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उत्तर प्रदेश

अम्बेडकर वाहिनी के सहारे दलितों का साधना कितना होगा सफल!

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जयराम अनुरागी

बलिया। सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर के नाम पर अपनी पार्टी में समाजवादी अम्बेडकर वाहिनी नाम से एक अलग फ्रंटल संगठन का निर्माण किया है, जिसका राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी पूर्व बसपा नेता मिठाई लाल भारती को बनाया गया हैं। ज्ञात हो कि श्री भारती बसपा के स्थापना काल से ही पार्टी से जुड़े रहे है और कई प्रदेशों के प्रभारी रहने के साथ-साथ विभिन्न जोनों में जोनल को-आर्डिनेटर के रुप में कार्य कर चुके हैं। करीब दो साल पहले ये बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर लखनऊ में अखिलेश यादव के समक्ष समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण किये हैं।

राजनैतिक विष्लेषकों की माने तो अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में 24 प्रतिशत दलित मतों को साधने के लिए ये एक प्रयोग किया हैं। अखिलेश यादव को यह भी पता है कि उत्तर प्रदेश में बिना दलितों को जोड़े सत्ता पर काबिज नहीं हुआ जा सकता हैं। उत्तर प्रदेश में बसपा से नाराज या निकाले गये अधिकांश बसपा के नेता समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं और इन्हें जोड़ने में अम्बेडकर वाहिनी के बनाये गये राष्ट्रीय अध्यक्ष मिठाई लाल भारती का अहम योगदान माना जाता हैं। यही कारण है कि अखिलेश यादव ने अम्बेडकर वाहिनी के नाम से अलग फ्रंटल संगठन बनाकर श्री भारती को इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है ताकि उत्तर प्रदेश में अम्बेडकरवादी दलितों को आसानी से समाजवादी पार्टी के साथ जोड़ा जा सकें।

देखा जाय तो सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव, जब-जब सरकार में आये है, दलित राजनीति के नाम पर अपने मंत्री मण्डल में फैजाबाद जनपद के निवासी अवधेश प्रसाद को ही शामिल करने का काम किया हैं, जो दलितों में पासी जाति से आते हैं। इसको भी लेकर उत्तर प्रदेश के दलित राजनीति में सबसे अधिक संख्या वाले जाटव समाज में हमेशा नाराजगी रही हैं। चूॅकि श्री भारती भी जाटव समाज से आते हैं। यही कारण है कि अखिलेश यादव श्री भारती को अम्बेडकर वाहिनी का अध्यक्ष बनाकर पार्टी के उपर लगे जाटव विरोधी धब्बे को मिटाना भी चाहते हैं।

यहीं नहीं 2012 में जब उतर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी तो अखिलेश यादव ने ताबड़-तोड़ कई दलित विरोधी फैसले लिये थे, जिसमें सबसे बड़ा फौसला था अनुसूचित जाति/जनजातियों के प्रमोशन में आरक्षण समाप्त करना। इस फैसले के चलते लाखों दलित कर्मचारी पदावनत हो गये थे। यही नहीं सरकारी ठेकों में दलितों का आरक्षण भी खत्म कर दिया गया था। एस0सी0/एस0टी0 एक्ट 1989 के लाखों मुकदमें वापस ले लिये गये थे, जो सीधे दलितों के उत्पीड़न से जुड़े थे। एस0सी/एस0टी0 के लोग पहले कृषि योग्य भूमि अपने वर्ग में ही बेच सकते थे, लेकिन अब ये किसी को भी बेच सकते हैं, ये विधेयक भी अखिलेश यादव की सरकार ने ही लाया था।
अनुसूचित जाति के छात्रावासों में 30 प्रतिशत सामान्य वर्ग के छात्रों का प्रवेश सम्बन्धित आरक्षण सम्बन्धी शासनादेश अखिलेश यादव ने ही जारी किया था।

कांशीराम के नाम पर बने अरबी-फारसी व कृषि विश्वविद्यालय का नाम अखिलेश यादव ने ही बदला था। डॉ0 अम्बेडकर उपवन का नाम बदलकर जनेश्वर मिश्रा पार्क इन्होंने ही किया था। दलित महापुरूषों के नाम पर बने जिलों का नाम भी इन्होंने ने ही बदला था, जिसमें संत रविदास नगर का नाम बदलकर भदोही और भीम नगर का नाम बदलकर सम्भल कर दिया था। थानाध्यक्षों की नियुक्ति में एस0सी0/एस0टी0/ओ0बी0सी0 का आरक्षण अखिलेश यादव ने ही खत्म किया था। इस तरह के सैकड़ों संस्थानों, विभागों और योजनाओं का नाम बदलने का काम अखिलेश यादव ने अपनी सरकार में किया था, जिसे उत्तर प्रदेश के दलित खासतौर से अम्बेडकरवादी अभी तक भूले नहीं हैं।
हालाकि वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियों के चलते उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ परिवर्तन सा होता दिख रहा हैं।

