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बलिया स्पेशल

जानें कौन हैं बलिया की स्मृति सिंह? जिन्हें बेहतर काम के लिए पीएम मोदी के हाथों मिलेगा सम्मान

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मज़बूत भारत की नींव में गांवों का अहम रोल है. और गांवों को ये मज़बूती पंचायती राज के बाद मिली है. पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान अगर ठान ले तो वो मिसाल बनकर पेश हो सकता है. इसी उद्देश्य से केंद्र सरकार ने पंडित दीनदयाल पंचायत सशक्तिकरण पुरुस्कार शुरु किया. इस साल उत्तरप्रदेश की  31 ग्राम पंचायतों को पंडित दीनदयाल पंचायत सशक्तिकरण पुरुस्कार दिया जा रहा है. जिसमें से बलिया की रतसर कला ग्राम पंचायत भी शामिल है. 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के मौके पर मध्यप्रदेश के जबलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पंचायत राज मंत्री रतसर कला की ग्राम प्रधान स्मृति सिंह को ये सम्मान देंगे.
रतसर कला ग्राम पंचायत को ये सम्मान खुद की आय सृजित करने,सरकार से प्राप्त अनुदान का समय से उपयोग करने, ऑडिट और सारे कामों की फीडिंग कराने के लिए दिया जा रहा है.  रतसर कला ग्राम पंचायत की इस कामयाबी के पीछे यहां की युवा प्रधान स्मृति सिंह का जुनून और सोच है. कम उम्र में रतसर कला की ग्राम प्रधान बनने वाली स्मृति सिंह ने दो साल के अंदर ग्राम पंचायत को आर्थिक रूप से मज़बूत किया. बलिया खबर. कॉम से खास बातचीत करते हुए स्मृति सिंह कहती हैं कि ये सम्मान गांव का सम्मान है. आज जो वो कुछ भी कर पाईं हैं वो परिवार, अधिकारियों और गांव के लोगों की मदद और मार्गदर्शन की वजह से मुमकिन हुआ है. लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली स्मृति सिंह माता-पिता की आकस्मिक मौत के बाद अचानक ही राजनीति की तरफ़ आ गई.  जब पिता का देहांत हुआ और रतसर कला गांव की सीट महिला सामान्य हुई तो पिता के अधूरे कामों का पूरा करने का ज़िम्मा उनके कंधों पर आ गया. स्मृति इसके लिए अपने भाई का शुक्रिया करती हैं कि उन्होंने उनका मार्गदर्शन किया. वो कहती हैं कि भाई ने राजनीति में आगे बढ़ाया है लेकिन मैंने अपने फ़ैसले खुद लिए हैं, ना तो भाई कभी किसी मीटिंग में साथ जाते हैं ना ही कोई बात मुझ पर थोपते हैं.
ग्राम पंचायत को आर्थिक रुप से सक्षम करने के लिए स्मृति ने सफ़ाई टैक्स,मार्केट टैक्स लगाने की सोची लेकिन उसके लिए कोई तैयार नहीं हुआ. स्मृति नहीं चाहती थीं कि गांव की जनता को उनसे बहुत उम्मीदें है और उनको रिकॉर्ड मतों से जिताने वाले गांव वाले उनको लेकर नाकारात्मक सोचें. आखिरकर स्मृति ने गांव के बाज़ार में आरओ एटीएम प्लांट लगाने की सोची और इस योजना को अमल में भी लाया. बाज़ार में लगाए गए आरओ एटीएम प्लांट से लोगों को 1 रुपए प्रति लीटर पानी मिलता है. इस आरओ प्लांट को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया अच्छी रही और ग्राम पंचायत को पैसे भी मिलने लगे. स्मृति कहती हैं कि अब अगर कभी थोड़ी देर के लिए आरओ प्लांट बंद हो जाए तो उनको फोन आने लगते हैं. बिजली की समस्या दूर करने के लिए इनवर्टर भी लगा रखा है. सर्दी में आरओ मशीन से गर्म पानी मिलता है और गर्मियों में ठंडा पानी. स्मृति खुश हैं कि उनकी ये कोशिश रंग लाई है. स्मृति ने  एक आरओ मशीन स्कूल में खुद के पैसे से भी लगवाई गई है और वहां स्टूडेंट्स को फ्री में साफ पानी मिलता है.
आय बढ़ाने के लिए रतसर कला ग्राम पंचायत ने मछली पालन टैक्स लेना शुरु किया. पहले ये टैक्स एसडीएम और ज़िला परिषद लेता था लेकिन स्मृति के ग्राम प्रधान बनने के बाद मछली टैक्स ग्राम पंचायत लेने लगी. स्मृति कहती हैं कि वो पीएम नरेंद्र मोदी के विजन को पूरा करना चाहती हैं और अभी बहुत काम करना बाकी है. पीएम मोदी ने कहा था कि अगर ग्राम पंचायत 2 रुपए कमाती है तो हम उसे 10 रुपए देंगे और स्मृति ने यही बात गांठ बांध ली.
इन कामों के अलावा स्मृति ने फ्री सेनिटरी पैड बैंक भी शुरु किया है. जहां से वो गांव की महिलाओं को मुफ्त में सेनिटरी पैड मुहैय्या कराती है. लेकिन इस काम के लिए उनके पास फंड नहीं है. स्मृति सिंह बताती हैं कि उनके पास इतने पैसे नही हैं कि वो गांव की हर महिला को ज़रूरत की मुताबिक पैड मुहैय्या करा पाएं फिर भी वो कोशिश में लगी है कि कम की हर महिला को ज़रूरत के मुताबिक पैड मिल सके. बलिया खबर. कॉम से खास बातचीत में स्मृति कहती है कि वो अपने पिता जी का सपना पूरा कर रही हैं. अभी बहुत काम बाकी है, मुझे गांव की जनता का बहुत प्यार और समर्थन मिला है और वो अपने गांववालों को निराश नहीं करना चाहती हैं. 24 अप्रैल को मिलने वाला दीन दयाल पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार हमें प्रेरणा देगा कि हम और बेहतर काम कर पाएं.
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जानिए कौन हैं बलिया के नए एसपी विक्रांत वीर ?

