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बलिया स्पेशल

बलिया- शादी अनुदान में बड़ा घोटाला, जांच शुरू, मचा हड़कंप

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बलिया- सरकारी शादियों में बलिया में बड़ा घोटाला सामने आया है जिसके बाद पुरे जिले की प्रदेश स्तर पर बदनामी हो रही है।

बता दें की शासन के निर्देश पर जिले में वर्ष 18-19 में हुए शादी अनुदान घोटाले की जांच शुरू हो गई है।

मंडलायुक्त आजमगढ़ के निर्देश पर जांच करने के लिए उपनिदेशक समाज कल्याण आजमगढ़ सुरेश चंद को शनिवार को जिले में आए। उन्होंने जिला मुख्यालय से लेकर ब्लॉकों तक जाकर जांच की। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और रिपोर्ट मंडलायुक्त को दी जाएगी।

वर्ष 2018-19 में जिले में शादी अनुदान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर धन का गोलमाल किया गया। करीब दो माह पहले समाज कल्याण विभाग के सदर व रसड़ा तहसील के पर्यवेक्षक ने दुबहड़ ब्लाक के लाभार्थियों का सत्यापन किया तो यह बात सामने आई कि सामान्य वर्ग के लाभार्थियों के मद से पिछड़ा, अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति के लाभार्थियों का भुगतान किया गया है।

यह भी सामने आया कि कई लाभार्थियों के यहां शादी हुई ही नहीं है। समाज कल्याण पर्यवेक्षक ने सत्यापन रिपोर्ट में सामान्य वर्ग की धनराशि का बंदरबांट और शासन के नियमों का उल्लंघन मानते हुए जिला समाज कल्याण अधिकारी के अलावा मुख्य विकास अधिकारी बलिया और उप निदेशक समाज कल्याण आजमगढ़ को पत्र भेजा। 


पर्यवेक्षक ने अधिकारियों को यह भी बताया कि यह मात्र एक ब्लॉक का हाल है, अगर जांच की जाए तो अन्य ब्लॉकों में भी इस तरह की गड़बड़ी बड़े पैमाने पर सामने आएगी। इसके बाद गड़वार ब्लॉक के पियरिया गांव के पति, पत्नी व बेटी के नाम से शादी अनुदान का भुगतान दो अलग बैंकों के खाता में करने का खुलासा हुआ। मां व बेटी का खाता गांव से 30 किमी दूूर जिला मुख्यालय से सटे प्रेमचक बहेरी के बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा में है तो युवक का भुगतान चिलकहर स्थित सेंट्रल बैंक के खाता में किया गया है। 


इतना ही नहीं हनुमानगंज ब्लॉक के सलेमपुर गांव के मीना देवी को बेटी की शादी के लिए पूर्वांचल बैंक की सलेमपुर शाखा में अनुदान राशि भेजी गई जबकि गांव के परिवार पंजिका के अनुसार मीना देवी की कोई बेटी नहीं है। इतना ही नहीं यह बैंक चिलकहर ब्लॉक के सलेमपुर में स्थित है जो सलेमपुर निवासी लाभार्थी के गांव से 35 किमी दूूर है।

इसी गांव की कांति देवी को भी बेटी की शादी के लिए बांसडीह स्थित एसबीआई की शाखा में अनुदान भेजा गया जो गांव से 30 किमी दूर है। जबकि गांव के परिवार पंजिका के अनुसार कांति की कोई बेटी नहीं है। सलेमपुर गांव के ही उत्तम चंद को बेटी की शादी के लिए समाज कल्याण विभाग की ओर से पूर्वांचल बैंक की शंकरपुर शाखा के खाता अनुदान की धनराशि भेजी गई, जबकि गांव के परिवार पंजिका के अनुसार उत्तम चंद्र की कोई बेटी नहीं है। 


इस मामले में शासन ने मंडलायुक्त आजमगढ़ को जांच का निर्देश दिया है। मंडलायुक्त के निर्देश पर शनिवार को उपनिदेशक समाज कल्याण जिले में पहुंचे और जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय से लेकर विभिन्न ब्लॉकों पर जाकर पड़ताल की।

हालांकि उन्होंने जांच के बाबत खुलासा नहीं किया लेकिन इतना जरूर बताया कि रिपोर्ट मंडलायुक्त को सौंपी जाएगी और गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई भी होगी।


उपनिदेशक समाज कल्याण आजमगढ़ सुरेशचंद ने बताया कि शासन ने शादी अनुदान में हुई गड़बड़ी की जांच कर रिपोर्ट मांगी है। मंडलायुक्त के निर्देश पर वह जांच को आए हैं और जांच रिपोर्ट उन्हें जल्द सौंप दी जाएगी।

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20 दिन बाद भी फरार है बलिया का ये BJP का ब्लॉक प्रमुख ! गिरफ्तारी में देरी क्यों ? सड़को पर उतरे वकील