पहली बात कि उतर प्रदेश में बसपा की स्थिति अब पहले जैसे नहीं रही, जिसके चलते उत्तर प्रदेश के दलित मतदाता फिलहाल असमंजस में हैं। दूसरी कि भाजपा की सरकार में दलित अपने को बहुत ही असहाय सा महसुस कर रहा हैं। इन सब बातों को देखते हुए दलित पहले अपने सुरक्षा की बात सोच रहा हैं। इधर नये दलित चेहरे के रुप में आजाद समाजपार्टी के रुप में चन्द्रशेखर आजाद का भी उदय हो गया हैं, जो दलित युवाओं के एक तरफ से आईकान बने हुए हैं। ऐसे में सभी दल दलितों को अपने पक्ष में करने के लिए अपने-अपने स्तर से कसरत करने में लगे हैं। इसी रणनीति के तहत अखिलेश यादव ने बसपा से आये मिठाई लाल भारती को अम्बेडकर वाहिनी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर एक प्रयोग करने का निर्णय लिया हैं।

देखा जाय तो श्री भारती को अम्बेडकर वाहिनी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना देने मात्र से ही उत्तर प्रदेश के दलित खुश होने वाले नहीं हैं। इसके लिए अखिलेश यादव को अपनी पूर्ववर्ती सरकार में किये गये दलित विरोधी फैसलों के लिए उत्तर प्रदेश के दलितों से सार्वजनिक रुप से माफी मांगनी होगी तथा ये भरोसा दिलाना होगा कि पूर्ववर्ती सरकार में जो हमसे गलतियाँ हुई हैं, अब उसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी और दलितों के मान-सम्मान, सुरक्षा व विकास के बारे में प्राथमिकता दी जायेगी। तब कही जाकर हो सकता है कि उत्तर प्रदेश के दलित अपने साथ किये गये दलित विरोधी फैसलों और र्दुव्यवहारों को भुलकर अखिलेश यादव को मांफ कर दें। इस काम को अन्जाम तक पहुँचाने में अम्बेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये गये श्री मिठाई लाल भारती कितने सफल सिद्ध होंगे, ये तो अगले साल उत्तर प्रदेश के होने वाले विधानसभा के चुनाव में ही पता चल पायेगा ।

जयराम अनुरागी जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार है ।

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PET परीक्षा में फर्जीवाड़ा, बलिया के बांसडीह CHC के मेडिकल ऑफिसर अमित गुप्ता गिरफ्तार

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बलिया। प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (PET) में धांधली करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने बलिया के बांसडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में तैनात मेडिकल ऑफिसर अमित गुप्ता को गिरफ्तार किया है। आरोपी डॉक्टर पर अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर फर्जी दस्तावेज के जरिए सॉल्वर को परीक्षा में बैठाने का गंभीर आरोप है। पुलिस ने इस मामले में दो अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया है।

कैसे चलता था खेल
पुलिस के मुताबिक, गिरोह अभ्यर्थियों से 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक वसूलता था। इसके बाद एडमिट कार्ड और पहचान पत्र में हेरफेर कर किसी अन्य व्यक्ति को परीक्षा देने के लिए भेजा जाता था। इस खेल को मेडिकल ऑफिसर अमित गुप्ता संगठित तरीके से संचालित कर रहा था।

गिरफ्तारी और बरामदगी
छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपी के पास से फर्जी आधार कार्ड, एडमिट कार्ड, मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेज बरामद किए। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश जारी है।

पुलिस का सख्त रुख
एसपी ने कहा कि परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अमित गुप्ता समेत तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है और पूरे नेटवर्क की गहन जांच चल रही है।

यह गिरफ्तारी जिले में स्वास्थ्य विभाग और परीक्षा प्रणाली दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

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गाली देने वाले शहरों के टॉप 10 में शामिल हुआ बलिया, 73% लोग करते हैं गालियों का इस्तेमाल

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बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का नाम अब उन शहरों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहाँ गालियों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। हाल ही में जारी एक सर्वे के मुताबिक, बलिया के 73% लोगों ने खुद कबूल किया कि वे बातचीत के दौरान गालियों का प्रयोग करते हैं।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि अब यह आदत सिर्फ युवाओं और बड़ों तक सीमित नहीं रही, बल्कि चौथी क्लास तक के बच्चे भी गालियां देने लगे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका कारण सोशल मीडिया, मोबाइल गेम्स और घर-परिवार का माहौल है।