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आईपीएस विक्रांत वीर बलिया

बलिया पुलिस अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद योगी सरकार ने पीएसी की 32वीं वाहिनी में तैनात विक्रांत वीर को बलिया का नया पुलिस अधीक्षक बनाया है। बता दें कि बिहार-बलिया बॉर्डर के नरही थाना क्षेत्र में ट्रकों से अवैध वसूली में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलिया में बड़ी कार्रवाई हुई थी। एडीजी वाराणसी और डीआईजी आजमगढ़ की संयुक्त टीमों ने छापामार कर बलिया के थाना नरही अंतर्गत भरौली तिराहा पर अवैध वसूली के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया ।

मामले में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित थानाध्यक्ष नरही और चौकी प्रभारी कोरंटाडीह सहित तीन उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी, 10 आरक्षी और एक आरक्षी चालक को निलंबित किया गया है। वहीं देर रात बलिया एसपी को भी हटा कर विक्रांत वीर को बलिया की कमान सौंपी गई है। आईये जानते हैं

कौन हैं IPS विक्रांत वीर ?

विक्रांत वीर 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार में नालंदा के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले वह मर्चेंट नेवी में थे। विक्रांत वीर के पिता बिहार में मलेरिया इंसपेक्टर के पद पर रह चुके हैं।

1997 में झारखंड के पलामू से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद वह मुंबई की मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज से बीएससी करने चले गए। साल 2011 में उनका चयन मर्चेंट नेवी में हो गया।

नौकरी करते हुए वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। आखिरकार साल 2014 में उनका सेलेक्शन आईपीएस के लिए हो गया। उनकी पहली तैनाती कानपुर में बतौर एएसपी हुई।

कानपुर से विक्रांत वीर फैजाबाद और बलिया के एसएसपी भी रहे। उसके बाद वह लखनऊ ग्रामीण के एसपी बने। बतौर एसपी हाथरस विक्रांत वीर का पहला जिला था।

हालांकि हाथरस में लड़की के साथ घटे जघन्य अपराध के बाद विक्रांत वीर को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले ने पूरे देश में तूल तब पकड़ा जब पीड़िता की मौत के बाद पुलिसवालों ने उसकी लाश देर रात खुद ही जला दी।

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बात थी जंगलराज खत्म करने की लेकिन बलिया में तो पैदा हो गए दर्जनों गैंग!

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रिपोर्ट : तिलक कुमार

बलिया। प्रदेश में योगी सरकार बनी तो लोगों में उम्मीद जगी कि अब जंगलराज खत्म हो जाएगा और राम राज की स्थापना होगी। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और तो और जनपद में दर्जनों गैंग पैदा हो गए, जो भोली भाली जनता की नाक में दम करके रखा है।

आलम यह है कि जनपद में योगी सरकार बनने के बाद फरसा, त्रिशूल, चोटी, टांगी, राइडर, शिकारी, रफ्तार व चिंगारी गैंग बनी है और यह गैंग आए दिन किसी न किसी को अपना शिकार बनाते हैं। इन गैंगों की पुष्टि खुद बलिया पुलिस ने की है और सूचना देने वालों पर पांच हजार का इनाम भी रखा है।

इन गैंगों की क्रियाकलापों की बात करें तो ये सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम पर एकाउंट बनाकर गैंग की मॉनिटरिंग करते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह भी है गैंग द्वारा इन एकाउंटों की इस तरह मानि​टरिंग की जाती है कि गैंग के सरगना का पता नहीं चलता है।

हालांकि इस गैंग के मेंबर दस से 20 ही होते हैं, जो समय—समय पर अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के लिए किसी को मारते—पीटते हैं, फिर उसका वीडिया बनाकर सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट कर देते हैं। इन गैंगों को आपरेट करने वाले इतने शातिर होते हैं कि अपनी मौजूदगी का सिर्फ एहसास कराते हैं, लेकिन खुदको हमेशा पर्दे के पीछे रखते हैं।

