीय पहल है। भरोसा दिलाया कि विद्यालय में हर कमी को पूरा करने के लिए ततपर रहूंगा।
जब भी आऊंगा विद्यालय में जरूर आऊंगा। उन्होंने विशेष बल देकर कहा कि प्रशासन के इस अभियान में शिक्षकों की अहम भूमिका है, लिहाजा उनको भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। स्कूल में किताबी ज्ञान के साथ सामाजिक जीवन से जुड़ा ज्ञान भी दें और अभिभावकों से हमेशा सम्पर्क में रहें। ग्रामीणों भी ध्यान दें कि अब नए अध्यापक भी तमाम परीक्षाओं को पास करके, यानि पूरी तरह ट्रेंड होकर आ रहे हैं, इसलिए उन पर भरोसा करें और बच्चों को प्राथमिक स्कूल में भेजें।
दिमाग में भरे भ्रम को दूर करने की जरूरत: डीएम
डीएम श्री शाही ने इस मुहिम में अपना कीमती समय देने के लिए सबसे पहले कुलपति केएन सिंह का आभार जताया। उन्होंने कहा, परिषदीय स्कूलों को बेहतर स्वरूप में लाने के लिए यह एक तरह का प्रयास किया गया है। इन्हीं विद्यालयों से पढ़कर लोग महान विभूति बने और उच्च पदों तक गए, लेकिन आज लोगों का झुकाव अंग्रेजी मीडियम प्राइवेट स्कूलों की तरफ हो गया है। दिमाग में यह भ्रांति आ गई है कि प्राइवेट स्कूलों में ही अच्छी शिक्षा मिलेगी। निःसन्देह सरकारी स्कूलों के अध्यापकों में यह अविश्वास है।
इसी भ्रम को दूर करने की जरूरत है। कहा कि परिषदीय स्कूल की शिक्षा पद्धति हमेशा से बेहतर रही है। सरकार की हमेशा वरीयता में प्राथमिक शिक्षा रही है। अब तो अंग्रेजी माध्यम से भी शिक्षा देने के साथ बहुत सारी सुविधाएं दी जा रही है। लोगों ने विश्वास पैदा करने का यह प्रयास है। इसमें सबके सहयोग की भी जरूरत है। इससे पहले समारोह की शुरुआत सरस्वती पूजन व विद्यालय के बच्चों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत कर किया गया। कार्यक्रम में एसडीएम मोतीलाल यादव, डीआईओएस ब्रजेश मिश्र, बीएसए एसएन सिंह, बीइओ वंशीधर श्रीवास्तव, अध्यापक अनिल सिंह सेंगर, बलवंत सिंह समेत ग्रामीण मौजूद थे।
कुलपति ने साझा किए पुराने दिन
कुलपति ने पुराने दिनों को साझा करते हुए कहा, हम जब पढ़ते थे तो तमाम प्रतिकूल परिस्थिति थी। बरसात के दिनों में पानी भी भर जाता था। अभाव में पढ़ाई करना होता था। घर से बैठने के लिए बोरा व कापी किताब का झोला लेकर आते थे। अब तो तमाम सुविधाएं सरकारी स्कूलों में भी मिल रही हैं। यही बच्चे कल के भविष्य हैं। यही आगे बढ़कर अच्छा समाज, प्रदेश व देश का निर्माण करेंगे।
बोझ की तरह नहीं, बल्कि हंसते-खेलते पढ़ें बच्चे
कुलपति ने सुझाव कि अभिभावक अपने बच्चों पर कभी पढ़ाई के लिए दबाव ना डालें। कोई एक लक्ष्य लेकर पढ़ाई नहीं की जा सकती। बच्चे अपने अंदर के गुण व प्रतिभा के हिसाब से अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर लेंगे। प्रकृति की देन है कि हर बच्चे किसी न किसी क्षेत्र में गुणवान जरूर होते हैं। सिर्फ उनके गुण व प्रतिभा की पहचान करने की जरूरत होती है। यह भी कहा कि नौकरी ही सब कुछ नहीं है, बल्कि जीवन का सार्थक होना जरूरी है। इसलिए जीवन को सार्थक बनाने के उद्देश्य से मेहनत करें।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं
प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।
अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।
प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?
बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।
मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं
कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?
विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।
1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।
नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।
कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।
हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।
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