विशेषज्ञों की चेतावनी

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि गालियों की बढ़ती आदत न केवल भाषा को दूषित कर रही है, बल्कि बच्चों और युवाओं के व्यक्तित्व और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल रही है। उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों से बच्चों को बेहतर वातावरण और सही भाषा सिखाने की अपील की।

टॉप 10 शहर जहाँ सबसे ज्यादा गालियां दी जाती हैं

  1. कानपुर – 78%

  2. लखनऊ – 76%

  3. वाराणसी – 76%

  4. मुरादाबाद – 76%

  5. संतकबीरनगर – 76%

  6. मेरठ – 75%

  7. प्रयागराज – 75%

  8. गौतमबुद्ध नगर – 73%

  9. बलिया – 73%

  10. मिर्जापुर – 73%

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बलिया के इस ब्लॉक प्रमुख की बेटी की हाई-प्रोफाइल शादी, सियासी दिग्गज और फिल्मी सितारों का जमावड़ा

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बलिया के इस ब्लॉकप्रमुख की बेटी के शादी में पहुंचे बड़े-बड़े दिग्गज, फ़िल्मी सितारों से लेकर, सांसद तक, अधिकारी से लेकर सुपरस्टार तक लखनऊ की इस शादी में सबका जमावड़ा, निरहुआ’ और खेसारी ने बनाया माहौल, पुरे यूपी में होने लगी बलिया के इस बेटी की शादी की चर्चा !

आमतौर पर चुनावी मंचों पर एक-दूसरे पर निशाना साधने वाले नेताओं को लखनऊ में हो रही एक शादी में हंसी-मजाक करते देखा गया जिसकी वजह से यह शादी इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई है।

बलिया के सीयर ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह की बेटी की शादी लखनऊ के दयालबाग में आयोजित की गई थी। इस शादी समारोह में सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक की तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हुई।

माहौल ऐसा था, मानो कोई बड़ा सियासी सम्मेलन हो रहा हो। शादी में हर पार्टी के दिग्गज एक छत के नीचे बैठे थे और सब राजनीति छोड़ हंसी-मजाक कर रहे थे।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक भी दयालबाग पहुचे। शादी में उन्होंने वर-वधू को आशीर्वाद दिया और सबसे भेट मुलाकात की।महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर वामन कुले ने भी वर वधु को आशीर्वाद दिया।

उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह भी इस शादी में पहुंचे। इनके अलावा, बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेश सिंह दयाल, राज्यसभा सांसद नीरज शेखर जी की धर्मपत्नी श्री मति सुषमा शेखर ,पूर्व मंत्री उपेन्द्र तिवारी ,समाजवादी पार्टी के सांसद रमाशंकर विद्यार्थी, पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष बलिया, संजय यादव और धन्नजय कन्नौजिया , विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों के MD समेत विभिन्न दिगज्ज भी इस खास मौके का हिस्सा बने।

इस अवसर पर पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के पुत्र विपुलेंद्र सिंह मस्त की भी प्रभावी उपस्थिति रही तथा उन्होंने पारिवारिक सदस्य की तरह सभी अतिथियों का स्वागत किया।

इस शादी में प्रशासनिक और फिल्मी जगत के लोग उपस्थित थे। भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और खेसारी लाल यादव भी शादी में नजर आये। दोनों ने लखनऊ के दयालबाग में हो रहे इस शादी की रौनक को और बढ़ा दिया। इनके साथ बाबा कीनाराम आश्रम वाराणसी के पीठाधीश्वर सिद्धार्थ गौतम राम जी ने भी नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया।

शादी की सबसे खास बात ये रही कि इसे पूरी तरह से भव्य अंदाज में आयोजित किया गया। शानदार सजावट से लेकर बढ़िया खान-पान तक, हर चीज़ पर खास ध्यान दिया गया था। गायक कलाकारों ने अपने जबरदस्त परफॉर्मेंस से समां बांध दिया। शानदार कार्यक्रमों में मेहमान जमकर तालियां बजाते दिखाई दिए।

आलोक कुमार सिंह के छोटे भाई अनूप कुमार सिंह मेहमानों की आवभगत कर रहे थे और हर एक अतिथि को खास महसूस करने में जुटे थे। अब बलिया के सीयर ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह की बेटी की इस हाई-प्रोफाइलशादी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रही हैं।

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