…नहीं हुई कार्रवाई तो बन जाएगा गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश में गैंगवार की बात करें तो सबसे बदनाम और कुख्यात जिला गाजियाबाद है, जहां आज भी प्राय: सुनने को मिलता है कि इस गैंग ने उस गैंग को मारा। फला गैंग न फला गैंग को मारा। इस पर कई बॉलीवूड फिल्म से लेकर वेब सी​रिज भी बन चुकी है। अब लगभग लगभग वही चीज बलिया जनपद में भी होने लगी है। ऐसे में इन गैंगों पर जल्द से जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह दिन दूर नहीं जब बलिया भी गाजियाबाद का रूप अख्तियार कर लेगा।

ताजा—ताजा पैदा हुआ कड़ा गैंग
अभी बांसडीह में रोहित यादव राइडर गैंग द्वारा रोहित पांडेय की निर्मम हत्या का मामला शांत नहीं हुआ कि सिकंदपुर थाना क्षेत्र के माल्दह चौकी अंतर्गत हरनाटार गांव में बीती रात पार्टी में बुलाकर कड़ा गैंग वाले एक युवक को मारपीट कर लहूलुहान कर दिया। इसके तीमारदार की मानें तो यह नई गैंग है और किसी पर भी सिर्फ कड़ा से हमला करते हैं।

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बलिया में अस्पतालों का औचक निरीक्षण, 84 स्टॉफ मिले गैरहाजिर, DM के एक्शन से हड़कंप!

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बलिया के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों व कर्मचारियों की उपस्थिति जांचने के लिए सभी तहसील के एसडीएम/डिप्टी कलेक्टरों के माध्यम से जिले के दस सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण कराया। इस दौरान कुल 18 डॉक्टर व 66 स्टॉफ ड्यूटी से ​गैरहाजिर मिले। इन सभी अनुपस्थित डॉक्टरों व कर्मचारियों को एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है। साथ ही यह भी कहा ​है कि सभी अस्पतालों में समय से उपस्थिति व बेहतर चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।

निरीक्षण में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, काजीपुरा में तैनात कुल 12 कार्मिकों के सापेक्ष लैब टेक्निशियन फहीजुर्रहमान अंसारी ही उपस्थित मिले, जबकि चिकित्साधिकारी डॉ शैलेश कुमार व 10 कार्मिक गायब मिले। न्यू पीएचसी सागरपाली में तैनात 9 कार्मिकों में से 4 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बांसडीह में डॉ प्रणय कुनाल, डॉ यश्वी सिंह, डॉ प्रियदर्शन सिंह, डॉ बीरबहादुर सिंह चिकित्साधिकारी सहित कुल 18 कर्मचारी अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेरूआरबारी में चिकित्साधिकारी डॉ एसके सिंह, डॉ पीडी शुक्ला, डॉ रामायण यादव सहित कुल 12 कार्मिक अनुपस्थित मिले।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनबरसा में डॉ जया पाठक, डॉ साल्टी कसेरा, डॉ राजेश कुमार, डॉ सुमन कुमार व वरिष्ठ लिपिक पुनीत श्रीवास्तव अनुपस्थित पाये गये। इसी प्रकार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मुरलीछपरा में बीएचडब्ल्यू अजय कुमार रावत, चीफ फार्मासिस्ट मनोहर प्रसाद व चतुर्थ श्रेणी कर्मी प्रेमशंकर यादव गायब मिले। सीएचसी खेजुरी में निरीक्षण के दौरान डॉ प्रशान्त व डॉ एएन शर्मा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बघुड़ी में डॉ चन्दन सिंह अनुपस्थित पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ककरासो के औचक निरीक्षण में चिकित्साधिकारी डॉ राकेश पाण्डेय सहित 10 कर्मी अनुपस्थित थे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनाडीह में चिकित्साधिकारी डॉ रामाशीष, फार्मासिस्ट महेन्द्र पाल सिंह, एलटी मनीष कुमार यादव, एएनएम संगीता व धर्मेन्द्र सिंह व अजीत पाण्डेय अनुपस्थित थे।

उप जिलाधिकारी ने सीएचसी रसड़ा का निरीक्षण किया तो वहां चिकित्साधिकारी डॉ ऑमिर इम्तियाज, डॉ धर्मवीर सिंह, बीपीएम मिथिलेश गिरि, एसटीएस अभिमान मेहता व सुनील कुमार वर्मा, एलटी बृजेश कुमार, वार्ड बॉय मिथिलेश्वर त्रिपाठी, वीना सिंह, विपिन सिंह, मंगलदेव सिंह, विनय दुबे, राहुल सिंह अनुपस्थित पाये गये। सभी अनुपस्थित चिकित्साधिकारी एवं अन्य कार्मिकों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश सीएमओ को दिया है।

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