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प्रयागराज के मशहूर वकील अखिलेश शुक्ला की हत्या के बाद जिस तरह से मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह की गिरफ्तारी में देरी हो रही है, उसने पुलिस की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वजह है कि पुलिस अभी तक उसे पकड़ नहीं पाई है? कहीं यह बीजेपी से उसके जुड़े होने और राजनीतिक पहुंच की वजह से तो नहीं हो रहा?
रविवार को वकीलों ने म्योहाल चौराहे पर जबरदस्त प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला रोकने की मांग कर दी। उनका कहना था कि इतने दिनों बाद भी मुख्य आरोपी फरार है, तो पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा कैसे किया जाए? पुलिस बार-बार आश्वासन दे रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
कौन है अतुल प्रताप सिंह?
अतुल प्रताप सिंह बलिया जिले से बीजेपी का गड़वार ब्लॉक प्रमुख है। पहले से ही उस पर कई गंभीर मामले दर्ज है, फिर भी वह खुलेआम घूम रहा है।  पुलिस ने भले ही उस पर 5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हो, लेकिन सवाल है कि क्या यह इनाम भी सिर्फ औपचारिकता है? क्या राजनीतिक दबाव की वजह से पुलिस धीमी कार्रवाई कर रही है?
सड़क पर उतरे वकील !
रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हेलीकॉप्टर जैसे ही पुलिस लाइन ग्राउंड पर उतरा, बड़ी संख्या में वकील महाराणा प्रताप चौराहे पर इकट्ठा हो गए। इसी रास्ते से सीएम का काफिला गुजरने वाला था। वकीलों ने ठान लिया था कि वे मुख्यमंत्री का काफिला रोककर अपनी नाराजगी जताएंगे और पत्रक सौंपेंगे। फिर क्या था ? अफसरों के माथे पर पसीना आ गया कि अगर काफिला रुका, तो सीधा यही मैसेज जाएगा कि यूपी में कानून व्यवस्था फेल हो चुकी है।
वकील इस बात से नाराज़ हैं कि अगर उनके कम्युनिटी के एक सीनियर मेंबर के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों की सिक्योरिटी का क्या होगा? उन्होंने मुख्यमंत्री का काफिला रोकने की कोशिश तो की और अपनी मांगें सामने रखने के लिए प्रदर्शन किया। लेकिन यूपी पुलिस हमेशा की तरह प्रदर्शनकारियों को रोकने में कामयाब रही और एक बार फिर आश्वाशन देकर उन्हें वापस भेज दिया गया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस कमिश्नर मौके पर पहुंचे। उन्होंने वकीलों को भरोसा दिलाया कि आरोपी की जल्द गिरफ्तारी होगी।
17 नवंबर को क्या हुआ था ?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में हुए हमले ने प्रयागराज को हिला कर रख दिया था। अधिवक्ता अखिलेश शुक्ला पर लाठी-डंडों और असलहे से हमला हुआ। उन्हें इतना मारा गया कि वह अधमरे हो गए। तीन दिन तक वह जिंदगी और मौत से जूझते रहे और 20 नवंबर को लखनऊ में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी निखिल सिंह और तीन अन्य को जेल भेज दिया है। लेकिन अतुल प्रताप सिंह अभी तक फरार है।
इस मामले में बसंतपुर का दुर्गेश सिंह और रामपुर का प्रिंस सिंह पहले ही सरेंडर कर चुके हैं। लेकिन अतुल प्रताप सिंह और उसका ड्राइवर अजय यादव अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस का कहना है कि वह छापेमारी कर रही है, लेकिन जब सबकुछ पता है—नाम, पता और पहचान—तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
सवाल यह भी उठता है कि पुलिस की टीमें आखिर कहां छापेमारी कर रही हैं और अब तक क्या नतीजा निकला? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी की बेहतर कानून व्यवस्था की बात करती है, लेकिन ऐसे मामलों में ढिलाई उनके दावों को कमजोर कर रहा है।
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प्रयागराज वकील हत्याकांड: बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख पर 5 हज़ार का इनाम, पुलिस तलाश में जुटीं

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प्रयागराज में चर्चित वकील अखिलेश शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलिया निवासी अतुल प्रताप सिंह पर 5 हज़ार का इनाम घोषित किया गया है। आरोपी बीजेपी गड़वार ब्लॉक प्रमुख है और उसके ऊपर कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में बसंतपुर निवासी दुर्गेश सिंह और रामपुर निवासी प्रिंस सिंह पहले ही हाज़िर हो चुके हैं। इस मामले में ड्राइवर बसंतपुर निवासी अजय यादव अभी फरार चल रहा है।

जानकारी के मुताबिक, 17 नवंबर की रात सलोरी इलाके में विवाद के बाद अधिवक्ता को लाठी-डंडे, असलहे की बट और फायरिंग कर अधमरा कर दिया गया था। 20 नवंबर को अधिवक्ता की इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई थी। इस मामले में निखिल नामजद था जबकि चार अज्ञात आरोपी बनाए गए थे। मामले में 3 आरोपी निखिल सिंह, प्रिंस सिंह और मनोज सिंह पहले ही भेजे जा चुके हैं। पुलिस ने चौथे आरोपी को भी चिन्हित कर लिया था। वह छात्रनेता भी रह चुका है और मौजूदा समय में ठेकेदारी करता है।

अब पुलिस ने मुख्य आरोपी अतुल प्रताप सिंह पुत्र राणा प्रताप सिंह निवासी पचखोरा थाना गढ़वार जनपद बलिया और उसके चालक अजय यादव निवासी बसंतपुर सुखपुरा बलिया 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। साथ ही इन आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है। इन दोनों की तलाश में पुलिस की तीन टीमें छापेमारी कर रही हैं।

प्रयागराज  की शिवकुटी पुलिस ने वकील हत्याकांड में चार आरोपियों निखिल कान्त सिंह निवासी नरियांव थाना जहाँगीरगंज जनपद अम्बेडकर नगर, प्रिन्स सिंह उर्फ रणविजय सिंह निवासी रामपुर उदयभान थाना कोतवाली जनपद बलिया, मनोज सिंह निवासी टीलापुर पोस्ट जमधरवा थाना रेवती जिला बलिया और दुर्गेश कुमार सिंह निवासी ग्राम बसन्तपुर थाना सुखपुरा जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?

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आईपीएस विक्रांत वीर बलिया

बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।

मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं

कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?

विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।

1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।

नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।

कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।

हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।

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